मायके जाने का शुभ दिन कौन सा है? शुभ मुहूर्त ऐसे जानें

शादी के बाद हर विवाहित महिला मम्मी पापा के घर यानी मायके जाने के लिए बेहद खुश रहती हैं, ऐसे में मायके जाने का शुभ दिन कौन सा है? ये सवाल अक्सर उनके दिमाग में आता है।

मायके जाने का शुभ दिन

अतः आज हम इस प्रश्न पर विस्तार से चर्चा करेंगे ताकि आप शुभ दिन के मौके पर मायके जा सके। जैसा की आप जानते होंगे भारतीय समाज में मायके जाने को लेकर तमाम तरह की मान्यताएं हैं।

कोई कहता है फलाने दिन या वार मायके जाना अशुभ होता है, तो कोई कहता है अमुक दिन मायके जाने से जिन्दगी में सुख शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

अतः मायके जाने का शुभ दिन कौन सा है? ये जानने के लिए सबसे पहले सामजिक मान्यताओं के बारे में जानेंगे इसके साथ ही हम एक सीक्रेट सच आपके साथ शेयर करेंगे अतः आपसे निवेदन है लेख को अंत तक पढ़ें।

मायके जाने का शुभ दिन ऐसे जानें 

ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं के अनुसार मायके जाने के लिए शुक्रवार, शनिवार और बुधवार का दिन शुभ माना जाता है। कहा जाता है विवाहित महिला की कुंडली में शुक्र ग्रह का मजबूत होना बेहद जरूरी है।

चूँकि बुध और शनि दोनों का शुक्र ग्रह के साथ सम्बन्ध अच्छा होता है, अतः कई सारे पंडित और ज्योतिष मायके जाने के लिए इस दिन को शुभ मानते हैं।

हालाँकि जिन महिलाओं की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर है उन्हें बुधवार के दिन भी मायके जाने की अनुमति नहीं होती है।

हालाँकि समाज में हजारों वर्षों से चली आ रही इस मान्यता पर चलकर आज तक कितनों को लाभ हुआ है इस पर कोई भी स्पष्ट प्रमाण सामने नहीं आया है।

अतः हमारे हिसाब से सिर्फ पंचांग में लिखे वार या तारीख को देखकर आपको मायके जाने का फैसला नहीं लेना चाहिए। क्योंकी कई बार मायके में अचानक ऐसे काम पड़ जाते हैं जिन्हें करने के लिए वार या तिथि देखने का समय नहीं होता।

आपको बस सही समय पर मायके पहुंचना ही होता है, उदाहरण के लिए अगर मायके में किसी की तबियत खराब हो गई तो क्या आप समय या वार देखेंगे आपको आपातकालीन अवस्था में जाना ही पड़ेगा।

अब सवाल आता है की अगर ज्योतिष शास्त्र में बताई बातों के हिसाब से मायके जाने का निर्णय नहीं करना चाहिए तो फिर किस दिन को शुभ या अशुभ मानना चाहिए।

मायके जाने का शुभ दिन कैसे पता करें? जानें सच्चाई।

देखिये किसी इन्सान को कब क्या काम करना चाहिए उसका व्यक्तिगत अधिकार होना चाहिए। अतः एक विवाहित महिला कब मायके जाना चाहती है कब नहीं ये उसका फैसला होना चाहिए

क्योंकी हम नहीं जानते की, किसी इन्सान की परिस्तिथि कैसी है अतः उसे किसी भी तिथि की सलाह देना खतरनाक हो सकता है।

उदाहरण के लिए मायके में कोई बेहद शुभ दिन है किसी का जन्मदिन है या किसी ने परीक्षा में टॉप किया है अतः ऐसे मौके में आपको आमंत्रित किया गया है तो क्या आप ये सोचेंगे की नहीं आज तो मायके जाने का शुभ दिन नहीं है?

नहीं न, आप कहेंगे की अभी जो करना मेरे लिए ठीक है मैं वो करूँगी। इसी तरह अगर मायके में किसी के साथ दुर्घटना घट जाती है तो ऐसे में आप ये थोड़ी देखेंगी आप तो बस निकल पड़ेंगी।

तो इस हिसाब से देखा जाये तो जो लोग इन तिथि और वार पर भरोसा करते हैं उसका कोई फायदा नहीं।

जी हाँ, और इस बात को उदाहरण के साथ हमने ऊपर आपको साबित किया है। पर अब हो सकता है कई लोगों के मन में ये सवाल आ जाये की ज्योतिष के हिसाब से अगर हम नहीं चलेंगे।

तो इससे तो धर्म का अपमान हो जायेगा? भगवान हमसे कुपित हो जायेंगे तो ऐसे लोगों को सनातन धर्म क्या है? ये पोस्ट जरुर पढनी चाहिए। आइये जानते हैं

धर्म के अनुसार मायके जाने का शुभ दिन कौन सा है?

