wikipedia के मुताबिक़ हर साल विश्व में 8 लाख से अधिक लोग आत्महत्या करते हैं, जिसमें से 1.5 लाख से अधिक मौतें सिर्फ भारत में होती हैं। ऐसे में आत्महत्या क्या है? इसके प्रमुख कारण? और जब कभी इन्सान को आत्महत्या का ख्याल आये तो क्या करना चाहिए।
ऐसे मूलभूत प्रश्नों पर आज हम चर्चा करेंगे ताकि जिन्दगी की जंग हारने वाले लोगों के इन आंकड़ों में कमी लायी जा सके। आत्महत्या का यह विषय हमेशा से ही लोगों के बीच गुप्त रहा है, क्योंकी कोई भी इस विषय पर बातचीत करना पसंद नहीं करता।
अधिकांश लोगों को लगता है इस विषय पर क्या बात करनी, इसको जितना छुपाया जाए। उतना अच्छा है। पर वास्तव में अगर समय रहते इस मुद्दे पर स्पस्टता लाई जाए। तो इतना बड़ा दर्दनाक फैसला लेने से इन्सान खुद को रोक सकता है।
हमें आशा है इस लेख में लिखे गए एक एक शब्द को ध्यानपूर्वक पढ़ेंगे, उसपर विचार करेंगे और बात उपयोगी साबित होने पर इसे शेयर भी करेंगे।
आत्महत्या क्या है?
इन्सान के जीवन में जब ऐसे हालात आते हैं जब उसका समय, संसार, और रिश्ते उसे इतनी पीड़ा दे देते हैं की उसे लगता है अब स्तिथियाँ बदल नहीं सकती अतः इस मजबूरी और दुःख की अवस्था में वह अपने ही शरीर की आहुति देने का निर्णय करता है तो इसी अवस्था को आत्महत्या कहा जाता है।
आत्महत्या के पीछे हमेशा एक व्यक्तिगत समस्या होती है। और जब वह पाता है की सामने जो चुनौती समस्या है उसका समाधान करने का अब कोई उपाय नहीं है तो फिर वह फांसी के फंदे पर झूल जाता है। या फिर छत से नीचे कूद कर अपनी जान दे देता है।
आत्महत्या करने वाला इंसान डरपोक और कायर होता है, क्योंकी वो स्वयं को इस काबिल नहीं मानता की वह अपनी समस्या के लिए समाधान खोज सके।
ठीक वैसे जैसे युद्ध के मैदान में जहाँ वीर बहादुर अपने दुश्मनों से लोहा लेते हैं। वहीं जो कायर लोग होते हैं वे दुश्मन से मरने की अपेक्षा खुद ही स्वयं को मारने का फैसला लेते हैं।
आत्महत्या की परिभाषा क्या है?
दुखों से मुक्ति के लिए लिया गया एक जानलेवा निर्णय आत्महत्या कहलाता है। हर इन्सान के भीतर दुःख को सहन करने की एक सीमा होती है, यदि दुःख उस सीमा से बाहर चले जाता है तो इन्सान को लगता है दुखों की समाप्ति शरीर के खात्मे के साथ ही होगी। अतः वह स्वयं को खत्म करने का फैसला ले लेता है।
आत्महत्या के कारण
आत्महत्या करने के तर्क के पीछे अनेक कारण हो सकते हैं, विभिन्न आयु वर्ग के अनुसार युवा, बच्चे या बूढों के भिन्न भिन्न कारण हो सकते हैं। लेकिन आत्महत्या के अधिकतर मामलों में कुछ सामान्य कारण देखे जाते हैं जो की निम्नलिखित होते हैं।
#1. घर में तनाव या लड़ाई झगड़े होना।
#2. उधार और पैसों की तंगी होना।
#3. प्रेमिका/प्रेमी से रिश्ते में अनबन होना।
#4. जान से मारने की धमकी देना।
#5. दबाव में मजबूरीवश जीने के कारण।
#6. किसी को ब्लैकमेल करना।
#7. पढाई और करियर को लेकर चिंता।
#8. हर समय तनाव और चिडचिडापन होना।
#9. उम्मीदें पूरी न होना।
#10. किसी का विश्वास तोड़ देना।
आत्महत्या का विचार आये तो क्या करें?
