राम का चरित्र समझना है तो जानें 10 खूबियाँ

राम महज एक शब्द ही नहीं है, वो हमारे जीवन के आधार हैं। राम वो हैं जो हमें निचले जीवन को छोड़कर ऊँचा/ महान जीवन जीने को प्रेरित करते हैं, पढ़िए। राम के चरित्र की 10 खूबियों के बारे में।

राम चरित्र

प्रभु श्री राम के गौरवान्वित जीवन की गाथा रामायण में हम सभी ने पढ़ी है। पर अधिकांश लोगों के लिए राम आज भी महज एक भगवान हैं, वे राम को हाथ जोड़कर दूर से प्रणाम तो करते हैं पर कभी भी उन्हें दिल में प्रवेश नहीं देते।

यही वजह है की इसी पावन भूमि में जन्म लेने वाले श्री राम का आशीर्वाद लेने वाली छोटी गिलहरी तो तर गई लेकिन हम मानव होने के बाद भी राम का स्नेह और उनका प्रेम नहीं प्राप्त कर पाते।

आखिर ऐसा क्यों है और राम के समीप हम कैसे आ सकते है? कैसे हम राम की सेवा में लीन रहकर अपनी जिन्दगी को सार्थक बना सकते हैं, यह समझने के लिए इस लेख को ध्यान से, बारीकी से पढना होगा।

राम का चरित्र | 10 विशेषताएं

राम का सम्पूर्ण जीवन सिखाता है की शरीर से तो हम सभी के पास सीमित शक्ति है, लेकिन नेक इरादे के साथ जीवन जीने से जिन्दगी में जो सुकून और शांति आती है वो बेशुमार दौलत पाकर भी अर्जित नहीं की जा सकती।

एक नजर में राम के जीवन की कथाएँ सुनकर ऐसा लगता है जैसे चमत्कारिक शक्तियों के साथ वो पैदा हुए हों, और उन्होंने महान कर्म इसीलिए किये थे जैसे उनके पास दैवीय शक्तियाँ थी।

पर ध्यान से पढने पर मालूम होता है की श्री राम ने जिस तरह झूठ और डर की उपेक्षा करके सच्चाई को चुना इसी प्रकार हमारे भी जिन्दगी में अनेकों पल ऐसे आते हैं।

जब हमारे पास ये विकल्प होता है या तो हम आलस्य, डर में जियें या फिर सच्चाई का चुनाव करें। आइये जानते हैं राम के चरित्र में कौन सी वो विशेष बातें हैं जो हम सभी को एक बेहतर इन्सान बनने में लाभकारी सिद्ध होगी।

#1. राम का मर्यादित होना।

परिवार, प्रजा, ऋषि मुनि की आज्ञा पालन कर उनकी सेवा को ही अपना परम धर्म मानने वाले प्रभु श्री राम का जीवन हर उस इन्सान के लिए एक बेहतरीन उदाहरण हैं। जो लोग मर्यादा का उल्लंघन कर वे चीजें करने के लिए आतुर रहते हैं जिसे करने से उन्हें बाद में पछताना पड़ता है।

उन्हें राम संदेश देते हैं की अपने समय धन, बल, ज्ञान का इस्तेमाल सच्चाई के लिए करो ताकि व्यर्थ के कामों को करने का समय न मिल सके।

वे लोग जो एक मर्यादित जीवन जीना चाहते हैं और माता पिता, परिवार और बाहरी लोगों के साथ अच्छे और मजबूर रिश्ते बनाना चाहते हैं उन्हें राम के जीवन से सीख लेकर आगे बढ़ना चाहिए।

#2. राम की वीरता उनके चरित्र की शोभा बढ़ाती है।

श्री राम की वीरता उनके जीवन में चार चाँद लगा देती है। राम सज्जनों के समक्ष जितना आदर के साथ पेश आते हैं उतना ही क्रोध उन्हें उन लोगों पर आता है जो दुष्ट, कपटी होकर आम लोगों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं।

