अघोरी बाबा की घोर साधना को देखते हुए लोग उन्हें नमन करते हैं, वे लोग जो अघोरी की ताकत से वाकिफ रहते हैं वे उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास कर उनका आशीर्वाद पाने का प्रयास करते हैं।
हालाँकि लोगों के बीच अघोरी बाबाओं से जुडी कई ऐसी भ्रामक कहानियां भी फैली हुई हैं, जिनका वास्तव में सच्चाई से कोई लेना देना नहीं है जैसे की लोगों में ये मान्यता है की अघोरी बाबा मुर्दा लाश को जिन्दा करने की क्षमता रखते हैं।
या शमशान घाट में रहकर वे मुर्दों से बातचीत किया करते हैं। जी हाँ सुनने में ये बातें झूठ लगती हैं और हकीकत भी यही है की ऐसा नही होता है। पर इसका यह अर्थ कदापि नहीं की अघोरी बाबा की साधना में कोई दम नहीं होता।
वे जिस तरह जीते हैं, जिस तरह का आचरण करते हैं उससे उनकी ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है। अघोरी बाबा के जीवन को देखकर हम आम सांसारिक लोगों को भी काफी कुछ सीखने को मिलता है तो चलिए जानते हैं:
अघोरी की ताकत का अंदाजा उनकी इन 5 शक्तियों से लगाएं।
भारत में अघोरी देश के विभिन्न स्थानों पर पाए जाते हैं, कभी यह दूर कहीं हिमालय की चोटियों पर तो कभी गंगा के तट पर शरीर में राख लपेटे हुए धुनी जमाए हुए देखने को मिलेंगे। बहुत से लोग इन बाबाओं के रूप को देखकर ही डर जाते हैं।
वहीँ कुछ लोग इन्हें देखकर दूर से ही प्रणाम करते हैं, बहुत कम लोग उनके करीब जाते हैं, उनसे बात कर उनके जीवन को समझने का प्रयास करते हैं। हमने कुछ ऐसा ही किया है, आइये जानते हैं अघोरियों के जीवन के आधार पर उनकी विशेष ताकतों के बारे में।
#1. अघोरी घृणा मुक्त हो जाते हैं।
एक आम इंसान जिन चीजों को छी छी कहता है उन्हें अघोरी सरलतापूर्वक स्वीकार कर लेता है। आम लोग जहाँ जानवर या इन्सान के शवों से, मल मूत्र, धूल मिट्ठी को गंदा मानकर इन चीजों से दूर रहना पसंद करता है, वहीँ अघोरीयों को इन चीजों को अपनाने में किसी तरह की शर्म या झिझक नहीं होती।
लाश के ऊपर चढ़कर साधना करना, उनके साथ सम्भोग करना और शमशान में ही वास करके अघोरी ये संदेश देते हैं की मृत्यु और जीवन दोनों में कोई अंतर नहीं है। जहाँ सामान्य लोग जीवित व्यक्ति के साथ उठना बैठना घुलना मिलना पसंद करते हैं, और मरने पर उनके शरीर से आने वाली बदबू से खुद को दूर रहते हैं।
लेकिन अघोरी कहता है जीवन और मृत्यु में कोई भेद नहीं है, अतः हमें न तो जिन्दा इन्सान से कोई तकलीफ है और न ही मरने के बाद उसके मृत शरीर से। अघोरी मुर्दे लोगों का मांस सहज ही खा जाते हैं, उनकी मदद से साधना करते हैं यही नहीं जरूरत पड़ने पर अपना ही मूत्र जल के रूप में ग्रहण कर लेते हैं।
इन सब क्रियाओं को करके वो बताना चाहते हैं की संसार में कुछ भी अच्छा या घृणा के योग्य नहीं है। जहाँ आम सांसारिक व्यक्ति संसार को टुकड़ों में देखता है।
और हर चीज़ में भेद करता है वहीँ एक अघोरी प्रकृति के सभी तत्वों को एकसमान भाव से देखते हुए सहजता से जीवन जीता है और घृणा भाव से मुक्त हो जाता है।
#2. अघोरी की इन्द्रियां वश में रहती हैं।
एक आम सांसारिक व्यक्ति का मन हमेशा दुविधा में रहता है, कभी एक चीज़ पर तो कभी दूसरी चीज़ उसे लगातार अपनी तरफ आकर्षित करती है। कभी पैसे के पीछे तो कभी शारीरिक सुख के पीछे वो भागता रहता है और इन सब के बीच बहुत दुःख पाता है।
पर दूसरी तरफ अघोरी दुनियादारी की तमाम जिम्मेदारियों से मुक्त रहता है और जानता है आखिर उसकी मंजिल क्या है? उसका एकमात्र उद्देश्य शिव की भक्ति में लीन होना होता है। इसलिए शिव से दूजा वो संसार की किसी भी वस्तु या व्यक्ति पर ध्यान केन्द्रित नहीं करते।
हालाँकि अपना पेट भरने के लिए और साधना के लिए वो तमाम तरह की क्रियाएं कर सकते हैं, लेकिन इन सभी कामों को करते हुए वे याद रखते हैं की उनके कर्म किसको समर्पित हैं। वो शिव को ध्येय मानकर अनेक कर्म को करते दिखाई देते हैं।
उनके जीवन की यही विशेषता हमें सिखाती है की अगर शांति और सरलता के साथ जीवन जीना है तो हमें भी अघोरियों की भाँती अपने जीवन को किसी ऐसे सच्चे लक्ष्य को समर्पित करना चाहिए, जिसे करने से हम भी शिव यानि सत्य के करीब आ सके।
