कोई कहता है अर्धरात्रि में दिखाई देने वाले स्वप्न सच्चे होते हैं तो किसी का मानना है की सुबह और दोपहर में दिखाई देने वाले सपनों में सच्चाई होती है। ऐसे में इन्सान उलझन में पड़ जाता है की आखिर कौन से सपने सच होते हैं?
देखिये इस सवाल का सटीक जवाब पता होना इसलिए भी बेहद जरूरी हो जाता है क्योंकी कई लोग बुरे सपने आने पर भयभीत हो जाते हैं, रात में देखा हुआ कोई गंदा सपना पूरा दिन उनका मूड ऑफ करके रख देता है।
तो साथियों इस उद्देश्य के साथ की लोगों की चिंताएं कम हो, उनके जीवन में सच्चाई और शांति आये इस लेख में हमने सपनों की हकीकत का पर्दाफास किया है आपसे निवेदन है लेख को अंत तक जरुर पढ़ें।
शास्त्रों के अनुसार कौन से सपने सच होते हैं?
इंसानी सपने हमेशा से ही चर्चा का विषय रहे हैं, आलम ये रहा है की सपनों से जुड़े एक सम्पूर्ण शास्त्र की रचना की गई जिसे स्वप्न शास्त्र कहा गया है।
इस शास्त्र में इन्सान को सपने में दिखाई देने वाले प्रत्येक दृश्य का अर्थ बताया गया है।
इसके अलावा हम पुराणों को भी पढ़ें तो वहां भी सपनों के विभिन्न अर्थों से जुडी कहानियां हमें देखने को मिलती हैं, कई बार हम ये भी सुनते हैं की रामायण, महाभारत जैसी घटनाओं के पीछे सपनों का महत्व बेहद अधिक था।
तो पौराणिक कहानियों और सपनों से संबंधित जितने शास्त्र हैं उन्हें पढने पर आप पाएंगे वहां सपनों से जुडी कई तरह की बातें लिखी गई हैं, जैसे स्वप्न शास्त्र में सुबह, दोपहर, शाम और आधी रात में देखे गए सपनों को हकीकत माना गया है।
साथ ही बता दें स्वप्न शास्त्र में कोई सपना शुभ है या नहीं ये जिक्र भी किया गया है।
तो संक्षेप में कहें तो अगर आप सपनों पर आधारित शास्त्रों पर गहरा विश्वास रखते हैं तो आपको यदि सुबह के समय अथवा दोपहर या अर्धरात्रि में कोई सपना दिखाई देता है तो आप उस सपने को हकीकत मान लेंगे।
पर यदि आपके पास जीवन को देखने का वैज्ञानिक नजरिया है आप कहते हैं मैं किसी भी बात को यूँ ही नहीं मान लेता, मैं पहले किसी भी वस्तु या विषय को जाचुंगा, परखूंगा तब उसे सच मानूंगा।
तो हम आपसे स्वप्न शास्त्र या पुराणों में लिखी गई बातों को मानने के लिए विवश नहीं करेंगे बल्कि अब हम जानेंगे की आखिर सपनों की सच्चाई के बारे में विज्ञान क्या कहता है।
विज्ञान के अनुसार कौन से सपने सच होते हैं?
देखिये विज्ञान की दृष्टि में कोई भी सपना शुभ या अशुभ नहीं होता और न ही विज्ञान सपने में दिखाई देने वाले दृश्यों को हकीकत मानता है।
विज्ञान कहता है जिन चीज़ों को आप सपना कहते हैं वे सभी मन की उपज हैं, दिनभर में जो आप सोचते हैं, जैसे आपके लोगों के साथ, जिन्दगी के साथ संबंध होते हैं वैसे ही सपने आपको सोते हुए दिखाई देते हैं।
उदाहरण के लिए बचपन में मुझे साइकिल चलाने का बड़ा शौक था तो मेरे सपने में अक्सर साइकिल आती थी। तो इस तरह की तमाम घटनाएँ दर्शाती हैं की अच्छा बुरा जो कुछ भी हमारे मन में चलता है सपने में उसी से जुडी चीज़ें हमें दिखाई देती हैं।
विज्ञान कभी नहीं कहता की रात को दिखने वाले सपने सच में होते हैं, चुनावों का समय है अगर किसी नेता ने खुद को सपने में प्रधानमंत्री बनता देख लिया तो क्या इससे ये साबित हो जाता है की वो देश का PM बनेगा।
जी नहीं, वो तो उसकी मन की एक इच्छा है जो उसने सपनों में पूरा होते देख ली है, वो PM बनेगा या नहीं अर्थात उसका सपना सच होगा की नहीं ये तो मात्र तभी हो सकता है जब वो हकीकत में PM बनने लायक काम करे।
अध्यात्म के अनुसार कौन से सपने सच होते हैं?
तो अब तक हमने जाना की सपनों से संबंधित जितने भी शास्त्र हैं वे सभी सपनों को सच मानकर उनके बारे में बहुत सी बातें कहते हैं।
फिर हमने जाना की विज्ञान का इस विषय पर मत विपरीत है। वो ये ये नहीं कहता सपने में जो आपने देखा असल जिन्दगी में आपके साथ वैसा ही होगा।
अब हम अध्यात्मिक नजरिये से देखेंगे की दिन हो या रात किसी भी समय यदि हमें नींद में सपने दिखाई देते हैं तो इस बात का क्या अर्थ है?
