आत्मा शरीर में कब प्रवेश करती है? जानिये Secret!

आत्मा को लेकर मन में अनगिनत प्रश्न इन्सान के मन में चलते रहते हैं, और दुर्भाग्य से कोई सटीक जवाब देने वाला नहीं होता। ऐसा ही एक सवाल लोग अक्सर पूछते हैं की आत्मा शरीर में कब प्रवेश करती है?

आत्मा शरीर में कब प्रवेश करती है

तो आज हम जरा गहराई से इस प्रश्न पर चर्चा करेंगे ताकि अंत में आप पूरी तरह से जवाब से संतुष्ट हो जाएँ और आपको फिर कहीं दोबारा से आत्मा के नाम पर चल रही गलत बातों पर विश्वास करने की जरूरत न पड़े।

देखिये आत्मा शब्द हमें उपनिषदों से मिला है, तो पहली बात जब कभी भी आत्मा के उपर आपको किसी भी विद्वान का कोई कथन या बयान सुनाई देता है तो शास्त्रों की तरफ जायें और देखें वो बात वहां लिखी है या नहीं।

अगर नहीं है, तो जाहिर सी बात है जो बात कही जा रही है वो धर्म से जुडी है तो वो सिर्फ अफवाह है उसका सच्चाई से कोई लेना देना नहीं।

डिस्क्लेमर: लेख में कही गई बात सच्चाई पर आधारित है अतः लेख को अंत तक पढने के बाद मन में आत्मा के विषय पर कोई प्रश्न हो तो आप हेल्पलाइन whatsapp नम्बर 8512820608 पर पूछ सकते हैं।

आत्मा शरीर में कब प्रवेश करती है?

आरम्भ में ही हमने जाना था की आत्मा शब्द हमें उपनिषदों से प्राप्त हुआ है, और ऋषि और शिष्य के बीच जो बातचीत है, उसे उपनिषद के रूप में जाना जाता है। उपनिषदों को सनातन धर्म की केन्द्रीय पुस्तक भी कहा गया है।

तो कोई बात सनातन धर्म स्वीकार करता है या नहीं ये समझना है तो उपनिषदों के पास आना होगा। बहरहाल आत्मा को लेकर उपनिषद क्या कहते हैं? ये आपको कठ उपनिषद के 18वें श्लोक को पढ़कर समझ में आ जायेगा।

श्लोक: न जायते म्रियते वा विपश्चिन्नायं कुतश्चिन्न बभूव कश्चित्‌। अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो न हन्यते हन्यमाने शरीरे

अनुवाद: यह ज्ञान स्वरूप आत्मा न उत्पन्न होता है और न मरता है, और न यह किसी से उत्पन्न हुआ और न इस से कुछ उत्पन्न होता है। अतः यह आत्मा जन्म रहित, नित्य, अविनाशी है, इसका शरीर के नाश होने पर भी नाश नहीं होता।

तो साफ साफ इस श्लोक को पढ़कर आपको मालूम हो जायगा की आत्मा वो है जिसका न कोई स्त्रोत है न कोई अंत है, जो न जन्म लेता है और न ही मरता है। मनुष्य का नाश हो जाए तो भी इसका नाश नहीं होता।

इसका मतलब है की आत्मा है निश्चित रूप से, पर आत्मा का इन्सान के मरने या जीने से कोई सम्बन्ध नहीं है। यानी वो इन्सान के जन्म से पहले भी थी और बाद में भी है तो ये कहना की वो किसी इन्सान के शरीर में प्रवेश करती है या गर्भ में प्रवेश करती है?

ये बात ठीक नहीं है क्योंकि शरीर में तो वही चीज़ प्रवेश कर सकती है न जो छोटी सी हो। पर आत्मा को अनंत है और शरीर तो सीमित होता है, कोई अनंत चीज़ शरीर में जा ही नहीं सकती।

तो इससे ये स्पष्ट हो जाता है की शरीर में किसी भी तरह से आत्मा घुस नहीं सकती।

आत्मा का दूसरा नाम क्या है?

