आध्यात्मिक कैसे बने? ऐसे करें शुरू अपना सफ़र

यदि आप एक आध्यात्मिक जीवन जीना चाहते हैं तो आज हम इस लेख में आध्यात्मिक कैसे बनें? इस विषय पर गहराई से स्पष्टता हासिल करेंगे।

आध्यात्मिक कैसे बनें

अध्यात्म के नाम पर बाजार में आजकल कई तरह के झूठ, अन्धविश्वास चल रहे हैं क्योंकि कई लोगों का धंधा ही इसी से चल रहा है। पर यदि आपकी मंशा अध्यात्म के माध्यम से एक सच्चा और नेक जीवन जीना है तो फिर ये पोस्ट आपके काम की साबित होगी।

हम अध्यात्म के नाम पर किसी तरह के दिव्य अनुभवों, विशेष शक्तियों की बात नहीं करेंगे, हम फालतू व्यर्थ की बातों में समय ख़राब करने की बजाय उस विषय पर बातचीत करेंगे जो हम सभी के लिए उपयोगी है।

आध्यात्मिक होना कोई वैकल्पिक (optional) बात नहीं होती, हर वह इंसान जो एक क्वालिटी लाइफ जीना चाहते है, जिसे एक घटिया और बेईमानी से भरा जीवन  जीना पसंद नहीं है।

उस हर इंसान के लिए आध्यात्मिक होना बेहद आवश्यक है, और सौभाग्य से अधिकांश लोग ऊँचा (महान) जीवन जीने की आशा तो रखते हैं पर उन्हें कोई रास्ता दिखाने वाला नहीं होता। आइये सबसे पहले हम जानते हैं की

आध्यात्मिक होने का क्या अर्थ है?

ईमानदारी से अपने मन और जीवन का अवलोकन करने वाले व्यक्ति को आध्यात्मिक इंसान कहा जाता है। दूसरे शब्दों में जिसे स्वयं का ज्ञान है जो आत्मज्ञानी है उसे आध्यात्मिक व्यक्ति की संज्ञा दी जाती है।

आत्मज्ञानी कौन है? जिसे आत्म यानी आत्मा का ज्ञान हो, अर्थात जो भली भाति अपने मन को, अपने शरीर को जानता हो। दूसरे शब्दों में कहें तो जिसे इस संसार का सच मालूम होता है।

आत्मज्ञानी होने का एक बड़ा लाभ यह है की इन्सान के आँखों में जो लालच, डर, झूठ, मोह का जो पर्दा लगा होता है वो हट जाता है और उसके पूरे जीवन की सच्चाई उघडकर सामने आ जाती है।

और एक बार जब इंसान को सच मालूम हो जाता है तो फिर वह जान जाता है की जो दुःख, जो परेशानियां वो जीवन में झेल रहा है, उसे झेलने की कोई जरूरत नहीं है। उसे डरने की, घबराने की आवश्यकता नहीं है अतः ऐसा इंसान फिर जीवन में सही कार्य का चुनाव करता है।

अब प्रश्न आता है की कोई आध्यात्मिक है या नहीं कैसे पहचानें?

देखिये, एक साधारण इंसान और एक आध्यात्मिक व्यक्ति की वेशभूषा, उसकी बोलचाल , कार्य लगभग एक जैसे ही दिखाई देते हैं। पर सांसारिक व्यक्ति हमेशा माया को पाने की इच्छा रखता है तो दूसरी तरफ आध्यात्मिक व्यक्ति सभी इच्छाओं से मुक्त होता है।

आध्यात्मिक व्यक्ति के हृदय में इच्छाओं का जाल नहीं होता उसके मन में मात्र सत्य विराजता है, अतः वह मन के कहने पर नहीं बल्कि सच्चाई के बल पर जीवन जीता है।

आध्यात्मिक होना क्यों जरूरी है?

जीवन में प्रेम, शांति पाने के लिए आध्यात्मिक होना बेहद जरूरी है। यदि जीवन में प्रेम की कमी है और अशांति है तो जीवन जीना ही दूभर हो जायेगा।

अतः आध्यात्मिक होना कोई चॉइस नही है, ठीक उसी तरह जैसे सांस लिए बिना जिया नही जा सकता इसी तरह प्रेम के बिना जीवन बेबस और मजबूरी भरा होता है।

अब प्रश्न आता है कैसे अध्यात्म एक इन्सान को प्रेम या शांति तक पहुँचाता है? जवाब है सच्चाई से अवगत करवाकर अध्यात्म व्यक्ति में वो सभी उच्चतर गुण विकसित करवाता है जिससे व्यक्ति एक गरिमा पूर्ण जीवन जीता है।

जी हाँ, उदाहरण के लिए जैसे कोई poten नाम की चीज़ है, अब इस विषय पर हमें कोई जानकारी न हो, लेकिन हमने लोगों से ये सुना है की ये बड़ी खतरनाक चीज़ है। इससे बचना है तो आपको कुछ काम जरुर करने चाहिए।

अब जाहिर है कई लोग फिर ऐसा करते भी हैं, ठीक इसी तरह हमारी जिन्दगी होती है हमें नहीं मालूम हम जिन कामों को रोजाना करते हैं, उन्हें भीतर से करवाने वाला यह मन क्या चीज़ है?

