कुंडलिनी जागरण का आसान तरीका | 100% सरल विधि!

अपने भीतर मौजूद दिव्य शक्तियों का अनुभव करने की लालसा हर इंसान में होती है, ऐसे में बहुत से लोग कुंडलिनी को जगाने के लिए कुंडलिनी जागरण का आसान तरीका खोजते हैं।

कुंडलिनी जागरण का आसान तरीका

अगर आप भी कुंडलिनी जागरण से जुड़े रहस्य जान चुके हैं और आपको लगता है कठिन साधना करके और मुद्राओं का नियमित रूप से अभ्यास करके कुंडलनी जागृत की जा सकती है।

तो आज हम आपको एक ऐसी विधि बताने जा रहे हैं जिससे कुंडलिनी जागरण का सच या यूँ कहें तो वो बात जानने को मिलेगी जिससे कुंडलिनी को जागृत करना बहुत सरल हो जायेगा।

जी हाँ जो हम विधि बताने जा रहे हैं वो सरल तो नहीं है पर हाँ गुरु परम्परा द्वारा अनेक ज्ञानियों और महापुरुषों ने इस विधि का उपयोग करके भीतर मौजूद सूक्ष्म शक्ति को जागृत किया है और अपने महान कर्मों से अपना जीवन सार्थक किया।

अगर आप भी उस विधि से रूबरू होकर उसे अपने जीवन में अपनाना चाहते हैं तो निवेदन है इस लेख में लिखी गई प्रत्येक बात को ध्यानपूर्वक पढ़ें।

जानिए कुंडलिनी जागरण का आसान तरीका 

गूगल और तमाम पुस्तकें आज के समय में जानकारियां पाने का बेमिशाल स्रोत हैं, पर अगर आप कुंडलिनी जागृत करने की विधि सर्च करेंगे तो पायेंगे अनेक ऐसी पुस्तकें और नामी वेबसाइट हैं जहाँ कुंडलिनी जागरण को लेकर जो बातें लिखी गई हैं।

वो मात्र झूठी हैं और उनका सच्चाई से कोई लेना देना नहीं। कोई कहता है विशेष मुद्रा में आँख बंद कर बैठने से लाभ होगा तो कोई कहता है कुंडलिनी जागरण करने के लिए एक पैर पर खड़े होकर कुंडलिनी जागृत होगी।

और एक समय बाद जब कुंडलिनी जागृति होगी तो कुछ ऐसे आलौकिक अनुभव होंगे जो आज तक किसी को नहीं हुए।

तो इस तरह लोगों से पैसा ऐठकर उन्हें सच्चाई से दूर करके अन्धविश्वासी बनाने का ये धन्धा तेजी से आगे बढ़ रहा है। जिसे देखते हुए पाठको तक सच्चाई पहुँचाने के उद्देश्य से हमने पिछले कुछ समय से इस विषय पर लिखना शुरू किया।

अतः इससे पहले की आप कुंडलिनी जागरण को लेकर किसी गुरु के निर्देशों का पालन करे और आंतरिक जागरण की इस प्रक्रिया को आरम्भ करे आपको कुंडलिनी जागृति से जुड़े ये भ्रम मन से निकाल देने चाहिए।

#1. कुंडलिनी जागरण की प्रक्रिया भौतिक नहीं हैं ये सांकेतिक है। अर्थात कुंडलिनी में जो 7 चक्र बताये गए हैं (मूलाधार चक्र से लेकर सहस्त्रार चक्र) ये चक्र भीतर कहीं उपस्तिथ नहीं है बल्कि चक्र इन्सान को बेहतर बनाने के लिए बनाये गये हैं।

#2. इन्सान की कुंडलिनी जागृति होने पर उसे कोई दिव्य अनुभूति नहीं होती। उसे किसी तरह की दैवीय शक्ति नहीं मिल जाती जिससे की वह खुद के या दूसरों के दुःख दूर कर सके।

#3. आपको अचानक भविष्य का ज्ञान नहीं हो जाता,वे लोग जो कहते हैं कुंडलिनी जागृत होने पर इन्सान को भविष्य में घटने वाली घटनाएं पहले ही पता चल जाती हैं ऐसा नहीं है।

