क्या स्त्री हवन कर सकती है? शास्त्रों में हकीकत जानें!

हिन्दू धर्म में महिलाओं को कुछ विशेष काम करने के लिए सख्त नियमों का पालन करना पड़ता है या कुछ काम तो पूरी तरह वर्जित हैं ऐसे में सवाल आता है की क्या स्त्री हवन कर सकती है? आइये सच्चाई देखते हैं।

क्या स्त्री को हवन करना चाहिए

इस प्रश्न का सही जवाब पाने के लिए हमें इस प्रश्न को 3 अलग अलग नजरिये से देखना होगा। पहले तो हम उन मान्यताओं को जानेंगे जो समाज में लोगों द्वारा कही जाती है और बहुधा स्त्रियाँ उन बातों को स्वीकार भी करती हैं।

दूसरा हमें जानना होगा की स्त्रियों के हवन करने को लेकर शास्त्र क्या कहते हैं। तीसरा क्या इस सवाल का कोई वैज्ञानिक आधार है? क्या ऐसा करने से उन्हें किसी तरह का शारीरिक या मानसिक नुकसान तो नहीं होगा?

तो इन तीनों दृष्टिकोण को देखने के बाद आपके दिमाग में स्त्रियों के हवन से जुडी बहुत सी फ़ालतू की बातें जिनका सच्चाई से कोई सम्बन्ध नहीं है, वो बातें दिमाग से निकल जायेंगी।

और इससे अंत में घर में जितनी भी स्त्रियाँ हैं उनके हित में आप सही फैसला ले सकेंगे। तो आइये शुरू करते हैं बस आपसे निवेदन है लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।

परम्परा के अनुसार क्या स्त्री हवन कर सकती है? 

देखिये हिन्दू धर्म में चली आ रही हजारों वर्षों की मान्यताओं के अनुसार स्त्रियों का हवन करना वर्जित है, हवन के दौरान उन्हें अपने पति के साथ बैठने की इजाजत अवश्य प्रदान की जाती है।

हालांकि इस मान्यता के पीछे का कारण और तर्क पूछने पर आप पाएंगे आपको कोई भी ठीक ठीक जवाब नहीं मिलता। पर एक बात जरुर है अकेली महिला हवन करते हुए नहीं पाई जाती।

और यदि कोई महिला बिना पति के हवन में सम्मिलित हो जाये तो इस बात को अपवित्र मानकर लोग इस स्त्री की अवमानना करते हैं और उसे गैर जिम्मेदार स्त्री का दर्जा देते हैं।

और न जाने कितने तरह की गलत बातें और दुर्व्यवहार का सामना उसे करना पड़ता है। हालाँकि वे लोग जो मान्यताओं पर नहीं चलते जो कहते हैं मैं मानूंगा नहीं बल्कि सत्य को जानूंगा।

ऐसे जिज्ञासु अपनी खोज में आगे बढ़ते हैं और वे कहते हैं हवन, पूजा पाठ जब धर्म से सम्बन्धित है। तो शास्त्रों में स्त्रियों के हवन को लेकर क्या लिखा हुआ है, वो जानने की कोशिश करते हैं?

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आइये जानते हैं उन्हें क्या जवाब मिलता है?

शास्त्रों के अनुसार क्या स्त्री हवन कर सकती है? 

शास्त्रों से आशय उस पुस्तक अथवा ग्रन्थ से है जो इन्सान को दुःख से शान्ति की तरफ ले जाए, चूँकि हम सभी अशांत, बेचैन होते हैं उसी अशांति को जो शान्ति की तरफ ले जाए उसे शास्त्र कहते हैं।

और सनातन धर्म के नाम पर यदि हम किसी परम्परा का या नियम का पालन कर रहे हैं तो हमें देखना होगा की शास्त्र में वो बात या परम्परा लिखी गई है या फिर नहीं। क्योंकि हो सकता है सुनी सुनाई बातों पर हम जी रहे हों।

ठीक है, तो क्या स्त्री हवन कर सकती है? या फिर नहीं कहीं पर भी ये बात शास्त्रों में लिखी है या नहीं ये जानने के लिए आपको समझना होगा की हिन्दू धर्म एक वैदिक धर्म है।

अर्थात हिन्दुओं के सबसे प्राचीनतम ग्रन्थ हैं वेद, और वेदों में हजारों श्लोकों का ज्ञान मौजूद है उस ज्ञान की एक शार्ट समरी है वेदांत, अर्थात कोई वेदांत जान ले, पढ़ ले तो उसे समझ में आ जायेगा आखिर सनातन धर्म क्या है? और ये क्या सिखाता है?

