औरतों को शिवलिंग छूना चाहिए या नहीं? जानें सच्चाई!

भारत परम्पराओं और मान्यताओं वाला देश रहा है यहाँ हर स्थान, हर जगह की अपनी मान्यताएं हैं ऐसे में बहुत से लोग औरतों को शिवलिंग छूना चाहिए या नहीं? इस प्रश्न के उत्तर की तलाश में रहते हैं।

औरतों को शिवलिंग छूना चाहिए या नहीं

यूँ तो इन्टरनेट पर इस विषय पर ढेर सारी बातें देश की प्रमुख मीडिया साइट्स पर आपको पढने को मिल जाएँगी। लेकिन आज हम आपको सुनी सुनाई बातों तक नहीं बल्कि सच्चाई तक लेकर जायेंगे।

ताकि आपको प्रूफ के साथ ये बात मालूम हो जाये की किसी लड़की या विवाहित स्त्री के लिए शिवलिंग छूना ठीक है या फिर नहीं।

आपसे निवेदन है इस महत्वपूर्ण चर्चा में अंत तक हमारे साथ बने रहें ताकि आपको इस विषय पर दोबारा सर्चिंग की आवश्यकता न रहे और आप दूसरों तक भी सही बात पहुंचा सके।

मान्यता के अनुसार औरतों को शिवलिंग छूना चाहिए या नहीं?

सर्वप्रथम हिन्दू धर्म की मान्यताओं को देखें तो मालूम होता है की कुंवारी कन्याओं के लिए शिवलिंग को छूना निषेध है, ऐसे में लड़कियों को दूर से ही शिवलिंग को प्रणाम करने और भगवान का आशीर्वाद पा लेने की बात कही जाती है।

हालाँकि यही नियम उन सभी महिलाओं पर भी लागू होता है जिनकी शादी हो चुकी है। अतः संक्षेप में कहें तो हिन्दू धर्म की परम्पराओं के अनुसार औरतों का शिवलिंग को स्पर्श करना शुभ नहीं माना जाता है।

और जब इस परंपरा के पीछे मौजूद कारण को पूछा जाता है तो कहते हैं लड़कियों के शिवलिंग को छूने से भगवान शिव का ध्यान टूटता है और इससे माँ पार्वती और शिव दोनों नाखुश होते हैं।

अतः ऐसे में सलाह दी जाती है की सिर्फ पुरुषों को शिवलिंग को स्पर्श करने और उसकी पूजा करने की सलाह दी जाती है।

तो ये तो रही मान्यता, यानी की जिस बात को लोग मानते हैं। लेकिन आज हम आपको मानने को नहीं कहेंगे बल्कि जानने को कहेंगे तो आइये सबसे पहले जानते हैं की

शिवलिंग किस चीज़ का प्रतीक है? शिवलिंग का वास्तविक अर्थ 

देखिये लिंग का अर्थ होता है प्रतीक यानी एक इशारा। लिंग शरीर का कोई एक हिस्सा नहीं होता ये एक प्रतीक होता है ठीक वैसे जैसे पुरुष के योनांग को लिंग इसलिए कहा जाता है क्योंकि योनांग के आधार पर मालूम होता है की ये पुरुष है।

तो जब बात होती है शिवलिंग की तो शिव माने सत्य और लिंग माने प्रतीक इस तरह हम कह सकते हैं की शिवलिंग सच्चाई का प्रतीक होता है।

और ये बात शास्त्रों में लिखी गई है, अथर्ववेद को पढने पर मालूम होगा की वहां एक स्तंभ की बात कही गई है, स्तम्भ माने खम्भा।

यानी एक स्तम्भ है जिससे ये पूरी दुनिया टिकी हुई है उसी को सत्य, ब्रह्म कहा गया है और फिर वही आगे चलकर शिवलिंग बन गया।

तो संक्षेप में कहें तो शिवलिंग सत्य का सच्चाई का प्रतीक है। पर वे लोग जो शिवलिंग के बारे में अशोभनीय बातें करते हैं और तमाम तरह की बातें करते हैं उन्होंने शिव को समझा ही नहीं।

अगर आप शिवलिंग के पीछे के रहस्य को विस्तार से जानना चाहते हैं तो ये लेख

पढ़ें: जानिये शिवलिंग का रहस्य क्या है?

