लैट्रिन बाथरूम किस दिशा में होना चाहिए? जानें सच्चाई!

कुछ चीजों का सही स्थान और दिशा में न होने का मतलब होता है इन्सान की जिन्दगी में मुसीबतों का आना। जी हाँ ये बात हम नहीं कह रहे हैं बल्कि स्वयं वास्तु शास्त्र कहता है आइये जानें घर में लैट्रिन बाथरूम किस दिशा में होना चाहिए?

लैट्रिन बाथरूम किस दिशा में होना चाहिए

देखिये इन्सान की जिन्दगी में सुख दुःख आते रहते हैं, अक्सर जब भी कोई दुःख आता है तो इन्सान के भीतर डर और शक की भावना आती है। उसे साफ़ साफ़ नहीं पता होता उसे क्या करना चाहिए?

ऐसे में कई बार लोग किसी प्रसिद्ध ज्योतिष या पंडित के पास जाकर अपनी परेशानी का समाधान मांगते हैं, ऐसे में उन्हें मालूम होता है की जीवन में धन की कमी, अशांति इत्यादि जो समस्याएं हैं उसका कोई और कारण नही बल्कि घर के बाथरूम का सही दिशा में न होना है।

अब यदि आपको भी ऐसा लग रहा है की मेरे घर की लैट्रिन बाथरूम की दिशा ठीक न होने कारण मुझे व्यर्थ की तकलीफें झेलनी पड़ रही हैं तो आज का यह लेख आपकी जिन्दगी बदल सकता है।

Disclaimer

इस लेख में दी गई जानकारी आपके लिए नयी अथवा अनूठी हो सकती है, आपसे निवेदन है समस्या का समाधान पाने हेतु इस लेख को अंत तक जरुर पढ़ें।

वास्तु शास्त्र के अनुसार लैट्रिन बाथरूम किस दिशा में होना चाहिए?

वास्तु शास्त्र के ज्ञाताओं के अनुसार शौचालय का निर्माण हमेशा उत्तर या उत्तर पश्चिम दिशा में होना चाहिए। अतः घर के निर्माण में हमेशा शौचालय की दिशा और बनावट पर विशेष ध्यान रखना चाहिए।

मान्यता है वास्तु के मुताबिक़ बनाये गए शौचालय से घर में नकरात्मक उर्जा का वास नहीं होता है, जिससे घर में अकारण आर्थिक संकट आने और धन की कमी होने जैसी समस्या नहीं आती और घर में सभी का स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

अतः जब भी कोई व्यक्ति घर बनाने की प्रक्रिया आरम्भ करता है उसे शौचालय बनाने के लिए इन वास्तु टिप्स का पालन करने की सलाह दी जाती है।

#1. मान्यता है उत्तर अथवा उत्तर पश्चिम दिशा कचरे को फेंकने या संग्रहित करने के लिए बेहतरीन जगह होती है अतः मल त्याग के लिए बाथरूम की यह दिशा सबसे उत्तम मानी जाती है।

#2. बाथरूम के कारण घर में आने वाली किसी भी नेगेटिव उर्जा से बचने के लिए शौचालय का दरवाजा लकड़ी से निर्मित बनाना चाहिए।

#3. चूँकि सभी धार्मिक कार्य पूर्व दिशा की तरफ होते हैं अतः इस दिशा में भूलकर भी शौचालय (लैट्रिन बाथरूम) नहीं बनाना चाहिए।

#4. वास्तु शास्त्र के अनुसार कभी भी टॉयलेट शीट को घर के माध्यम भाग में न लगायें, बाथरूम या तो शुरू में या अंत में बनाना श्रेष्ट माना जाता है।

#5. ये भी माना जाता है की टॉयलेट और बाथरूम का शावर दोनों एक स्थान पर नहीं होने चाहिए।

तो ये तो रही वास्तु शास्त्र से जुडी प्रमुख मान्यताएं हालाँकि अगर आप टॉयलेट को लेकर वास्तु शास्त्र के नियमों को और विस्तार में पढना चाहते हैं तो आप यहाँ से इस पीडीऍफ़ को पढ़ सकते हैं।

