मौन साधना: मौन में बड़ी ताकत होती है। ऋषि मुनि, ज्ञानीजन, महान विचारक जिन्होंने भी दुनिया के लिए कुछ बेहतर किया उन्होंने मौन की महत्वता को भली भाँती समझा। आइये जानें यह मौन साधना क्या है? कैसे करें? सीक्रेट आपके साथ सांझा करेंगे।
बचपन से ही किताबों में, शास्त्रों में हमें अनेक ऐसी कहानियां देखने को मिलती हैं जिसमें हम पाते हैं की ऋषि मुनि एकांत में मौन रहकर सालों तक तपस्या करते थे, जिसके फलस्वरूप उन्हें असाधारण शक्तियाँ प्राप्त होती थी।
मौन साधना का एक छोटा सा अंश वो मेडिटेशन (ध्यान) है जो लोग अक्सर प्रातः काल एकांत में बैठकर आँख बंद करते हैं। कुछ पल मौन अवस्था में रहने से मन को कितनी शान्ति मिलती है।
तो सोचिये जो इंसान इस विधि का उपाय लम्बे समय तक करता होगा उसको कितने चमत्कारी लाभ मिलेंगे। तो इस आशा के साथ की आप लेख में बताई गई एक एक बात को ध्यान से पढेंगे और फिर विचार करेंगे चलिए इस लेख की शुरुवात करते हैं।
मौन क्या है? जानें सच्चाई।
मौन का अर्थ है व्यर्थ की बातें बोलने से बचना। मौन होने का अर्थ चुप रहना नहीं होता।
हमारे मन में दिनभर हजारों विचार घूमते हैं और अधिकांश लोग उन विचारों पर विचार किये बिना उन्हें मुख से बोल देते हैं।
इसलिए आप पाते हैं जो इंसान अक्सर व्यर्थ की बातें करता है उसे कोई मूल्य नहीं देता।
अगर आप पायें कोई इंसान जो बहुत बोलता है पर हमेशा सच्चाई बोलता है तो समझ लीजिये वह मौन है।
मौन का अर्थ मुख बंद कर चुप रहना कदापि नहीं होता। मौन वास्तव में बेहद खूबसूरत चीज़ है, मौन में शब्द मन से नहीं सीधे आत्मा यानी सच्चाई से निकलते हैं।
बहुत घूम रहे हैं दुनिया में जो ज्यादा नहीं बोलते क्यों? क्योंकी पता है बोल दिया तो मेरी काली करतूतें बाहर आ जायेंगी, इसलिए वो मुख ही नहीं खोलते। ऐसे व्यक्ति को ज्ञानी या बुद्ध मत समझ लेना।
अगर मौन ही सबसे बड़ी चीज़ होती तो महाभारत के युद्ध में भगवान कृष्ण से हमें गीता प्राप्त नहीं होती। इसी प्रकार जितने भी समाज सुधारक हुए हैं, जितने भी महान ग्रन्थ रचे गए हैं उन्होंने मुख खोला तब जाकर दुनिया में कुछ बेहतर काम हुए।
तो जल्दी से उस इंसान को सम्मान मत देने लग जाइएगा जो दिनभर चुप रहता हो। न वास्तव में मौन आप उसी को मानना जो फालतू की बातों के स्थान पर मुख से सच्चाई बोलें।
मौन साधना क्या है?
जब मन और तन स्वेच्छा से अपना कार्य करते रहे और इन्सान अपने कर्म में लीन रहे, यही अवस्था मौन साधना कहलाती है।
देखिये, प्रायः हमारे मन में विचार चलते रहते हैं और कई बार यह विचार मनुष्य को इतने प्रभावित करते हैं की उसे अपना जरूरी काम छोड़ना पड़ता है।
विशेषकर पढ़ाई करते समय ऐसा अक्सर होता है की आप किसी विषय को पढने बैठें और मन में यहाँ वहां के ख्याल इतने आते हैं की आप फिर पुस्तक बंद करके कहीं निकल लेते हैं।
मन वाचाल है और ये लगातार बक बक करता रहता है और शरीर भी रोजाना कुछ चीजों की मांग करता रहता है जैसे भोजन, नींद और एक उम्र बात शारीरिक सुख इत्यादि।
अतः ज्ञानियों ने, ऋषियों ने कहा की तुम्हारी पहचान तन या मन नहीं है, अतः तन में कुछ हो या मन में कोई प्रभाव पड़े उसपर ध्यान मत दो, तुम अपना कर्तव्य करते रहो।
इसी को वास्तव में मौन साधना कहते हैं। मौन साधना का यह अर्थ तो बिलकुल नहीं की कहीं दूर एकांत में वटवृक्ष के नीच बैठकर भगवान का ध्यान करो।
नहीं। क्योंकी जन्म लिया है तो जाहिर है कर्म तो करने होंगे ही। तो मौन की साधना चुप रहकर कहीं बैठने से नहीं बल्कि तन मन की परवाह किये बिना सही कर्म में लीन रहना ही वास्तव में मौन साधना है।
अगर कोई इंसान जीवन में बिना रुके लगातार कोई ऐसा कर्म कर रहा हो जिससे समाज का, प्रकृति का कल्याण हो रहा है तो समझ लीजिये वो सच्चा साधक है और वह मौन की साधना कर रहा है।
जानें: मैं कौन हूँ?