धर्म के अनुसार औरतों को शिवलिंग छूना चाहिए या नहीं

शिवलिंग का अर्थ समझने के बाद अब प्रश्न आता है की क्या शास्त्रों में शिवलिंग छूने को लेकर मनाही है या फिर नहीं।

देखिये वे लोग धर्म पर यकीन रखते हैं और जिनके लिए लोगों की सुनी हुई बातों से ज्यादा महत्वपूर्ण शास्त्रों में लिखी हुई बातें हैं, ऐसे लोगों को हम बता दें की धर्मग्रन्थों में औरतों को शिवलिंग छूने को लेकर कहीं भी मनाही नहीं की गई है।

जी हाँ और ये बात हम इतने विश्वास के साथ इसलिए कह रहे हैं क्योंकि सनातन धर्म की केन्द्रीय पुस्तक उपनिषदों में कहीं भी ये बात नहीं लिखी गई है।

देखिये जिस तरह हर धर्म का एक केन्द्रीय ग्रन्थ होता है जिसमें लिखी बातों को वे सर झुकाकर पालन करते हैं उदाहरण के लिए सिक्खों के लिए गुरुवाणी, मुसलमानों के लिए कुरान है।

उसी प्रकार सनातनियों की केन्द्रीय पुस्तक है उपनिषद और उपनिषदों में मौजूद ज्ञान का सार है भगवदगीता में।

तो हम कह सकते हैं उपनिषद और भगवद्गीता हमारे प्रमुख ग्रन्थ हैं। और इन्हें पढने पर हमें कहीं भी इस तरह की बातें लिखी नहीं दिखाई देती।

अतः हम कहते हैं की धर्म न तो शिवलिंग को छूने की बात कहता है और न ही उसे छूने को लेकर किसी तरह की मनाही करता है।

इसलिए हम इस बात को धार्मिक नहीं मानते। हो सकता है पुराणों में ये बात लिखी हो, पर आपको समझना होगा की वेद सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं और वेदों का वास्तविक ज्ञान मौजूद है उपनिषदों में।

पुराणों की रचना लोगों को धर्म का असली मकसद समझाने के लिए की गई थी, पर हमने जरूरी बात को समझने की बजाय फ़ालतू की मान्यताओं को ही धर्म समझ लिया।

लेकिन हम अंत में यही कहेंगे की कोई बात धार्मिक है या नहीं ये समझने के लिए हमें देखना होगा वो बात हमारे मुख्य ग्रन्थ उपनिषदों में लिखी है या नहीं। तभी हम उसे धार्मिक मानेंगे अन्यथा नहीं।

पढ़ें: सनातन धर्म क्या है?

विज्ञान के मुताबिक औरतों को शिवलिंग छूना चाहिए या नहीं?

तो हमने ये तो जान लिया है की धर्म इस बात को स्वीकार नहीं करता, अब सवाल आता है की क्या इस बात को लेकर कोई वैज्ञानिक तर्क भी सामने आया है?

क्या साइंस भी ये मानता है की लड़कियों के छूने से शिवलिंग पर कोई विशेष प्रभाव पड़ता है? तो देखिये इस प्रश्न पर हम आपसे यही कहना चाहेंगे की विज्ञान ने आज तक ऐसी कोई शोध नहीं की है जिससे ये बात 100% साबित हो सके।

तो ये कहना की विज्ञान भी ये बात मानता है तो ये कहना झूठ होगा। विज्ञान आपको ये बता सकता है की शिवलिंग की लम्बाई, चौड़ाई कितनी है और साथ ही विज्ञान आपको ये भी बता देगा की जो इन्सान उस शिवलिंग को पूज रहा है उसके शरीर की भी जानकारी विज्ञान दे देगा।

लेकिन विज्ञान आपको किसी चीज़ को मानने के लिए नहीं कहेगा। विज्ञान नहीं कहेगा की आपको शिवलिंग पर महिला के हाथ रखने से शिव जी नाराज हो जायेंगे।

अतः हम कह सकते हैं की विज्ञान इस बात का समर्थन नहीं करता है।

अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढने के बाद औरतों को शिवलिंग छूना चाहिए या नहीं? इस प्रश्न का सीधा और सटीक जवाब आपको मिल गया होगा? अभी भी मन में कोई सवाल है जो आप हमसे पूछना चाहते हैं तो बेझिझक आप इस हेल्पलाइन whatsapp नम्बर 8512820608 पर पूछ सकते हैं, साथ ही लेख को शेयर भी कर दें।

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