खाना खाने के बाद पूजा करना चाहिए या नहीं? असली सच्चाई!

हिन्दू धर्म में पूजा पाठ और धार्मिक क्रियाओं का विशेष महत्व है, और चूँकि इन परम्पराओं का पालन करने के लिए कुछ नियम भी बनाये गये हैं, अतः ऐसे में सवाल है की क्या खाना खाने के बाद पूजा करना चाहिए या नहीं? जानेंगे।

खाना खाने के बाद पूजा करना चाहिए या नहीं

देखिये पूजा पाठ, यज्ञ हवन जैसे किसी भी धार्मिक कार्य को सम्पन्न करने के लिए स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

अगर आप यही सवाल लोगों से पूछें या इन्टरनेट पर देखें आपको कई सारे जवाब मिलेंगे। पर अक्सर लोगों के अलग अलग विचारों को सुनकर इन्सान भ्रमित हो जाता है और क्या करूँ क्या न? ये सवाल उसके दिमाग में घूमता है।

अतः आज हम पूजा पाठ का सही समय बताने के साथ साथ किस समय पूजा न करें? एक सीक्रेट सच्चाई आपको बतायेंगे, जिसके बाद आगे आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं? हम आप पर छोड़ देंगे।

क्या खाना खाने के बाद पूजा करना चाहिए या नहीं? 

सर्वप्रथम अगर हम रीती रिवाजों को देखें तो मालूम होता है की देश के कुछ राज्यों में भूखे भजन न होय गोपाला इस विचारधारा का पालन कर भोजन के बाद पूजा पाठ को स्वीकृति देते हैं।

वहीं बड़ी संख्या में ऐसे भी धार्मिक लोग हैं जहाँ पर खाने के बाद पूजा करना शुभ नहीं माना जाता।

बता दें दोनों विचारधाराओं के धार्मिक लोगों में एक बात ये सांझी है की दोनों वर्गों के लोगों में मीठ मांस का सेवन करने के बाद पूजा करने की मनाही होती है।

हालाँकि इससे पहले आप इस निष्कर्ष पर पहुंचें की आपको पूजा पाठ करनी चाहिए या फिर नहीं। आपके लिए कुछ विशेष प्रश्नों पर चर्चा करनी जरूरी हो जाती है।

पूजा पाठ करने से पहले खुद से पूछें ये सवाल 

देखिये पूजा खाने से पूर्व करें या पहले ये निर्णय हम आप पर छोड़ते हैं, पर एक सवाल जो हर उस इन्सान को जरुर पूछना चाहिए जो पूजा पाठ करता है।

और वो प्रश्न ये है की आखिर पूजा किस मकसद से की जा रही है? इरादा क्या है? क्या भगवान राम, कृष्ण या शिव जी को मैं इसलिए पूज रहा हूँ ताकि उनके चरणों में शीश झुकाकर मेरा मन साफ़ हो।

मेरा मन शांत हो, मैं सच्चाई के रास्ते पर चलूं, मेरे मन में जीवों के प्रति करुणा और प्रेम आये। और जिस डर और लालच के कारण मैं दुखी होता हूँ वो भय, इर्ष्या, लालच मेरी जिन्दगी से गायब हो।

या फिर मैं भगवान को इसलिए पूज रहा हूँ ताकि मेरी कोई इच्छा पूर्ण हो जाए। आपको ये सवाल खुद से पूछना होगा क्योंकि बहुत से लोग अधिकांश लोग भगवान को इस भाव से पूजते हैं ताकि उनकी इच्छा पूर्ण हो सके।

किसी को कार, तो किसी को घर या सन्तान चाहिए इस मकसद के साथ वो भगवान को पूजते हैं।

ऐसे लोगों को हम बता दें की भगवान इच्छा पूर्ती के साधन नहीं है, भगवान से आप जिन भौतिक चीजों की मांग कर रहे हैं वो तो आपको यूँ ही मिल जाएगी।

आप जरा मेहनत करिए आपको वो सबकुछ मिल जायेगा जो संसार में किसी को भी मिल सकता है। और इस बात का उदाहरण ये है की विदेशों में लोग भगवान से कुछ नहीं मांगते पर तब भी उन लोगों के पास हर वो सुख सुविधा है जिसका सपना भारत में कई लोग देखते हैं।

भगवान को पूजें इस भाव से होगी कृपा भरपूर!