#4. कोई रहस्यमई या जादुई शक्ति नहीं मिल जाती। आप उड़कर एक स्थान से दूसरे स्थान तक नहीं जा सकते।

#5. कोई भीतर सर्प नहीं है जो कुंडलिनी कसकर बैठा हुआ हो ये बात महज सांकेतिक है किसी ऊँची बात को इशारा करती है।

संक्षेप में कहें तो कुंडलिनी जागरण होने पर ऐसा कुछ भी नहीं होता जिससे की आपके पास आलौकिक शक्तियाँ आ जाएँ। तो सवाल आता है जब कुंडलिनी जागरण से कोई विशेष और चमत्कारिक लाभ नहीं होते तो फिर कुंडलिनी जागरण का महत्व क्या है? आइये जानते हैं:

कुंडलिनी जागरण की सच्ची और एकमात्र विधि

कुंडलिनी जागरण की महत्वता को समझने के लिए सर्वप्रथम हमें कुंडलिनी चक्र को समझना होगा, एक बार हम यह जान लेंगे की इन चक्रों का उद्देश्य क्या है? कुंडलिनी शक्ति कैसे उठती है? तो फिर हमारे लिए कुंडलिनी जागरण लाभदाई होगा।

मन में कुंडलिनी चक्र से जुड़ा कोई सवाल है तो बेझिझक इस whatsapp नम्बर 8512820608 पर आप अपने सवालों को सांझा कर सकते हैं।

कुंडलिनी जागरण में जिन सात चक्रों की बात की गई है वो निम्नलिखित हैं।

  • मूलाधार
  • स्वाधिष्ठान
  • मणिपूर
  • अनाहत
  • विशुद्ध
  • आज्ञा चक्र
  • सहस्रार चक्र

समझिएगा ये 7 चक्र भीतर कहीं उपस्तिथ नहीं होते, लेकिन ये चक्र हमारी चेतना यानी मन को उंचाई देने में लाभकारी होते हैं। मन को उंचाई देने से आशय यही है की मन साफ़ और निर्मल हो, ऐसा मन जो सिर्फ सत्य के आगे झुकता है।

तो तन्त्र विद्या में कुंडलिनी चक्र में जो पहला मूलाधार चक्र है वो जननागों के मध्य होता है। ऐसा क्यों क्योंकि ये बात ये इशारा करती है की प्राकृतिक रूप से तो हम सब जानवरों की तरह ही आचरण करते हैं।

हम सभी में वो गुण पायें जाते हैं जो किसी जानवर में होते हैं जैसे की भूख लगना, कामवासना जगना, क्रोध आना, ईर्ष्यालु होना इत्यादि। पर चूँकि हम इंसान हैं हम शरीर से नहीं मन से जीते हैं।

अतः इस मन को ऊँचाइयों तक ले जाना ही हमारा लक्ष्य होता है। इसलिए हमें इस अवस्था से बाहर निकलकर स्वाधिष्ठान चक्र यानी नाभि तक आना चाहिए। इसी तरह धीरे धीरे जब आप अंतिम चक्र यानि सहस्त्रार चक्र तक पहुँच जाते हो। तो फिर हम ब्रह्म में स्थापित हो जाते हैं।

और जिसका मन ब्रह्म में यानी सत्य में लीन हो गया वो मुक्त हो जाता है। और हर इन्सान मुक्त होना चाहता है, आप इस लेख को पढ़ रहे हैं आप कुंडलिनी जागृत क्यों करना चाहते हैं? इसलिए ताकि परेशानी से मुक्ति पाई जा सके।

हर इन्सान मुक्ति की तलाश में है। हमें जन्म इसलिए नहीं मिला है ताकि हम यहाँ खाएं पियें मौज मारें। हमें ये जीवन मिला है अपने दुःख और बन्धनों से मुक्ति पाने के लिए। आनन्द हमारा स्वभाव है। पर वो मुक्ति हमें मिले इसके लिए जरूरी है हम जैसा सोचते हैं, जैसे कर्म करते हैं उनमें बदलाव आयें।

हम जैसे हैं अगर वैसे ही रह गये तो फिर भला हमें अपने दुखों से आजादी कैसे मिलेगी? इसलिए फिर वे लोग जो शिक्षित नहीं थे जिन्हें उपनिषदों के श्लोक समझ में नहीं आते थे उन्हें मुक्ति देने के लिए इस तरह कुंडलिनी चक्र की विधियाँ बताई गई।

