सरकारी नौकरी मतलब खूब पैसा, सुख सुविधाएं, मान सम्मान। इसलिए लोगों के लिए सरकारी नौकरी पाना किसी खजाना पाने से कम नहीं होता, अगर आप भी सरकारी नौकरी पाने का ख्वाब देखते हैं और इसलिए क्या मेरी किस्मत में सरकारी नौकरी है?
आप यह जानना चाहते हैं तो ये लेख आपकी किस्मत और जिन्दगी दोनों का सच आपके सामने लाकर रख देगा।
आज भी देश में करोड़ों ऐसे लोग हैं जो सरकारी नौकरी पाने के सपने देखते हैं, जिनमें से कई सारे लोग दिन रात अपने इस सपने को साकार करने के लिए मेहनत भी करते हैं।
और इतनी मेहनत के बावजूद भी उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिल पाती, पर हमने बहुत से लोग ऐसे भी देखे हैं जो बिना ज्यादा कुछ किये सरकारी पद पर चयनित हो जाते हैं। और ऐसे लोगों को देखकर लोग बोलते हैं वाह। इसको बोलते हैं किस्मत।
तो सरकारी नौकरी को लेकर आपकी किस्मत क्या कहती है? यह जानना चाहते हैं तो ये लेख आपके लिए है।
क्या मेरी किस्मत में सरकारी नौकरी है?
किस्मत में सरकारी नौकरी है अथवा नहीं ये जानने के लिए आपको किसी पंडित, ज्योतिष के पास जाने की आवश्यकता नहीं है। आपके ही दिल का एक कोना है जो आपको बताता है आपको जिंदगी में प्राईवेट नौकरी मिलेगी अथवा एक सरकारी नौकरी।
और ध्यान से दिल की सुनेंगे तो पाएंगे बिल्कुल आपकी किस्मत में सरकारी नौकरी है और ये बात हम इतने दावे के साथ क्यों कह रहे हैं। इस बात का पता करने के लिए निम्न बिंदुओं को ध्यान से पढ़ना होगा तभी आप लाइफ में एक सही फैसला लेने में समक्ष होंगे।
#1. सरकारी नौकरी पाने का प्रमुख कारण?
सरकारी नौकरी नि:संदेह आपकी जिन्दगी में होगी पर उससे पहली आप उस नौकरी को पाने के लिए लालायित रहें आपको खुद से ये पूछना होगा की आखिर मेरे भीतर सरकारी नौकरी को लेकर इतनी चाहत क्यों है?
और कमाल की बात ये है की आपको इस प्रश्न का जवाब ईमानदारी से अभी अपनी डायरी में नोट करना होगा।
क्या आप सिर्फ सरकारी नौकरी इसलिए चाहते हैं ताकि आपको खूब पैसा मिले, उस पैसे को देखकर लोग आपकी इज्जत करे, आपको तमाम तरह की सुख सुविधाएँ सरकार की तरफ से मिले ताकि आप अंततः मजे मार सकें।
या फिर सरकारी नौकरी पाने के पीछे मुख्य कारण देश की, समाज की ईमानदारी से सेवा करना है। आप ईमानदारी से नौकरी पाने का कारण नोट कर लीजिये।
इससे होगा क्या आपको अपनी छुपी हुई मंशा पता चल जाएगी, आप जान लेंगे की मेरे भीतर कितना डर और लालच बैठा हुआ है? मेरे भीतर इतनी गंदगी कैसे घुस गई की मैं समाज सेवा के नाम पर अपनी जेब भरने का विचार करने लगा।
आपको जानकार हैरानी होगी दुनिया में जो 99% लोग आज सरकारी नौकरी पाना चाहते हैं उनकी मंशा तो यही रहती है की किसी तरह मैं सरकारी नौकरी पाकर ऐश करूँ पर वो दिखाते खुद को ऐसे हैं जैसे की उनकी नियत कितनी अच्छी हो।
आपसे निवेदन है आप ऐसा न करें।
#2. सरकारी नौकरी में आने वाली मुश्किलें।
अक्सर हमें लगता है सरकारी नौकरी मतलब खुशियाँ ही खुशियाँ क्या सच में ऐसा ही होता है? जो व्यक्ति सरकारी नौकरी करता है क्या उसकी जिन्दगी में टेंशन,अशांति, बेचैनी,डर, लालच नहीं होता।
