अध्यात्म आज भी कई लोगों के लिए एक रहस्यमई शब्द है। कोई अध्यात्म को योगा और शांति से जोड़ता है तो कोई इसे खुद के बारे में जानने की विधि कहकर पुकारता है पर सरल और सीधे शब्दों में अध्यात्म का अर्थ क्या है? आज हम इस लेख में समझेंगे।

अध्यात्म की आवश्यकता जीवन में हर इंसान को पड़ती है, जी हाँ भले अध्यात्म आपको भोजन, वायु, जल इत्यादि नहीं दे सकता। पर हाँ आपके जीवन को आनंदमई बनाने में अध्यात्म विशेष भूमिका निभा सकता है! अध्यात्म आपको जीवन में कई सारे गलत फैसले लेने से बचाता है।
आखिर हम ऐसा क्यों कह रहे हैं यह आप तभी समझेंगे जब आपको इस लेख को ध्यानपूर्वक पढने के बाद अध्यात्म के विषय पर सही और सटीक जानकारी होगी। आइये जानते हैं।
अध्यात्म क्या है? अध्यात्म की परिभाषा
स्वयं को जानना ही अध्यात्म है, अर्थात मनुष्य द्वारा खुद के जीवन,विचारों का अवलोकन करना ही अध्यात्म का असली अर्थ है।
इंसान प्रति पल कुछ जानने की इच्छा रखता है, हमारी इन्द्रियां लगातार कुछ जानने की उत्सुक हैं, जैसे आँखें देखने के लिए, कान कुछ नया सुनने के लिए।
पर दुर्भाग्यवश इंसान बाहरी दुनिया के बारे में तो सब कुछ जानने का प्रयास करता है, लेकिन इस बीच वह खुद को नजरंदाज कर देता है।
वो इस विषय पर बात तो करेगा की सामने घर कितना सुन्दर है? पर इस घर को देखने वाला यानी मै कौन हूँ? वो जानने की जिज्ञासा नहीं करता।
अतः अध्यात्म हमें स्वयं को जानने की सीख देता है, ताकि व्यक्ति की आँखें खुल सके और वो पूर्ण सत्य को जान सके, आप कौन है? आपके जीने का क्या उद्देश्य है? ये संसार क्या है? शरीर और आत्मा क्या है? इन सभी बातों का जवाब अध्यात्म से ही प्राप्त होता है!
और अपने प्रश्न का उत्तर पाने के बाद हम जीवन में सही निर्णय ले पाए, यही अध्यात्म का असली मकसद है, इसलिए अध्यात्मिक होने के लिए बुढ़ापे का इंतजार करना जरूरी नहीं है। बल्कि जितनी जल्दी अध्यात्मिक शिक्षा मिल जाए, उतना बेहतर है।
हर वो इंसान जो सही जीवन जीना चाहता है, उसका अध्यात्मिक होना जरूरी है |
अध्यात्म का मूल उद्देश्य
आध्यात्मिकता का मूल उद्देश्य गहराई से स्वयं का अवलोकन करना है!
देखिये अपने दैनिक जीवन में हम अपने करीबियों, पड़ोसियों की हर खबर से वाकिफ रहते हैं, हम समाचार पढ़ते हैं, व्यापार, खेल, इत्यादि विभिन्न क्षेत्रों के बारे में थोडा बहुत जानते हैं, पर हम कभी भी पूरा नहीं जान पाते, अतः सही क्या है सत्य तक हम कभी पहुँच ही नहीं पाते।
पर अध्यात्मिकता हमें जिज्ञासु होने के लिए प्रेरित करती है, अध्यात्म हमें सिर्फ वस्तु को वस्तु की तरह देखने की सलाह नहीं देता, बल्कि उस वस्तु का निर्माण कैसे हुआ है?
उसके फायदे, नुकसान यही नहीं अध्यात्म आपको ये भी जानने के लिए कहता है की इसे देखने वाला कौन है? सिर्फ दृष्टि नहीं द्रष्टा यानि देखने वाले की भी बात करता है अध्यात्म।
इसी तरह जो इंसान इस संसार को जानना चाहता है, पहले उसे अपने मन को समझना होगा, क्योंकि मन ही है जिसको संसार में अलग अलग चीजें दिखाई दे रही हैं आकर्षित कर रही हैं, और इसी को आध्यात्मिकता कहते है।
जीवन में अध्यात्म क्यों जरूरी है?
