हर कोई अपने सुखद भविष्य की कामना रखता है, अपनी समस्याओं से मुक्त होना चाहता है ऐसे में कई लोग ज्योतिष शास्त्र की तरफ जाते हैं, पर ज्योतिष शास्त्र सच है या झूठ इस बात का स्पष्ट उत्तर उन्हें नहीं मिलता।
आज भले ही विज्ञान ने बड़ी तरक्की कर ली हो पर आज भी अधिकांश धार्मिक लोगों की ज्योतिष विज्ञान में न सिर्फ रूचि रहती है बल्कि वे आँख बंद कर उसपे भरोसा भी कर लेते हैं।
अगर उन्हें किसी पंडित या विद्वान द्वारा उनके भविष्य में घटने वाली किसी अनहोनी की बात बता दी जाती है तो वे वर्तमान में ही उस घटना को टालने के उपाय आजमाने लगते हैं।
अतः इससे पहले की आप किसी ज्योतिष की बातों पर विश्वास करें और उसकी बताई गई विधियाँ और उपाय को आजमायें। या फिर सीधा ज्योतिष विज्ञान को अनुपयोगी बताते हुए उसको नजरंदाज कर आगे बढ़ें आपके लिए इस विषय को समझना जरूरी हो जाता है।
इन्सान को ज्योतिष शास्त्र की जरूरत क्यों ?
इन्सान किसी भी विधि या शिक्षा को हासिल इसलिए करता है ताकि उससे उसे किसी तरह का लाभ हो, इसी प्रकार लोग ज्योतिष शास्त्र के पास इसलिए जाते हैं ताकि उनके निजी जीवन में चल रही समस्याओं का निदान हो और जीवन में सुख शान्ति आये।
देखिये, हर इंसान आज अनेक तरह की समस्याओं से घिरा हुआ है, एक विद्यार्थी को अपने करियर और जॉब की चिंता है तो एक एक ग्रहस्थ व्यक्ति को अपने परिवार की।
अतः ऐसी स्तिथि में जब उसका मन भयभीत होता है, उसे अपने भविष्य की चिंता होती है तो उसे बताया जाता है की ज्योतिषियों से अपना भविष्य या किसी भी तरह के दुःख का उपाय पता किया जा सकता है।
अतः ज्योतिष शास्त्र की तरफ इंसान का खिंचाव का मुख्य कारण अपनी परेशानी का उपाय खोजना होता है। अब अगला प्रश्न है की क्या वास्तव में इंसान की समस्याओं का हल ज्योतिष शास्त्र में मिल पाता है या यह सिर्फ एक अन्धविश्वास और एक मान्यता है जिसे हम बिना जाने समझें मान रहे हैं। आइये जानते हैं
ज्योतिष शास्त्र सच है या झूठ | पूरी हकीकत
ज्योतिष शास्त्र से आपकी मुख्य समस्या का हल मिल रहा है तो निश्चित रूप से यह आपके लिए सच्चा और फायदेमंद है, पर यदि आपकी परेशानी का हल ज्योतिष की बताई गई विधियों से नही हो रहा है तो ये आपके लिए झूठा साबित होगा।
पर सवाल झूठ और सच से आगे का है, क्योंकि अधिकांश लोगों को ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से दुखों से मुक्ति नहीं मिलती पर फिर भी वे इस आशा में ज्योतिष विज्ञान में भरोसा करते हैं की उन्हें अंततः इसका फायदा मिलेगा।
उदाहरण के लिए किसी रोगी को कैंसर की बीमारी है और सीधे तौर पर उसे अपनी बीमारी का इलाज मालूम नहीं है, और डॉक्टर तक भी पहुँच असम्भव है। अब उसे बीमारी के कई लक्षण प्रतीत होते हैं जिन्हें देखकर रास्ते में जो कोई मिलता है वो उसे कोई उपाय बता देता है।
अब उन उपायों से जाहिर है बीमारी कम तो होगी नहीं बल्कि सम्भव है और बढ़ जायेगी। ऐसा ही हमारा हाल होता है हम ज्योतिष शास्त्र की तरफ इसलिए जाते हैं क्योंकि हमें अपनी मूल बीमारी का पता नहीं है और न ही इलाज मालूम है।
उदाहरण के लिए मेरे अपनी पत्नी के साथ सम्बन्ध अच्छे नहीं है, और हमारे रिश्ते में हो रहे लड़ाई झगडे की वजह से परिवार के अन्य सदस्यों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, अतः मैं जाता हूँ ज्योतिष के पास और अपनी समस्या उन्हें बताता हूँ और वह मुझे कोई टोटका या उपाय अपनाने को कहते हैं।
और मैं यथावत उस टोटके और विधि को आजमाता हूँ अब मुझे इससे कुछ समय के लिए राहत भी मिल जाती है। लेकिन कुछ दिनों बाद समस्या फिर शुरू हो जाती है। तो बताइए ज्योतिष शाश्त्र फेल हो गया न मेरे लिए।
अतः बिना यह जाने की मेरे और मेरी पत्नी की लड़ाई की वजह क्या है? मेरी क्या कमी है जिसकी वजह से मेरी पत्नी मुझसे उदास रहती है? क्या ये समस्या सुधर सकती है?
