हम जिनसे प्रेम करते हैं, वो हमसे नफरत क्यों करते हैं? Chapter 13 Summary in Hindi

अक्सर हम अपने मित्रों, रिश्तेदारों या पारिवारिक लोगों को प्रेम तो अन्दर से बहुत करते हैं पर हमें अहसास होता है की सामने वाला प्रेम के बदले हमें नफरत दे रहा है।

हम जिनसे प्रेम करते हैं, वो हमसे नफरत क्यों करते हैं

और ऐसा होने पर हमें आंतरिक रूप से बड़ी चोट लगती है, नतीजा आगे हम उससे प्रेम करना तो दूर उसका बुरा करने के बारे में सोचने लगते हैं।

अब यह भावना व्यक्ति के मन में अपने प्रेमी के लिए या फिर किसी भी व्यक्ति के लिए उठ सकती है, तो आचार्य जी ने इस महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा की ओर बड़े सहज और सरल तरीके से हमें गहरी स्पस्टता दी।

हम करें प्रेम, और सामने से नफरत क्यों मिले ?

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी कई बार ऐसा क्यों होता है? जिनसे हम प्रेम करते हैं बदले में वो हमें नफरत देते हैं।

आचार्य जी: आप तो अपने मन का कार्य ही कर रही हैं न, तुम्हें किसी को प्रेम करना था वो आप कर रही हैं? बस करते रहिये।

लेकिन दिक्कत जब होती है जब मन में ये विचार आता है की हम प्रेम के बदले कुछ लेने की भी आशा मन में रख लेते हैं।

जैसे किसी से किसी तरह का मान सम्मान या व्यवहार इत्यादि, और जब वो नहीं मिलता तो हम शिकायत करते हैं।

बहुत प्रेमीजन आते हैं कहते हैं ” आचार्य जी मेरा प्रेम विफल हो गया”

और मैं चौंक जाता हूँ।

आपको भला कोई प्रेम करने से रोक सकता है क्या?

आपको जेल में डाल दिया जाये फिर भी आपके प्रेम को कोई बेडी नहीं पहना सकता, आपके शरीर को जरुर पहना सकता है।

लेकिन फिर वो कहते हैं आचार्य जी देखिये प्रेम मुझसे किया था “सुहागरात किसी और से”

तो सीधे ये कहिये ना मुझे उसका शरीर चाहिए था, अपने प्रेम के बदले!

प्रेम देने का नाम लेने का नहीं

प्रेम कोई व्यापार में सौदा थोड़ी है की एक लीटर आप दो एक लीटर मै दूंगा, प्रेम तो स्वतन्त्र होता है, जिसे करने से कोई रोक नहीं सकता।

प्रेम के बदले में न तो कुछ लिया जा सकता है और न ही प्रेम भीख में माँगा जा सकता है। प्रेम में कोई कामना (इच्छा) नहीं होती।

लेकिन हम आज तक प्रेम को यही समझते आये हैं प्रेम दो बदले में प्रेम पाओ। तो जब कोई बहुत परेशान हो प्रेमी जिसे बदले में प्रेम न मिला हो।

समझ लेना सच्चा प्रेम उसे कभी हुआ ही नहीं, उसकी कामना जुडी थी किसी व्यक्ति से और जब वह पूरी नहीं हो पाई तो अब वो आंसू बहा रहा है।

जिसके पास जो होगा वही देगा👇

प्रेम करना सूरमाओं का काम होता है और प्रेम दिल खोल के किया जाता है, मै कहता हूँ आप प्रेम डंके की चोट पर करिए।

प्रेम देने वाले को किसी के सामने हाथ फैलाने की जरूरत नहीं होती, रानी हैं आप बादशाहत दिखाइये, और इसकी चिंता बिलकुल न करें की प्रेमी आपसे प्रेम करता है या नहीं…

उसके पास जो होगा वो आपको देगा जो आपके पास होगा आप दे रहे हैं।

प्रेम पर आधारित पिछले अध्याय

« क्या प्रेम की कोई परिभाषा नहीं होती? Chapter 12

« राधा- कृष्ण में भी प्रेम था, पर हमारे प्रेम को सम्मान क्यों नहीं Chapter11

« रिश्तों में प्रेम क्यों नहीं है? Chapter 10

अंतिम शब्द

तो साथियों इस अध्याय में हमने जाना हम जिनसे प्रेम करते हैं, वो हमसे नफरत क्यों करते हैं? आशा है प्रेम सीखना पड़ता है नामक पुस्तक का 13वां अध्याय आपको पसंद आया होगा, और आप इसे मित्रों के बीच शेयर भी करेंगे।

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