अकाल मृत्यु के बाद क्या होता है| सुनकर चौंक जायेंगे!

मृत्यु कभी भी आ सकती है, ये एक शाश्वत सत्य है, हालांकि इन्सान की अकारण मौत होना कई सारे सवाल खड़ा कर देती है, उन्हीं में से एक सवाल है ये भी है की आखिर अकाल मृत्यु के बाद क्या होता है?

अकाल मृयु के बाद बाद क्या होता है

इन्सान के लिए मृत्यु हमेशा से ही एक डरावना विषय रहा है, इस टॉपिक को सीक्रेट मानते हुए अधिकतर लोग इस बारे में कहकर बात भी नहीं करते हैं। पर आज हम सच्चाई की जड़ तक जायेंगे।

हम यूँ ही कोई हल्का जवाब देकर आपको संतुष्ट नहीं करेंगे। बल्कि शास्त्रों में मृत्यु के बाद आत्मा को लेकर क्या बात कही है? सीधे वो बात प्रमाण के रूप में आपके साथ शेयर करेंगे।

चूँकि बहुत से लोगों के मन में आत्मा से जुडी बहुत सी फ़ालतू की बातें भरी हुई हैं, अतः उस गंदगी को साफ़ करके जो पवित्र और सच्ची बात है वो आत्मा तक पहुंचाने के लिए मुझे आपके कुछ मिनट चाहिए होंगे।

आपसे निवेदन है शुरू से लेकर अंत तक लेख में बने रहें ताकि आप इस पूरी बात को समझ सके, इसके बाद अगर हमसे सवाल जवब करना है तो आप हमसे हेल्पलाइन whatsapp नम्बर 8512820608 पर सम्पर्क कर सकते हैं।

अकाल मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है| जानें सच्चाई

अचानक किसी दुर्घटना में या फिर किसी और कारण से व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो इससे व्यक्ति की आत्मा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। जी हाँ, यदि आपको लगता है शरीर के खत्म होने से आत्मा मृत शरीर से दूसरे शरीर में प्रवेश कर जाती है तो ऐसा नहीं है।

देखिये आत्मा व्यक्तिगत नहीं होती, आत्मा तेरी या मेरी नहीं होती। आत्मा का दूसरा नाम है सत्य, क्या सत्य किसी के भीतर होता है? क्या सच्चाई दो हो सकती हैं?

नहीं न इसलिए जिस प्रकार सत्य कभी जन्म नहीं ले सकता और न ही सत्य को मिटाया जा सकता है। उसी प्रकार आत्मा अजर है, अविनाशी है, वो अनंत है और जिसकी कोई सीमा न हो वो किसी छोटे से शरीर में फिट कैसे हो सकती है?

और ये बात हम यूँ ही नहीं कह रहे, स्वयं भगवान कृष्ण भगवदगीता में आपको बता रहे हैं आत्मा क्या है?

न जायते म्रियते वा कदाचि-

न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः ।

अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो-

न हन्यते हन्यमाने शरीरे ॥2.10॥

अनुवाद: आत्मा किसी काल में न तो जन्म लेती है और न मरती है। तथा न यह उत्पन्न होती है, यह अजन्मा, नित्य, सनातन और पुरातन है, शरीर के मारे जाने पर भी यह नहीं मारा जाता॥20॥

तो ये कहना की आत्मा शरीर के भीतर होती है? सच्चाई ये नहीं है, सच तो ये है की जिस प्रकार सत्य हर काल में, हर समय में मौजूद होता है उसी तरह आत्मा व्यक्ति के जन्म से पहले भी थी और उसके मरने के बाद भी होती है।

 

मरने के बाद आत्मा कैसे भटकती है? 

आज एक से बढ़कर एक ज्ञानी हैं जो कहते हैं की अच्छे काम करो ताकि मरने के बाद आपकी आत्म को शांति मिल सके, कुछ ऐसे भी हैं जो ये सिद्ध करने में लगे रहते हैं की मरने के बाद आत्मा उडती है।

पर अगर ऐसे लोगों ने जरा भी विज्ञान पढ़ा होता है, समझा होतातो उन्हें मालूम होता की हमारा शरीर कोशिकाओं से मिलकर बना है। इस शरीर में कहीं आत्मा जैसा कोई अंग नहीं है। शरीर के मर जाने से भला शरीर में से कैसे कुछ उपर उठेगा।

शरीर में ऐसी कोई अद्भुत एनर्जी नहीं है और होती तो स्वयं विज्ञान इस बात की पुष्टि करता।