बहरहाल यहाँ ये सच्चाई भी जानना जरूरी है की बहुत से लोग वास्तु शास्त्र में लिखित इन नियमों का पालन नहीं करते, वे सीधा अपनी पसंद के अनुसार टॉयलेट का निर्माण करना पसंद करते हैं।

तो ऐसी स्तिथि में यदि आप बाथरूम बनवा चुके हैं या बनवाने की सोच रहे हैं तो आपको क्या करना चाहिए? इस बात का सही फैलसा लेने के लिए आपको इसी बात को वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों नजरिये से देखना होगा।

विज्ञान के अनुसार लैट्रिन बाथरूम किस दिशा में होना चाहिए? 

देखिये विज्ञान किसी भी तरह की मान्यता अथवा वास्तु शास्त्र में लिखित बातों का समर्थन नहीं करता है।

विज्ञान का काम है इस संसार में मौजूद विभिन्न वस्तुओं, विषयों की जांच पड़ताल कर उनके बारे में जानकारी देना।

विज्ञान इन्सान के शरीर से लेकर किसी भी निर्जीव वस्तु जैसे सुई के बारे में तुरंत पूरी जानकारी सामने ले आता है।

विज्ञान नए नए आविष्कार कर सकता है परन्तु उन आविष्कारों का इस्तेमाल कैसे करना है? और किसको और कब करना है ये विज्ञान नहीं बता सकता।

विज्ञान नयी नयी बेहतरीन सुविधाओं से लैस टॉयलेट शीट बना सकता है पर उस टॉयलेट का उपयोग कैसे करना है ये अधिकार वो इन्सान को देता है।

विज्ञान को इस बात से फर्क नहीं पड़ता की आप टॉयलेट को किसी भी दिशा में बनाएं, आप चाहें तो टॉयलेट ही न बनवाएं इस बात से साइंस को कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

तो अगर हम short में समझें तो विज्ञान वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन नहीं करता।

धर्म के अनुसार लैट्रिन बाथरूम किस दिशा में होना चाहिए?

हम सभी का धर्म पर गहरा विश्वास होता है, हो भी क्यों न क्योंकी धर्म पर चलकर ही हम एक बेहतर जिन्दगी जी सकते हैं।

देखिये ये समझने के लिए की धर्म वास्तु शास्त्र में लिखी हुई बातों पर यकीन करता है या नहीं। ये जानने के लिए हमें समझना पड़ेगा आखिर धर्म की स्थापना क्यों की जाती है?

देखिये धर्म का मकसद होता है इन्सान को दुखों से मुक्ति देना। ताकि उसकी जिन्दगी में शांति और सच्चाई के प्रति प्रेम बढ़ सके।

चूँकि दुःख तो सभी की जिन्दगी में होता है, कभी नासमझी के कारण तो कभी जानबूझकर हम जिन्दगी में ऐसे फैसले लेते हैं जिससे की हमारी जिन्दगी में दुःख आता है।

अतः धर्म हमें कहता है की प्रत्येक वह काम जिसे करने से आपको जिन्दगी में दुःख से आजादी मिले, वो काम करना आपका शुभ है।

और हर वह काम जो हमें और ज्यादा दुःख में डुबो दे, पहले से ज्यादा आपके चित्त को परेशान करता है जान लीजियेगा वो काम बुरा है, अशुभ है।

तो इसी बात को यदि हम लैट्रिन बाथरुम के परिपेक्ष्य में देखें तो देखिये बाथरूम उस दिशा में लगाइए जहाँ से आपको किसी तरह की परेशानी न हो।

उदाहरण के लिए आपका घर छोटा है तो उस दिशा में या स्थान पर टॉयलेट बनाइए जहाँ से आपको घर में स्पेस की कमी न हो और आप आसानी से रह सकें।

पर ये बात लोगों के समझ में ही नहीं आती वे कहते हैं की धर्म ही तो हमें बताता है न की क्या करें क्या न करें।

देखिये हिन्दू धर्म के सर्वोच्च धर्मग्रन्थ भगवदगीता और उपनिषद हैं, और उन्हें जो पढ़ लेता है उसे समझ आ जाता है की धर्म हमें न तो किसी चीज़ को करने की सलाह देता है और न ही बंदिश।

