यदि आप ग्रामीण क्षेत्रों के निवासी हैं तो आप अक्सर सुनते होंगे किसी के माता आ गई, या फिर उनमें साक्षात ईष्ट देव का अवतार हुआ है, ऐसे में सवाल है आखिर शरीर में देवी देवता कैसे आते हैं?
आपको सच्चाई तक ले जाने के लिए यहाँ हम इसी विषय पर बारीकी से चर्चा करेंगे। पारम्परिक रूप से एक धार्मिक देश होने के नाते यहाँ लोगों में भी देवताओं का रूप देखा जाता है।
बता दें ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी कुल देवता को प्रसन्न करने के लिए विधि विधान से उनकी पूजा की जाती है, उन्हें भोग लगाया जाता है ताकि सभी का आशीर्वाद उन पर बना रहे।
हालाँकि देवी देवताओं के पूजन की बात वेदों के आरम्भ से वर्णित है, परन्तु मनुष्य के भीतर देवी देवताओं के अवतार का विषय आम लोगों के बीच जितना प्रचलित है, उस विषय पर उतनी स्पष्टता उनके बीच नहीं है।
ऐसे में यदि कोई नास्तिक या ज्ञानी व्यक्ति उनकी आस्था पर सवाल उठाये तो उनके पास कोई सार्थक जवाब नही होता। अतः इसी विषय पर आपतक पूर्ण सच्चाई लाने के लिए यह लेख लिखा गया है, अतः लेख के अंत तक बने रहें।
देवी देवताओं के पूजन की शुरुवात और कारण?
समय में परिवर्तन होने के बावजूद देवी देवताओं के पूजन की परम्परा हजारों वर्षों से आज भी यथावत चली आ रही है। आदिम युग में जंगलों में जीवन बिताने के पश्चात जब मनुष्य ने कृषि करना आरम्भ किया तभी से देवताओं को प्रसन्न करने की अनेक विधियाँ मनुष्य द्वारा उपयोग में लाई गई।
चूँकि उस समय मनुष्य के पास आज के युग की भाँती न तो इतने संसाधन थे न ही इतना विशाल ज्ञान का भंडार था। अतः जानकारी सीमित थी ऐसे में विज्ञान और यह पूरी प्राकृतिक व्यवस्था कैसे कार्य करती है इस विषय पर लगभग नगण्य (न के बराबर) ज्ञान था।
और चूँकि खेतिहर युग था तो सब लोग पूरी तरह कृषि पर ही आधारित थे। पर ज्ञान के अभाव में लोग प्रकृति के आगे नतमस्तक थे, जी हाँ आज तो इन्सान प्रकृति पर विजय पाकर अमर होने के ख्वाब देख रहा है।
लेकिन एक समय ऐसा भी था जब कोई भी प्राकृतिक आपदा हुई या आकाश में मानो बिजली कडकी तो ऐसा प्रतीत होता था जैसे कोई दैवीय शक्ति है जो यह सब चला रही है।
कभी अचानक खूब बारिश हो गई या कभी सूखा पड़ गया और फसल चौपट हो गई तो मनुष्य को लगने लगा की कोई दैवीय सत्ता है जो अगर प्रसन्न होती है तो हमारी फसल अच्छी होती है और हम शांतिपूर्वक जीवन निर्वाह कर पाते हैं। लेकिन अगर वो कुपित हो जाते हैं तो फसल नष्ट हो रही है।
तो अज्ञान के अभाव में मनुष्य ने वह सब प्रयास किये जिससे वो दैवीय सत्ता खुश रहे और लोगों को कृषि करने में किसी तरह की परेशानी न हो। इसी दौरान मन्त्र, जाप, यज्ञ, हवन इत्यादि अनेक तरीके इजाद किये गए जिनका पालन कर दैवीय शक्ति को खुश किया जा सके।
और उसका स्पष्ट प्रमाण आज भी हमें मिलता है जब हम देवताओं को प्रसन्न करने के लिए इन विधियों का उपयोग करते हैं।
इस तरह हजारों वर्ष बीते और समय के साथ फिर देवी देवताओं को पूजने का एक और उचित कारण लोगों को मिला। वह कारण था देवताओं के महान जीवन से सीख लेकर अपने जीवन को भी सार्थक बनाना।
राम, कृष्ण जैसे अवतारों को देवताओं के रूप में इसी लिए पूजा जाने लगा क्योंकि इन्होने मनुष्य की भाँती इस पृथ्वी में जन्म लिया लेकिन आम इंसान होते हुए भी ऐसे महान कर्म किये की आज भी उन्हें उतना ही आदर और सम्मान लोगों द्वारा दिया जाता है जैसे उन्हें अपने समय में मिला।
इस तरह संक्षेप में कहें तो देवी देवताओं को पूजने के दो पक्ष सामने आते हैं, पहले पक्ष के अनुसार लोग अपनी इच्छाओं की पूर्ती के लिए और देवताओं के क्रोध से बचने के लिए उनका पूजन करते थे।
और जबकी दूसरा पक्ष लोगों को उनकी सीमित सामर्थ्य शक्ति का अहसास करवाने के बावजूद बेहतर इन्सान बनने के लिए प्रेरित करता है।
शरीर में देवी देवता कैसे आते हैं? पूरा सच
देवी-देवताओं का हम पूजन इसलिए करते हैं क्योंकि वो हमसे ऊँचे हैं, जिनका रंग रूप आकार हमसे विराट है। हमारे पास कितनी ही सामर्थ्य शक्ति क्यों न हो हम देवता तो नहीं हो सकते पर फिर भी हम उन्हें नमन करते हैं, याद करते हैं ताकि हम उनके भक्त बनकर उनकर सही जीवन जी सके।
हम कहते हैं की हमारे सभी देवी देवता इस दुनिया के पार के हैं, क्योंकि इस दुनिया में जो कुछ हैं उन्हें तो हम सीधा देख सकते हैं। उसके करीब जा सकते हैं।
अगर वो जीवित प्राणी है तो संभव है उससे बातचीत भी की जा सकती है। इसलिए हमने उन्हें कह दिया वो ऊपर वाला है, जो हमारे साथ भौतिक रूप से नहीं है पर है जरुर।
इस बात में कोई दो राय नही की ईश्वर है, पर अब यहाँ समझने वाली बात है की ईश्वर भौतिक नहीं है जिन्हें इंसान अपनी दो आँखों से देख नहीं सकता, उनसे बात नही कर सकता अतः वे हमारे शरीर के भीतर कैसे आ सकते हैं?
