क्या पीरियड के 6 दिन पूजा कर सकते हैं? जानें सच्चाई!

हिन्दू धर्म ग्रंथों में पीरियड्स के दौरान क्या करें क्या नहीं इस विषय पर ढेरों बातें लिखी हैं, लेकिन सबसे ज्यादा ध्यान स्त्रियों की मंदिर में पूजा को लेकर केन्द्रित किया गया है। ऐसे में महिलायें जानना चाहती हैं की क्या पीरियड के 6 दिन पूजा कर सकती हैं?

क्या पीरियड के 6 दिन पूजा

तो आज हम इस विषय को धार्मिक, वैज्ञानिक और आध्यात्मिक तीन अलग अलग पहुलुओं से देखेंगे, ताकि आप खुद ये निर्णय ले सकें की आपको पीरियड्स में पूजा करनी चाहिए अथवा नहीं।

देखिए परंपराओं और मान्यताओं पर चलने वाले हमारे देश में आज भी स्त्रियों से जुड़े कई ऐसे मामले सामने आते हैं जिनपर लोगों के अलग अलग विचार हैं।

लेकीन आज का ये विषय आपके बीच स्पष्ट रहे, इसलिए निवेदन है की आप लेख को अंत तक ध्यानपूर्वक  पढ़ें। अन्यथा अधूरी बात पढने पर आप सही निष्कर्ष तक नहीं पहुँच पाएंगे।

जानें पीरियड के 6 दिन पूजा करने को लेकर क्या कहता है धर्म

विकिपीडिया तथा ज्योतिषियों के अनुसार हिन्दू धर्मग्रन्थों में मासिक धर्म यानि पीरियड्स के दौरान महिलाओं के मन्दिर में प्रवेश करने की मनाही है।

मान्यता है इन दिनों में रक्तस्त्राव के कारण महिलाओं का शरीर अशुद्ध माना जाता है। अतः किसी भी पवित्र स्थान जैसे पूजा घर, पवित्र ग्रन्थ और यहाँ तक की किचन में भी अंदर घुसने की इजाजत नहीं होती।

सदियों से चलती आ रही यह मान्यताएं आज भी ज्यों की त्यों बनी हुई है, शहरों में कई ऐसे मन्दिर हैं जहाँ पर महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान इजाजत नहीं दी जाती।

यही नहीं, आज भी भारत के ऐसे अनेक ग्रामीण क्षेत्र हैं जहाँ आप्प पायेंगे की पीरियड्स के दौरान मंदिर, रसोईघर यहाँ तक की शुरू के कुछ दिनों में तो छूने तक की मनाही होती है।

एक तरह से देखा जाया तो रीति रिवाजो को मानने वाले हमारे देश में मासिक धर्म अथवा माहवारी का यह समय लड़कियों के लिए शारीरिक रूप से तो कष्टकारी होता ही है, साथ ही मानसिक रूप से भी उन्हें कई तरह की बंदिशों का सामना करना पड़ता है।

हालाँकि जब समाज में महिला देखती है की हजारों सालों से आज भी यह प्रथा चली आ रही है तो वह भी उस प्रथा अथवा उन क्रियाओं को करने पर मजबूर हो जाती हैं जो आमतौर पर लोग करते दिखाई देते हैं। अन्यथा उसे समाज का विरोध झेलना पड़ता है।

यही नहीं इन बातों को वैध ठहराने पर थोड़ी रिसर्च करें तो पायेंगे मासिक धर्म की कहानियों के लिए भागवत पुराण का भी हवाला अक्सर दिया जाता है।

पीरियडस में 6 दिन पूजा पर विज्ञान की राय 

विज्ञान के नजरिये से देखें तो मंदिर या किसी भी पवित्र स्थल पर पीरियड्स में जाना वर्जित नहीं है, क्योंकी विज्ञान का काम है बाहरी विषयों की जांच पड़ताल करना, उनके अन्दर की सच्चाई लोगों को बताना।