अगर हाँ तो कैसे अगर नहीं तो फिर क्या उपाय करना होगा? सीधे यदि मैं इमानदारी से कुछ प्रश्न खुद से पूछूँ और फिर सही फैसला लूं तो मुझे लगता है झट से यह समस्या खत्म हो जाएगी।
पर चूँकि मुझे नहीं पता मेरा मन क्या चाहता है, मुझे नहीं मालूम पति और पत्नी का रिश्ता कैसा होना चाहिए? तो बस नासमझी की इस हालत में, मैं भाग पड़ता हूँ ज्योतिष के पास।
अब आप समझ सकते हैं की लोग अंधविश्वास, तमाम तरह के टोटके क्यों अपनाते हैं क्योंकि भीतर से वो डरे हुए होते हैं, उन्हीं अपनी समस्या को ईमानदारी से देखने में और उसका उपाय ढूँढने में असुविधा होती है, इसलिए वे फिर बड़ा दुःख झेलते हैं।
क्या ज्योतिष पर विश्वास करना चाहिए?
बिना अपने मन का हाल जाने ज्योतिष द्वारा बताई गई किसी भी विधि का पालन करना खतरनाक साबित हो सकता है। ठीक उसी तरह जैसे हम अपनी बिमारी को जाने बिना डॉक्टर से दवाई और उपचार की प्रक्रिया शुरू नहीं कर सकते।
इसी प्रकार ज्योतिष पर कितना विश्वास करना चाहिए ये इस बात पर निर्भर करता है आपकी समस्या क्या है?
और यकीन मानिए 99 प्रतिशत मामलों में समस्याएं बिना टोटके, जादू इत्यादि को अपनाये बिना भी ठीक हो जाती हैं।
मान लीजिये मैं बालक हूँ और अपने माता पिता पर पूरी तरह आश्रित हूँ। अब यदि मेरे मन में यह बैठ जाए की मेरे माता पिता किसी बड़े संकट में घिरने वाले हैं तो बताइए क्या मेरा मन शांत रहेगा?
नहीं न, मैं तो डरा हुआ रहूँगा हर पल, कहीं कुछ अन्होनी न हो जाए। क्योंकि बिना माता पिता के मेरा अस्तित्व क्या है? मेरा भोजन, शिक्षा और तमाम इच्छाएं पूरी करने वाले ही मुझसे दूर हो जायेंगे तो मैं क्या करूंगा।
अब दिन रात मेरे मन में यह डर सताया हुआ है, जबकि हकीकत में मेरे माता पिता बिलकुल स्वस्थ्य हैं उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है। पर जब वह पाते हैं की मैं आजकल डरा सहमा सा रहता हूँ जिसके पीछे का कारण ऐसा है जो खुल कर मैं उन्हें बता भी नहीं सकता।
क्योंकि मुझे डर है अगर मैंने अगर भीतर का हाल बता दिया तो कोई अनहोनी न हो जाये।
अतः वे अब मेरी समस्या को देखते हुए मुझे डॉक्टर के पास ले जाते हैं। डॉक्टर भी बेचारा क्या बताये? इस तरह फिर वहां भी समस्या नहीं उलझती तो वे मुझे ज्योतिष के पास ले जाते हैं अब ज्योतिष भी जो कुछ बताये वो सब उपाय आजमायें।
पर ऐसे में मन को थोड़ी देर की राहत तो मिल जाती पर कुछ समय बाद फिर मन डरी सहमी हालत में पहुँच जाये।
अब उपाय मात्र एक था मन का डर, मन की अज्ञानता को किसी तरह दूर किया जाए। और हकीकत को माना जाए। अगर कोई होता जो मुझे समझ पाता या मैं कहूँ की मेरे पास इतनी हिम्मत होती साफ़ साफ बताने की की मेरे मन में क्या चल रहा है उसे निडर होकर बता सकूं।
तो शायद ये डर जो लम्बे समय से मुझे खाए जा रहा था, मुझे आजाद होने से रोक रहा था वो कब का खत्म हो जाता।
ये मुद्दा बालक का था, पर अक्सर कहानियां अलग होती है पर आंतरिक डर और नासमझी की वजह से हर इंसान कभी डॉक्टर के पास तो कभी ज्योतिष के पास भागता है। अब आप समझ सकते हैं की ऐसी समस्याएं तभी सुलझती हैं जब भीतर ज्ञान का प्रकाश फैलाया जाए।
जैसे किसी अँधेरी गुफा में एक टॉर्च आप जला दें तो आपको आगे का रास्ता दिख जाता है, इसी तरह ज्ञान हमें हमारी बड़ी से बड़ी समस्या से मुक्त कर देता है।
हम ज्योतिष में विश्वास क्यों करते हैं?