देखिये धर्म का एकमात्र उद्देश्य है इन्सान को उसके दुखों से मुक्ति देना। दूसरे शब्दों में कहें तो धर्म की आवश्यकता इसलिए है ताकि इन्सान गलत रास्ते पर चलकर होने वाले दुखों से बच कर एक सही जिन्दगी जी सके।

धर्म न तो आपको मायके जाने की बात कहता है और न ही आपको मायके जाने का विरोध करता है। धर्म कहता है जो करो होश में करो, समझदारी में करो।

पर अफ़सोस हम स्वयं को धार्मिक सिद्ध करने पर तुले रहते हैं पर हमें ये भी मालूम नहीं है की जिस तरह सिक्ख, बौद्ध, मुस्लिम सभी धर्मों की एक केन्द्रीय किताब होती है, जिसे वो पढ़ते हैं जिसमें लिखी बातों को मानते हैं।

उसी प्रकार हिन्दू धर्म की केन्द्रीय पुस्तक कौन सी है? हम न तो जानते और न ही पढ़ते। फिर आलम ये होता है की हमें धर्म के नाम पर कोई भी कुछ भी कहता है तो हम भगवान के नाम से डरकर उसे अपनाने लगते हैं।

उदाहरण के लिए कोई कहता है की मंगलवार के दिन नाखून काटने से बजरंगबलि कुपित हो जाते हैं तो बहुत से लोग यही सच मानकर इस दिन बाल या नाखून काटने से बचते हैं।

लेकिन यदि हमने हिन्दू धर्म की केन्द्रीय पुस्तक उपनिषद पढ़े होते या फिर उपनिषदों का सार कही जाने वाली पुस्तक श्रीमदभगवदगीता पढ़ी होती तो हमें मालूम होता की ये बात तो धर्म में कहीं नहीं लिखी है।

हालाँकि बहुत से लोग श्रीमद भगवद्गीता को हिन्दू धर्म की केन्द्रीय पुस्तक कहते हैं।

पर उनसे भी पूछो की जिन चीजों को मानते हो उनके बारे में कहीं गीता में लिखा है? तो वो चुप हो जाते हैं।

देखिये, हम जिन मान्यताओं को मानते हैं अमुक दिन ऐसा करो, इस दिन बाल मत काटो, नाखून मत काटो कही भी इन बातों का सम्बन्ध भगवदगीता से नहीं है।

भगवदगीता दुनिया के हर उस शख्स के लिए है जो एक अच्छी जिन्दगी जीना चाहता है, वहां पर कुछ मान्यताओं को मानने की या उनका विरोध करने की बात नहीं लिखी है।

पढ़ें: श्रीमदभागवत गीता में क्या लिखा है?

पर चूँकि हमने अपना सबसे मूल्यवान धार्मिक ग्रन्थ नहीं पढ़ा, अतः हम किसी भी बात को, बिना सोचे समझे किसी भी मान्यता का पालन करने लगते हैं और फिर कहते हैं हम तो धार्मिक हैं।

पर बताओ वो कैसा हिन्दू जिसे गीता से, कोई मतलब नहीं, जिसे कृष्ण से कोई प्रेम नहीं जिसे सिर्फ मतलब है सामजिक मान्यताओं से।

श्री कृष्ण बड़े हैं या फिर ये मान्यताएं? अब आप निर्धारित कर लीजिये। इसके बाद भी अगर मन में कोई सवाल बाकी है तो बेझिझक आप इस हेल्पलाइन नम्बर 8512820608 पर whatsapp कर सकते हैं।

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अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढने के बाद मायके जाने का शुभ दिन कौन सा है? इस बात का भली भाँती उत्तर मिल गया होगा। इस लेख को पढ़कर मन में कोई सवाल है तो कमेन्ट बॉक्स में बताएं साथ ही लेख पसंद आया हो तो इसे शेयर करना बिलकुल मत भूलियेगा।

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