प्रेम और मोह में ये फर्क है | अध्याय 16 Full Summary in Hindi

अपने रिश्तों को देखकर लगता है हमें जिनसे मोह है, उन्हीं से सबसे अधिक प्रेम भी होता है। आप यह बात अपने पारिवारिक सदस्यों, मित्रों या रिश्तेदारों पर लागू कर सकते हैं। (प्रेम और मोह में ये फर्क है | अध्याय 16 )

प्रेम और मोह में ये फर्क

पर क्या वास्तव में प्रेम होने के लिए मोह होना जरुरी है? ये मोह और प्रेम में क्या अंतर है? क्यों ये दोनों साथ साथ नहीं चल सकते, यदि आप समझना चाहते हैं तो आचार्य जी प्रेम सीखना पड़ता है नामक इस पुस्तक के 15 वें अध्याय में इस विषय पर विस्तार से चर्चा करते हैं।

प्रेम और मोह में फर्क समझिये

आचार्य जी कह रहे हैं आप एक कमरें में बंद हैं, वहां साजो-सज्जा, मनोरंजन के अनेक साधन उपलब्ध हैं। लेकिन कमरे की दिवार के बाहर मधुर संगीत, शीतल हवा है यानी इससे बाहर एक बेहतर जीवन खड़ा है। और अब आपका प्रेम आपको इस कमरे को अलविदा कहकर उस सुन्दर जिन्दगी को जीने के लिए प्रेरित कर रहा है, इसके लिए चाहे आपको अपनी पुरानी सुख सुविधाओं का त्याग क्यों न करना पड़े। यही प्रेम है।

दूसरी तरफ मोह उस स्तिथि को कहा जाता है जब आपको कमरे के बाहर का जीवन तो बहुत सुहाता है लेकिन चूँकि उस कमरे में आपकी पुरानी तस्वीरें है, यादें हैं और भोग विलास, मनोरंजन के अनेक साधन उपलब्ध हैं जिनसे आपको लगाव हो गया है, और अब आप उसे चाहकर भी छोड़ नहीं पाते। यही मोह कहलाता है।

इसलिए जहाँ व्यक्ति को किसी वस्तु, व्यक्ति, विचार इत्यादि से मोह हो जाये तो वहां से प्रेम गायब हो जाता है। बस यही महीन सा अंतर है प्रेम और मोह में।

लेकिन कई बार लोगों को प्रेम और मोह में समानता दिखाई देती है, पर मै कह रहा हूँ! समानता तो छोडो ये दोनों विपरीत भी नहीं हैं। एक दूसरी दुनिया का है दूसरा, दूसरी दुनिया का।

प्रेम क्रांति है

मोह जहाँ पुरानी व्यवस्थाओं, धारणाओं को आगे बढाने का नाम है वहीं प्रेम विस्फोटक होता है। जो व्यक्ति के पुराने ढर्रे, पुरानी आदतों को तोड़ मोड़ देता है और उसका जीवन ही बदल देता है।

प्रेम आपको वो रहने नहीं देता जैसे आप है, ऐसा नहीं है की आप प्रेम में पुरानी व्यवस्था का पालन न करने के लिए उसका विरोध करते हैं।

बल्कि प्रेम में आप पुराना सब भूल ही जाते हैं, कोई पूछे उस प्रेमी से और कहे कहाँ थे इतने दिन और क्या हुआ जीवन में?

वो कहेगा पता नहीं,

कोई पूछेगा “पीछे का वो सब क्यों छोड़ दिया”

वो कहेगा “याद नहीं”

बस जीवन बदल गया, क्यों छोड़ा, कैसे हुआ? वो उन पुरानी बातों को इतनी भी तवज्जों नहीं देता, जो याद रखी जा सके।

तो देखिये फिर इसलिए जो सच्चे प्रमी होते हैं वो डरते बिलकुल नहीं! क्योंकि डर हो इसके लिए कुछ पुराना याद तो होना चाहिए न, लेकिन प्रेमी भुलक्कड होते हैं वो पुराना सब भूल जाते हैं बस उनका उसी पर ध्यान होता है जिससे उन्हें प्रेम है।

प्रेम और मोह में कोई समानता नहीं होती

आचार्य जी कह रहे हैं आपको प्रेम और मोह में समानता या असमानता दिख कैसे गई? मोह तो बड़ा कमजोर होता है उसका तुम नाम भी नहीं ले सकते।

किसी के प्रति आकर्षित हो गए हो और उससे कुछ पाना चाहते हो सीधा ये नहीं कहोगे की मैं तुम पर मोहित हो गया हूँ, नहीं।

उसके लिए मोह को प्रेम का सहारा लेना पड़ता है सुना है न, मै तुमसे प्यार करता हूँ।

हम किसी भी चीज़ में प्रेम का नाम घुसेड देते हैं i am loving it, i love pizza, i love the way you walk इत्यादि।

देख रहे हो खाना-पीना रहना,हर चीज़ में हम प्रेम को घुसेड देते हैं जैसे किसी सब्जी में आलू को..

तो जो इतना बलहीन है जिसको बचाए, छुपाये रखना पड़ता है उसकी तुलना प्रेम से कैसे की जा सकती है?

नामकरण बताता है हम किस तरह के लोग हैं

हमारी संस्कृति में अध्यात्म गायब होने की वजह से समझदारी और बोध जीवन से कैसे गायब हुआ है, आप बच्चों के नामकरणों से समझ सकते हैं।

कुछ दशक पहले तक लड़कों के नाम रखे जाते थे थानेदार सिंह, मैनेजर चौबे। देख पा रहे हो लोग पद, प्रतिष्टा और ताकत के इतने प्यासे हैं की लड़का थानेदार बने इसके लिए पैदा होते ही उसका नाम रख दिया क्या थानेदार सिंह।

दूध और मीठे से ज्यादा आसक्ति हई तो नाम रख दिया लड़की का राबड़ी मलाई, और अगर हमारी संस्कृति अध्यात्म पर होती तो माँ बाप अपनी बच्ची का नाम माया, कामिनी, ममता नहीं रख सकते थे। लेकिन हमें तो ममता बड़ा सुन्दर नाम लगता है वहां कृष्ण भगवदगीता में अर्जुन से ममता से बचने की बात कह रहे हैं और यहाँ ममता नाम बहुत प्रचलित और शुभ लगता है हमें।

तो इसी तरह अगर आध्यत्मिकता चूँकि हमारे जीवन में होती तो कभी मोह को इतना सम्मान, महत्व नहीं मिलता हमारी संस्कृति में और हम इस शब्द से किनारा रखते।

अंतिम शब्द

इस तरह आचार्य जी मोह के नाम पर हमारे परिवार समाज में जो घटनाएँ घटती है, उन्हें उदाहरणों के साथ बड़े सहज अंदाज में बतलाते हैं जिसे समझने और सुनने में पाठकों को बड़ा आनंद आता है। आप अगर इस पूरे अध्याय प्रेम और मोह में फर्क की इस बातचीत को पढना चाहते हैं तो Amazon से आप यह पुस्तक ऑर्डर कर सकते हैं।

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