किचन का दरवाजा किस दिशा में होना चाहिए? जानें सच्चाई!

घर के निर्माण में रसोई का डिजाइन और स्पेस का ध्यान रखना तो जरूरी होता ही है साथ में ये पता होना जरूरी है की किचन का दरवाजा किस दिशा में होना चाहिए? ताकि घर में सुख शांति और समृद्धि बनी रहे।

किचन का दरवाजा किस दिशा में होना चाहिए

कहते हैं वास्तु के मुताबिक़ घर में रसोई अथवा घर के दरवाजे को न लगाये जाए तो इससे घर में कई तरह के दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं।

मान्यता है ऐसे घरों में अक्सर धन की कमी रहती है, लड़ाई झगडे और तमाम तरह की परेशानियाँ आती रहती हैं, अतः बहुत से लोग घर बनाते समय किसी पंडित/ ज्योतिष से सम्पर्क कर शुभ दिशा में घर का मैप डिजाइन करते हैं।

तो आप जिन्दगी में सही फैसला ले सके इस बात के लिए हमने इस लेख को दो भाग में बांटा है पहले भाग में हमने वास्तु शास्त्र की मान्यताओं पर चर्चा की है।

फिर उसके बाद हमने आपके साथ एक सीक्रेट सांझा किया है जो आपको अवश्य पढना चाहिए।

किचन का दरवाजा किस दिशा में होना चाहिए?

वास्तु शास्त्र में दिए गए निर्देशों के अनुसार रसोईघर का दरवाजा या तो घर की पूरब दिशा में होना चाहिए अथवा गेट दक्षिण पूर्व दिशा की तरफ खुलना चाहिए।

कहते हैं इन दोनों दिशाओं में दरवाजे बनाने के प्रभाव से जिन्दगी में अनेक शुभ बदलाव आते हैं, कहा जाता है ऐसे घरों में पकाए भोजन में सकरात्मक ऊर्जा रहती है जिसे ग्रहण करने से परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य सही रहता है।

सही भोजन का प्रभाव इन्सान के मन पर पड़ता है, और इससे अंततः जीवन में सुख शांति आती है और इन्सान बेहतर जिन्दगी की तरफ अग्रसर होता है।

किचन का दरवाजा गलत दिशा में हो तो क्या होता है? 

ऊपर हमने जाना था की किचन सही दिशा में हो तो किस तरह जीवन में मंगल कार्य होते हैं अब सवाल आता है की यदि किचन का गेट सही दिशा में न हो तो कौन से दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं।

#1. किचन का गेट यदि गलत दिशा में बना हो तो इसका सबसे बड़ा दुष्प्रभाव घर की महिलाओं पर पड़ता है क्योंकि भोजन बनाने की जिम्मेदारी अक्सर उन्हीं के कंधो में होती है। अतः ऐसे घरों में अक्सर महिला की तबियत बिगडती रहती है।

#2. दूसरी बात घर में कभी भोजन को लेकर तो कभी और किसी विषय पर लड़ाई झगड़े होते रहते हैं जिससे घर में अशांति का माहौल बना रहता है।

#3. सही दिशा में रसोई न बनने के कारण घर में बेफालतू के खर्च होते हैं जिससे धन की कमी होना शुरू हो जाती है।

किचन बनाने के लिए सही दिशा का चुनाव करने का तरीका

ऊपर हमने जाना की वास्तु शास्त्र में रसोईघर के दरवाजे के निर्माण को लेकर कौन कौन सी बातें कही गई हैं, हालाँकि अगर आप और गहराई से सम्पूर्ण वास्तु शास्त्र को पढेंगे तो आपको रसोईघर से जुडी और भी बातें पढने को मिलेंगी।

लेकिन सबसे बड़ी और सामान्य परेशानी जो अक्सर लोगों को देखने को मिलती है वो ये है की वे शुभ दिशा में किचन बनाना तो चाहते हैं लेकिन जगह की कमी या फिर अन्य कारणों की वजह से वो सही दिशा में किचन बनाने में असमर्थ होते हैं।

या फिर वे एक बार घर बना लेते हैं उसके बाद उन्हें वास्तु शास्त्र के नियमों की जानकारी मिलती है ऐसी स्तिथि में क्या किया जाए।

देखिये ईमानदारी से कहें तो किचन का गेट आप हमेशा अपनी सुविधा के अनुरूप चुन सकते हैं, आपको कोई परेशानी नहीं आएगी।

ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकी अक्सर हम इस भ्रम में पड़ जाते हैं की जो हमारी जिन्दगी में तकलीफें हैं वो किचन की वजह से आ रही हैं बल्कि यदि हम कुछ गलतियों को करना बंद कर दें तो बिना किचन को तोड़े या फिर किचन के बारे में सोचे बिना वो समस्या ठीक हो जाएगी।

उदाहरण के लिए अगर पिछले कुछ समय से आपको लगातार फालतू के खर्चे हो रहे हैं तो बस आपको किचन के गेट को सही नहीं करना है बल्कि आपको अपनी आदत को ठीक कर लेना है।

जैसे ही आप फालतू की चीज़ों में पैसे खर्च करना बंद कर देंगे वैसे ही ये समस्या ठीक हो जाएगी। इसी तरह घर में अगर अशांति का माहौल रहता है।

तो याद रखना कमी किचन के गेट में नहीं है, कमी है उस इन्सान में जो घर में अशांति करवाता है, तो बस उस इन्सान को ठीक कर दीजिये वो समस्या भी सुलझ जाएगी।

पर हम अजीब लोग हैं हम जानते ही नहीं हैं की हमारी असली समस्या क्या है? और उसका समाधान कैसे होगा? हम बस जल्दी से किसी भी चीज़ में कमी निकाल देते हैं?

अगर मैं शराबी हूँ तो बताइए इसमें मेरी गलती है या फिर मेरे किचन की, या मेरे घर के किसी सामान की?

जाहिर सी बात है समस्या मेरी है तो ये ठीक भी तभी होगी जब मैं खुद को ठीक करूंगा।

इस तरह से एक समझदार, बुद्धिमान इन्सान की भाँती जीवन में कोई भी फैसला लें, ये नहीं की किसी ने कुछ भी बोल दिया और आपने मान लिया।

धर्म के अनुसार किचन का दरवाजा कैसा होना चाहिए? 

देखिये अगर आपको लगता है किचन की दशा अथवा दिशा कैसी होनी चाहिए? ये हमारा हिन्दू धर्म सिखाता है तो ऐसा नहीं है।

अगर आप धर्म पर यकीन करते हैं तो हम आपसे कहेंगे की ये बात धार्मिक नहीं है। कोई भी बात धार्मिक तब सिद्ध होती हो जब वो बात धर्मग्रन्थ में लिखी हो।

और चूँकि धर्मग्रन्थ बहुत सारे हैं ऐसे में किस ग्रन्थ में लिखी बातों को मानना उचित है?

तो देखिये हमारा धर्म वैदिक रहा है, और वेदों में लिखी बातों के आधार पर ही बाद में अन्य ग्रंथो की रचना हुई।=

वेदों के दो भाग हैं पहला कर्मकांड और दूसरा ज्ञानकाण्ड।

ज्ञानकाण्ड को ही वास्तव में सनातन धर्म माना जाता है क्योंकि वेदों के ज्ञानकाण्ड से ही उपनिषद मिले, जिन्हें सनातन धर्म की मूल पुस्तक के रूप में जाना जाता है।

चूँकि उपनिषदों में कहीं पर भी किचन के गेट को लेकर बात नहीं कही गई है, यहाँ तक की श्रीमद भगवद्गीता जिसे दुनिया में पूजा जाता है और इसी पुस्तक को उपनिषदों का सार कहा जाता है।

गीता में भी कहीं भी किचन के गेट को लेकर बात नहीं की गई है अतः हम इस बात को धार्मिक नहीं मानते।

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 अंतिम शब्द

इस लेख को पढने के बाद हम आपसे यही कहेंगे की किचन का दरवाजा किस दिशा में होना चाहिए? ये आपका फैसला है। देखिये सही जिन्दगी जीना आपका कर्तव्य है, फिर गेट कैसा हो या कैसा नहीं? क्या फर्क पड़ता है।

डरिये मत, जो सही है वो करते रहिये कुछ बुरा नहीं होगा विश्वास कीजिये। आप इन्सान बेहतर बनें गेट किसी भी दिशा में हो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। इस बात को सुनकर अभी भी मन में कोई सवाल बाकी है तो बेझिझक इस हेल्पलाइन नम्बर 8512820608 पर आप हमें whatsapp कर सकते हैं।

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