मौन साधना कैसे करें?
मौन साधना करने के लिए पहाड़ों में जाने की या घर में चुपचाप रहने की बिलकुल आवश्यकता नहीं है। संसार में, समाज के बीचों बीच रहते हुए आप मौन साधना को सफल बना सकते हैं।
जो व्यक्ति समझ गया की संसार में सब कुछ मिथ्या है और मात्र सत्य ही सर्वदा है। उस इंसान के हृदय में सच्चाई के प्रति एक प्रेम होगा, अब वो कर्म भी ऐसे करेगा जिसमें उसका अपना स्वार्थ नहीं बल्कि वास्तव में दुनिया का भला होता हो।
तो अगर कोई इन्सान किसी सही लक्ष्य में डूबा हुआ है, भले उस काम में सफलता की सम्भावना बेहद कम है। इसके बावजूद वो उस काम को सच्चाई के खातिर कर रहा है तो जानियेगा वो मौन साधना कर रहा है।
वो इंसान आपको कभी खूब काम करते हुए तो कभी खूब बोलते हुए, कभी सोते हुए, कभी नाचते हुए भी दिख सकता है। अर्थात हर काम वो आम इन्सान की भाँती ही करता दिखाई देगा।
लेकिन भीतर से वो जानता है कर्म उसके स्वयं के लिए नहीं बल्कि सच्चाई के लिए है। अतः वो अपने काम या नौकरी का चयन इस आधार पर नहीं करेगा की उसे ये काम अच्छा लग रहा है या नहीं।
बल्कि आप देखेंगे काम अगर सही है तो वो अच्छा बुरा यानी तन या मन का विरोध करने पर भी उस काम को करना पसंद करेगा।
तो मौन साधना करने के लिए न तो आँख बंद करके भगवान को ध्यान करने की आवश्यकता है और न ही कोई मन्त्र जाप करना है।
सही जीवन जिएँ, फ़ालतू के कामों में, बातों में समय न गवाएं इसी से मौन की साधना होगी।
मौन रहना कैसे सीखें?
अगर आप वास्तव में मौन रहने का अभ्यास कर जिन्दगी में बदलाव चाहते हैं तो इसके लिए आपको निम्न बातों पर ध्यान रखना होगा।
- किन लोगों के साथ आप समय बिताते हैं?
- आप दिन भर क्या काम करते हैं?
- आप खाली समय में क्या करते हैं?
इन कुछ मूलभूत बातों पर आपने विचार कर लिया तो आप जान जायेंगे की जिन्दगी में शांति क्यों नहीं है? क्यों आपको इतने दुःख झेलने पड़ते हैं। और एक बार आपने जवाब जान लिया और फिर ईमानदारी से इस स्तिथि को ठीक करने का फैसला ले लिया।
तो आप समझ जायेंगे की जीवन में मौन रहने के लिए यानि फालतू की चीजों को छोड़कर ढंग का काम और सही जिन्दगी जीने के लिए अब आपको क्या करना चाहिए।
उन कामों की एक लिस्ट बनाइये जिससे आप बेहतर इन्सान हो सकते हैं? अब उस लिस्ट के अनुसार काम करने का अभ्यास करें। शुरू में कठिनाई आएगी। पर एक समय बाद आप पाएंगे जो इन्सान पहले बहुत बातूनी था, गंदी आदतों से परेशान था आज उसके रिश्ते, उसकी आदतें और उसका व्यवहार सब बदल गया है।
मौन की शक्ति
जीवन में मौन होना बेहद आवश्यक है। क्योंकी जो इन्सान वास्तव में मौन नहीं है वो भीतर से बेचैन और अशांत होता है। क्योंकि फालतू की बातें या फालतू के काम करने की आवश्यकता उसी को पड़ती है जो इन्सान अपनी जिन्दगी से संतुष्ट नहीं होता।
तो अगर आप देखते हैं की मन और मुख दोनों आपके अशांत हैं तो एक ही उपाय है मौन की शक्ति को समझना। जो इंसान जानता है मौन कितनी प्यारी चीज़ है फिर वो फ़ालतू के लोगों को, उनकी बातों को बिलकुल छोड़ देता है।
मौन में इतनी ताकत होती है की वो इन्सान को पहले जैसा नहीं रखता। जिस इंसान को शान्ति से, सच्चाई से, निडरता से प्रेम हो गया अब वो उन जगहों पर जायेगा ही नहीं जहाँ जाने से उसके भीतर का चैन हिल जाये, अब वो उन यार दोस्तों के साथ बैठेगा ही नहीं जिनके साथ होने से उसका मन खराब होता हो।
देखिये मौन हमारा स्वभाव है, क्योंकि मौन रहे बिना यानि सत्य के बिना हम सभी बेचैन और असंतुष्ट रहते हैं। अतः मौन ही हमें हमारे जीवन के नर्क से बाहर ले जाकर एक सही जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है।
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अंतिम शब्द
तो साथियों इस पोस्ट को पढने के बाद मौन साधना क्या है? कैसे करें? इस प्रश्न का सीधा उत्तर आपको इस लेख में मिल गया होगा। मौन साधना के सम्बन्ध में यदि मन में कोई सवाल है तो इस whatsapp नम्बर 8512820608 पर आप सांझा कर सकते हैं। साथ ही लेख उपयोगी साबित हुआ है तो इसे शेयर भी कर दें!