राम का जीवन हमें बताता है की सत्य के रास्ते पर चलते हुए बड़े से बड़ा दुश्मन क्यों न आ जाये, तनिक विचलित न हो।

राम जी का जीवन सिखाता है की अगर इरादा तुम्हारा नेक है तो कर्म करते रहो फिर चाहे धन, बल से कितना भी शक्तिशाली इन्सान आपके खिलाफ खड़ा क्यों न हो तुम्हें पीछे नहीं हटना चाहिए।

#3. राम के चरित्र में है त्याग

राम के चरित्र में त्याग का गुण हमें संदेश देता है की जीवन में सफलता के शिखर छूने हैं, ऊँचा और गरिमापूर्ण जीवन जीना है तो व्यर्थ की चीजों का त्याग करना बहुत जरूरी है।

जो इन्सान पैसों के लिए, सुख सुविधाओं को ही सबकुछ मानकर ऐशो आराम की जिन्दगी जीने का सपना देखता है वैसा इन्सान समय की धूल बन जाता है।

राम का चरित्र हमें सिखाता है की सच्चाई के रास्ते में अगर तुम्हें वह चीज़ त्यागनी पड़ती है जो सबसे प्रिय है तो तुम्हें उस मार्ग पर चलने के लिए उसे भी त्यागने से पीछे नहीं हटना चाहिए। राम जी ने सच्चाई के लिए घर छोड़ा, सीता जैसी पत्नी त्याग दी, फूल जैसे सुकुमार त्याग दिए।

और एक हम हैं जो हम बिना स्वार्थ के दो लोगों की मदद तक नहीं कर पाते। यही वजह है की राम हमसे दूर और दूर होते जाते हैं।

#4. संकल्पवान थे राम।

यह राम जी की दृढनिश्चयता का ही परिणाम था की उन्होंने पिता की आज्ञा को सर्वोपरी मानते हुए चौदह वर्ष का वनवास पूरा किया। यह सोचे बिना की भविष्य में क्या होगा? जंगल में कैसे जीवन यापन करेंगे।

इस तरह राम के जीवन में अनेक ऐसे मौके आयें जब उनके संकल्प ने उन्हें बुराई और डर के सामने न झुकने के लिए प्रेरणा दी। और यही कारण है की राम के धैर्य, उनके अनुशासन ने उन्हें जिन्दगी में ऐसे महान कार्यों को आसान बना दिया जिन्हें याद कर हम सभी उन्हें नमन करते हैं।

#5. प्रकृति और जीवों से प्रेम करना।

बहुत से लोग स्वयं को राम भक्त कहते हैं और मीठ और मुर्गा खाना आज भी उन्हें सामान्य सी बात लगती है। पर अगर वास्तव में जिन्हें राम से थोडा भी प्रेम होगा वो जानते होंगे की राम के हृदय में न सिर्फ इंसानों के लिए अपितु वन्य जीवों के लिए भी कितनी दया थी।

बंदर से लेकर गिलहरी तक हर वन्य प्राणी राम का भक्त है। राम वो हैं जो गंगा को हाथ जोड़कर माँ कहते हैं और दूसरी तरफ हम कभी स्वाद के लिए तो कभी विकास के लिए इस प्रकृति और वन्य जीवों का नुकसान करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।

#6. निस्वार्थ भाव से कर्म करना।

एक चीज़ जो राम को संसार के अनगिनत लोगों से विशेष बनाती है वो है उनकी निष्कामता। पूरी रामायण में आपने कहीं भी ये पढ़ा की राम अपने लिए कुछ कर रहे थे। राम घोर कर्म और युद्द कर रहे थे पर किसके लिए? अपनी इच्छाओं और स्वार्थों को पूरा करने की खातिर?