अध्यात्म एक चिकित्सा है जो मनुष्य के मानसिक विकारों को दूर करके उसकी मनोस्तिथि को ठीक करने का कार्य करती है! जीवन में आत्मा को अभिव्यक्ति देने का दूसरा नाम अध्यात्म होता है! यह हमें सच्चा जीवन जीना सिखाता है।
देखिये इन्सान के दु:खों की मूल वजह है उसका अज्ञान, उसका झूठ जिसकी वजह से वह बार बार यह जानते हुए भी की गलत जीवन जी रहा है। वह उस स्तिथि से बाहर नहीं आना चाहता और फिर इसी कारण वह दुःख झेलता है।
पर जो व्यक्ति सच्चाई यानी आत्मा के केंद्र से जीवन जीता है उसे कुछ दुःख होगा नहीं, और ऐसे व्यक्ति को फिर न धर्म की जरूरत होती है और न ही अध्यात्म की,
पर चूँकि हमारा जीवन ऐसा होता नहीं हम एक गलत जीवन अपने अज्ञान के कारण इस समाज के, परिवार के कहने पर जी रहे होते हैं तो फिर इसी खराब जिन्दगी को सही दिशा में ले जाने के लिए अध्यात्म काम आता है।
अतः जिस किसी इंसान की जिन्दगी में दु:ख है, सूनापन है उसे अध्यात्म की आवश्यकता होती है। पर चूँकि माया का खेल ऐसा होता है जो किसी इंसान या चीज़ के जरिए कुछ देर के लिए उस सूनेपन को सुख से भर देती है फिर इंसान सोचता है सुख माया में ही है।
और यहीं पर गलती हो जाती है,क्योंकि माया जो भी हमें सुख देती है वो कुछ समय के लिए होता है और फिर वही निराशा हाथ आती है।
इसलिए जीवन में जो असीम आनंद चाहते हैं, जो उस सूनेपन को भरना चाहते हैं जिन्हें छोटे मोटे सुख नहीं बड़ा सुख चाहिए अध्यात्म उनके लिए जरूरी हो जाता है!
अन्यथा बाकी लोगों को इस धरती पर ही तमाम तरह के सुख मिल जायेंगे! लेकिन वो सुख होंगे थोड़ी देर के जैसे शराब पी ली, कोई चीज़ खरीद ली इत्यादि!
अध्यात्म के लाभ | अध्यात्म से व्यक्ति को क्या लाभ होता है?
चूँकि अध्यात्म हमें एक सही जीवन जीने के लिए तैयार करता है और एक सही जीवन जीने के कुछ प्रमुख फायदे निम्नलिखित हैं!
- सही और सच्चा जीवन जीने पर तनाव नहीं रहता, अतः आज के समय में जो लोग चिंताग्रस्त रहते हैं उन्हें जरुर अध्यात्म की तरफ बढ़ना चाहिए!
- सही जीवन का अर्थ है आप उचित कार्य का चुनाव करते हैं, आप यूं ही पैसे या कुछ पाने की खातिर कोई भी कार्य नहीं कर लेते हैं।
- जीवन में अध्यात्म होने का अर्थ है आप दुसरों के साथ बेहतर सम्बन्ध बना पाते हैं, इसलिए जो लोग रिश्तों में तमाम तरह की परेशानियाँ झेल रहे हैं उन्हें अध्यात्म की तरफ जरुर आना चाहिए।
- आध्यत्मिक व्यक्ति हृदय से केंदित होने के कारण अपनी शर्तों पर जीवन जीता है अतः बाहरी व्यक्ति का उस पर जोर नहीं चलता अतः उसका सर सिर्फ परमात्मा यानि सत्य के लिए झुकता है।
- अध्य्तामिक व्यक्ति चुनौतियों को सामना करने के लिए तैयार होता है! अतः उसे छोटे छोटे दुखों से घबराने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
- अध्यात्मिक होने पर इन्सान को खुश होने के लिए किसी वस्तु या व्यक्ति पर निर्भर नहीं होना पड़ता क्योंकि अध्यात्म उसे प्रेम करना सिखा देता है।
- अध्यात्म आपको पशु प्रेमी बना देता है, जीवों के प्रति प्रेम की भावना अगर मन में लानी हो तो अध्यात्म जीवन में होना ही चाहिए!
