आत्मा से बात करने वाली मशीन| सीधे होगी बातचीत

वैज्ञानिकों के आविष्कारों का ही परिणाम है की आज हमारे लिए असम्भव चीज़ें भी सम्भव हो पा रही हैं, ऐसे में कुछ खबरें ये भी दावा करती हैं की आत्मा से बात करने वाली मशीन भी वैज्ञानिकों द्वारा बनाई जा चुकी है।

आत्मा से बात करने वाली मशीन

अब सवाल आता है की क्या सचमुच ऐसी मशीन बनी है? और क्या भला भविष्य में किसी मशीन से आत्मा से सम्पर्क करना सम्भव है भी की नहीं? ये प्रश्न बड़ा महत्वपूर्ण हो जाता है।

तो आज हम आपको इस बात की जड़ तक लेकर जायेंगे ताकि आपको सच्चाई मालूम हो सके और दोबारा आत्मा से सम्बन्धित इस तरह के प्रश्नों को दोबारा पूछने की आवश्यकता न रहे।

आत्मा से बात करने वाली मशीन| जानें सच्चाई!

देखिये यदि आपको कोई कहता है की आत्मा से बात करने की मशीन अथवा टूल विकसित किया जा चुका है, तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए क्योंकि ये खबर न सिर्फ गलत है बल्कि धर्म के साथ किया गया मजाक भी है।

एक बात हमेशा ध्यान में रखें की आत्मा शब्द हमें धर्म ने दिया है न की विज्ञान ने। अतः आत्मा शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई? और इस शब्द का महत्व क्या है? ये पहले हमें समझना होगा।

आत्मा शब्द का वर्णन पहली बार उपनिषदों में किया गया। अर्थात आत्मा शब्द हमें हिन्दुओं के शीर्षतम ग्रन्थ उपनिषदों से मिला है।

और ये शब्द इसीलिए दिया गया ताकि जीवन में इंसान के लिए सच्चाई सर्वोपरी हो और वो झूठ में, डर में जीने की बजाय सच्चाई की दिशा में आगे बढे।

ठीक है, जब आप उपनिषदों को पढेंगे तो आपको मालूम होगा की ऋषियों ने बार बार आत्मा शब्द पर जोर दिया है, उन्होंने यहाँ तक कहा की मनुष्य अगर दुःख में, परेशानी में जी रहा है तो कहीं न कहीं वो आत्मा से दूर है।

उसने अपने मोह, लालच, डर इत्यादि के कारण झूठ से ऐसा नाता जोड़ लिया है की अब वो सच्चाई को नहीं देख पा रहा, इस स्तिथि में उन्हें कहना पड़ा की अगर आनन्द चाहिए जीवन में तो आत्मा के करीब आना ही होगा।

यही नहीं भगवदगीता जिसे हिन्दू धर्म का उच्चतम ग्रन्थ माना जाता है उसमें भी भगवान कृष्ण ने कई बार आत्मा की बात की है, हालांकी ऋषियों की भाँती कृष्ण भी वही बात अर्जुन को कहते दिखाई देते हैं।

बस दोनों में अंतर ये है की उपनिषदों में ऋषि एकांत में किसी जंगल में बैठकर शिष्य को आत्मा के बारे में समझा रहे हैं तो वहीँ गीता में भगवान कृष्ण रणभूमि में अर्जुन को बतला रहे हैं की हे पार्थ।

की भले मोह आये, मन में डर आये चाहे कुछ भी हो जाए तुम तो सत्य के रास्ते पर यानी आत्मा की तरफ बढ़ो यही धर्म है।

तो संक्षेप में कहें तो आत्मा का दूसरा नाम है सत्य, जिसके लिए जीवन में सच्चाई सबसे बड़ी चीज़ हो जान लीजिये उसने आत्मा पा ली है।

पर वो व्यक्ति जो सच जानते हुए भी, ये देखते हुए की जिन्दगी में मेरे कितना लालच है, किन बातों में मैं डर जाता हूँ ये जानते हुए भी जो व्यक्ति अपनी कमजोरियों से न जीते।

जो ये जानते हुए भी की जन्म हमें सोने खाने के लिए नहीं बल्कि अच्छे कर्म के लिए मिला है ये जानते हुए भी जो सच्चाई से दूर भागे जान लेना उसने आत्मा को खुद से दूर कर लिया।

गीता में आत्मा को लेकर कही ये बात आपकी आँखें खोल देगी 

तो अब इन बातों को सुनकर हो सकता है की आपके मन में ये बात आये की जब आत्मा मतलब कोई जादुई चीज़ नहीं, कुछ नहीं महज सत्य होता है तो इतनी सारी गलत बातें आत्मा के नाम पर क्यों फैलाई जाती हैं?

