भगवान का मुख किस दिशा में होना चाहिए? जानें सच्चाई!

हम सभी के घरों में एक मंदिर अवश्य होता है जहाँ भगवान की छोटी बड़ी मूर्तियाँ, तस्वीरें होती हैं, ऐसे में भगवान हमसे नाराज न हो और उनकी कृपा भक्तों पर बनी रहे इस आशा के साथ भगवान का मुख किस दिशा में होना चाहिए?

भगवान का मुख किस दिशा

ये सवाल बहुत सारे लोगों के मन में आता है, यदि आप भी भगवान पर अटूट आस्था रखते हैं और चाहते हैं उनके आशीर्वाद से जिन्दगी में आप एक नेक इन्सान बनें और आपको समस्याओं का समाधान मिले।

तो आज की इस पोस्ट में हम आपको भगवान की मूर्ती सही दिशा में स्थापित करने के साथ साथ वो सभी सीक्रेट टिप्स बतायेंगे जिससे भगवान आपकी बदहाल जिन्दगी को खुशहाल जिन्दगी में बदल कर देंगे।

बस आपसे निवेदन है की लेख में कही गई प्रत्येक बात को समझें और उसका जीवन में पालन करें।

 भगवान का मुख किस दिशा में होना चाहिए?

हिन्दू धर्म में कई ऐसे शास्त्र, पुस्तकें हैं जिनमें इस बात का वर्णन किया गया है की भक्त को पूजा करते समय अथवा भगवान को शीश झुकाते समय किस दिशा में भगवान की मूर्ती होनी चाहिए और किसमें नहीं।

चूँकि इन्सान हमेशा से ही अपनी इच्छा पूर्ती के लिए भगवान को मानता आया है उसे लगता है जिन कार्यों को करने में मुश्किलें खड़ी होती हैं, भगवान उन कार्यों को आसान बनाते हैं।

तो शास्त्रों में लिखित बातों के अनुसार भगवान का मुख हमेशा पूरब दिशा की तरफ होना चाहिए और इन्सान को भगवान की पूजा करते समय उत्तर दिशा की तरफ खड़ा होना चाहिए।

इसके पीछे मान्यता यह है की सूर्य भी हमेशा पूर्व दिशा से उगता है अतः इस दिशा को सकरात्मक मानते हुए इस दिशा में भगवान की मूर्ती स्थापित करना शुभ माना जाता है।

तो ये तो रही मान्यता जिसका आज भी कई सारे पंडित/ज्योतिष पालन करते हैं और आम जनता को भी इसी विधि का पालन करने का संदेश देते हैं।

पर सवाल आता है की यदि भगवान के मुख की दिशा बदलने से भी जीवन में बदलाव नहीं आता है तो फिर  ऐसी स्तिथि में क्या करें?

भगवान के मुख की दिशा बदलने की सच्चाई 

अगर आप भी उन लोगों में से एक हैं जिन्हें लगता है भगवान की मूर्ती की दिशा बदलने से उनकी मन की मुराद पूरी हो जाएगी, जिन्दगी में जिन चीजों की कमी है वो चीज आ जाएँगी।

तो आपका यह भ्रम जितना जल्दी टूटे उतना अच्छा रहेगा। जी हाँ, यदि आप सोच रहे हैं की हम यह कैसी बात कर रहे हैं क्या हम नास्तिक हैं?

तो देखिये सच्चाई बताने का अर्थ नास्तिक नहीं होता है। भगवान पर भरोसा करने का यह अर्थ नहीं है की हम जैसी चाहे वैसी उम्मीदें उनसे बाँध लें।

उदाहरण के लिए यदि मैं अपने घर में भगवान की तस्वीर को पूर्व से उत्तर दिशा की तरफ कर दूं या किसी अन्य दिशा की तरफ कर दूं और सोचने लगूं की ऐसा करने से जिन्दगी में धन सम्पत्ति आ जाएगी।

तो क्या मेरा ये सपना, मेरी ये उम्मीद कभी पूरी हो सकती है? नहीं न पैसा तो जिन्दगी में तभी आएगा जब मैं नौकरी, व्यापार में मेहनत करूँगा, पैसे बचाऊंगा और उसे सही चीज़ों में खर्च करूंगा।

