आज हर इन्सान सुख की तलाश में है, छोटी सी ख़ुशी पाने के लिए इंसान क्या कुछ नहीं करता, इससे यह बात साबित होती है की दुनिया में दुःख मौजूद है, आज हम आपको दुखी रहने के 10 कारण बताएँगे।
जिनको यदि आप ध्यान से समझ लेते हैं, और अपने जीवन से उन कारणों को हटा देते हैं तो आपके जीवन से आधा दुःख वहीँ पर समाप्त हो जायेगा। जी हाँ, क्योंकि जो टिप्स आपके साथ शेयर करेंगे वो आपकी पर्सनल लाइफ से जरुर जुड़े होंगे।
तो आइये जानते हैं दुखी होने के मूल कारणों के बारे में, जिनको जानकार आप ख़ुशी के रास्ते पर आगे बढ़ सकते हैं।
दुखी रहने के 10 कारण | साथ ही जानें समस्या का उपाय
#1. बीते समय के बारे में सोचना
हम इंसानों को प्रकृति ने मेमोरी (याददाश्त) इसलिए दी है ताकि हम इसका उपयोग कर जीवन में धोखे खाने से बच सके, पुरानी गलतियों से सीख सके।
पर अफ़सोस हम इंसानों की सबसे बड़ी कमजोरी भी यही याददाश्त है जो हमें उन बेकार के पलों को भी याद रखने के लिए मजबूर कर देती है जिससे जिन्दगी में हमारा कोई फायदा नहीं बल्कि इनसे हमें सिर्फ दुःख ही मिलता है।
आपने कई लोगों को देखा होगा वो अपनी पुरानी यादें जैसे अपने प्यार से बिछुड़ना हो, किसी करीबी की मृत्यु की याद हो या फिर कोई और वजह हो।
पुरानी बातें, जिनसे जीवन में कुछ नया नहीं हो सकता, वह उन्हें याद करके पछताते हैं। कई बार तो इसान दुखी होने के इस कारण की वजह से डिप्रेशन में भी चला जाता है।
#2. खाली बैठना है दुखी होने का प्रमुख कारण
खाली दिमाग- शैतान का घर, हम यह बचपन से सुनते आये हैं। और वास्तव में जब आप खाली बैठे रहते हैं तो बेमतलब के विचार आपके मन पर हावी रहते हैं। इसलिए जो लोग काम से जी चुराते हैं, आलस करते हैं उन्हें जो खाली समय मिलता है यही उनकी जिन्दगी का बुरा समय भी होता है।
अतः अगर आप किसी सही काम में डूबे हुए नहीं है तो सबसे बड़ा घाटा आपको यही होगा की मन को बेचैन करने वाले विचार आयेंगे, जिससे अततः आपको दुःख ही मिलेगा।
#3. सही लोगों की संगती से दूर रहना।
संगती से मतलब अच्छे लोग ही नहीं है बल्कि हर वह वस्तु या व्यक्ति जिसके करीब जाने से आपका मन अच्छा होता हो वही आपके लिए सत्संगति है। अगर आप ऐसे लोगों के साथ रहते हैं जो एक दूसरे की बुराई से खुश रहते है, जीवन में आगे बढ़ने की, कुछ बेहतर करने की बातें नहीं करते और सही काम करने वाले की टांग खीचते हैं।
तो ऐसा कोई भी व्यक्ति चाहे आपके परिवार में हो या कोई रिश्तेदार या दोस्त हो ऐसे लोगों से दूर हो जाइये, और अगर कोई अच्छा दोस्त न मिले तो किताबें हैं उनकी संगती करिए। विवेकानंद, गौतम बुद्ध को पढ़िए, गीता पढ़िए फिर आपको खुश रहने के लिए किसी इंसान की जरूरत नहीं रहेगी।
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#4. उम्मीदें रखना है, दुखी होने का मूल कारण
हम इंसान दूसरों से कम या ज्यादा उम्मीदें तो रखते ही हैं, चाहे पैसे के रूप में हो या प्रेम या सम्मान के रूप में या फिर छोटे मोटे कार्यों के लिए।
लेकिन अक्सर ऐसा होता है हम जिस भी कार्य के पूरा होने की उम्मीद दूसरे से करते हैं, वो हमारी उम्मीदों के मुताबिक़ नहीं होता और फिर हमें दुःख मिलता है। तो गीता में भगवान कृष्ण कह रहे हैं की उम्मीदें ही आपके दुखों का कारण बनती है। अतः उम्मीदें कम से कम रखिये दूसरों पर।
#5. कोई बड़ा और उचित लक्ष्य न होना।
देखिये पैसे कमाना, घर, गाडी खरीदने इत्यादि का लक्ष्य तो हर इंसान का होता है, इसलिए अपनी इन्हीं इच्छाओं को पूरा करने की खातिर वह दिन रात काम भी करता है।
लेकिन हम ऐसे लक्ष्य की बात कर रहे हैं जो ऊँचा हो यानी जिसमें आपका ही नहीं अपितु इस समाज का संसार का भला हो, जितने भी महापुरुष हुए जीवन में उनका बड़ा लक्ष्य था यही कारण था की वो हम आम लोगों की तरह कभी दुखी नहीं दिखाई दिए।
स्वामी विवेकानन्द जीवन भर काम करते रहे, इस समाज के लिए तो आप देखिये किस तरह इस समाज या दुनिया के लिए कौन सा कार्य आप कर सकते हैं, फिर आपको दुखी रहने का समय नहीं मिलेगा।
#6. कुछ नया करने या सीखने से बचना।