जब भी किसी वजह से आत्महत्या का ख्याल दिमाग में आयें तो पूछें क्या मैं इतना कायर हूँ की मैं जिन्दगी की चुनौतियों का सामना करने की बजाय सबसे कायरपूर्ण फैसला लेने की सोच रहा हूँ। मैं जानता हूँ की मृत्यु आज नहीं तो कल जरुर आएगी।
पर मेरी मौत उस कायर की भाँती नहीं होगी जो युद्ध करने की बजाय घर में छुपकर जहर खाकर मरना चाहता हो। मेरी मौत जिन्दगी के खिलाफ एक जंग की तरह होगी जिसमें भले मेरे सामने चुनौतियाँ अनेक होंगी लेकिन मैं उन कठिनाइयों के आगे झुकूँगा नहीं। मैं मरूँगा लेकिन युद्ध के मैदान में शहीद होऊंगा।
मृत्यु तो भगत सिंह को भी आई थी जिन्होंने देश प्रेम के खातिर, आजादी के लिए मरना स्वीकार किया, और मौत उन करोड़ों लोगों को भी आई जिन्होंने युद्ध करने की बजाय छुपकर घर में बैठे रहना उचित समझा। बाकी आप भली भाँती जानते हैं आज हमारे आदर्श वो करोड़ों लोग हैं या भगत सिंह, जिन्हें पूरा हिंदुस्तान पूजता है।
तो यदि व्यक्तिगत जीवन में किसी भी तरह की समस्या चल रही हो, बस आप खड़े रहें, डटे रहें, हार मत मानें वो समस्या सुलझ जाएगी अगर आपकी नियत ठीक है। और यदि समस्या आपकी पर्सनल नहीं है वो किसी और की है तो फिर डरना क्या, ठीक जैसे अर्जुन महाभारत के युद्ध में लड़ाई अपने लिए नहीं अपितु धर्म के लिए लड़ रहे थे।
ठीक उसी तरह तुम भी लड़ते रहो सच्चाई के लिए, जो मौत मिलेगी वो मौत सबसे प्यारी होगी।
आत्महत्या और आत्म आहुति में क्या अंतर है?
आत्महत्या का विचार कहता है की मेरी जिन्दगी में जो दर्द हैं, जो चुनौतियाँ हैं उनके सामने खड़े रहने की अब मेरी सामर्थ्य नहीं। अतः मैं अब हार मानकर अपनी जिन्दगी को ही खत्म करना फैसला करता हूँ। आत्महत्या एक डरपोक, कायर और गैर जिम्मेदार मन की पहचान है।
जबकि आत्म आहुति में इंसान कहता है अगर किसी ऊँचे और बढ़िया काम के लिए मुझे अगर अपने शरीर का बलिदान देना पड़ जाये तो मैं इस शरीर की परवाह नहीं करूंगा। मैं आजादी के लिए, सच्चाई के लिए, शान्ति के लिए अर्थात दूसरे की भलाई के लिए इस शरीर को भी ख़ुशी ख़ुशी खत्म कर दूंगा।
भगत सिंह जैसे जितने भी क्रांतिकारी थे वो वास्तव में आत्म आहुति के बेहतरीन उदाहरण हैं। आत्म आहुति हमेशा आत्महत्या से श्रेष्ठ होती हैं, इन दोनों में जमीन आसमान का अंतर है।
आत्महत्या का फैसला कमजोर, डरे हुए, प्रेमहीन लोग करते हैं जो इतने दुर्बल होते हैं की वो अपने जीवन की हकीकत का सामना करने से ही डरते हैं।
लेकिन लाखों करोड़ों में कोई एक होता है जो अपने लिए नहीं दूसरों की खातिर प्रेम में ख़ुशी ख़ुशी अपने जीवन का त्याग करने का फैसला लेते हैं।
भारत में आत्महत्या कानून क्या है?
