बाथरूम का दरवाजा किस दिशा में होना चाहिए? जानें सच!

घर सुन्दर हो इस बात का ध्यान सभी रखते हैं पर घर के कमरे, रसोई और यहाँ तक की बाथरूम का दरवाजा किस दिशा में होना चाहिए? हम इस बात का ध्यान ही नहीं रखते।

बाथरूम का दरवाजा किस दिशा में होना चाहिए

और मान्यताओं के अनुसार इन बातों का इन्सान की जिन्दगी में गहरा प्रभाव पड़ता है, अगर घर में मौजूद कमरे, बाथरूम इत्यादि सही स्थान पर न हो तो इन्सान को बेवजह कई सारे दुखों का सामना करना पड़ता है।

इसलिए ज्योतिष अथवा पंडित लोगों को अक्सर वास्तु शास्त्र के अनुसार घर बनाने की सलाह देते हैं, हालांकि कई लोग इन बातों की परवाह किये बिना भी घर बना लेते हैं।

पर यहाँ सवाल ये है की आपके लिए क्या करना उचित रहेगा तो चलिए सबसे पहले हम जानते हैं की बाथरूम बनाने को लेकर परम्परा क्या है? उसके बाद हम आपके साथ एक सीक्रेट सच शेयर करेंगे।

ताकि आप अंत में यह फैसला कर सकें की आपको क्या करना चाहिए और क्या बिलकुल नहीं।

बाथरूम का दरवाजा किस दिशा में होना चाहिए?

ज्योतिषियों के मुताबिक वास्तु शास्त्र में लिखी हुई बातों के अनुसार हमेशा शौचालय का दरवाजा दक्षिण दिशा में अथवा दक्षिण पश्चिम दिशा की तरफ होना चाहिए, क्योंकि मल मूत्र, इत्यादि विसर्जन के लिए ये दिशा सबसे उपयुक्त मानी जाती है।

मान्यताओं के अनुसार बाथरूम के ठीक समक्ष भगवान की फोटो या फिर मन्दिर नहीं बनाना चाहिए। क्योंकि पूर्व दिशा धार्मिक कार्यों को सम्पन्न करने के लिए शुभ होती हैं, अतः बाथरूम के सामने पूजा कक्ष बनाना निषेध माना जाता है।

तो ये तो रही पारम्परिक मान्यता जिसका उपयोग इस आधुनिक युग में भी कई सारे लोग करते हैं, हालाँकि जिस तरह किसी भी बात को कहने के दो पक्ष होते हैं उसी तरह इस मुद्दे को हमें अलग अलग तरीकों से देखना जरूरी हो जाता है।

अब तक हमने जाना था की आखिर वास्तु शास्त्र घर के बाथरूम की दिशा को लेकर क्या कहता है? अब हम जरा जान लेते हैं की विज्ञान और धर्म इस बारे में क्या कहते हैं? जिसे जानने के बाद आपको अपने घर की बाथरूम के दरवाजे की सही दिशा तय करने में मदद मिलेगी।

बाथरूम के दरवाजे का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व

सबसे पहले बात की जाए विज्ञान की तो देखिये विज्ञान हमें सिर्फ किसी ऑब्जेक्ट, किसी वस्तु की जानकारी दे सकता है, पर उस वस्तु का उपयोग कैसे करना है वो पूरी तरह इन्सान पर छोड़ देता है।

विज्ञान आपके घर में इस्तेमाल होने वाला दरवाजा किस मैटेरियल से बना है, वो दरवाजा कितना टिकाऊ है, इत्यादि बातें बता सकता है।

पर अंततः उस दरवाजे का क्या इस्तेमाल करना है ये फैसला तो आपके हाथों में है न।

विज्ञान ने आज तक जितने भी आविष्कार किये हैं फिर चाहे वो सुई हो या फिर बड़ी से बड़ी कोई वस्तु सभी इन्सान के इस्तेमाल के लिए उसने मुक्त रखी हैं।

इन्सान जिस तरह चाहे उसे वैसे इस्तेमाल कर सकता है चाहे तो वो उन्हें अपने फायदे के लिए उपयोग कर सकता है चाहे तो उससे अपना ही घाटा कर सकता है।

तो संक्षेप में कहें तो साइंस वास्तु शास्त्र में लिखी बातों का समर्थन नहीं करता है।

अब सवाल आता है की बाथरूम की दिशा कैसी होनी चाहिए? कैसी नहीं? इस बात को लेकर धर्म क्या कहता है?

