मनुष्य को क्या नहीं करना चाहिए | एकदम जान लें।

अगर आपको लगता है शराब पीना, चोरी करना, इत्यादि गलत है और हम आपको यही बच्चों वाली बातें बताने वाले हैं? तो जनाब आप गलत हैं, इस पोस्ट को पढ़ने के बाद मनुष्य को क्या नहीं करना चाहिए? यह जानकर आपकी आँखें खुली रह जाएँगी।

लाइफ में क्या नहीं करना चाहिए

दोस्तों। जहाँ कुछ लोगों के लिए जिन्दगी का दूसरा नाम प्यार, करुणा और आजादी है। तो कई लोगों के लिए यही जिन्दगी कठोर सजा है। और ये सब मनुष्य के कर्मों का परिणाम है?

इसलिए अक्सर अच्छे कार्य करने और बुरे कार्यों से दूर रहने की कही जाती है। पर सवाल आता है हमें सिर्फ परिवार और समाज के द्वारा बताये गये विषयों को अच्छा या बुरा मानकर उनका पालन करना चाहिए?

या फिर हमें अपनी विवेक और बुद्धि का इस्तेमाल कर किसी कार्य को सही या गलत निर्धारित करना चाहिए?

कायदे से देखा जाए तो दूसरा तरीका अधिक बेहतर है, तो आप अपनी जिन्दगी में सही फैसले और सही चुनाव लेकर सही कर्म कर सके इसके लिए आपको पता होना चाहिए।

मनुष्य को क्या नहीं करना चाहिए

देखिये मनुष्य जीवन का लक्ष्य है मुक्ति पाना, अतः इस लक्ष्य को पाने में जो भी कर्म बाधा बने उसे मनुष्य को त्याग देना चाहिए।

जी हाँ ये बात बड़ी विशेष है इसे हम जरा विस्तार से समझेंगे। मुक्ति से आशय आजादी से है, जिसे पाने की चाहत दुनिया में हर व्यक्ति करता है।

उदाहरण के लिए हम नौकरी करते हैं ताकि हम पैसों की टेंशन से मुक्ति पा सके, हम खाना खाते हैं ताकि पेट की भूख से शांति पा सके। हम किसी महिला या पुरुष के साथ सम्बन्ध बनाते हैं ताकि हम भीतर की बेचैनी से मुक्ति पा सके।

हालाँकि इन कार्यों को करने से हमें थोड़ी देर की राहत तो मिल जाती है लेकिन उससे मुक्ति नहीं मिल पाती है।

याद कीजिये आपने मजबूरी में, डर में या शर्म में आज तक जितने काम किये हैं क्या उससे तुम्हें आजादी या शांति मिली है? नहीं न इसलिए जानने वालों ने कहा ये जीवन तो दुःख है।

और इस दुःख से मुक्ति पाना ही आपका एकमात्र लक्ष्य है। आपका लक्ष्य अपनी इच्छा पूर्ती करना और परिवार, समाज के इशारों पर चलना नहीं है।

इस तरह हम कह सकते हैं की मनुष्य की आखिरी इच्छा मुक्ति की होती है लेकिन वो नासमझी में काम ऐसे करता है की आजाद होने की जगह वो जीवन में और गहरे गड्डे में फंसता चला जाता है।

मनुष्य को जो काम बंधन में डाले उसे नहीं करना चाहिए| 

देखिये मुक्ति के बिना जीवन में शांति, प्रेम और करुणा आ ही नहीं सकती। क्योंकि जो इंसान मजबूरी,डर, अज्ञान की वजह से जीवन में फंसा हुआ हो ऐसा इंसान खुश रह सकता है? जो खुद अभी कीचड़ में है वो दूसरों को नहलाने की बात कर सकता है?