आईपीसी धारा 309 के तहत भारत में यदि कोई व्यक्ति खुद को खत्म करने के लिए किसी तरह का कोई भी प्रयास करता है, तो पकडे जाने पर उसे 1 साल की सजा और जुर्माना दोनों हो सकता है। हालाँकि गौर करने योग्य बात है की मोदी सरकार ने इस कानून को अवैध ठहराकर इसे अमान्य घोषित कर दिया है।
दरअसल क़ानून आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इस धारा को अपराध की श्रेणी से हटाने के पक्ष में यह दलील दी थी की अगर कोई व्यक्ति डिप्रेशन में आकर आत्महत्या करने का प्रयास करता है तो जिन्दा रहने पर उसे सजा की नहीं बल्कि सही सलाह की जरूरत होती है।
अतः इस रिपोर्ट के पक्ष में देश के 18 राज्य और 4 केंद्र शासित प्रदेशों ने सहमती जताते हुए इस कानूनी धारा में बदलाव लाकर इसे खत्म करने के फैसले में सहमति जताई।
आत्महत्या के लक्षण
जो इन्सान खुद को मिटाने का फैसला ले चुका हो, जो समय से पहले ही खुद को यमराज के पास पहचाना चाहता हो ऐसे इन्सान की मन की स्तिथि और उसके जीवन को देखकर आप जान सकते हैं की आगे यह क्या करने वाला है, पेश हैं आत्महत्या के कुछ प्रमुख लक्षण।
#1. जरूरत से ज्यादा तनाव में रहना।
आत्महत्या इन्सान कभी भी खुश होकर नहीं करता। क्योकी हम सभी को अपना जीवन बेहद प्यारा लगता है। लेकिन आप पायें किसी इन्सान का व्यवहार अचानक बदल गया है, वो अकेले रहने लग गया है।
उसमें तनाव काफी बढ़ गया है, वो नशे में लिप्त है, दर्द भरी बातें करना लगा तो समझ लीजियेगा व्यक्ति तनावग्रस्त हो चुका है। और यदि समय रहते उसकी स्तिथि ठीक नहीं हुई तो ये समस्या और बढ़ सकती है।
#2. आर्थिक संकट उत्पन्न हो जाना।
भारत में खासकर इस प्रमुख समस्या की वजह से सबसे ज्यादा आत्महत्याएँ होती हैं, क्योंकी एक व्यापारी हो या एक गरीब किसान, अगर वह खूब कर्जे में चला जाता है।
या किसी को दिया हुआ उधार का पैसा वो नहीं चुका पाता। तो इस आर्थिक संकट का समाधान वो आत्महत्या में खोजता है। अतः पायें कोई इन्सान ऐसी खराब स्तिथि में चले गया है तो उसे हौसला दें ताकि वो किसी ऐसी समस्या का शिकार न हो।
#3. घर में और रिश्तों में अनबन।
अक्सर जब कभी घर के किसी बड़े या मुखिया की आत्महत्या करने की खबर आती है तो मालूम होता है की वह इन्सान घर में अशांति, क्लेश की वजह से परेशान था।
इसलिए कहा जाता है हमेशा घर में शांति का माहौल होना चाहिए। क्योंकी इस भाग दौड़ भरी जिन्दगी में जब इंसान को दफ्तर में, घर में हर जगह अशांत माहौल मिलता है तो वह इस तरह के फैसले लेने में मजबूर हो जाता है।
#4. क्रोधित और चिडचिडा होना।
आप पायें अचानक से किसी इंसान में गुस्सा, तनाव, चिडचिड़ापन बढ़ गया है। उसने धीरे धीरे लोगों से बात करना कम कर दिया या फिर वह छोटी छोटी बातों पर झगड़ा करने लग गया है।