देखिये जीवन दुःख है और इस दुःख से होने वाले दर्द से मुक्ति देने के लिए धर्म की स्थापना की जाती है। हम झूठी बातों को सच मानते हैं इसलिए धर्म हमें सच्चाई में जीने और दुखो से मुक्ति पाने की सीख देता है।

जहाँ तक बात है बाथरूम के दरवाजे को लेकर धार्मिक महत्व की तो देखिये जिस तरह विज्ञान कहता है किसी भी चीज़ का उपयोग करो।

उसी तरह धर्म भी कहता है तुम चाहे किसी भी वस्तु, विषय का उपयोग करो बस देखो क्या उससे तुम्हें मुक्ति मिल रही है? अगर तुम्हें उस काम को करने से शांति, आजादी मिल रही है तो करिए।

उदाहरण के लिए अगर बाथरूम का दरवाजा पूर्व दिशा में लगाने से आप जिन्दगी में एक अच्छे इन्सान बनते हैं, आपकी जिन्दगी में सच्चाई, शांति आती है तो बिलकुल उस दिशा में आप बाथरूम का दरवाजा लगाइए।

लेकिन अगर बाथरूम के दरवाजे की दिशा बदलने से जिन्दगी में दुःख बना रहता है तो वो काम मत करिये।

वास्तव में देखा जाये तो धर्म को कोई जरूरत नहीं है किसी दरवाजे, मकान इत्यादि पर कुछ कहने की क्योंकि धर्म संसार के ऑब्जेक्ट की बात नही करता।

धर्म उन सभी ऑब्जेक्ट को देखने वाले की बात करता है, यानि धर्म मन की बात करता है।

तो अगर बाथरूम का गेट बदलने से मन साफ़ होता है, मन में शांति और सच्चाई के लिए प्रेम बढ़ता है तो वो काम करो।

और चूँकि हिन्दू धर्म की केन्द्रीय पुस्तक उपनिषद में कहीं पर भी बाथरूम का गेट कहाँ होना चाहिए? कहाँ नहीं इस विषय पर कोई बात नहीं कही गई है अतः ये बात धार्मिक नहीं है।

बाथरूम किस दिशा में बनाना चाहिए| अंतिम बात 

अब तक हमने जाना की आखिर वास्तु शास्त्र, विज्ञान और धर्म तीनों के नजरिये से बाथरूम की दिशा क्या होनी चाहिए अथवा इस विषय पर तीनों के क्या मत हैं।

अब हम आपसे यही कहेंगे की जहाँ आपको सुविधा लगे घर में आप उस दिशा में गेट बना दीजिये।

बिलकुल मन से ये बात निकाल दीजिये की अगर मैं किसी खास दिशा में गेट बनाऊंगा तो कुछ अशुभ होगा, साथ ही ये बात भी मत सोचिये की सही दिशा में बाथरूम का गेट लगाने से जिन्दगी अच्छी हो जाएगी।

जी नहीं, जिन्दगी में दुःख किसी गेट को बदलने से या उसकी दिशा बदलने से नहीं खत्म होगा जिन्दगी में जो दुःख जो बेचैनी है वो तो तभी खत्म होगी जब आप असली समस्या को मिटा देंगे।

उदाहरण के लिए मैं शराबी हूँ और शराब पीकर मेरी वजह से घर में अशांति हो रही है और मुझे लग रहा है की घर में अशांति घर के बाथरूम के दरवाजे के कारण हो रही है?

और मैं उस गेट की दिशा और पेंट दोनों बदल देता हूँ? बताओ क्या ऐसा करने से मेरे घर की चिंता मिट जाएगी नहीं न समस्या तो मेरे नशे में हैं और मैं इलाज कहीं और ढूंढ रहा हूँ।

तो साथियों अंत में हम आपको यही कहेंगे की जिस भी दिशा में बाथरूम का गेट लगाना हो लगाइए, बस अपना मन साफ रखिये, मन को सही संगती दें, अच्छे इन्सान बनें बाकी गेट कहाँ है, कैसा है उससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

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अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढ़कर बाथरूम का दरवाजा किस दिशा में होना चाहिए? इस प्रश्न का उत्तर आपको भली भाँती मिल गया होगा। अभी भी मन में कोई भ्रम है, सवाल है तो बेझिझक whatsapp हेल्पलाइन नम्बर 8512820608 पर भेजें साथ ही लेख को अधिक से अधिक शेयर भी कर दें।

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