सर्वसार उपनिषद आचार्य प्रशांत pdf : उपनिषद् भारत में भले ही घर-घर में लोकप्रियता न रखते हों, पर लोकप्रियता बहुधा श्रेष्ठता का मापदंड नहीं होती। उपनिषदों के दर्शन ने आदिकाल से ही भारत और पूरे विश्व में श्रेष्ठतम चिंतकों को प्रेरित किया है।
उपनिषदों के दर्शन और चरित्रों को हम अनगिनत भारतीय ग्रन्थों में पाते हैं। औपनिषदिक विचार के अवलंबन के बिना शायद ही कोई भारतीय ग्रंथ अस्तित्व में आ पाता। महाभारत में, विशेषकर भगवद्गीता में, रामायण में, पुराणों में, स्मृतियों में, मध्यकालीन संतवाणी में, और यहाँ तक कि वेदों से हटकर भी जो नास्तिक दर्शन हैं, उनमें भी उपनिषदों के विचारों को पाया जाता है।
उपनिषद् भारत में भले ही घर-घर में लोकप्रियता न रखते हों, पर लोकप्रियता बहुधा श्रेष्ठता का मापदंड नहीं होती। उपनिषदों के दर्शन ने आदिकाल से ही भारत और पूरे विश्व में श्रेष्ठतम चिंतकों को प्रेरित किया है।
उपनिषदों के दर्शन और चरित्रों को हम अनगिनत भारतीय ग्रन्थों में पाते हैं। औपनिषदिक विचार के अवलंबन के बिना शायद ही कोई भारतीय ग्रंथ अस्तित्व में आ पाता। महाभारत में, विशेषकर भगवद्गीता में, रामायण में, पुराणों में, स्मृतियों में, मध्यकालीन संतवाणी में, और यहाँ तक कि वेदों से हटकर भी जो नास्तिक दर्शन हैं, उनमें भी उपनिषदों के विचारों को पाया जाता है।
उपनिषदों से साझे सिद्धांत, कथाएँ, चरित्र व पात्र हमें बौद्ध और जैन ग्रन्थों में भी मिलते हैं। वहाँ पर भी आत्मा और कर्म आदि सिद्धांतों का प्रयोग किया जाता है; यद्यपि आत्मा और कर्म से जो उनका अर्थ है, आशय है, वो भिन्न हो सकता है।
विशेषकर महात्मा बुद्ध के दर्शन का आधार निश्चित रूप से उपनिषद् ही हैं। बुद्ध को तो निश्चित ही महानतम वेदान्तियों की श्रेणी में रखा जा सकता है।
इसके अलावा जो बहुत सारे भाष्यकार हैं जिन्होंने उपनिषदों पर बात करी है उनको देखकर पता चलता है कि भारतीय दर्शन के पूरे इतिहास पर ही उपनिषदों की कितनी गहरी छाप रही है। वेदान्त दर्शन सब भारतीय दर्शनों में समाविष्ट है, बल्कि सब भारतीय दर्शनों का मूल है।
पूरा उपनिषद् प्रश्नोत्तर के रूप में है, एक प्रश्नोत्तरी ही है ये पूरा उपनिषद्। बड़ा विशिष्ट उपनिषद् है। और हम सब, आप भी, मैं भी, बड़े सौभाग्यशाली हैं कि इस उपनिषद् श्रृंखला का आरंभ हम सर्वसार उपनिषद् से कर रहे हैं। इससे ज़्यादा साफ़, पवित्र, सटीक, संक्षिप्त, सर्वसारीय ग्रंथ मिलना बड़ा मुश्किल होगा।
और बिलकुल सही नाम है इसका, सर्वसार उपनिषद्; सब विद्या का सार इस उपनिषद् में मौजूद है। कुछ और आप ना पढ़ें, बस सर्वसार उपनिषद् पढ़ लें, और पढ़ने से मेरा अर्थ यह नहीं है कि आपने अक्षरों पर दृष्टिपात कर लिया, पढ़ने से मेरा मतलब है कि आपने उपनिषद् का गहराई से सेवन कर लिया, पठन, चिंतन, मनन, निदिध्यासन, सब कर लिया आपने, तो आप समाधिस्थ भी हो जाएँगे फिर।
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अंतिम शब्द
तो साथियों हमें पूर्ण आशा है सर्वसार उपनिषद आचार्य प्रशांत pdf को पढ़कर आप उपनिषदों की तरफ आकर जीवन में सच्चाई और आनंद लेकर आयेंगे। यदि आपके लिए यह पोस्ट फायदेमंद साबित हुआ है तो कृपया आचार्य जी द्वारा रचित सर्वसार उपनिषद के भाष्य pdf को अन्य लोगों के साथ भी अवश्य सांझा करें।