शाम को शंख बजाना चाहिए या नहीं| जानें सच्चाई!

संध्या काल पूजा पाठ के लिए श्रेष्ठ समय होता है ऐसे में इस शुभ समय पर शाम को शंख बजाना चाहिए या नहीं ये सवाल बहुत सारे लोगों के मन में आता है।

शाम को शंख बजाना चाहिए या नहीं

देखिये देश के कई ऐसे राज्य हैं जहाँ पर शाम को मंदिरों में घंटियाँ और शंख बजाये जाने वाले शंख की गूंज से इन्सान का ध्यान भगवान की भक्ति की तरफ आकर्षित होता है।

मान्यता है शंकनाद करने से वातावरण में सभी तरह की बुरी शक्तियों का नाश होता है, इसलिए युद्ध से लेकर धर्म के क्षेत्र में शंक की भूमिका बेहद अहम रही है।

पर आज हम एक विशेष सवाल की चर्चा करने जा रहे हैं, जिसमें हम शाम को शंख बजाना चाहिए या फिर नहीं इस प्रश्न की जरा गहराई से चर्चा करेंगे।

इस विषय को अच्छे से समझने के लिए हमने धर्म, विज्ञान और मान्यता 3 अलग अलग मुद्दों पर चर्चा की है आइये अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं।

शाम को शंख बजाना चाहिए या नहीं| मान्यताओं के अनुसार  

पौराणिक मान्यताओं और कुछ प्रमुख विद्वानों की मानें तो शाम के समय शंख बजाना शुभ नहीं होता, दरअसल माना जाता है सूर्य अस्त होने के बाद सभी देवतागण विश्राम की स्तिथि में चले जाते हैं। अतः ऐसे समय में उनका नाम लेकर शंख बजाने से उनकी स्तिथि में खलल पड़ता है।

अतः बहुत से पंडित अथवा ज्ञानी लोग आपको कहते मिलेंगे की शाम को शंखनाद नहीं करना चाहिए।

हालाँकि जिन स्थानों में आज भी इस मान्यता के बारे में नहीं पता अथवा जो लोग इस मान्यता की परवाह नहीं करते वे ठीक सुबह और शाम दोनों समय पूजा के दौरान शंख बजाते हैं।

तो ये तो रही मान्यता जिसके विषय में हमने आपको बताया, कृपया कमेन्ट बॉक्स में बताएं आपके वहां शाम के समय शंख बजाया जाता है की नहीं। 

धर्म के अनुसार शाम को शंख बजाना चाहिए या नहीं?

देखिये मान्यता किसी भी धर्म का आधार नहीं होती, अर्थात धर्म आपको किसी चीज़ को मानने के लिए नहीं कहता धर्म आपको जानने के लिए कहता है। तो आइये जानते हैं सनातन धर्म इस मान्यता के बारे में क्या कहता है।

देखिये धर्म की स्थापना इन्सान को दुखों से मुक्ति देने के लिए की गई है, दूसरे शब्दों में कहें तो धर्म का एकमात्र मकसद लोगों का कल्याण होता है।

इसी वजह से धर्मग्रन्थों या शास्त्रों को इसलिए पढने के लिए कहा जाता है ताकि इन्सान के भीतर जो दुःख और बेचैनी है वो समाप्त हो और वो सही जिन्दगी जी सके।

तो यदि हम अपने केन्द्रीय ग्रन्थों को देखें तो चाहे उपनिषद हो या भगवदगीता दोनों में ही कहीं पर भी शाम को शंख बजाना चाहिए या फिर नहीं बजाना चाहिए इस तरह की कोई बात नही लिखी गई है।

तो ये कहना की धर्म हमें शंख को बजाने की सलाह देता है तो ऐसा नही है, धर्म तो एक ही बात कहता है की जो कर रहे हो क्या उस काम को करके दुःख से मुक्ति मिलेगी या फिर और दुःख में जिओगो।