वेदांत के दो प्रमुख ग्रन्थ हैं उपनिषद और भगवदगीता और आपको जानकर हैरानी होगी की कहीं पर भी गीता में या उपनिषदों में स्त्री हवन से जुडी कोई बात नहीं लिखी है।

आप किसी भी प्रमुख उपनिषद को उठा लें या भगवदगीता के 700 श्लोकों में से किसी भी श्लोक को ले लें वहां पर कहीं भी स्त्रियों को हवन करने से नहीं रोका गया है।

और न ही वहां पर स्त्रियों के हवन को करने के लिए प्रेरित किया गया है। जो ये बात साफ़ साफ संदेश देती है की ये बात शास्त्र सम्मत नहीं है और इस बात को धार्मिक नहीं ठहराया जा सकता।

क्योंकि ये बात अगर लिखी होती तो हम सीधा सीधा आपको बताते की किस श्लोक में और किस शास्त्र में ये बात लिखी है।

पर चूँकि वेदांत ही सनातन धर्म है, और पूजनीय ग्रन्थ गीता और उपनिषदों में ये बात धार्मिक नहीं है, अतः इसे धर्म से जोड़ना बंद कर दें।

विज्ञान के अनुसार क्या स्त्री हवन कर सकती है?

अब वे लोग जो किसी भी चीज़ के पीछे तर्क या तथ्य देखते हैं जो कहते हैं कोई भी बात यूँ ही नहीं मानेंगे पहले देखेंगे उस विषय पर विज्ञान क्या कहता है?

क्या आज तक ऐसी कोई रिसर्च हुई है जो ये साबित कर सके की स्त्रियों के हवन करने से उनके स्वास्थ्य पर या वातावरण में किसी तरह का गलत प्रभाव पड़ता है?

तो पता चला ऐसी कोई भी बात वेरीफाई नही हुई है तो ये कहना की विज्ञान इस बात को मानता है तो ऐसा बिलकुल भी नहीं है।

विज्ञान को फर्क नहीं पड़ता कोई स्त्री हवन करे या पुरुष हवन करे। विज्ञान तो आपको ये भी नहीं बता सकता की हवन करके कोई लाभ होता है की नहीं।

क्या स्त्री हवन कर सकती है? अंतिम बात

स्त्रियों के हवन करने को लेकर शास्त्र विज्ञान और मान्यताएं क्या कहती हैं अब हम जान चुके हैं। इससे एक बात तो साफ है की स्त्रियों को हवन की मनाही करना ठीक बात नहीं है।

जिस तरह एक पुरुष यज्ञ हवन कर सकता है ठीक इसी प्रकार एक महिला के पास ये अधिकार होना चाहिए की वे किस देवता की पूजा, हवन इत्यादि करें।

इसके बावजूद अगर किसी मंदिर में या अपने ही घर, समाज में किसी स्त्री को इस कार्य के लिए रोका जाता है तो कोई जरूरत नहीं है स्त्री को ऐसी जगह पर जाने की।

देखिये हवन इस बात का प्रतीक है की इन्सान की जिन्दगी में जो कुछ भी सर्वश्रेष्ट मौजूद है, उसे वह किसी ऊँचे काम के सुपुर्द कर दे। तो हवन को महज एक कर्मकांड की तरह मत देखिये। हवन को ऐसे मत देखिये की साल में एक बार कर दिया।

हवन को इस तरह समझिये जैसे की हवन में जो घी, लड़की इत्यादि अर्पित की जाती है उसी तरह भगवान श्री कृष्ण कहते हैं की ये सम्पूर्ण जीवन ही यज्ञ है।

अपनी जिन्दगी को किसी बड़े, पवित्र काम में झोंक देना ही यज्ञ है। अतः इस बात को समझते हुए जो व्यक्ति जीवन में एक सही काम चुनता है और उस काम को डूबकर करता है उसका यज्ञ हवन सम्पन्न होता है।

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अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढने के बाद क्या स्त्री हवन कर सकती है? या नहीं अब आप यह भली भाँती जान गए होंगे। इस पोस्ट को पढ़कर मन में कोई भी सवाल है तो बेझिझक हेल्पलाइन Whatsapp नम्बर 8512820608 पर सांझा करें, साथ ही लेख को अधिक से अधिक शेयर करना न भूलें।

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