तो समझ लीजिये मानसिक स्वास्थ्य कुछ बेहतर नहीं है। ऐसी स्तिथि में प्रयास करें उससे प्यार से बातचीत करने की, जरूर पड़े तो psychiatrist के पास लेकर जाएँ। ताकि किसी बड़ी अनहोनी से बचा जा सके।
#5. नशे में लिप्त रहना।
इन्सान बेहोशी में रहना तभी पसंद करता है जब वह अपनी जिन्दगी से असंतुष्ट हो, उसे अपनी वास्तविक जिन्दगी जब ठीक नहीं लगती तो वो फिर उसके पास एक ही विकल्प है बचता है।
तो आप पायें सिगरेट, दारु, ड्रग्स इत्यादि किसी भी प्रकार का नशा किसी इन्सान की जिन्दगी में बढ़ने लगा है तो समझ लीजिये वो इन्सान या तो अंदर से बहुत दुखी है या गलत संगती में पड़ चुका है और जल्द ही कोई खतरनाक फैसला ले सकता है।
तो साथियों यह कुछ प्रमुख लक्षण हैं जो किसी इन्सान को आत्महत्या जैसे कायरपूर्ण फैसले की तरफ ले जा सकते हैं। देखिये वास्तव में इन लक्षणों को जान लेना काफी नहीं है। क्योंकी ये सम्भव है बाहर से कोई इंसान नशा न करे, गाली गलौज न करे और आपको लगे वो तो सामान्य है।
पर सम्भव है भीतर से वह बेहद परेशान और दुखी हो। अतः हर वो काम जिससे इन्सान सच्चाई से दूर रहे उसके मन में अशांति, लालच, डर आये समझ लीजिये वह एक गलत जीने की दिशा में आगे रहा है और उसे रोकना चाहिए।
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सामूहिक आत्महत्या क्या है?
जब एक साथ एक नहीं बल्कि समूह द्वारा किसी उद्देश्य या विशेष कारण हेतु आत्महत्या की जाती है तो ये सामूहिक आत्महत्या कहलाती है। उदाहरण के लिए भारत में किसानों तथा फैक्ट्री में काम करने वाले किसी संगठनों द्वारा सामूहिक हत्याएं करने की खबर आती हैं।
सामूहिक आत्महत्या के पीछे प्रायः लोगों का मकसद होता है। जब अंततः उन्हें लगता है की इस मकसद की पूर्ती के लिए उन्हें कोई भी व्यापारी, सरकार या कोई समूह मदद नहीं कर सकता। तो अंततः उन्हें मजबूरीवश यह दर्दनाक कदम उठाना पड़ता है।
किसान आत्महत्या क्या है?
किसानों के लिए कृषि ही उनकी जीविका का मुख्य स्त्रोत होती है, परन्तु प्रकृतिक आपदा, धांधलेबाजी जैसी स्तिथियों के कारण जब किसानों को कृषि से भारी नुकसान होता है तो वह स्वयं को खत्म करने का निर्णय ले लेते हैं। जिसे हम किसान आत्महत्या के तौर पर जानते हैं।
दुखद है, परन्तु सच है की अन्न उगाकर हमारे पेट की आग बुझाने वाले किसान खुद अपनी जीवन ज्योति बुझाने पर मजबूर होता है, साल 2021 के आंकड़ों के अनुसार हर दिन भारत में रोजाना 15 किसान आत्महत्या करते हैं। किसानों की इस दयनीय स्तिथि के प्रति फिर भी ध्यान नहीं जाता।
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अंतिम शब्द
तो साथियों इस लेख को पढने के बाद आत्महत्या क्या है? इस प्रश्न का सीधा और सटीक उत्तर आपको इस लेख में प्राप्त हो चुका होगा। लेख को पढ़कर मन में किसी तरह का सवाल या तो बेझिझक आप हमारे इस WHATSAPP नम्बर 8512820608 पर सांझा कर सकते हैं। साथ ही जानकारी फायदेमंद साबित हुई है तो इसे शेयर भी कर दें।