देखिये भगवान को चाहे आप खाकर पूजें या भूखे पेट अगर आपकी नियत ठीक है तो फिर आपकी पूजा स्वीकार है, याद रखें गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं न की जो मुझे जिस रूप में भजेगा उसे मैं वैसे ही मिल जाऊंगा।

अगर आप उनसे उनकी माया को यानी रुपया, पैसा इत्यादि को मांगोगे और उसके लिए कर्म भी करोगे तो आपको वहीँ मिल जाएगी।

लेकिन माया को पाकर क्योंकि मनुष्य को चैन मिलता है नहीं, इसलिए अगर मन में शांति चाहिए, मन को साहसी बनाना है तो हमें और कुछ नहीं कृष्ण को पाना होगा।

और कृष्ण को ही अगर पाना है, राम को ही हृदय में बिठाना है तो फिर भगवदगीता पढनी होगी। सच्चाई जाननी होगी।

जिसे सच्चाई से प्रेम हो गया जो कहता हो इस झूठ भरी दुनिया में भी मैं काम तो सही और सच्चा ही करूँगा जान लीजिये उसको कृष्ण मिल गये उसकी पूजा सफल हुई।

लेकिन अगर भगवान की नित्य पूजा पाठ करके भी मन में खूब लालच है, डर है और सही काम के प्रति कोई आकर्षण नहीं है तो समझ लीजिये जितनी पूजा, जितना सबकुछ किया था वो व्यर्थ ही है।

तो हम आपसे नहीं कहते की भगवान की पूजा आपको कैसे करनी चाहिए और कैसे नहीं। हम आपसे यही कहेंगे की नियत साफ़ रखिये कुछ मांगने के उद्देश्य से मत जाइए।

मांगना ही है उनसे तो खुद को सच्चाई का दास बनाने की प्रार्थना कीजिये, उनसे कहिये की हे प्रभु सच जानते हुए भी अगर मैं गलत रास्ते पर चलूं। गलत उम्मीदें लोगों से या इस संसार से करने लगूँ। तो मुझे रोकियेगा।

मुझे सद्मार्ग की तरफ ले चलियेगा। ये कहियेगा। देखिये न धर्म बड़ी पवित्र बात होती है, उस पर चलना एक गौरव की बात होती है। जितने भी क्रांतिकारी हुए कहीं न कहीं सच्चाई के प्रति उनमें बड़ा प्रेम था।

हम तो उनके पूर्वज हैं जिन्होंने सच्चाई को धर्म मानकर अपने प्राण तक न्योछावर कर दिए। पर आज हम धर्म के नाम पर लोगों को जो कुछ करता देख रहे हैं क्या वो धर्म है?

अगर मैं अपने लिए घर खरीदने की इच्छा से भगवान के नाम का व्रत रखूं, उन्हें जल अर्पित करूँ और गंगा में नारियल बहाऊं तो ये धर्म है?

पर हमने धर्म के नाम पर प्रकृति के साथ बहुत शोषण किया है, नदियाँ दूषित हो गई हैं, तीर्थ धाम को हमने घूमने का पिकनिक स्पॉट बना दिया है जो दर्शाता है की धर्म की हानि हो रही है।

और चारों तरफ अधर्म जीत रहा है। ऐसे समय में जरूरत है सच्चाई के साथ चलने की और समाज में फैली गंदगी को साफ करने की।

 अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढने के बाद भी क्या खाना खाने के बाद पूजा करना चाहिए या नहीं? अब आप भली भाँती इस प्रश्न का उत्तर जान गए होंगे। इस लेख को पढ़कर मन में कोई सवाल बाकी है तो 8512820608 पर whatsapp करें, साथ ही जानकारी को अधिक से अधिक शेयर भी कर दें।

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