तो साथियों यह कुछ प्रमुख फायदे हैं अध्यात्मिक जीवन जीने के!
गीता के अनुसार अध्यात्म क्या है?
गीता के अनुसार आत्मा का बोध होना ही अध्यात्म है, और गीता में भगवान कृष्ण अर्जुन को सभी मनुष्यों के भौतिक शरीरों से दूर होकर भी उनके संपर्क में रहने वाली आत्मा का ज्ञान देकर अध्यात्मिक दृष्टिकोण प्रदान करते हैं।
गीता में श्री कृष्ण अर्जुन को इस संसार में मौजूद सभी जीवों और प्रणियों को एकसमान देखने पर बल देते हैं, चूँकि इस भौतिक शरीर के खत्म होने के पश्चात सिर्फ आत्मा शेष रहती है।
आत्मा न तो मरती है, न कभी जन्म लेती है अतः कृष्ण अर्जुन को युद्धस्थल पर मौजूद उनके गुरुजन, सगे सम्बन्धियों को एक शरीर की भांति नहीं अपितु आत्मा के प्रकाश की तरह देखने को कहते हैं।
प्रक्रति से जो परे है, अनश्वर है, सनातन है उस आत्मा को जानकार धर्म के लिए युद्ध करो! अर्जुन चूँकि उन्हें एक शरीर समझते हुए उन पापियों के विरुद्ध युद्ध न करने की चेष्टा कर रहा था।
लेकिन गीता के माध्यम से अर्जुन को आत्मज्ञान हुआ, उसे मालूम हुआ की धर्म क्या है, ये शरीर क्या है और आत्मा का अस्तित्व सदैव था और रहेगा।
इस आत्मज्ञान यानि आध्यात्मिक ज्ञान को पाकर अर्जुन में साहस आता है और फिर वह युद्ध करने के लिए खड़ा उठता है।
ज्ञान और अध्यात्म में क्या अंतर है?
ज्ञान जहाँ हमें किसी भी बाहरी ऑब्जेक्ट जैसे किसी वस्तु, व्यक्ति के विषय पर जानकारी प्राप्त करने पर मदद करता है वहीँ दूसरी तरफ अध्यात्म हमें अपनी आन्तरिक चेतना के बारे में जानने के लिए प्रेरित करता है।
ज्ञान अगर सूचना या जानकारी है तो इसे प्राप्त करने के लिए अध्यात्म का होना जरूरी नहीं है! पर खुद की मनोस्तिथि (मन का हाल) को समझने के लिए अध्यात्म होना आवश्यक है।
अध्यात्म ज्ञान का अर्थ?
खुद को जानने की राह में जब मनुष्य आगे बढ़ता है तो उसे अपनी चाहतों का, अपने दुखों का मूल कारण पता चलता है। साथ ही उसे अपनी समस्याओं के उपाय का समाधान भी मिलता है।
इसी को अध्यात्मिक ज्ञान कहते हैं जो इन्सान को उसकी सच्चाई बतलाकर उसे अपनी खराब स्तिथि से उठकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
कोई इंसान वास्तव में ज्ञानी है या नहीं ये परखना है तो उसके जीवन को देख लीजिये। अगर आप पाते हैं कोई इन्सान प्रेम, सत्य, मुक्ति की बातें बहुत करता है लेकिन जीवन में उसके लालच, व्यर्थ की इच्छाएं बहुत हैं तो समझ लीजिये वो ज्ञान उसके कोई काम नहीं आया है।
वो ज्ञान बस ऐसे ही है जैसे किसी छोटी कक्षा के बच्चे को 12वीं की गणित के किसी प्रश्न का फ़ॉर्मूला बता दिया जाए। तो क्या वह उसे हल कर पायेगा? नहीं, पर हाँ बच्चे में आत्मविश्वास जरुर आ जायेगा वो कहेगा मुझे math में सब आता है।
इसी तरह अगर अध्यात्मिक ज्ञान वास्तव में किसी व्यक्ति के काम आया है या नहीं ये देखना है तो उसके जीवन को देख लीजिये। अगर जिन्दगी में सरलता आ गई है, मन में प्रेम आया है, निडरता और छोटी छोटी बातों की उसने उपेक्षा करके अपना ध्यान किसी महत्वपूर्ण काम में लगा दिया है।
तो समझ लीजिये अध्यात्म ज्ञान आपके काम आया है।
आध्यात्मिक विकास क्या है?
