सपने में कृष्ण भगवान को देखना शुभ है अशुभ जानें!

नींद में कन्हैया जी को देखना बहुत बड़ा शुभ संकेत है, जी हाँ अगर आपके साथ यही हो रहा है तो बिलकुल  आप सही पेज पर आप आये हैं क्योंकि यहाँ हम जानेंगे सपने में कृष्ण भगवान को देखने का क्या मतलब है?

सपने में कृष्ण भगवान को देखना

देखिये कृष्ण भगवान की पूजा भारतवर्ष में की जाती है कोई उन्हें अपना रक्षक मानता है तो कोई भगवद्गीता का पाठ देने वाले गुरु के रूप में उन्हें पूजता है।

यही कारण है की हम सभी के घर में मौजूद मंदिरों में कृष्ण भगवान की फोटो अवश्य दिखाई देती है, पर सपने में भगवान की दिव्य तस्वीर दिखाई देना सचमुच कोई आम घटना नहीं है।

यह घटना किसी ऊँची और विशेष बात की तरफ इशारा करती है, वे लोग जो इस इशारे को समझ लेते हैं उन्हें उनकी परेशानियों से मुक्त करके कृष्ण भगवान एक नयी जिन्दगी देते हैं।

आपसे निवेदन है आगे लिखी गई बातों को ध्यान से पढ़ें ताकि आप अपने जीवन को सही दिशा की तरफ ले जा सके।

सपने में कृष्ण भगवान को देखने का क्या अर्थ है? 

स्वप्न में कृष्ण भगवान की छवि प्रकट होने का अर्थ समझने के लिए हमें याद करना होगा कृष्ण भगवान के जीवन को, जब हम कृष्ण भगवान का नाम लेते हैं तो हमारे मस्तिष्क में याद आती हैं कृष्ण की बाल लीलाएं, मित्रता और सच्चाई के प्रति उनका प्रेम।

बाल्यकाल में हमने देखा की कृष्ण ग्वालों के साथ गैय्या चराते थे, माखन खाते थे, उन्होंने कालिया नाग का वध किया साथ ही छोटी सी उम्र में उन्होंने दुष्ट मामा कंस का वध किया और ये संदेश दिया की सच्चाई से बड़ा कोई नहीं होता।

साथ ही जहाँ कही दोस्ती की बात हो तो सुदामा और कृष्ण की जोड़ी अमर है, सच्ची मित्रता क्या होती है? ये पाठ हमें कृष्ण ने ही सिखाया।

यही नहीं कृष्ण जब बड़े हुए तो महाभारत के युद्ध में उनके द्वारा अर्जुन को दिया गया “गीता ज्ञान” आज भी पढने वालों के लिए उतना ही लाभकारी है जितना हजारों वर्ष पहले अर्जुन के लिए था।

तो संक्षेप में कहें तो कृष्ण भगवान अवतार के रूप में हमें काफी कुछ ऐसा सिखाते हैं जिससे हम एक उंचा जीवन जी सकते हैं।

तो अब आप समझ सकते हैं की कृष्ण को सपने में देखने का अर्थ है की कृष्ण हमें बड़ा संदेश देना चाहते हैं, और उनका यह शुभ संदेश निम्नलिखित है।

#1. सच्चाई का प्रेमी होना।

श्री कृष्ण का दूसरा नाम है सत्य जिसे आत्मा या परमात्मा भी कहा जाता है। इसलिए महाभारत के विराट युद्ध में श्री कृष्ण अर्जुन को उसी सत्य को पाने का सन्देश दे रहे हैं। इसलिए गीता उपदेश के दौरान ये बात स्वयं श्री कृष्ण अपने मुख से कहते हैं की

सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज

अर्थात हे अर्जुन। सब धर्मों यानि सब जिम्मदारियों का त्याग कर तुम मेरी अर्थात सच्चाई की शरण में आ जाओ। अतः जो व्यक्ति सच्चाई के केंद्र से जियें, जिसके कर्म के पीछे का इरादा नेक है जान लीजिये कृष्ण उसे प्राप्त हो चुके हैं।

पर अगर हम अपनी जिन्दगी को देखें तो वहां तो सच्चाई दिखती नहीं है, हम तो लगातार अपने ही स्वार्थ, अपने ही लालच के वशीभूत होकर काम करते हैं।

सुबह से लेकर शाम तक जो मेहनत करते हैं उसके पीछे कुछ इच्छाएं छिपी रहती हैं ताकि हम उन इच्छाओं को पूरा कर सुख पा सके। हालाँकि सुख तो पता नहीं लेकिन जितना हम ख्वाहिशों के पीछे भागते हैं उतना दुखी होते जाते हैं।