आत्मा बहुत पवित्र शब्द है, और इस शब्द की गरिमा बनी रहे इसके लिए ऋषियों ने इसपर चुप्पी रखना ही उचित समझा।

सोचिये जब ऋषि स्वयं ये कह रहे हैं की आत्मा वो है आँखें जिसे देख नहीं सकती, मन जिसका विचार नहीं कर सकता। इन्दिर्याँ जिसका विचार नहीं कर सकती।

अर्थात सत्य के बारे में कुछ कल्पना नहीं की जा सकती। ऐसे में मैं कहूँ आपसे सत्य की तस्वीर बताओ? तो आप कहेंगे सच्चाई का तो कोई नाम, रंग, रूप, आकार नहीं होता।

वही सत्य तो आत्मा है। उसी सत्य का अनुकरण करने के लिए लिए हमें आत्मा शब्द दिया गया। पर हमने आत्मा के नाम पर बहुत सी कहानियां रच डाली।

अब आप ये तो जान गए हैं की आत्मा कह लो या सत्य कह लो दोनों एक ही हैं। और इनके नाम पर फ़ालतू की कहानियां सब गलत हैं अब हो सकता है ये सवाल आये की

मरने के बाद शरीर का क्या होता है? 

मरने के बाद शरीर ख़ाक हो जाना है तो अगर आपको लगता है की क्या मेरा पुनर्जन्म होगा? या फिर आत्मा मेरी कहाँ जाएगी।

तो देखिये आपको ये जन्म मिला है जिन्दगी को सार्थक करने के लिए कुछ ऐसा करने के लिए ताकि ये जन्म सफल हो जाये। अब यदि आप सोच रहे हैं एक बार मरने के बाद दोबारा मैं उसी रूप में कहीं जन्म लूँगा।

तो ऐसा नहीं है मिटटी से पैदा हुए हैं, मिटटी में ही मिल जायेंगे। किसी तरह का कोई पुनर्जन्म नहीं होगा। पुनर्जन्म माने दोबारा जन्म लेना, और वाकई प्रकृति में पुनर्जन्म होता है।

यहाँ इन्सान पैदा होते हैं, जवान होते हैं, बुजुर्ग अवस्था तक आते हैं और एक दिन मर जाते हैं। फिर एक प्राणी जन्म लेता है और इस तरह प्रकृति में यह चक्र चलता रहता है।

पर एक बात ध्यान रखना किसी व्यक्ति का पुनर्जन्म नहीं होता। आज मेरी उम्र है 50 साल और अगर मैं मर जाऊं तो दोबारा कहीं मेरा जन्म नहीं हो सकता।

मैं जन्म लूँगा पर कहीं एक नन्हे जीव के रूप में, एक नए बच्चे के रूप में, तो हम कह सकते हैं अहंकार का पुनर्जन्म होता है किसी एक व्यक्तिगत मनुष्य का नहीं।

अब सवाल आता है अगर पुनर्जन्म ही नहीं होता फिर एक इन्सान को सही कर्म करने की क्या जरूरत है? जब अगला जन्म उसका होगा ही नहीं तो देखिये अच्छे कर्म इसलिए नहीं करने हैं ताकि अगले जन्म में उनका लाभ मिल सके।

अच्छे कर्म करने हैं ताकि इसी जन्म में अच्छे कर्मों का लाभ मिल सके। अगर मैं आज किसी का भला कर रहा हूँ तो बताइए मेरे मन में सुकून आज होगा या अगले जन्म में अभी न।

इसी तरह अगर मैं आज चोरी कर रहा हूँ तो बताइए चोरी के कारण जो डर और शर्म का भाव भीतर होता है।

वो अगले जन्म में आएगा या इसी जन्म में। जाहिर है इसी जन्म में। पर हम ये बात समझते ही नहीं है।

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अंतिम शब्द

तो साथियों अकाल मृत्यु के बाद क्या होता है? क्या व्यक्ति का पुनर्जन्म होता है या नहीं? ये अब आप अच्छी तरह जान गए होंगे। देखिये व्यक्ति चाहे 20 की उम्र में मरे या 100 की उम्र में आत्मा पर उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

सच्चाई तो अजर है, अमर है उसके कौन मिटाएगा। तो ये परवाह करना बंद कर दीजिये की किसी की मृत्यु से उसकी आत्मा पर क्या असर पड़ेगा? सही काम करिए, सही जिन्दगी जियें इसी में आपका और सभी का कल्याण है।

तो साथियों इस लेख को पढने के बावजूद आत्मा के सम्बन्ध में मन में कोई सवाल बाकी है तो कमेन्ट बॉक्स में बताएं, साथ ही लेख को अधिक से अधिक शेयर भी कर दें।

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