Chapter 10 | प्रेम बेहोशी का सम्बन्ध नहीं | Sambandh Book Summary

प्रेम बेहोशी का सम्बन्ध नहीं

कई बार जीवन में होता है की कोई व्यक्ति हमारे घर में या जीवन में आता है और कुछ समय उसके नजदीक रहकर हमें वो बहुत अच्छा लगने लगता है पर जैसे ही वो व्यक्ति जाने लगता है हमें बड़ा दुःख होता है। ( Chapter 10 प्रेम बेहोशी का सम्बन्ध नहीं) कई बार तो अगर … Read more

साथ हैं, क्योंकि प्रेम है, या आदत है? Chapter 9 Full Summary in Hindi

साथ हैं, क्योंकि प्रेम है, या आदत है

कई लोगों के लिए अकेलापन एक डरवाने सपने की तरह होता है, थोड़ी देर वो एकांत में रहें तो वो परेशान हो जाते हैं वो मोबाइल ढूंढते हैं, उठकर किसी से मिलने चल देते हैं! यह अवस्था अगर आपकी जिन्दगी में भी है तो आपकी स्तिथि कुछ अच्छी नहीं है। ( साथ हैं, क्योंकि प्रेम … Read more

प्रेम और विवाह | Chapter 8 | Sambandh Book Summary in Hindi

प्रेम और विवाह Chapter 8

हमें लगता है जिससे प्रेम है उसी से शादी भी होनी चाहिए? और शादी होगी तो आजीवन प्रेम रहेगा। और शायद यही सोचकर दुनिया में लोग शादी के बंधन मे बंधते हैं। ( प्रेम और विवाह Chapter 8 Summary) पर क्या वास्तव में जहाँ प्रेम है वहां विवाह होना जरूरी है? ऐसा क्यों है शादी … Read more

झूठा प्रेम | Chapter 7 | Sambandh Book Full Summary

झूठा प्रेम

आज सम्बन्ध नामक इस पुस्तक का सांतवा अध्याय हम आपके समक्ष लेकर आये हैं,जिसमें हमें पता चलता है सदियों से लोग जिस चीज़ को प्रेम कहते आये हैं वो वास्तव में प्रेम होता ही नहीं। ( झूठा प्रेम Chapter 7 Summary) प्रेम को कभी हम मोह समझ लेते हैं तो कभी आकर्षण और आचार्य जी … Read more

सम्बन्ध लाभ-आधारित, तो प्रेम रहित | अध्याय 6

सम्बन्ध लाभ-आधारित, तो प्रेम रहित

प्रेम को लेकर अनेकों बार आचार्य जी ने विस्तार से चर्चा की है, लेकिन इस अध्याय में हम समझेंगे न सिर्फ लोगों से बल्कि वस्तुओं से भी हमारा सम्बन्ध बहुत गलत होता है। ( सम्बन्ध लाभ-आधारित तो प्रेम रहित Chapter 6) जिस तरह लोग अपना मतलब साधने के लिए लोगों का इस्तेमाल करते हैं, उसी … Read more

मोह भय में मरे, प्रेम चिंता न करे| Chapter 5 Sambandh Book Summary i

मोह भय में मरे, प्रेम चिंता न करे

अक्सर हमें अपने परिवार के भविष्य की बड़ी चिंता सताती है, क्योंकि हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है हमारा परिवार! इसलिए परिवार से हमारी बड़ी उम्मीदें जुडी होती हैं। कई लोग तो अपने वर्तमान को छोड़कर भविष्य में जीना शुरू कर देते हैं ताकि जो परिवार की स्तिथि आज खराब है वो आने वाले समय … Read more

हमारे रक्त-रंजित सम्बन्ध | अध्याय 4 | Sambandh Book Summary

हमारे रक्त-रंजित सम्बन्ध

सम्बन्ध नामक इस पुस्तक के चौथे अध्याय में आचार्य जी समझाते हैं की आम लोगों का प्रेम कैसे रिश्तों में अपने फायदों के लिए किसी की जान भी ले लेता है। (हमारे रक्त-रंजित सम्बन्ध ~ Chapter 4 Summary) जी हाँ, हमारी रोजमर्रा की जिन्दगी में अधिकतर सम्बन्ध खून के प्यासे भी होते हैं, पर चूँकि … Read more

क्या मित्रता बेशर्त होती है? Chapter 3 | Sambandh Book Summary

क्या मित्रता बेशर्त होती है

क्या मित्रता बेशर्त होती है: हम जिससे दोस्ती करते हैं, उससे हमारी कुछ न कुछ आस भी जरुर बंधी होती है। चाहे उससे सुख की आस हो, सुरक्षा की या फिर कोई अन्य जरूरत हो। आप इस बात को अपनी जिन्दगी में या फिर अपने आस पास निभाई जाने वाली मित्रता में देख सकते हैं। … Read more

माँ- बाप समझते क्यों नहीं? Chapter 2| Sambandh Book Summary

माँ- बाप समझते क्यों नहीं

हम में से अधिकतर लोग कुछ नया, बेहतर करने के लिए कोई निर्णय लेते हैं लेकिन अधिकांश मामलों में देखा जाता है माता-पिता हमारे फैसले के विरोध में ही खड़े होते हैं। ( माँ- बाप समझते क्यों नहीं Chapter 2) बिना यह समझे बूझे की हमारी मंशा, उद्देश्य क्या है? वो सीधे नकार देते हैं। … Read more

सम्बन्ध क्या हैं? | sambandh Book Summary| Acharya Prashant

सम्बन्ध क्या हैं

समाज में रहने वाले हर व्यक्ति के अपने परिवार, दोस्तों या रिश्तेदारों से सम्बन्ध तो होते ही हैं, पर इन संबंधो की गुणवत्ता (क्वालिटी) कैसी होनी चाहिए? इसका चयन करना भी व्यक्ति के हाथों में ही होता है। ( सम्बन्ध क्या हैं Chapter 1 book summary) दुर्भाग्यवश हमारी नासमझी की वजह से आजकल हर दूसरा … Read more