क्योंकि हम डरे हुए नासमझ लोग हैं इसलिए हम अपनी समस्याओं का समाधान ज्योतिष शाश्त्र में खोजते हैं। एक इंसान जो भीतर से लालची है पैसे का भूखा है वो हर समय सोचता है किसी तरह पैसा पा लूं चाहे मुझे अपने स्वास्थ्य या कीमती समय से समझौता क्यों न करना पड़े
अब यदि अपने इसी स्वभाव के कारण यदि वह परेशान रहता हो तो बताइए कोई डॉक्टर उसके लालच को कम कर सकता है? कोई दवा कोई सर्जरी उसके लालच को जड़ से मिटा सकती है?
इसलिए फिर आदमी डॉक्टर को छोड़कर ज्योतिष के पास जाता है, अब ज्योतिष मनोविज्ञान का ज्ञाता तो नहीं है जो साफ़ साफ़ लालची इंसान से पूछे की बताओ दिनभर करते क्या हो, समय कहा बिताते हो की इतने परेशान से रहते हों। और फिर घर में क्लेश करते हों।
इसके बजाय ज्योतिष उसे कोई विधि बता देते हैं की इस तरह ध्यान की विधि या टोटका आजमाओगे तो ये बीमारी जड़ से साफ़ हो जाएगी। अब यह विधि अपनाकर उसे कुछ तो राहत मिलती है जैसे मन लो उसे सुबह 1 घंटा ध्यान करने के लिए कहा गया है और शाम को हनुमान चलीसा पढने की बात कही गई है।
लेकिन चूँकि एक घंटा ध्यान की क्रिया को करने के बाद वो अपने दफ्तर की तरफ उसी लालची मन से चला जायेगा और वहां सोचेगा किस तरह मैं अधिक से अधिक मुनाफा कमाऊं और फिर जब वह थका हारा घर पहुंचता है और हनुमान चालीसा का पाठ करता है तो आधे घंटे तक तो मन उसका शांत और स्तिर है।
लेकिन थोड़ी देर बाद मन फिर से पहुँच जाता है पैसे की तरफ, अब वह फिर मोबाइल खोलता है और काम धंधे में ध्यान लगाने की सोचता है या फिर उसे बॉस का कॉल आता है जिससे उसे डांट पड़ती है तो फिर उसका वही गुस्सा परिवार के सदस्यों पर फूटता है।
तो इस तरह ज्योतिष की बताई गई विधियाँ असरदार साबित नहीं होती, वो थोड़ी देर के लिए राहत तो दे सकती हैं जैसे शराबी को शराब से मिलती हैं, लेकिन अगर इरादा पेनकिलर लेने की बजाय समस्या को मिटाने का है तो फिर ज्योतिष नहीं काम आएगा।
एक लालची व्यक्ति जब तक अपने भीतर के लालच को खत्म करने का इरादा न कर ले, जब तक उसके लिए अपने लालच से ज्यादा कोई और महत्वपूर्ण काम जीवन में करने के लिए नहीं है वो लालची बना रहेगा।
सिवाए खुद के, कोई काम नहीं आएगा। इसलिए कहा गया आप भला तो जग भला। हम भीतर से लालची, कपटी, डरपोक लोग हैं और समझते हैं ये दुनिया खराब है।।.. वाह।
मनुष्य ने ज्योतिष का आविष्कार क्यों किया?
ज्योतिष की उत्पत्ति के अनेक कारण बताये जाते हैं, पर उन सभी में से मूल कारण मनुष्य की समस्या है। शुरुवाती समय में ज्ञान का अभाव था, आज की तरह न टेक्नोलॉजी थी और न ही मनुष्य के पास विज्ञान की इतनी गहरी समझ।
तो कहा जाता है मानवीय और प्राकृतिक समस्याओं के समाधान हेतु ज्योतिष शास्त्र अस्तित्व में आया। आज जिस तरह संसार में मनुष्य समस्याओं का सामना कर रहा है।
उस समय भी मनुष्य बेचैन था और जिस तरह आज तक हर आविष्कार किसी परेशानी का खात्मा करने के लिए किया जाता है उसी प्रकार ज्योतिष शाश्त्र की भी उत्पप्ति हुई।
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अंतिम शब्द
तो साथियों इस लेख को पढने के पश्चात ज्योतिष शास्त्र सच है या झूठ अब आपको इस विषय पर विस्तार से जानकारी मिल गई होगी। इस लेख को पढ़कर जीवन में स्पष्टता आई है तो कृपया इस लेख को अधिक से अधिक शेयर कर इस जानकारी को अन्य लोगों तक भी जरुर सांझा करें।