पर जो व्यक्ति कृष्ण का यह संदेश समझ लेता है जो झूठ, डर, लालच, मोह के सामने नहीं झुकता सिर्फ सच्चाई जानकर सच्चाई में जीता है उसे कृष्ण का आशीर्वाद अवश्य मिलता है।

#2. जानवरों और प्रकृति की रक्षा करना।

कृष्ण का गाय बछड़ों के प्रति प्रेम हमें संदेश देता है की हमें अपने स्वाद के लिए बेजुबानों की हत्या नहीं करनी चाहिए। गाय ही नहीं अपितु हर जानवर को अपना मानकर उनकी रक्षा करनी चाहिए।

और याद रखें, एक हिन्दू होने के नाते हमारा धर्म भी हमें अहिंसा का संदेश देता है। अतः वे लोग जो स्वयं को श्री कृष्ण का भक्त बताए हैं और जिनके सपने में भगवान कृष्ण दिखाई देते हैं उन्हें कृष्ण बतलाना चाह रहे हैं की प्रकृति और जानवरों की रक्षा करो।

लेकिन जब जब हम अपने लाभ के लिए प्रकृति और बेजुबानों के साथ खिलवाड़ करते हैं तब तब धर्म की हानि होती है। कोरोना काल हो या प्राकृतिक आपदाएं जो आज हम झेल रहे हैं ये सब हमारे द्वारा प्रकृति और बेजुबान जानवरों के साथ किये गये घोर पाप का अंजाम है।

#3. धर्म का वास्तविक अर्थ बताते हैं।

धर्म का जो स्वरूप आज हम देख रहे हैं वैसा पहले कभी न रहा, धर्म के नाम पर गंगा नदी को दूषित करना, शिव के नाम पर हुक्का चिलम उडाना, दूसरे धर्म को नीचा दिखाना, पशुबलि का समर्थन करना ये सब दर्शाता है की हमने धर्म के साथ मजाक कर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है।

अगर वास्तव में समझना है की धर्म क्या है? तो भगवद्गीता पढ़िए वहां कृष्ण बताते हैं की मनुष्य का धर्म पूजा पाठ, तमाम तरह के कर्मकांड करना नहीं अपितु दुखों से मुक्ति पाकर निष्काम भाव से कर्म करना है।

पर चूँकि हम कृष्ण से ज्यादा उन पंडितों, पुरोहितों और परिवार के लोगों को चाहते हैं अतः हम सच्चाई जानने की कोशिश ही नहीं करते। अगर हमने सचमुच भगवद्गीता पढ़ी होती तो हम क्या धर्म के नाम पर फिजूल की मान्यताओं को स्वीकार कर पाते?

पढ़ें: धर्म क्या है? मनुष्य का धर्म क्या है?

#4. झूठ के खिलाफ विद्रोह करने की सीख।

भगवदगीता में चाहे अर्जुन को धर्म के लिए युद्ध करने के लिए गीता ज्ञान देना हो या फिर अपने बाल्यकाल में ही झूठे और राक्षस मामा का वध करना हो दोनों ही बातों से कृष्ण हमें सीख दे रहे हैं की सच्चाई से बड़ा कोई नहीं।

जहाँ कहीं भी आप पायें झूठ फैला हो वहां सर मत झुकाइये। यही गीता का संदेश है जीवन में जो कुछ भी झूठा, त्याज्य है जिसे स्वीकार नहीं करना चाहिए उसे हटाकर जो सच्चा है सुन्दर उसे अपनाओ यही गीता का संदेश है।

आज के समय में भगवद्गीता को दूर रखकर लोग कृष्ण की जगह सौ अन्य लोगों की बात सुन रहे हैं तो समझ लीजिये ये कलयुग है और ऐसे समय में आपका धर्म यही है की आप झूठे लोगों की झूठी मान्यतों में खड़े होने की बजाय जो सही है वो करें।

#5. निष्काम कर्म से सम्भव है मुक्ति और आनन्द।

आनन्द की चाहत में इन्सान भला क्या कुछ नहीं करता। पर वो सुख, वो आनन्द जो हम दुनिया में इधर उधर ढूंढते हैं वो हमें किसी भी वस्तु को पाने से नहीं मिलता। जो लोग कहते हैं की अपनी इच्छाएं पूरी करके, सपने पूरे करके ही तो जीवन में मजा आता है।