नहीं न, इसलिए जीवन में आजादी पाए बिना कुछ भी अच्छा हो पाना मुमकिन नहीं है। इसलिए जानने वालों ने कहा की मुक्ति ही तुम्हारा स्वभाव है, तुम्हारा लक्ष्य घर परिवार को खुश रखना, समाज की बताई गई बातों का पालन करना नही है।

तुम्हारा एक ही कर्तव्य और एक ही उद्देश्य है अपनी बेचैनी को शांत करना और वो मुक्त हुए बिना चैन पायेगी नहीं।

तो मुक्ति कैसे मिले? मुक्ति मिलेगी सच्चाई को जानने से, सच्चाई को जानकार उसे जीने से है। और सच्चाई से हमारा आशय है की एक बार हम जान गए की जीवन में क्या सही है? क्या करने से जीवन में शांति और प्यार आता है तो हम वो काम करेंगे।

और जिस काम से मन में लालच उठता हो, डर आता हो, मन में बेचैनी/अशांति होती हो हम उस काम से दूरी बनायेंगे।

है न बात इतनी सी तो प्रश्न और मुद्दा ये नहीं है की जीवन में शराब, सिगरेट और तमाम तरह की वस्तुओं को अपनाएँ या नहीं। बल्कि प्रश्न आता है की क्या करें जिससे मन तृप्त रहे, मन में अशांति न हो।

मनुष्य को क्या नहीं करना चाहिए| 5 चीजें बिलकुल न करें।

#1. सच को जानने से कतराएँ नहीं।

जीवन में हम सभी निर्भयता, प्रेम और आनंद की चाह रखते हैं। पर गलती ये हो जाती है की हम इन बहुमूल्य चीजों को पाने के लिए संसार में कभी किसी वस्तु की तरफ तो कभी इन्सान के पीछे भागते हैं। और मजे की बात और सीक्रेट ये है की ये चीजें यहाँ मिलेंगी नहीं।

जी हाँ मैं आपसे पूछूँ कौन सी वस्तु है जिसे पा लेने से आप बेख़ौफ़, निडर, और सदा के लिए आनंद से भर जाओगे? तो आपके पास कोई जवाब नहीं होगा क्योंकि यहाँ तो हम कुछ भी पा लें मन भरता ही नहीं।

इसलिए जानने वालों ने कहा की जब तुम्हें ये समझ आ जाता है की जिन चीजों के पीछे भागकर हम जो चैन ढूंढ रहे हैं उन चीजों को पा लेने के बाद भी वो मिलेंगी नहीं। तो जब आपको इस बात का सच मालूम हो जाता है तो आप फिर जिन्दगी में फ़ालतू की रेस लगाना बंद कर देते हैं।

इसलिए कहा गया की जहाँ सच मिले वहां जाओ, सर झुकाओ ताकि जीवन में जो झूठ पकड़ा हुआ है, जिसकी वजह से दुःख झेलते हो वो दुःख मिलने बंद हो जाएँ।

#2. सच को जीना शुरू करें।

अब अगला प्रश्न आता है की जीवन का सच पता चलने के बाद क्या होता है? क्या ज्ञानी इंसान निकम्मा हो जाता है? उसके पास करने के लिए कुछ नहीं होता?

जी नहीं, ये पता लगने के बाद की जीवन क्या है? यह क्यों मिला है? और जीवन में क्या पाना सार्थक है ये समझ लेने के बाद अब इन्सान जो जाना है वैसा जीने लगता है।

उदाहरण के लिए वो जान गया की बहुत सारा धन इक्कठा करने से, लाखों करोड़ों रूपये की सैलरी पा लेने से भी जीवन में दुःख खत्म नहीं हो जाते। तो अब ऐसा इंसान जो पैसे का लालची था, जिसे पैसे से बड़ा मोह था अब वो पैसे की हकीकत जानने के बाद अपना इरादा बदल देगा।

अब वो जान गया है की जो बहुमूल्य जीवन मुझे मिला है इसका इस्तेमाल मैं पहले तो खूब धन कमाने के लिए करूं और अंततः वो धन पा भी लिया वो इज्जत, शोहरत मिल भी गई तो चैन तो मिलेगा नहीं।

तो अब ऐसा इंसान सोच विचार कर अपनी बुद्धि से वो काम करने का निश्चय करता है जिस काम को करके उसके देश और दुनिया का भला होगा।

वो कोई भी काम कर सकता है, वो गंदगी साफ कर सकता है, वो बिजनेस कर सकता है, या फिर किसी नौकरी को कर सकता है पर उसका इरादा पैसे कमाना नहीं बल्कि मुक्ति पाना, लोगों की भलाई करना होगा।