धर्म तो सिर्फ हमें ये बताता है की एक ही जिन्दगी है उसे ढंग से जियो ताकि दुःख से बच सको और एक अच्छा जीवन जीते हुए मर सको।

गीता में भी भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को धर्म के लिए युद्ध करने की सीख दे रहे हैं न, क्योंकि उस समय लड़ाई करना ही उसका धर्म था।

अतः जिस समय जो काम करना श्रेष्ट है उस काम को करना ही धर्म है।

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तो साथियों संक्षेप में कहें तो बाथरूम की दिशा या दशा कैसी होनी चाहिए? इस बात का कोई धार्मिक महत्व नहीं है।

अगर फिर भी आप इस बात के पीछे जबरदस्ती धार्मिक महत्व खोजेंगे तो ये वही वाली बात होगी जैसे कोई कहे कंप्यूटर चलाने का धार्मिक महत्व होता है? अरे भाई कम्प्यूटर एक मशीन है, धर्म तुम्हें उसे चलाने या न चलाने की बात नहीं कहेगा।

धर्म का सम्बन्ध आपसे है तो धर्म आपको यही कहेगा की अगर कंप्यूटर चलाने से आपकी तकलीफें मिटती हैं तो कंप्यूटर चलाइये अन्यथा मत चलाइये।

लैट्रिन बाथरूम किस दिशा में होना चाहिए| अंतिम बात

देखिये अब तक हम वास्तु शास्त्र, धर्म और विज्ञान तीन अलग अलग नजरिये से बाथरूम की दिशा या दशा कैसी होनी चाहिए ये जान चुके हैं।

अब अंत में यदि आप हमसे पूछें की आपको क्या करना चाहिए तो देखिये हम आपको अंतिम बात यही कहेंगे की जिस दिशा में टॉयलेट बनाना आपको ठीक लग रहा है उस दिशा में बना लीजिये।

इसमें इतना सोचने की बात नहीं है, ठीक वैसे जैसे आपने घर में टीवी कहाँ रखना चाहिए इस बारे में ज्यादा सोचा था नहीं न आपको लगा ये जगह ठीक है तो आपने रख दिया।

ठीक इसी तरह आप लैट्रिन बाथरूम को भी उसी दिशा में बना लीजिये जहाँ पर रखना ठीक है, और यदि पहले से ही बन चुका है तो कोई बात नहीं उसे बने रहने दीजिये।

उसे तोड़कर पंडित जी के बताये गए नियमों के अनुसार बनाना समझदारी का तो काम नहीं है, क्योंकि आज आपको लगता है घर की समस्या तो बाथरूम की वजह से हो रही है।

कल आप बाथरूम ठीक कर देंगे तो कोई और नयी परेशानी आएगी और आपको लगेगा अब किचन में कमी है, या घर की दिशा ठीक नहीं है।

तो इस तरह आप लगातार परेशान होते रहेंगे। लेकिन इसकी बजाय आप सीधा प्रॉब्लम को समझकर उसका उपाय करेंगे तो परेशानी से आपको मुक्ति मिल सकती है।

उदाहरण के लिए अगर लग रहा है की घर में धन की कमी है तो समस्या का समाधान इसमें नहीं है की आप किचन की दिशा को बदलें, समाधान यही है की आप मेहनत करें और पैसे कमायें ताकि आपको परेशानी से मुक्ति मिले।

पर हम एक तरह के अन्धविश्वास में जीते हैं हमें लगता है हम तो ठीक हैं संसार गलत है, यहां की चीजों में ही कुछ गडबड है इसलिए तो हम दुखी हो रहे हैं।

जी नहीं, कोई भी वस्तु में कमी नहीं होती उस वस्तु को देखने वाले इन्सान की नजर में कमी होती है।

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अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढने के बाद लैट्रिन बाथरूम किस दिशा में होना चाहिए? इस प्रश्न का पूर्ण उत्तर आपको मिल गया होगा। अभी भी मन में कोई सवाल बाकी है तो बेझिझक आप हेल्पलाइन नम्बर 8512820608 पर whatsapp करें, साथ ही यह लेख पसंद आया हो तो इसे शेयर भी जरुर कर दें।

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