उन लोगों की जिन्दगी को देख लीजिये उन्होंने आज तक बहुत कुछ पा भी लिया होगा पर क्या वो अपने जीवन से संतुष्ट हैं नहीं न उनकी तो प्यास लगातार बढती जा रही है।

तो यही बात भगवदगीता में कृष्ण हमे समझाते हैं की जिस आनन्द, और तृप्ति की चाहत तुम्हारे भीतर है वो तभी सम्भव है जब तुम निस्वार्थ भाव से किसी ऊँचे लक्ष्य को समर्पित हो जाओ।

अर्थात सबसे पहले ईमानदारी से जो इन्सान ये देख लेता है की इस समय पृथ्वी में क्या करना श्रेष्ठ है, किस कम से मनुष्य का कल्याण होगा। ये जानने के बाद जो व्यक्ति बिना ये परवाह किये की उस काम में सफल होऊंगा या नहीं उस काम को ही अपनी जिन्दगी बना लेता है। यही निष्काम कर्म है।

मजेदार बात यह है की निष्काम कर्म क्या है? जो यह समझता है उसे सुख और दुःख की चिंता नहीं करनी पड़ती क्योंकी वो काम अपने लिए नहीं अपितु परमार्थ के लिए करता है अतः हालत कैसे भी हों उसे फर्क नहीं पड़ता यही गीता का संदेश है।

पढ़ें: जिन्दगी में सही कर्म क्या है? कैसे करें।

सपने में कृष्ण भगवान से बात करना

अगर आपके स्वप्न में कृष्ण भगवान आपसे बात करते दिखाई दे रहे हैं तो इसका अर्थ है की भगवान कृष्ण का आपसे ख़ास सम्बन्ध है, वो चाहते हैं की आप एक बेहतर इन्सान बनो वो चाहते हैं तुम एक सच्चे, वीर, बहादुर इन्सान बनो जो दुनिया का कल्याण करे।

सपने में राधा कृष्ण की मूर्ति को देखना

राधा कृष्ण की मूर्ती एक सुंदर प्रेम कहानी का प्रतीक है, जो यह इशारा करती है की जीवन में कृष्ण जैसे बन जाओ, जिसके जीवन में कृष्ण की भाँती जीवन में बेफिक्री, नटखटता, सच्चाई के प्रति प्रेम,बहादुरी और असहाय लोगों के प्रति करुणा आ जाती है फिर राधा जैसी संगनी भी उन्हें मिल जाती है। अन्यथा कृष्ण हुए बिना जो प्रेम में पड़ते हैं उन्हें पत्नी भी वैसी ही मिलती है जैसे वो खुद हैं।

सपने में कृष्ण भगवान का मंदिर देखना

अगर आप अक्सर भगवान कृष्ण के मंदिर जाने का विचार करते हैं तो नींद में भगवान का मन्दिर आना सामान्य सी बात है इसके पीछे और कोई विशेष बात नहीं क्योंकि जैसा हम सोचते हैं वैसे ही रात को हमें स्वप्न आते हैं।

हालाँकि सपने में कृष्ण भगवान का मंदिर देखना शुभ बात है, कृष्ण भगवान आपसे कह रहे हैं की जब जब तुम मेरी चौखट पर आते हैं और मेरे सर पर शीश झुकाते हो तब तब मैं तुम्हें अपने जीवन की परेशानियों को दूर करने की शक्ति देता हूँ।

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FAQ

सपने में ठाकुर जी को देखना

सपने में ठाकुर जी को देखना अति शुभ संकेत है, ठाकुर जी अपना आशीर्वाद तुम्हें देना चाहते हैं पर इसके लिए जरूरी है ठाकुर जी के बताये रस्ते पर चलना।

सपने में लड्डू गोपाल को देखना

सपने में लड्डू गोपाल की मनमोहक छवि आपको कह रही है की बच्चे भगवान का रूप होते हैं, घर के छोटे बच्चों में भी कृष्णत्व लाने के लिए उन्हें आप बचपन से ही अच्छी शिक्षा, संस्कार दें।

अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढने के बाद सपने में कृष्ण भगवान को देखने का क्या अर्थ है? अब आप भली भाँती समझ गये होंगे। अगर लेख को पढने से जीवन में कुछ स्पष्टता आई है तो आप अपने विचारों को 8512820608 पर whatsapp कर सकते हैं, साथ ही लेख आपके लिए उपयोगी साबित हुआ है तो इसे एक शेयर करना तो बनता है।

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