पर लोगों ने इस विधि का उद्देश्य नही समझा और उनको लगा कुंडलिनी चक्र में जो चक्र हैं उससे वास्तव में हमारे शरीर में कुछ विशेष अनुभव होते हैं।

यही कारण है की आज भी लोगों को लगता है कुंडलिनी चक्र जैसा वास्तव में भीतर कुछ होता है और वे उस कुंडलिनी को जगाने के लिए तमाम तरह के प्रयास करते हैं।

कुंडलिनी शक्ति को जगाने का तरीका 

हमें आशा है अभी तक इस लेख को पढने के बाद आपको ये मालूम हो गया होगा की कुंडलिनी चक्र की हकीकत क्या है? अब प्रश्न आता है की कुंडलिनी शक्ति को कैसे जगाएं?

जो व्यक्ति यह जान गया की कुंडलिनी जागरण का अंतिम लक्ष्य मनुष्य की मुक्ति है, और सच्चाई से दूर रहकर इंसान को मुक्ति नहीं मिल सकती।

इसलिए सत्य जिसे परमपिता कहा गया है उसे कुंडलिनी चक्र में सहस्त्रार चक्र के रूप में भी जाना गया है।

हम सभी जानते हैं की मन हमेशा हमारा सत्य को लेकर विरोध करता है, यह जानते हुए भी की कोई काम करना व्यर्थ है इससे मुझे शान्ति नहीं मिलेगी इंसान उसी काम को करने का प्रयास करता है।

अतः वह व्यक्ति जो ये ठान लेता है की मन चाहे कितना विरोध क्यों न करे जीवन में जो सच्चा है सुन्दर है उसके आगे मैं झुकूँगा, उसी कर्म को अपना जीवन लक्ष्य बनाऊंगा जिसमें सच्चाई है।

भले मुझसे कितनी गलतियाँ क्यों न हो जाये मैं जियूँगा तो सच्चाई के खातिर ही। फिर ऐसे इन्सान की कुंडलिनी शक्ति जागृत हो जाती है।

अब ऐसा इंसान जिसने सच्चाई को अपना लक्ष्य बना दिया है उसके जीवन में सुख आये या दुःख उसे फर्क नहीं पड़ता। वो तो वो काम चुपचाप करता है जो सच्चा है जिसे करने में जीवन की सार्थकता है।

परिणाम यह होता है की वो बाकी लोगों जैसा जीवन नहीं जीता, जहाँ आम लोग अपने मन के कहने पर अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए जिन्दगी जीते हैं। और बहुत दुःख झेलते हैं।

वहीँ वो व्यक्ति सच्चाई के केंद्र से जीता है उसके भीतर एक निडरता होती है, शांति रहती है क्योंकी वो जानता है मैंने अपना जीवन सच्चाई को सौंपा है।

इस प्रकार आप समझ गये होंगे की कुंडलनी शक्ति जागृत होने पर इंसान कोई चमत्कार नहीं करता। पर हाँ वो जिस तरह से जीने लगता है दूसरे उसे देखकर चौंक जाते हैं। उन्हें लगता है ये इन्सान कैसे कर्म किये जा रहा है हम तो सिर्फ अपने खातिर कर्म करते हैं।

उसके आनन्द को देखकर फिर दुनिया को चिढ होने लगती है। और कमाल की बात यह है की लोगों की नफरत या चिढ से उसे कोई फर्क नहीं पड़ता वो अपना कर्म करते रहता है।

और इंसान के भीतर जब सत्य को लेकर इतना प्रेम होता है तो इसी प्रेम को आप कुंडलिनी शक्ति कह सकते हैं या फिर सत्य का चमत्कार कह सकते हैं।

अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढने के बाद कुंडलिनी जागरण का आसान तरीका अब आप भली भाँती जान गए होंगे। अगर कुंडली की जागृति को लेकर मन में कोई सवाल है तो बेझिझक आप 8512820608 पर शेयर कर सकते हैं। अगर लेख को पढ़कर जीवन में स्पष्टता आई है तो याद रखें इस लेख को शेयर करके आप दूसरे का भला कर सकते हैं।

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