हर वो वस्तु जो हमारे वातावरण में मौजूद है फिर चाहे वह छोटी सी सुई हो अथवा विशाल ब्रह्मांड, बाहर की सभी चीजों पर विज्ञान बात कर सकता है और सबूत के साथ आपको सच्चाई बतला सकता है।

लेकिन आपको करना क्या है विज्ञान ये नहीं बता सकता। उदाहरण के लिए विज्ञान ये बता देगा की जिस मंदिर में आप पूजा करने जा रहे हैं उसकी मूर्तियाँ और बनावट किस पदार्थ से हुई है? पर उसके पास ये अधिकार नहीं है की वो आपको पूजा करने के लिए बाध्य करे।

ठीक वैसे जैसे गाडी विज्ञान का अविष्कार है, पर क्या विज्ञान ये तय कर सकता है की किसे गाडी चलानी है, किसे नहीं? गाडी एक शराबी चलाए या एक होशियार आदमी। विज्ञान को कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

अतः संक्षेप में कहें तो मासिक धर्म के दौरान पूजा करनी है अथवा नहीं ये आपका व्यक्तिगत अधिकार है इस विषय पर विज्ञान आपको कोई सलाह देना पसंद नहीं करता।

पीरियडस में 6 दिन पूजा को लेकर आध्यात्मिक मत

अब हम समझेंगे की आखिर पीरियड्स अथवा मासिक धर्म को लेकर अध्यात्म क्या कहता है? पहली बात धर्म और अध्यात्म दोनों एक ही ही हैं, लेकिन चूँकि ज्यादातर लोग स्वयं को धार्मिक मानते हैं अध्यात्मिक नहीं।

इसलिए हमें समझना होगा की मासिक धर्म में पूजा को लेकर अध्यात्म क्या कहता है। देखिये अपनी समझ से इन्सान जिन्दगी में सही फैसले लेने का दूसरा नाम है अध्यात्म।

देखिये अध्यात्म की दृष्टि में पीरियड्स न तो अच्छे हैं और न बुरे इसलिए न तो अध्यात्म पूजा करने की मनाही करता है और न ही व्यक्ति पर जोर अजमाइश कर उसे पूजा करने के लिए बाध्य करता है।

अध्यात्म हालाँकि इतना जरुर कहता है की देखो जहाँ तक शरीर और मन्दिर में पूजा करने की बात है, तो आपको समझना पड़ेगा की मंदिर हम इसलिए जाते हैं ताकि हमारा मन साफ़ हो सके।

मन में दिन भर में जो गलत विचार चलते हैं उनके स्थान पर अच्छे विचार आ सके, हमारी जिन्दगी में शांति और प्रेम आ सके। संक्षेप में कहें तो मन को शुद्ध करने के उद्देश्य से ही मंदिर का निर्माण किया गया है।

अतः ये बात साफ़ हो जाती है की मन्दिर का हमारे शरीर से कोई लेना देना नहीं है, शरीर बीमार है तो उसके लिए अस्पताल बनाये गए हैं।

अध्यात्म इतना जरुर कहता है की जैसे आप किसी भी जगह जाते हैं तो साफ़ सफाई का थोडा ध्यान रखते हैं न।

उसी तरह जब आप मंदिर जैसे किसी पवित्र स्थान पर जा रहे हो तो सफाई का ध्यान देना जरूरी है।

पर ये सोचना बिलकुल गलत है की पीरियड्स में शरीर को साफ़ रखने के बाद भी मंदिर जाने से पाप लगता है, या भगवान नाराज हो जाते हैं।

कोई भगवान आप से नाराज नहीं होंगे, अगर आप साफ सफाई के साथ पीरियड्स के दिन भी मंदिर में जाते हैं।

अब सवाल आता है की पीरियड्स में भी अगर आपका मन मंदिर जाने को या भगवान को याद करने का करता है? तो क्या करें।

देखिये, भगवान मन में होते हैं और मन के लिए भगवान के आशीर्वाद बहुत जरूरी होता है, अन्यथा मन राक्षसी हो जाता है।

