क्या एक ही परिवार में पुनर्जन्म सम्भव है? जानें सच्चाई

शरीर की मृत्यु हो जाने के बाद पुनर्जन्म कितने दिनों बाद होता है? क्या एक ही परिवार में पुनर्जन्म सम्भव है? क्या कुछ ख़ास लोगों का ही पुनर्जन्म होता है?  इन सभी सवालों का जवाब आपको यहाँ मिलेगा।

क्या एक ही परिवार में पुनर्जन्म सम्भव है?

व्यक्ति की इस संसार में दोबारा से जन्म लेना हमेशा से ही एक रहस्यमई घटना मानी जाती है, जहाँ कुछ लोग इस बात पर पूरा यकीन रखते हैं की मरने के बाद पुनर्जन्म होता है तो वहीँ जो लोग जिन्हें विज्ञान और अध्यात्म में रूचि है वो इस बात को सिरे से नकारते हैं।

अतः पुनर्जन्म के सिद्धांत पर फैली हुई कई तरह की मान्यताओं (beliefs) को जरा साइड रखते हुए हम सच्चाई जानने का प्रयास करेंगे की आखिर एक व्यक्ति का पुनर्जन्म किस स्तिथि में, किन परिवारों में होता है।

क्या एक ही परिवार में पुनर्जन्म सम्भव है? जानें सच्चाई

जी नहीं, शरीर के जल जाने के बाद फिर से उस इंसान का उसी परिवार में जन्म लेना मुमकिन नहीं है। अतः चाहे किसी की अकाल मृत्यु हुई हो या फिर बुजुर्ग अवस्था में उसने संसार को अलविदा कहा हो, उस व्यक्ति का उसी रूप में दोबारा जन्म नहीं होता।

समझने योग्य है की पुनर्जन्म प्रकृति का होता है इंसान का नहीं। प्रकृति में नित अनेक लहरें उठ रही हैं, जैसे ही एक लहर उठती है तो इससे प्रकृति में मनुष्य का जन्म होता है, और एक काल (समयावधि) के बाद जब वह लहर बैठती है तो इंसान की मृत्यु हो जाती है।

इस तरह इंसान के जन्म और मरण का चक्र प्रकृति में चलता रहता है, प्रकृति को व्यक्ति विशेष से कोई मतलब नहीं है। प्रकृति को फर्क नहीं पड़ता आप एक चींटी हो या इंसान, वह समय आने पर आपको झट से ख़त्म कर सकती है।

अतः ठीक उसी तरह जैसे प्रकृति एक चींटी को जन्म देती है उसी तरह एक नए व्यक्ति का जन्म प्रकृति में होता है। यही पुनर्जन्म का खेल अनेकों बार चलता है।

व्यक्ति मरता है जन्म लेता है, लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं होता की एक व्यक्ति के मृत हो जाने के बाद वही व्यक्ति दोबारा उसी रूप में जन्म लेता हो।

क्या आत्मा का पुनर्जन्म होता है?

जी नहीं, आत्मा का पुनर्जन्म मुमकिन नहीं है, क्योंकि दूसरा जन्म उसी का होता है जिसका कभी पहले जन्म हुआ हो। आत्मा अजर है, अमर है, अविनाशी है न उसका कभी जन्म हुआ और न ही कभी उसे कोई मार सकता है। अतः जो जन्म और मृत्यु से परे है वो आत्मा है।

इसलिए वे लोग जो कहते हैं मृत्यु के पश्चात आत्मा इधर उधर भटकती है, उनके लिए यह जानना अनिवार्य है की आत्मा अविचल है न उसे कोई मार सकता न शांत कर सकता तो भला वह कैसे इधर उधर विचरण कर सकती है। अतः वो हर जगह विधमान है।

ध्यान देने योग्य बात है जीवात्मा का जन्म होता है। जीवात्मा यानी मनुष्य का जन्म होता है आत्मा का नहीं। आत्मा तो नित्य है, वह शरीर के जाने के बाद भी अस्तित्व में रहेगी और शरीर के रहने के बाद भी।

पुनर्जन्म के कर्मों का फल कैसे मिलता है?