अब ऐसा इन्सान सम्भव है की दिन के 12-14 घंटे काम किये जा रहा हो, और लोग उसे देखकर कहेंगे देखो पैसे का कितना भूखा है पर मन ही मन वो जान जायेगा की ये काम सही है और इस काम को करना ही मेरा जीवन लक्ष्य है तो अब मैं इससे पीछे कैसे हटूं।

पढ़े:- जिन्दगी में कौन सा काम करें? नौकरी या बिजनेस

#3. परिणाम याद रखें।

जो इन्सान अपनी जेब भरने के लिए नहीं बल्कि काम इसलिए कर रहा है ताकि समाज में जो गंदगी, जो बुराई, जो गलत काम हो रहे हैं उनसे निर्दोष लोगों की रक्षा की जा सके।

अब ऐसा इन्सान अपने काम से पीछे हटेगा नहीं वो करता रहेगा, क्योंकि अब उसके पास उस काम के सिवा जीने का कोई मकसद भी नहीं होता। इसलिए वो करता रहेगा, करता रहेगा अब भले ही उसे कई बार मन में यह अहसास होगा की मैं ये काम ठीक तरह से कर रहा हूँ की नहीं।

इससे लोग बुरा तो नहीं मानेंगे? क्या वाकई लोगों का इससे फायदा होगा की नहीं? इन सब चीजों की वह परवाह नहीं करता। क्योंकि वो अंततः जान लेता है की जब मेरा काम सही है तो परिणाम कैसे गलत हो सकता है?

ये जरुर हो सकता है की मुझे अभी जो परिणाम मिला है वो ठीक नहीं लग रहा है, पर उसे इस बात का हमेशा यकीन होगा की जो होगा सही होगा क्योंकि सही काम का नतीजा सही होता है।

#4. मुश्किलों से घबराएं नहीं।

एक सच्चा जीवन जीने में और जिन्दगी में एक सही काम करने में कभी समाज की तो कभी परिवार की तरफ से परेशानियां तो आनी लाजमी है। क्योंकि अब आप उन लाखों लोगों की तरह एक साधारण जिन्दगी नहीं जी रहे हैं।

लोग काम करते हैं पैसे के लिए और आपको अपने काम से शांति, मुक्ति और प्रेम प्राप्त होता है। तो आप कर रहे हैं कोई अनोखी चीज़ अब इस बात को देखकर जाहिर है लोग तो विरोध करेंगे। सम्भव है उन्हें आपका जीना बर्दाश्त न हो पर आप रुकना मत।

पूरे विवेक और समझदारी से आपने जीवन में जिस बेहतरीन कार्य को करना का बीड़ा उठाया है उसे करते रहिये, यकीन मानिए एक दिन हालात जरुर बदलेंगे। इस बात का इतिहास गवाह रहा है।

#5. दूसरों की मुक्ति में सहायता करें।

वो इन्सान जिसके भीतर प्रेम है, जो अपने डर, लालच और क्रोध को जीत चुका हो जो ये जान गया हो की भीतर प्रेम न हो तो जीवन कितना बोरियत भरा, बेचैनी भरा होता है।

अब ऐसा इंसान कैसे किसी को दुःख में, बेचनी में, तडपते देख सकता है, वो कैसे बच्चों को , युवाओं को और किसी भी इंसान को उनकी खराब हालत में छोड़ सकता है?

अब ऐसा इंसान चाहेगा जो फल का रस मैंने प्राप्त किया है उसे अब दूसरों तक भी बांटा जाये। सच्चाई,शांति,निडरता का स्वाद दूसरों को भी लेने दिया जाए।

इसलिये एक उन्मुक्त, सच्ची जिन्दगी जीने वाला इंसान फिर दूसरों को भी आजाद रहने में मदद करता है। क्योंकि वो जानता है मुक्ति व्यक्तिगत चीज़ नही है, आजादी सबको प्यारी है और इसपर सभी का अधिकार होना चाहिए।

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अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढने के बाद मनुष्य को क्या नहीं करना चाहिए?  अब आप भली भाँती जान गए होंगे। लेख को पढने के बाद हमें उम्मीद है आप एक सही और बेहतर जिन्दगी जीने का प्रयत्न करेंगे। इस लेख के समबन्ध में आपका कोई सवाल है या राय है तो आप whatsapp नम्बर 8512820608 साँझा कर सकते हैं।

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