तो अगर आप चाहते हैं हर समय आपका मन भगवान के पास रहें, तो बिलकुल आप उन्हें याद कर सकते हैं, भले लोग आपको कहें की मंदिर नहीं जाना है, मासिक धर्म में।

आप बोलिए कोई बात नहीं, मंदिर को भले आप मुझे छूने नहीं देंगे लेकिन राम तो मेरे भीतर हैं, उनको कैसे भुलाने दोगे।

तो बस इस तरह भारत का कोई भी मन्दिर या घर का कोई भी सदस्य आपको भौतिक मन्दिर में जाने की इजाजत नहीं देता तो इस मामले में आप शायद कुछ नहीं कर सकते।

क्योंकी वे लोग जो मन्दिर के पुजारी हैं अथवा जिन्होंने भव्य मन्दिर का निर्माण किया है उनके हाथ में फैसला है की वे आपको प्रवेश देंगे की नहीं।

पर भगवान को मानने न मानने, उन्हें याद करने न करने का तो अधिकार आपके पास है न। तो निश्चिंत रहिये। इस विषय पर ये विडियो आपको जरुर देखना चाहिए।

पीरियडस में 6 दिन पूजा को लेकर अंतिम बात 

देखिये पीरियड्स अथवा मासिक धर्म में महिलाओं के लिए जितनी तरह की रोकटोक की जाती है, उसके पीछे का कारण बस इतना था की की उस समय आज की तरह नहाने के लिए महिलाओं के पास बाथरूम नहीं होते थे।

अतः महिलायें नहाने के लिए नदी में जाती थी, पर चूँकि मासिक धर्म में ब्लीडिंग के डर से कहीं नदी का शुद्ध जल दूषित न हो जाये इस कारण वो स्नान नही कर पाती थी अतः शरीर की सफाई न होने के कारण उन्हें मंदिर, किचन जैसी जगहों पर जाने की मनाही थी।

पर आज समय बदल गया है, आज शरीर की सफाई के लिए जल भी है, स्थान भी है तो हमें लगता है की महिलाओं को क्या करना चाहिए क्या नहीं ये उनका निजी अधिकार होना चाहिए।

ये तर्क देना की मासिक धर्म से दूषित महिला को मंदिर में या कहीं पर नहीं देना चाहिए कहाँ तक उचित है बताइए, हमने भी उसी माँ से जन्म लिया है।

दूसरी बात की ये बात अगर आपको लगता है धर्मग्रन्थों में लिखी है।

आपको डर है की कहीं हमने महिलाओं को यह कहा की शारीरिक सफाई के बाद तुम पूजा कर सकती हो तो कहीं भगवान नाराज न हो जाए।

अरे भाई। क्या आप आज सभी ग्रन्थों की लिखी बातों का पालन करते हैं, ग्रन्थों में तो ये भी लिखा है की लालच करना, झूठ बोलना बुरा है, तो क्या आज सभी लोग ईमानदार हैं।

ग्रन्थ और शास्त्र तो हजारों हैं जिनमें तरह तरह की बातें लिखी गई हैं, लेकिन हम कहते हैं की अगर आप वाकई ग्रन्थों का सम्मान करते हैं।

तो जिस तरह प्रत्येक धर्म की एक केन्द्रीय पुस्तक होती है उसी तरह हमारे धर्म की केन्द्रीय पुस्तक उपनिषद है।

और उपनिषदों को पढने पर आप पाएंगे की मासिक धर्म को लेकर जो बात लोगों के बीच प्रचलित है उसका धर्म से कुछ लेना देना नहीं।

पढ़ें: उपनिषद क्या है?

अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढने के बाद क्या पीरियड के 6 दिन पूजा कर सकते हैं, इस प्रश्न का सीधा और स्पष्ट जवाब आपको मिल गया होगा। अभी भी मन में कोई सवाल है तो 8512820608 whatsapp नम्बर पर सांझा करें, साथ ही लेख आपके लिए उपयोगी साबित हुआ है तो इसे शेयर भी कर दें।

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