उपनिषदों को पढने पर आप पायेंगे आत्मा के विषय पर जितनी बात कही गई हैं वो दर्शाती हैं की सत्य को ही उपनिषदों में आत्मा कहा गया है।

जी हाँ, ऋषि कहते हैं की आत्मा रंग, रूप,आकार से परे है, आत्मा वो है जो विचारों से परे है, जिसके बारे में कोई कल्पना नहीं की जा सकती। वो अविनाशी है, अजर है, अमर है।

इसी प्रकार सत्य भी तो अकल्पनीय है यानि कोई कहे सत्य तो आपके मन में कोई विचार आयेगा, आप नहीं पाएंगे दिमाग में सच्चाई का कोई रंग, रूप या आकार, नाम इत्यादि आ रहा हो।

आत्मा निर्गुण, निराकार है इसी तरह सत्य का कोई गुण नहीं, न कोई साइज़ होता है।

अतः जहाँ भी आप देखें की आत्मा की बात हो रही है समझ लेना वहां सत्य की बात हो रही है। कोई कहे मुझे आत्मा पानी है तो समझ लेना वो सत्य की खोज में है उसे सच्चाई को जानना है।

एक और आवश्यक बात समझनी जरूरी है की धर्मग्रन्थों में आप जहाँ कहीं ब्रह्म, आत्मा, सत्य जैसे नाम पायें तो समझ लेना ये तीनों एक ही हैं।

आत्मा के नाम पर फ़ालतू की कहानियों का सच 

तो आत्मा शब्द की उत्पप्ति और आत्मा के बारे में कुछ सामान्य सी बातों को समझने के बाद अब अगर कोई कहे की आत्मा एक शरीर से दूसरे शरीर में उड़ गई। या फिर कोई कहे की आत्मा को बोतल में रखकर बंद कर दिया।

तो जान लीजियेगा वो व्यक्ति अज्ञानी है उसने धर्म ग्रन्थ पढ़े ही नहीं हैं, वो उपनिषदों के बारे में कुछ नहीं जानता। ऐसे व्यक्ति को प्यार से आप हो सके तो समझाने की कोशिश करें अन्यथा उससे बहसबाजी न करें।

जानकर अफ़सोस होगा की ज्ञान की कमी के चलते आज आत्मा के नाम पर समाज में इतनी कहानियां बन गई हैं जिनका कोई हिसाब नहीं।

हमें समझना चाहिए था की ऋषि जब किसी आत्मा शब्द की बात कर रहे हैं तो कहीं न कहीं वो आम जनता को इस बात से कुछ समझाना चाह रहे होंगे।

पर हमने आत्मा के नाम पर इतनी बातें उड़ाई हैं जिसकी कोई हद नहीं। कोई कहता है आत्मा भूत की भाँती भटकती है तो कोई कुछ और।

अगर आप सच्चाई जानने के इच्छुक हैं तो हम आपसे यही निवेदन करेंगे की आप उपनिषदों की तरफ आइये। किसी उपनिषद को पढना शुरू करें, वहीँ आपको अनमोल सच्चाई जानने को मिलेगी।

क्या आत्मा का पुनर्जन्म होता है?

 देखिये पुनर्जन्म तो उसका हो सकता है न जो पहले जन्म ले और फिर मृत्यु को प्राप्त हो जाए। प्रकृति में बहुत सी ऐसी चीज़ें हैं जो जन्म लेती हैं, कुछ समय तक चलती हैं और एक दिन मृत्यु को प्राप्त हो जाती हैं।

इन्सान को ही ले लीजिये, एक इन्सान पैदा होता है, जवान होता है और बुढापा आते आते एक दिन मर जाता है, फिर एक नया जीव पैदा होता है इसी तरह प्रकृति में पेड़ पौधे, सबकुछ दोबारा जन्म लेते हैं।

दूसरी तरफ आत्मा वो है जो अजात है, माने जिसका कभी जन्म ही नहीं हुआ तो वह मृत्यु को कैसे प्राप्त हो सकती है?

सच्चाई का कभी जन्म हो सकता है, सत्य तो शाश्वत है वो हर समय में है, वो हमसे पहले भी था हमारे बाद भी होगा अतः ये कहना की सच्चाई का पुनर्जन्म होता है ये बात ठीक नहीं है।

इसलिए हम कह सकते हैं की आत्मा के पुनर्जन्म की धारणा ठीक नहीं है।

अंतिम शब्द 

तो साथियों इस लेख को पढने के बाद आत्मा शरीर में कब प्रवेश करती है? अब आप इस प्रश्न का उत्तर भली भाँती जान गए होंगे। इस लेख को पढ़कर मन में किसी तरह का कोई सवाल बाकी है तो हेल्पलाइन नम्बर 8512820608 पर अपने संदेशों को whatsapp करें, साथ ही लेख को अधिक से अधिक शेयर भी कर दें।

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