किसी गुरु, किताब के समक्ष बैठकर अध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर लेने के बाद उस ज्ञान को जीवन में लागू करने के लिए चुनौतियाँ उठाना आध्यात्मिक विकास का सूचक होता है।
एक बार ये देख लिया की क्यों मैं जल्दी से क्रोधित हो जाता हूँ? क्यों मैं किसी के पैसों के आगे झुक जाता हूँ? क्यों लोगों से मुझे इतना दुःख मिलता है? तो अब बारी आती है जो समस्या की असली वजह है उसे खत्म करने की।
अगर आप पाते हो जीवन ऐसा हो गया है जिसमें लालच बहुत है, डर, बेचैनी बहुत है जिन्दगी में कोई ढंग का काम करने में मन विरोध करता है।
तो अपनी इन समस्याओं को हटाकर जिन्दगी में निडरता, प्रेम, शान्ति लाने हेतु किसी महत्वपूर्ण काम को करने के लिए छोटे छोटे कदम उठाने की प्रक्रिया आध्यात्मिक विकास के तौर पर जानी जाती है।
आध्यात्मिक विकास वास्तव में उन्हीं लोगों का हो पाता है जो अपनी स्तिथि को बदलने के थोडा साहस, हिम्मत दिखाते हैं, जो लोग जरा भी प्रयास नही करते उन्हें गुरु का ज्ञान तो मिल जाता है पर वो ज्ञान उनके कोई काम नहीं आता।
अध्यात्म में प्रेम क्या है?
अध्यात्म में प्रेम का सम्बन्ध नि:स्वार्थ प्रेम से है, बिना कुछ पाने की कामना किये बगैर किसी जीव, समाज की भलाई करना ही अध्यात्म है, अध्यात्म हमें विशुद्ध प्रेम करने की सीख देता है।
अतः आध्यात्मिक प्रेम बड़ा निर्भर, निराश्रित,और आनंदमयी होता है ऐसे प्रेम में बड़ी शक्ति होती है इसलिए आध्यत्मिक व्यक्ति को प्रेम से दूर करने का साहस नहीं होता! इसलिए अध्यात्म में प्रेम का विशेष महत्व है!
अध्यात्म की शुरुआत कैसे करें| आध्यात्मिक कैसे बने?
एक अध्यात्मिक जीवन जीने का सफर अपनी वास्तविक स्तिथि से रूबरू होने के बाद शुरू होता है। जो व्यक्ति यह जान जाता है की उसकी बेचैनी, समस्याओं की मूल वजह वह खुद है और साथ ही उसे समझ आ जाता है की इसी जीवन और इन्ही पुराने विचारों पर चलकर मेरा जीवन सही नहीं होगा।
तो फिर वह अध्यात्म की और आता है। अध्यात्म आपको फिर आपको अपनी अहम् वृत्तियों के बारे में, इस मन के संसार के साथ समबन्ध के बारे में पूरी सच्चाई खोलकर रख देता है।
तो अगर आप अपनी अध्यात्मिक यात्रा की शुरुवात करना चाहते हैं तो आपको एक आध्यात्मिक गुरु की आवश्यकता पड़ेगी।
वर्तमान में हजारों लोगो के जीवन में बेचैनी,अशांति को दूर कर उन्हें अध्यात्म की तरफ लाने में अद्वैत शिक्षक आचार्य प्रशांत बड़ी भूमिका निभा रहे हैं आप आज ही उनके Youtube चैनल पर विजिट कर सकते हैं।
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अंतिम शब्द
तो साथियों इस लेख को पढने के पश्चात अध्यात्म का अर्थ क्या है? क्यों अध्यात्मिक जीवन जीना चाहिए? अध्यात्म के फायदे इत्यादि अनेक बातें आपको इस लेख को पढ़कर आपने सीखी होंगी, हमें आशा है इस लेख से आपको अध्यात्म को जानने की नयी दृष्टि मिली होगी, जानकारी पसंद आई है तो कृपया इसे सांझा करना बिलकुल मत भूलियेगा!