ये संसार क्या है? यहाँ हम दुखी और परेशान कब होते हैं? हम जिन्दगी भर कभी पैसे के पीछे तो कभी और चीजों के पीछे क्यों भागते हैं?

क्योंकी हमें पूरा सच मालूम नहीं है, पर समाज में एक दूसरे को देखकर काम करते रहते हैं। और अंततः मर जाते हैं। अध्यात्म कहता है की जिन चीजों के पीछे जिन्दगी लगाये दे रहे हो? क्या वाकई उससे आपके जीवन में शांति और प्रेम आ जायेगा?

यदि जवाब नहीं है तो छोड़ दो, इस तरह अध्यात्म आपके जीवन के ढर्रे को बदल देता है, वो सवाल पूछता है बार बार जब जीवन में सबसे जरूरी सच्चाई, शांति, प्रेम, करुणा है तो तुम जिन कामों को करते हो जैसा जीवन जी रहे हो उससे तो अशांति, नफरत और बेईमानी ही फैलती है।

रुक जाओ। जरा ठहर के पता तो कर लो जो पाने लायक है? उसे पा रहे हो की नहीं। इस तरह समझा जा सकता है की अध्यात्म एक सच्चा और नेक जीवन जीने के लिए हर किसी के लिए महत्वपूर्ण है। बच्चा, बूढा,स्त्री, पुरुष हर किसी का अधिकार है सही और आनंद से भरा जीवन जीना।

तो इसलिए अब सवाल आता है की आध्यात्मिक कैसे बनें?

आध्यात्मिक कैसे बनें? अपनाएँ ये 5 तरीके 

कभी भी, किसी भी परिस्तिथि में, किसी भी आयु में आपकी आध्यात्मिक बनने की यात्रा आज और अभी से शुरू हो सकती है। यदि आपकी हार्दिक इच्छा आध्यात्मिक बनने की है तो आज ही आप निम्नलिखित बातों को समझने के बाद जीवन में उनपर अमल करके एक आध्यात्मिक इन्सान बन सकते हैं।

#1. सत्य के खोजी बनो।

एक धार्मिक व्यक्ति ईश्वर, भगवान पर यकीन रखता है और रीती रिवाज, मान्यताओं पर विश्वास कर उनका पालन करता है, दूसरी तरफ आध्यात्मिक व्यक्ति का कोई गॉड, ईश्वर नहीं होता वह सिर्फ सत्य को पूजता है, सच्चाई के आगे सर झुकाता है।

तो अगर आपके अन्दर वह जिज्ञासा, साहस और प्रेम है जिससे आप किसी बात को यूँ ही मानने की अपेक्षा उसका पूरा सच जानने का प्रयास करे तो आप आध्यात्मिक बन सकते हैं।

दुर्भाग्य से धर्म, जीवन, शिक्षा के विषय पर अधिकांश बातें जो हमें परिवार और समाज द्वारा बताई गई हैं उनमें कोई सच्चाई नहीं है। उदाहरण के लिए कई लोग मानते हैं की हिन्दू धर्म में शादी करना, मरने पर बाल मुड्वाना इत्यादि बातें धार्मिक ग्रन्थों में लिखी गई है।

पर आप वैदिक धर्म के शीर्षतम ग्रन्थ उपनिषद, भगवदगीता को पढने पर पाएंगे ऐसा कही भी नहीं लिखा है, तो इस तरह आप किसी भी विषय का सच जानने की जिज्ञासा रखते हैं, आप सत्य के खोजी हैं और सत्य पता लगने के बाद उसे स्वीकार कर उसपे चलने की हिम्मत रखते हैं तो आध्यात्मिकता का सफर आज ही से शुरू हो जाता है।

#2. मूल समस्या को समझें।

कई लोगों को लगता है आध्यात्मिक बनने से जीवन में कुछ विशेष शक्तियाँ आ जाती है, इंसान के जीवन से दुःख परेशानी हट जाती है और उसकी हर समस्या का समाधान उसको स्वयं मिल जाता है।

जी हाँ, इसी सोच के साथ लोग आध्यात्मिक इंसान बनने में रूचि रखते हैं। पर सच्चाई यह है की आपके जीवन में जो भी समस्याएं चल रही हैं, अध्यात्म जादू की तरह उन्हें खत्म नहीं कर देगा।

बल्कि अध्यात्म कहता है की पूरी इमानदारी से साफ़ साफ़ देखो असली समस्या क्या है? और एक बार पता चल गई तो फिर उसे ठीक करने का फैसला लो। उदाहरण के लिए एक इन्सान पैसों के लालच के लिए घटिया नौकरी करके दिन भर परेशान रहता है।