सोने की लंका जीतने के बाद भी जिसने उस लंका को विभीषण के हवाले कर दिया। वो कर्म कर रहे हैं क्योंकी वही उनका धर्म था। पर बहुत से लोग कहेंगे की नहीं वो तो भगवान थे उन्हें भले अपने लिए क्या चाहिए होगा।

बता दें धरती पर जब वह सगुण रूप में एक इन्सान की भाँती पैदा हुए हैं। उनके भीतर प्रेम,करुणा हो सकती है तो क्या इन्सान की भांति मन में डर और लालच नहीं आ सकता? आ सकता है पर जरूरी ये है की आपने सत्य को महत्व दिया या किसी झूठी वस्तु को।

#7. राम के चरित्र में है विनम्रता

राम के हृदय में जहाँ झूठ और अधर्म के लिए कठोर अग्नि धधकती है। तो दूसरी तरफ राम के हृदय में ठंडे जल के समान शीतलता भी दिखाई देती है।

भले ही राम धन वैभव से सम्पन्न व्यक्ति थे लेकिन परिवार से लेकर प्रजा के प्रत्येक इंसान से किस तरह आदरपूवक बात करनी है ये तो हमें राम ही सिखाते हैं।

आज के युग में किसी व्यक्ति के पास थोड़ी भी धन सम्पन्नता आ जाए तो वह स्वयं को ही श्रेष्ठ मानने लगता है, वो चाहता है लोग उसकी आज्ञाओं का पालन करे, उसकी इज्जत करे।

पर दूसरी तरफ राम हैं जिनके मन में जनता के लिए अथाह प्रेम है। अतः वह हर किसी के साथ विनम्रता का व्यवहार करते हैं।

#8. सत्य बोलना राम का स्वभाव

राम का चरित्र हमें सच्चाई को समर्पित होने का संदेश देता है। सत्य बोलना, सत्य में जीना और सत्य को सर्वोपरी मानकर जो सत्य के आगे सर झुकाये समझना वही राम का सच्चा भक्त है।

अन्यथा बहुत से लोग मुख से राम बोलते हैं और थोड़ी देर बाद स्वार्थी और बेईमान लोगों की आज्ञाओं का पालन कर उनके लिए मेहनत करते हैं।

ऐसी लोगों को भला राम का आशीर्वाद कैसे मिल सकता है। राम जिन्होंने सच्चाई और धर्म के खातिर जीवन का बड़े से बड़ा सुख त्याग दिया उन राम की भक्ति करके हम एक झूठा, बेईमान जीवन जियें यह हमें शोभा नहीं देता।

#9. राम विद्वान थे।

राम के महान जीवन पर उनकी बचपन की शिक्षाओं का गहरा प्रभाव पड़ा। छोटी सी आयु में श्री राम के पितामह राजा दशरथ ने चारों भाइयों को गुरुकुल भेज दिया। गुरुकुल से पढ़ाई सम्पन्न कर राम जब घर लौटे उन्होंने भारत भ्रमण किया, उनके मन में अनेकों प्रश्न आये।

युवा राम के मन में आये इन प्रश्नों का उत्तर देने के लिए उन्होंने गुरु वशिष्ठ से आग्रह किया।

गुरु से मिले प्रश्नों का जवाब पाकर राम संतुष्ट हुए और इस आत्मज्ञान ने उन्हें आगे चलकर ऐसे अनेक महत्वपूर्ण फैसले लेने में सहायता की जिससे वे हमारे समक्ष निडरता, प्रेम, धैर्य के साथ जीवन जीने का आदर्श प्रस्तुत कर सके।

अतः वे लोग जो राम के महान कर्मों को महज एक संयोग मानते हैं, जिन्हें लगता है मात्र। भगवान ही एक सच्चा और निडर जीवन जी सकते हैं, उन्हें समझना चाहिए की राम को अच्छी शिक्षा, सुसंगति के कारण मिल पाई।

यदि आप प्रभु श्री राम और गुरु वाशिष्ठ के बीच बातचीत को पढना चाहते हैं और समझना चाहते हैं कैसे इस वार्ता ने उनकी जिन्दगी बदली तो आपको योगावशिष्ठ सार जरुर पढना चाहिए।