क्या वो बातें गलत हैं? जी हाँ बाकी बातें सभी झूठी हैं, मनोरंजन है और इस बात का सबूत ये है की स्वयं कृष्ण गीता में आपको आत्मा के विषय में कुछ बता रहे हैं जिसे समझकर आपको सच्चाई मालूम हो जाएगी।

भगवदगीता में अध्याय 2 के 20वें श्लोक को आप यदि ध्यान से पढ़ें तो मालूम होगा

न जायते म्रियते वा कदाचि

न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।

 अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो

 न हन्यते हन्यमाने शरीरे|

अनुवाद: अर्थात ये जो आत्मा है वो न तो जन्म लेता है और न ही मृत्यु को प्राप्त होता है। ये नित्य, अजन्मा, अविनाशी, शाश्वत है जो जन्म और मृत्यु से परे है। शरीर नष्ट हो जाये ये तब भी नहीं मरता।

अब इस अनुवाद को पढ़कर समझ जाइए क्या है इस प्रकृति में, संसार में जो कभी नष्ट नहीं होता? एक एक विचार, शरीर, प्रकृति में मौजूद वस्तुएं सब नष्ट होते हैं यहाँ तक की ये ये पूरा संसार सबकुछ निरंतर बदल रहा है।

और चूँकि जो लगातार परिवर्तनीय है उसे हम कभी भी शाश्वत नहीं कह सकते। तो मात्र क्या है जो प्रकृति से परे है, जो था, आज है और कल भी रहेगा।

वो है सत्य, मात्र सच्चाई ऐसी है जिसका न कभी जन्म हुआ है न वो कभी मर सकती है। वो असीम है, अनंत है उसी सत्य को आत्मा कहकर सम्बोधित किया गया है।

तो धर्मग्रन्थों में जब भी आत्मा शब्द को देखें तो उस शब्द को सत्य के तौर पर पढियेगा, अब कुछ बातें आपके लिए समझनी जरूरी हो जाती हैं।

आत्मा से जुडी झूठी बातें जो सच लगती हैं 

आज के समय में आत्मा शब्द का सच्चा अर्थ शायद ही कोई समझाने की कोशिश करे, जहाँ भी आत्मा की बात होती है तो हमें कुछ ऐसा बता दिया जाता है जिससे हमारे मन में आत्मा से जुडी एक गलत छवि बनकर सामने आती है।

#1. आत्मा को शान्ति मिले| आत्मा अजात है वो कभी पैदा ही नहीं हुई भला उसे कौन अशांत कर सकता है। मन अशांत होता है याद रखें आत्मा नहीं।

#2. क्या आत्मा एक शरीर से दूसरे शरीर में जाती है? जब आत्मा असीम है, अनंत है, प्रकृति से परे है तो सवाल है की यह प्रकृति द्वारा बनाये छोटे से शरीर में कैसे प्रवेश कर सकती है?

#3. आत्मा भटकती है| आत्मा निर्गुण है, निराकार है तो बताइए जिसका न रंग, रूप,आकार है, उसके भटकने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। मन भटक सकता है सत्य नहीं।

तो इस तरह की ढेरों बातें आत्मा से जुडी बातें लोगों के मन में आत्मा के विषय पर फैली हुई हैं। अगर आपके मन में भी आत्मा से जुडी कोई बात है तो बेझिझक आप हम तक सीधा सवाल इस हेल्पलाइन नम्बर 8512820608 पर whatsapp पर भेज सकते हैं।

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अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढ़कर अब आप अच्छी तरह समझ गए होंगे की आत्मा से बात करने वाली मशीन कौन सी है? इस तरह की कोई मशीन भविष्य में बनाई जा सकती है या नहीं?

अब आप यह भली भाँती समझ गए होंगे। इस लेख को पढ़कर किसी तरह का सवाल बाकी है तो उपरोक्त हेल्पलाइन नम्बर पर बताएं, साथ ही लेख को अधिक से अधिक शेयर भी अवश्य कर दें।

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