देखिये विशुद्ध धर्म को ही अध्यात्म कहा जाता है, और अध्यात्म में तीन चीज़ें सर्वोपरी होती हैं मन, सत्य और संसार।
अध्यात्म कहता है की मन ही है जो इस संसार में भाँती भाँती की चीज़ों को देखता है और उन चीज़ों से अपना एक रिश्ता बना लेता है।
मन ही है जो दुनिया में मौजूद लोगों और चीज़ों को अच्छा बुरा कहता है इसलिए फिर आगे अध्यात्म कहता है की सबकुछ यदि मन का ही खेल है तो फिर आपको सपने में अच्छा या बुरा लग रहा है वो भी तो मन का ही रचित खेल है।
तो फिर अध्यात्म कहता है की दुनिया में कुछ भी शुभ या अशुभ नहीं है, जिस चीज़ को मन जिस नजरिये से देखता है उसी को हम सच्चाई मान लेते हैं।
यदि मन ने कहा की सुबह का सपना सच होता है तो हम उस सपने को सच मान लेते हैं, अगर मन ने कहा कोई सपना झूठा है तो हम उसे झूठ मान लते हैं।
लेकिन अध्यात्म कहता है की सत्य तो मन और संसार से परे है। यानी सच्चाई तो मन से आगे की चीज़ है। मन तो धोखा खा सकता है पर सत्य नही खा सकता।
देखा है बचपन में जिन चीजों को मन बहुत अच्छा मानता था आज वो चीज़ें दो कौड़ी की नहीं हैं आपके लिए। ये दर्शाता है की मन जो मानता है, सोचता है वो सच नहीं है।
इसलिए उस मन को सच्चाई की तरह ले जाना ही अध्यात्म का लक्ष्य है। और समझने वाली बात ये है की अध्यात्म ही धर्म का शुद्धतम रूप है।
तो संक्षेप में कहें तो अध्यात्म तथ्य और तर्क के आधार पर सपनों की हकीकत होने की बात को नकारता है।
इस सम्बन्ध में आपको अधिक जानने के लिए ये विडियो देखनी चाहिए।
तो साथियों शास्त्र, विज्ञान और अध्यात्म सपनों के बारे में क्या कहते हैं? इस विषय पर विस्तार से इस चर्चा को पढने के बाद अब आप खुद ये निर्णय ले सकते हैं की आपको रात में दिखाई देने वाले सपनों पर यकीन करना चाहिए अथवा नहीं।
क्या सुबह के सपने सच होते हैं?
शास्त्रों और पौराणिक कहानियों की मानें तो सुबह के सपने सच होते हैं पर यदि हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण से तर्क अथवा तथ्यों के आधार पर देखें तो सुबह हो या रात सपने तो सपने होते हैं, उनमें भला सच्चाई कहाँ होती है?
अगर नींद में आपको सुबह सुबह बड़ी मंहगी गाडी घर में दिखाई दे तो क्या सच में वो गाडी आँख खुलने पर आ जाएगी। ये तो बच्चों वाली बातें है न, जिन्दगी को खुलकर जीने के लिए सच्चाई के साथ प्रेम होना बहुत जरूरी है जो लोग काल्पनिक दुनिया में जीते हैं।
वे लोग जिन्दगी से बहुत ठोकर खाते हैं और जिन्दगी उन्हें तमाम तरह के दुःख देती है।
दोपहर के सपने सच होते हैं या झूठ?
जैसा की हमने इस लेख में जाना की कुछ शास्त्र हैं जो मानते हैं की दोपहर में दिखाई देने वाले सपनों के पीछे हमारे ग्रह या हमारे जीवन का रहस्य छिपा होता है तो उनके हिसाब से दोपहर के सपने बिलकुल सच माने जा सकते हैं।
पर यदि आप थोड़ी भी बुद्धि का इस्तेमाल करेंगे और ईमानदारी से जांच पड़ताल करेंगे तो पायेंगे दोपहर हो या कोई भी समय सपनों को अधिक महत्व देना बेकार है। ठीक वैसे जैसे दोपहर में आप किसी विषय पर सोचेंगे तो आप उसे पा नहीं सकते।
उसी तरह दोपहर में सपने में दिखाई देने दृश्य भी तो विचार ही हैं न, तो फिर विचारों को क्या हकीकत मानना उचित है?
FAQ
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सुबह 5 बजे का सपना सच होता है?
जी नहीं, विज्ञान और हिन्दू धर्मग्रन्थ भगवदगीता, उपनिषद इस बात को प्रमाणित नहीं करते अतः नींद में देखे गए सुबह के सपने सत्य होने की पुष्टि हम नहीं करते।
सूर्योदय के बाद नींद में जो सपने आते हैं वो सच होंगे या नहीं ये बात कोई भी प्रमाणित नहीं कर सकता।
जी नहीं, कोई भी सपना नींद में देख लेने से सच नहीं होता। सपने तो मन की कल्पना पर आधारित होते हैं उनका असल जिन्दगी से अधिक सम्बन्ध नही होता।
अंतिम शब्द
तो साथियों इस लेख को पढने के बाद कौन से सपने सच होते हैं? इस प्रश्न का सीधा और सटीक जवाब आपको मिल गया होगा, साथ ही आप ये भी जान गए होंगे। ऐसा होने पर आपको क्या करना चाहिए? इस लेख से जुड़ा मन में कोई सवाल है तो कमेन्ट बॉक्स में बताएं साथ ही लेख को शेयर भी कर दें