अगर मुक्ति मिल रही तो शुभ है वो काम और अगर नहीं मिलती है तो नहीं है। अगर शंख बजाने से आपकी जिन्दगी में क्लेश मिटता है, आपको सुकून मिलता है तो बिलकुल शंख बजाइए धर्म को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता।

पर आमतौर पर ऐसा होता नहीं की शंख बजाने से हमारी तकलीफें मिट जाए, हमारी परेशानी का अक्सर कारण कुछ और होता है और हम उस कारण को जानते हुए भी उस परेशानी को ठीक नहीं करते।

उदाहरण के लिए किसी इन्सान के पास बहुत पैसा है, अब उसी पैसे के कारण वो अय्यासी में, गलत आदतों में डूबा है और एक गलत जिन्दगी जी रहा है।

तो बताइए क्या पैसा उसके लिए लाभदाई साबित हुआ नहीं न, पर अगर वो धर्म पर चलेगा तो उसके पास जो अधिक पैसा है उस पैसे का वह सही इस्तेमाल करेगा और एक सही जिन्दगी जियेगा।

पर बहुत से लोग ये बात जानते हुए भी की मेरा पैसा ही मेरी परेशानी बन चुका है, उस पैसे के साथ वो चिपक से जाते हैं, उस पैसे का मोह छोड़ने में उन्हें परेशानी होती है।

यही कारण है की वही पैसा उन्हें परेशान करता रहता है।

इस तरह हर इन्सान की जिन्दगी में कोई न कोई तकलीफ होती है और वो परेशानी का कारण जानता है पर अपने मोह,डर और कभी लालच के कारण उस परेशानी को छोड़ने को वह तैयार नहीं होता।

तो संक्षेप में कहें तो सच्चाई को जानना और सच्चाई में जीना ही इन्सान का धर्म है।

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शाम को शंख बजाने का वैज्ञानिक कारण 

ऊपर हमने जाना की धर्म शंख बजाने को लेकर क्या कहता है? जिसे पढ़कर हमें समझ में आया की लोग धर्म पर चलने की बजाय मान्यताओं पर चलना अधिक पसंद करते हैं।

अब सवाल आता है की आखिर इस विषय पर विज्ञान की क्या राय है? क्या शाम को शंख बजाने से वाकई इन्सान को किसी तरह का नुकसान होता है? क्या इस बात का कोई प्रमाण उपलब्ध है?

देखिये आज तक कोई ऐसी रिपोर्ट साबित नहीं आई है जो ये दावा कर सके की शाम को शंक बजाने से पर्यावरण की अथवा मनुष्य के स्वास्थ्य की हानि होती है।

अतः हम कह सकते हैं की इस बात का डॉक्टर अथवा वैज्ञानिक कोई भी समर्थन नहीं करता है।

शाम को शंख बजाना चाहिए या नहीं| अंतिम बात

देखिये उपरोक्त बातों को समझने के बाद हमें आशा है अब आप समझ गए होंगे की आप को क्या करना चाहिए क्या नहीं?

देखिये शंख बजाने से वाकई भगवान की भक्ति में आप लीन होते हैं, सच्चाई की राह में आगे बढ़ने की आपको प्रेरणा मिलती है तो बिलकुल आप शाम को शंख बजा सकते हैं किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं।

और जब कोई आपका विरोध करे तो आप उसे भी समझाने की कोशिश कर सकते हैं और बता सकते हैं सच्चाई क्या है?

इसके बावजूद कोई आपको ऐसा करने से मना करता है, या आपका विरोध करता है तो समझ लीजिये वो इन्सान नामसझ है और इसी नासमझी में जाना चाहता है।

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अंतिम शब्द  

तो साथियों इस लेख को पढने के बाद शाम को शंख बजाना चाहिए या नहीं अब आप भली भाँती समझ गये होंगे। इस लेख को पढ़कर मन में किसी तरह का सवाल बाकी है तो बेझिझक आप हमसे हमारे whatsapp हेल्पलाइन नम्बर 8512820608 पर सांझा कर सकते हैं, साथ ही लेख पसंद आया है तो इसे शेयर भी कर दें।

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