कई लोगों के बीच यह घोर मान्यता रहती है की व्यक्ति ने इस जन्म में जो कर्म किये हैं उसी के परिणामस्वरूप उसे अगला जन्म मिलेगा। पर वास्तव में कर्मफल का सिद्धांत भविष्य की नहीं वर्तमान की बात करता है।

अगर आपने वर्तमान में कुछ बुरे कर्म किये हैं तो कर्मफल आपको भविष्य में नहीं तत्काल मिल जाता है। उदाहरण के लिए आप चोरी करके धन या कोई महत्वपूर्ण चीज़ इक्कट्ठा करना चाहते हैं।

तो कर्मफल आपको तब नहीं मिलेगा जब आप चोरी करके पकडे जायेंगे और आपको जेल में डाला जायेगा, बल्कि जिस पल आपने चोरी करने का फैसला ले लिया और आप चोर बन गए उसी पल आपको सजा यह मिल गई थी की आप चोर बन गये।

अब भले आप पकडे जाएँ या न जाए आप चोर बन चुके हैं। इस प्रकार कर्मफल का सिद्धांत आपको भविष्य में नहीं वर्तमान में सही कर्म करने का सन्देश देता है।

अतः वे लोग जो मानते हैं की जो आज जैसा जीवन जी रहे हैं वो उनके पिछले जन्म का फल है तो ऐसे लोगों की बातों में कोई सच्चाई नहीं होती।

अगर कोई अमीर या गरीब घर में पैदा हुआ है तो महज यह एक संयोग है, ठीक वैसे जैसे कोई अफ्रीका में पैदा हुआ है या भारत में यह इन्सान के हाथों में नहीं है। इसलिए आपका वर्तमान जीवन कैसा है, इसमें पिछले जन्म की कोई भूमिका नहीं होती।

पुनर्जन्म कितने दिनों बाद होता है?

व्यक्ति का पुनर्जन्म नहीं होता अतः पुनर्जन्म कितने दिनों में होता है यह प्रश्न पूछना ही व्यर्थ है। रोजाना नए जीव पैदा हो रहे हैं और मर रहे हैं, प्रकृति में हो रही यही प्रक्रिया वास्तव में पुनजर्न्म है।

विज्ञान और अध्यात्म दोनों ही इस बात को स्पष्ट रूप से कहते हैं की शरीर के जल जाने के बाद शरीर मिटटी हो जाता है और हमारे जीवन में जितने भी अनुभव और यादें एक स्टोरेज के रूप में हमारे माइंड में मौजूद होती हैं, वो सभी यादें माइंड के जल जाने से खत्म हो जाती हैं।

FAQ

गीता में पुनर्जन्म पर क्या लिखा है?

पुनर्जन्म को लेकर श्रीमद भगवद गीता में श्री कृष्ण कहते हैं हे अर्जुन, जन्म लेने वाले की मृत्यु निश्चित है और जो मृत है उसका भी जन्म होगा तो तुम क्यों शोक करते हो?

पिछले जन्म को कैसे याद करें?

हमारा मस्तिष्क उन्हीं चीजों को याद कर सकता है जो हमारे अनुभव में है। चूँकि पिछले जन्म की कोई भी घटना हमारे दिमाग में नहीं है इसलिए पिछला जन्म याद करने का कोई तरीका नहीं है, चाहे हम कितने ही मन्त्रों का जाप कर लें और कई विधियों को क्यों न अपना लें।
 

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अंतिम शब्द 

तो साथियों इस लेख को पढने के बाद क्या एक ही परिवार में पुनर्जन्म सम्भव है? इस बात का स्पष्ट और सीधा उत्तर आपको इस लेख में मिल चुका होगा। अभी भी लेख को पढने में किसी तरह की समस्या उत्पन्न हुई है तो कृपया इस लेख को अधिक से अधिक शेयर करना बिलकुल न भूलें।

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