हालाँकि ये जरूरी नहीं है की हम भी अघोरी बन जाये और अघोरियों जैसा आचरण करें तभी हम शिव की भक्ति कर पाएंगे। याद रखें वे कर्म जिससे वाकई समाज का दुनिया का भला होता है, जिसे करने से आपके भीतर सच्चाई के लिए प्रेम उठता हो, जीवन में शांति आती हो ऐसा प्रत्येक कर्म तुम्हें शिव के करीब लाता है।
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#3. अघोरी सामाजिक मान्यताओं और नैतिकता से मुक्त जीते हैं।
एक सांसारिक गृहस्थ व्यक्ति जीवन में मजबूरी के नाम पर अनेक फ़ालतू के काम करता है। और सच्चे और सुन्दर काम से हमेशा यह कहकर दूर रहता है की मेरे पास समय नहीं है, उम्र नहीं है। इस तरह खुद को घिस घिसकर वह अपनी पूरी जिन्दगी बर्बाद कर देता है।
दूसरी तरफ अघोरी वो इन्सान हैं जो कहते हैं हमें न तो समाज से कोई लेना देना है और न ही तुम्हारी नैतिकता से। आम लोग जहाँ नैतिकता के रास्ते पर चलते हैं वे कुछ चीजों को अच्छा और कुछ को बुरा कहते हैं।
वे कहते हैं नौकरी करना और पत्नी की इच्छाएं पूरी करना अच्छी बात है। पर शराब पीना और गाली देना बुरी बात होती है। वहीँ एक अघोरी के ऊपर ये नैतिकता के बंधन टूट जाते हैं, वो कहते हैं हमारे लिए इस संसार में सब कुछ एक जैसा है हमारे लिए मीठा बोलना और कडवा बोलना दोनों एक जैसे ही हैं।
बस हम एक चीज़ की इज्जत और परवाह करते हैं वो हैं शिव की भक्ति। शिव वो हैं जो इस संसार से परे हैं।
उनकी भक्ति में लीन रहना हमारा एकमात्र कर्तव्य है। यही कारण है की अघोरियों का कर्म और जीने का तरीका एक सांसारिक व्यक्ति से बहुत भिन्न होता है।
#4. प्रचंड क्रोध के साथ मानवता के प्रति प्रेम।
शमशान में तो कभी वीरान जगहों में एकांत में पाए जाने वाले अघोरी भले समाज से दूर रहना पसंद करते हों लेकिन सांसारिक लोगों के प्रति उनके मन में कोई द्वेष की भावना नहीं होती।
बल्कि उनके भीतर मनुष्य का भला करने की ही भावना रहती है। यही वजह है की जब लोगों को किसी समस्या का समाधान कहीं से नहीं मिलता तो वे अघोरी बाबा के पास अपनी तकलीफें लेकर जाते हैं।
और चूँकि लोग नामसझ होते हैं अतः अघोरी आम लोगों की समस्या को समझकर सम्भावित उपाय भी बता देते हैं।
पर एक बात ध्यान रहें हमारे कहने का यह अर्थ नहीं की अपनी समस्याओं को अघोरी के पास लेकर जाएँ। जी नहीं, कहने का अर्थ अघोरियों को समझिये, उनके जीवन को जानिए। अगर जान गये की वो दुनिया से अलग क्यों जीते हैं? उनकी मंशा क्या है तो तुम अपनी समस्या का समाधान खुद कर लोगे।
वरना। बहुत से लोग नासमझ होते हैं जो होश में जीने की बजाय बेहोशी में जीना पसंद करते हैं, उनके जीवन में अघोरी विशेष काम नहीं आते।
खैर। नि:संदेह अघोरियों का मानवता के प्रति प्रेम है ही ये बात जगजाहिर है, लेकिन अगर कोई आम व्यक्ति उनकी साधना को भंग करने का प्रयास करता है तो कुपित होने पर वह भयंकर दंड देने की भी शक्ति रहते हैं।
और यही उनकी प्रमुख ताकत है।
#5. शिव के प्रेम में लीन होते हैं अघोरी।
अघोरियों को आम इन्सान की भाँती न मेडिकल इंश्योरेंस की चिंता होती है, न ही उन्हें अपने लिए बड़ा मकान, गाडी चाहिए। उन्हें तो बस एक ही चाहत है शिव की प्राप्ति। और इसी एकमात्र उद्देश्य के साथ जीने वाले व्यक्ति को फिर संसार की कोई भी वस्तु या विषय आकर्षित नहीं कर पाता।
आप जानते हैं एक आम सांसारिक व्यक्ति जो बस अपनी इच्छाओं और आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए खूब मेहनत करता है, वो फिर भी दुखी क्यों रहता है? क्योंकी उसके जीवन में कोई ऊँचा लक्ष्य नहीं है, उसकी जिन्दगी में ऐसा कुछ नहीं है जिसके प्रेम में वो अपना जीवन समर्पित कर सके।
अतः जब दिल में प्रेम नहीं होता तो फिर इन्सान संसार की छोटी छोटी चीजों में ही खुशियाँ ढूंढकर वो वह पाने की कोशिश करता है वो उसे कभी मिल ही नहीं सकता। हम सभी को चाहत है सत्य की, शिव की पर सोचते हैं कुछ खरीद कर, कोई रिश्ता बनाकर हम शिव को पा सकते हैं।
पर वास्तव में ऐसा कभी नहीं होने वाला।
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अंतिम शब्द
तो सथियों इस लेख को पढने के बाद अघोरी की ताकत अब आप भली भाँती जान गए होंगे। इस लेख को पढ़कर मन में कोई सवाल है या सुझाव है तो आप अपने सवालों को 8512820608 पर whatsapp कर सकते हैं। साथ ही लेख उपयोगी साबित हुआ है तो इसे शेयर भी कर दें।