तभी तो जिन्दगी में तरक्की हो पायेगी न। पर बहुत सारे लोग जिनकी जिन्दगी में यदि किसी तरह की दिक्कत है जैसे उनकी बिटिया की शादी नहीं हो रही, उन्हें व्यापार में घाटा हो रहा है या फिर उनके घर में लड़ाई झगड़े हो रहे हैं।

तो उन्हें लगता है की हमारी परेशानी तभी खत्म होगी जब हम मन्दिर में रखी भगवान की मूर्ती की दिशा बदल देंगे। अरे नहीं भाई कोई भगवान ये नहीं कहते की मेरी मूर्ती की दिशा पलटने से आपकी जिन्दगी ठीक हो जाएगी।

क्या कभी रामायण या महाभारत या श्रीमदभगवदगीता जैसे पूजनीय ग्रन्थों में कहीं पर यह लिखा हुआ पढ़ा? नहीं न जो चीज़ लिखी नहीं गई है भला उसे कैसे स्वीकार किया जा सकता है।

अब सवाल आता है की भगवान अपनी कृपा हमारे ऊपर मूर्ती की दिशा बदलने से नहीं बरसाएंगे तो भला किस तरह वह अपना आशीर्वाद हमें देंगे तो चलिए अब इस विषय पर बात करते हैं।

भगवान की कृपा से बदलेगी आपकी दशा 

एक बात सदा याद रखें आपकी जिन्दगी में जो कोई भी परेशानी है उसे ठीक करने के लिए स्वयं भगवान इस धरती पर नहीं आ सकते। आपको खुद प्रयास करना होगा तभी भगवान आपके प्रयास को सफल बनायेंगे।

यानी दूसरे शब्दों में कहें तो देखिये तकलीफ तो हर किसी की जिन्दगी में होती है, तो जब कभी किसी को कोई प्रॉब्लम आती है तो उसे उसका समाधान करने के लिए प्रयास करना चाहिए।

क्योंकि कहते हैं की भगवान भी उन्हीं की मदद करता है जो खुद की मदद करते हैं, उदाहरण के लिए मैं बीमार हूँ और यदि मैं स्वस्थ्य होना चाहता हूँ तो मुझे अस्पताल जाना पड़ेगा तभी मैं ठीक हो पाऊंगा।

अगर मैं बैठे बैठे ये सोचता रहूँ की भगवान आयेंगे और मुझे ठीक कर देंगे तो भला ये कैसे हो सकता है?

इस प्रकार आपकी जिन्दगी में चाहे कोई भी तकलीफ हो फिर चाहे वो पैसे की समस्या हो, घर परिवार में अशांति की हो या फिर रिश्ते में अनबन की हो, वो समस्या तभी सुलझेगी जब आप सही नियत के साथ उसे सुलझाने का प्रयास करेंगे।

हो सकता है पहली कोशिश आपकी नाकाम हो जाये पर बार बार प्रयास करने से सफलता जरुर मिलती है ठीक वैसे जैसे शुरू में साइकिल चलाना, बैलेसं बनाना कितना कठिन होता है न, लेकिन एक समय बाद आप चलाना सीख जाते हैं।

इसी तरह ये अंतिम बात गाँठ बाँध लें भगवान की मूर्ती बदल देने से, किसी तरह का टोटका कर देने से जीवन की समस्या ठीक नहीं होती बल्कि सही नियत के साथ किये गए गए काम से समस्या सुलझती है।

अगर अभी भी आपको लगता है इस बारे में आपके मन में कोई सवाल बाकी है तो बेझिझक आप 8512820608 whatsapp हेल्पलाइन नम्बर पर हमसे सम्पर्क कर सकते हैं।

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अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढने के बाद भगवान का मुख किस दिशा में होना चाहिए? इस प्रश्न का उत्तर आप भली भाँती जान गये होंगे। लेख उपयोगी साबित हुआ है तो इसे अधिक से अधिक शेयर भी कर दें।

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