हम भारतीय लोग एक स्क्रिप्टेड लाइफ जीते हैं, यानि ऐसी जिन्दगी जिसमें पहले से ही जीवन तयशुदा रहता है। पैदा हुए,पढ़ाई, नौकरी, शादी, बच्चे और फिर जीवन खत्म।
जिन्दगी के अनमोल दिनों को ज्यादातर लोग ऐसे ही बिताते हैं और उनका जीवन निराशा और हताशा से भरा होता है। तो अगर आप जीवन में खुशहाली और उमंग लाना चाहते हैं तो पूछें खुद से क्या आप कुछ ऐसा सीख रहे हैं या नया ट्राई कर रहे हैं।
अगर आप कोई स्पोर्ट्स नहीं खेलते, कोई नयी आर्ट (कला) नहीं सीखते, कुछ नया करने से हिचकते हैं तो फिर एक घुटा हुआ जीवन जीने के लिए तैयार रहें।
#7. दूसरों की उम्मीदों को पूरा करते रहना।
बचपन से ही हमें इस तरह के संस्कार परिवारों में दिए जाते हैं जिससे हम बड़े होकर अपने परिवार या अन्य कुछ खास लोगों की उम्मीदों को पूरा करते हुए जीवन जियें।
पर एक समय आता है जब इंसान पाता है इन जिम्मेदारियों को ढोते ढोते उसका खुद का ही जीवन घिसा जा रहा है, तो इस बात में कोई शक नहीं की आपको प्रेम पूर्वक अपने परिवार का ख्याल रखना चाहिए।
पर ध्यान दें यह सब एक लिमिट में हो, अगर इससे बाहर होता है तो वही लोग आप पर हावी रहेंगे और उनकी उम्मीदों को पूरा करते हुए कहीं आपके जीवन का यही कीमती समय बेकार न चला जाये।
#8. दूसरे पर निर्भर होना।
दुखी होने के प्रमुख कारणों में से एक है दूसरे पर निर्भरता, यह निर्भरता किसी भी तरह की हो सकती है चाहे पैसों की, सुरक्षा की, सुख सुविधाओं की इत्यादि।
अगर आप आत्मनिर्भर नहीं है, अपने जीवन के जरूरी कार्यों को करने के लिए भी दूसरे का सहारा ढूंढते हैं जैसे आप अपने कपडे खुद नहीं धोते, खाना बनाना आपको नहीं आता और खुश रहने के लिए यदि आप दोस्तों को या अपने प्रेमी को ढूंढते हैं तो इसका मतलब है दूसरे के आसरे पर आप जीवन जी रहे हैं।
खुद को ऐसा बना लीजिये जिससे आप किसी भी इंसान पर निर्भर न हो सकें।
#9. गलतफहमी में जीवन जीना।
सभी लोगों के मन में कुछ खास भ्रम होते हैं, और भ्रमों को हकीकत मानकर वह जीवन जीता है, जैसे एक सामान्य भ्रम यह है की हमें लगता है पहले खूब पैसा कमा लें तब जाकर अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखेंगे, परिवार को समय देंगे, या कुछ नया सीखेंगे और खेलेंगे।
पर समय क्या कभी हमारी इच्छाओं के अनुसार चलता है? नहीं न, यदि छोटे बच्चों को आपकी गाइडेंस की आज सख्त जरूरत है तो क्या आप तब उन्हें तब समय देंगे जब वो बड़े होकर बिगड़ जायेंगे? नहीं न इसी तरह जिन्दगी को वास्तविकता के चश्मे से देखिये की कहीं आपने भी तो कुछ भ्रम नहीं पाल लिए।
#10. अपनी हालत के प्रति जिम्मेदार न होना।
देखिये जीवन है, तो गलतियाँ भी होंगी ही, लेकिन अक्सर आप पाते होंगे लोग अपने किये हुए कर्मों का या गलतियों का ठीकरा दूसरों पर फोड़ देते हैं।
वो जिम्मेदारी लेने से कतराते हैं, आप भी शायद ऐसा करते होंगे। तो पूछिए खुद से अगर आप अपनी जिम्मेदारियों के प्रति लापरवाह हैं तो जल्द ही बड़ा दुःख आपके लिए तैयार हैं। खुद को काबिल मानते हुए अपनी स्तिथि को स्वीकार करते हुए आगे बढिए।
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FAQ~ दुखी होने कारण
इन्सान को सबसे ज्यादा दुःख उसकी उम्मीदें देती हैं, परिवार से, प्रेमी से या फिर पैसे इत्यादि किसी भी विषय या वस्तु को लेकर जब उसकी आशाएं पूरी नहीं होती तो वह दुखी हो जाता है।
सबसे दुखी इन्सान वह व्यक्ति है जो इमानदारी से नहीं मानता की मैं दुखी हूँ, भ्रमित हूँ, अज्ञानी हूँ। क्योंकि ऐसे व्यक्ति को फिर कोई भी सही राह नहीं दिखा सकता इसलिए फिर वह दर दर के ठोकर खाता है।
लोगों को उनका खराब जीवन ही उन्हें दुःखी रहने के लिए विवश करता है, यह जानते हुए की जीवन में कुछ सही नहीं चल रहा है इसके बावजूद वह जीवन को बदलने की कोशिश नहीं करता। यही उसका दुःख है।
अंतिम शब्द
तो साथियों इस पोस्ट को पढने के बाद दुखी रहने के 10 कारण आप भली भांति जान गये होंगे, हमें आशा है पोस्ट में दी गयी जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। और आप इसे शेयर भी अवश्य करेंगे।