पढ़ें: योगावशिष्ठ सार।

#10. राम के भीतर भावुकता थी।

हम सभी राम को एक अवतार, भगवान के रूप में याद कर उन्हें एक ऐसे देवता के रूप में देखते हैं जिनके पास अपार बल, धैर्य और ज्ञान था पर हम ये भूल जाते हैं की एक आम मनुष्य की भाँती राम भी भाव विभोर होते हैं, उन्हें भी दुःख और पीड़ा होती है।

याद कीजिये वो दृश्य जब वन में रावण माँ सीता का अपहरण कर उन्हें अपनी नगरी लंका ले जाता है और राम जब अपनी भार्या (पत्नी) को ढूँढने के लिए निकलते हैं तो पल पल माँ सीता को याद कर उनके आँखों से आंसूओं की धार बहती है।

और रास्ते में जो भी वन्य जीव उन्हें दिखाई दे रहा है उससे पूछ रहे हैं की

हे खग मृग हे मधुकर श्रेनी, तुम्ह देखी सीता मृगनैनी

राम के मुंह से निकले ये शब्द और कपकपाते स्वर में निकली आवाज ये बतलाने के लिए काफी थी की अवतार जब धरती पर एक मनुष्य के रूप में जन्म लेता है तो उसके दिल में भी पीड़ा होती है, ठीक जैसे राम की हुई।

अतः इस बात से संदेश मिलता है की हमें किसी भी अवतार को कठोर या पत्थर दिल का प्राणी नहीं मानना चाहिए।

राम का चरित्र हमें क्या सिखाता है?

तो साथियों राम के चरित्र की इन विशेषताओं को जानने के बाद हमारा दिल एक बार फिर से राम के चरणों की ओर झुकना चाहता है। पर प्रश्न आता है की राम, कृष्ण जैसे अवतार जिन्हें हम पूजते हैं? उनका जीवन हमें क्या संदेश देना चाहता है?

क्या श्री राम का जीवन हमें महज ये इशारा देता है की हमें उनके जीवन को देखकर उनकी पूजा करनी चाहिये? उन्हें हाथ जोड़ने चाहिए? या बात कुछ और है।

देखिये अवतारों का जन्म इन्सान को सत्य तक ले जाने के लिए होता है, हम ऐसे लोग होते हैं जो डर, लालच का जीवन जीते हैं हम अपने स्वार्थो के लिए दूसरे का शोषण करने के लिए भी तैयार रहते हैं।

अतः ऐसे लोगों को सच्चाई भरा जीवन जीने के लिए प्रेरित करना आसान नहीं होता। फिर इसलिए ताकि हम जीवन का सच जानें, हम स्वयं को समझें इसलिए धर्मग्रन्थों को रचा जाता है, अवतारों की कथाओं से लोगों को परिचित करवाया जाता है।

ताकि हम उनसे प्रेरित होकर सच्चाई के मार्ग पर चल सके और गरिमापूर्ण जीवन जी सके, जो की हर मनुष्य का अधिकार है। उदाहरण के लिए आप शहीद भगत सिंह, विवेकानन्द जिन भी लोगों को सलाम करते हैं उनमें एक बात सांझी थी की वो सब सच्चाई के दीवाने थे।

और यही सत्य हमारे भी जीवन में आये इसलिए राम और कृष्ण की जीवनी पढने को मिलती है। यही वजह है की संत कबीर ने जब देखा की लोग तो राम को पूज रहे हैं और झूठा, बेईमानी से भरा जीवन जी रहे हैं।

तो उन्होंने कहा है राम वो नहीं है जो तुम कथाओं में सुन रहे हो, राम तो सत्य है। आइये जानते हैं कबीर के अनुसार राम कौन है?

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 अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढने के बाद राम के चरित्र की 10 खूबियों के बारे में आप भली भाँती जान गये होंगे। इस लेख को पढ़कर मन में कोई प्रश्न है तो आप इस 8512820608 पर सांझा कर सकते हैं। साथ ही लेख को शेयर भी कर दें।

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