और शाम को घर आने के बाद घर में क्लेश करता है और एक दिन अपनी इस समस्या को पंडित जी के पास ले के जाता है और वो उसे कोई फलानी विधि बताते हैं और वो उसका पालन करता है लेकिन फिर कुछ समय बाद समस्या वापस शुरू हो जाती है।

तो अध्यात्म कहता है की जानबूझकर जीवन में पागल मत बनो। जब देख रहे हो, समझ रहे हो समस्या घटिया नौकरी में है तो काम को बदलो ये नहीं की ढोंग करने लग जाओ। इस तरह जीवन में चाहे जो भी समस्या हो साफ़ साफ देखो और उसका निवारण करो। यही अध्यात्म है।

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काला जादू करने वाले का नाम कैसे पता करें।

#3. तकलीफ झेलने के लिए तैयार रहें।

एक बार आप जान गए की जीवन में मेरी समस्या की असली वजह क्या है? डर, लालच, मोह, अज्ञान, वासना, इनमें से कौन सी मुख्य वजह है जिसकी वजह से मैं मजबूर और दुखी रहता हूँ।

तो ये जानने के बाद अब बस आपका काम समस्या की मूल वजह को खत्म करना है। उदाहरण के लिए जान गए हो की भीतर लालच है जिसकी वजह से घटिया नौकरी करके परेशान रहता हूँ।

तो यह कहने की हिम्मत उठाओ की चाहे जो हो जाए, पैसे थोडा कम मिले पर मैं ये घटिया काम करने की अपेक्षा जीवन में इससे बेहतर कोई काम करूँगा।

बस जैसे ही आप यह निर्णय लेते हैं तो आपकी मूल समस्या खत्म हो जाएगी। इसी तरह देखिये जीवन में डर, मोह, नासमझी की वजह से कौन कौन सी समस्याएं आ रही हैं उसे खत्म करने की हिम्मत रखो।

#4. ऊँचे हार्दिक कार्य का चुनाव करें।

आध्यात्मिक बनने के सफ़र में अगला कदम यह है की एक बार अपने जीवन में सुलझ गए, एक बार अपनी मुसीबतों से बाहर आ गए। एक बार देख लिया की अध्यात्म ने, सच्चाई ने मेरे जीवन में प्रकाश फैलाया है तो अब बारी है जीवन में ऐसा करने की जिसे करके आपका जीवन सार्थक हो जाये।

एक बार यह बोध भीतर आ गया की ये मन क्या चीज़ है? ये दुनिया क्या है? ये जन्म क्यों मिला है? कौन से कर्म करने चाहिए? काम धंधा कैसे चुनें? तो आप अब अपनी समझ से दुनिया में जो भी काम करने निकलोगे वो अच्छा ही होगा।

एक आध्यात्मिक व्यक्ति की यही खूबी होता है चूँकि वह आत्मज्ञानी होता है इसलिए वह जीवन में ऐसा काम करने का बीड़ा उठाता है जिससे देश और दुनिया का भला होता है।

#5. सच्चाई के सिवा कोई बड़ा नहीं।

ठीक इसी तरह जैसे एक सांसारिक इंसान, जो दुनिया में पैसे कमाने और अपनी इच्छाओं को पूरी करने के लिए निकलता है तो उसे भी दुनिया में कई तरह की परेशानियां आती है जैसे कभी उसे ढंग की नौकरी नहीं मिलती तो कभी उसका व्यापार ठप्प हो जाता है।

इसी प्रकार आध्यात्मिक व्यक्ति जो अपनी नहीं अपितु दुनिया की भलाई के लिए निकल पड़ा है, उसके सामने भी चुनौतियाँ परेशानियां आएँगी। उससे भी लोग, इर्ष्या और नफरत करेंगे लेकिन वो जानता है वो जो कर रहा है वो अपने लिए नहीं दुनिया के लिए ही कर रहा है।

तो उसके लिए नफरत झेलना आसान हो जाता है, हालाँकि वे लोग जिनमे आत्मज्ञान की कमी है शुरुवात में वे घबरा जाते हैं। पर उन्हें नहीं भूलना चाहिए की सत्य से बड़ा, सत्य से सुन्दर और सत्य से जरूरी दुनिया में कुछ नहीं है अतः चुनौतियों को स्वीकार कर आगे बढ़ना ही उसका धर्म है।

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अंतिम शब्द

तो साथियों इस पोस्ट को पढने के बाद हमें जाना की आध्यात्मिक कैसे बनें? आज की दुनिया में आध्यात्मिक होना क्यों जरूरी है? अगर इस लेख के समबन्ध में आपका कोई प्रश्न है या सुझाव है तो कमेन्ट बॉक्स में बताएं। साथ ही लेख उपयोगी साबित हुआ है तो कृपया इसे अधिक से अधिक शेयर भी जरुर कर दें।

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