क्योंकि विज्ञान के अनुसार हमारा शरीर रसायनों का समूह है जो पंचभूतों से मिलकर बना हुआ है, हम जो कुछ महसूस करते हैं, ग्रहण करते हैं वह सब भौतिक है। इसका अर्थ है यदि देवी देवता हमें महसूस होते हैं तो हमने देवी देवताओं को भी अपनी ही तरह कोई भौतिक प्राणी बना दिया।
और अगर हमने उन्हें अपने ही तल का बना दिया तो फिर हमारा जीवन बेहतर कैसे होगा? हम जैसे हैं वैसे ही हमने अपने भगवान भी बना लिए तो फिर हमारा कल्याण कैसे होगा? राम और कृष्ण का आशीर्वाद हमें तभी मिलेगा न जब हम उनसे त्याग, अनुशासन, वीरता जैसे ऊँचे गुण सीखेंगे।
शरीर में देवी देवता आने की सच्चाई
मन जिसकी कल्पना कर सकता है वो सब इसी दुनिया का है, ये किसी भी चीज़ का ख्याल भी तभी कर पाता है, जब वह कभी उसके बारे में सुनता है या देखता है। अतः देवी देवताओं के भीतर प्रवेश करने की बात भी महज कल्पना है।
क्योंकि हमने बचपन से देवी देवताओं को तस्वीरों में देखा है, उनके बारे में तरह तरह की बातें सुनी है। अतः उन्ही बातों के अनुरूप मन एक कहानी और घटना को भीतर ही भीतर रच लेता है जिसे देखकर हम कहते हैं इस व्यक्ति के भीतर माता आ गई है, देवता आ गए हैं इत्यादि।
उदाहरण के लिए मैं कहूँ आप नैनो देवता का ध्यान करो, पर आपको पता ही नहीं है ये नैनो देवता कौन है, वो देवता किसके प्रतीक हैं, नैनो देवता को क्यों पूजते हैं? इत्यादि जब आपने नाम ही यह पहली बार सुना है उनकी कोई तस्वीर नहीं देखी तो क्या आप उनका ध्यान कर पाएंगे?
नहीं न, अतः कहा जा सकता है मनुष्य के भीतर देवी देवताओं के प्रवेश करने की अजीब सी घटनाएँ इसलिए मनुष्य में देखी जाती हैं।
क्योंकि उस विषय की कल्पना मनुष्य कर सकता है। और कल्पना करना तो मनुष्य खूब जानता है अगर मैं आपको कोई एक तस्वीर दिखा दूं तो आप उस तस्वीर से सौ नई बातें और बना लोगे।
देवी देवताओं को लेकर मनुष्य के भीतर का अज्ञान
देखिये हमारे जीवन में धर्म और देवी देवताओं का विशेष स्थान है, सभी मंदिर और देवताओं से जुडी कहानियाँ किसी ऊँची बात की तरफ इशारा करती हैं। लेकिन अगर हम किसी परम्परा या देवताओं के बारे में जाने बिना उनकी पूजा अर्चना शुरू कर दें तो इससे हमें लाभ नहीं होगा।
देवी देवताओं का जीवन हमें संदेश देता है की इंसान रहकर भी हम एक महान जीवन जीने के अधिकारी हैं, राम का जीवन हमें त्याग और वीरता सिखाता है तो वहीँ कृष्ण का जीवन हमें अधर्मी और झूठे लोगों के खिलाफ लड़ने का संदेश देता है।
हनुमान जी हमें सिखाते हैं की देह रूप में तो हम सभी बानर ही हैं लेकिन फिर भी हमें सत्य और सच्चाई का सेवक बनना चाहिए।
इस तरह यदि हम देवताओं के प्रतीकों को समझें तो निश्चित ही हमारे भीतर देवत्व जगेगा, हम जान पायेंगे की जिन देवताओं को हम बाहर खोजते हैं वही हमारे भीतर करुणा, प्रेम, सच्च्चाई के रूप में मौजूद हैं। तो ये है देवी देवताओं का वास्तविक महत्व हमारे जीवन में।
लेकिन जब लोगों की नियत जनता को धर्म से दूर करने की हो तो फिर कई तरह के अन्धविश्वास और मान्यताओं को धर्म कह दिया जाता है, जैसे देवी देवताओं के भीतर प्रवेश करने की बात भी इसी में शामिल हैं।
याद रखें भीतर देवता पहले से ही मौजूद हैं, वो बाहर से शरीर में आकर फिट नहीं होंगे समझिएगा।
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तो साथियों इस लेख को पढने के पश्चात शरीर में देवी देवता कैसे आते हैं? इस प्रश्न का सीधा और स्पष्ट उत्तर आपको इस लेख में मिल गया होगा। इस लेख को पढ़कर जीवन में सच्चाई& स्पष्टता आई है तो इस लेख को अधिक से अधिक सांझा अवश्य करें।