यदि होता है तो इसका मतलब है उस इंसान की जिन्दगी अच्छी नहीं हो सकती। क्योंकी जिसके मन में डर या लालच है उसके भीतर शांति नही हो सकती।
पर हम लोग बड़ी गलतफहमी में जीते हैं, समाज में सरकारी नौकरी करने वाले कई लोगों के उदाहरण देखने के बाद भी, उनकी जिन्दगी में चल रही कश्मकश को देखने के बाद भी हमें लगता है हमारी जिन्दगी सरकारी नौकरी पाने से सेट हो जाएगी।
अरे भाई। सच्चाई तो ये है की जिन्दगी में जो हम आनंद पाना चाहते हैं वो आनन्द न तो प्राइवेट नौकरी करने से मिलता है न सरकारी दफ्तर में एसी के नीचे बैठेने से, वो आनन्द और सुकून तो सच्ची जिन्दगी जीने से ही मिलता है।
#3. जीवन का उद्देश्य जानें।
तो अब तक हमने सरकारी नौकरी पाने का कारण और सरकारी नौकरी की हकीकत को जाना, जो की बहुत जरूरी है।
क्योंकी इसको जाने बिना हमें यही लगेगा की यार। जिन्दगी मजे मारने के लिए तो है, खूब पैसा कमाओ, खाओ पीओ, नाचो गाओ।
है न, पर हम इस बात से बेखबर हैं की हमें जिन्दगी अय्यासी करने के लिए नहीं बल्कि एक अधूरा काम पूरा करने के लिए मिली हुई है।
और जब तक हम वो अधूरा कार्य पूरा नहीं कर लेते तब तक हमारे हृदय को शांति मिल नहीं सकती। आप कोई भी नौकरी कर लो, कहीं भी घूम लो, कुछ भी खरीद लो कुछ समय बाद आप पाओगे मन में बेचैनी वापस आ गई है।
वो बेचैनी और कुछ नहीं बल्कि आपको कबीर साहब के इस दोहे की याद दिलाना चाहती है।
रात गंवाई सोय कर, दिवस गंवायो खाय । हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय
कबीर साहब कह रहे हैं की दिन हमने खाने में बिता दिया अर्थात दिन भर हमने सिर्फ वो काम करे जिससे हमारी जरूरतों और इच्छाएं पूरी होती है, और रात हमने बिता दी सोने में।
और अंत में कबीर साहब मानो चेतावनी देते हुए कह रहे है की हे इन्सान। ये जन्म अनमोल था इसे यूँ ही व्यर्थ न गवा।
तो कबीर साहब और न जाने कितने संतो, और ऋषियों ने उपनिषदों में बार बार ये समझाने की कोशिश की, की हमारा जन्म जानवरों की भाँती खाने पीने और सोने के लिए नहीं हुआ है हम किसी ऊँचे उद्देश्य के लिए पैदा हुए हैं।
वो उद्देश्य है मुक्ति, अतः ज्ञानियों की ये बात हमें संदेश देती है की जीते जी मुक्ति यानि आजादी की तरफ बढ़ना ही जीवन का उद्देश्य है।
पढ़ें: मुक्ति क्या है?
#4. जीवन में सही लक्ष्य बनाएं।
हर इन्सान के जीवन में कुछ न कुछ लक्ष्य तो अवश्य होते हैं अधिकांश लोगों के लिए घर,गाड़ी शादी, बच्चे और उनका विवाह करना ही लक्ष्य होता है।
तो कोई बिरला होता है जो कहता है जीवन एक बार मिला है, इसे में अपनी ही ख्वाहिशों को पूरा करने में नही बिताऊंगा। मैं अपने संसाधन और अपने समस्त जीवन को किसी ऐसे ऊँचे लक्ष्य को सर्मपित कर दूंगा जिससे की मेरा जन्म सार्थक हो जाये।
संक्षेप में कहे तो कोई भी ऐसा लक्ष्य जिसमें समाज का, देश का, प्रकृति का कल्याण निहित हो। ऐसा कोई भी ऊँचा लक्ष्य आप जिन्दगी में निर्धारित कर सकते हैं।
पढ़ें: जिन्दगी में क्या करना चाहिए? जीवन में करने योग्य क्या है?
#5. लक्ष्य पाने में सरकारी नौकरी मदद करती है तो जरूर करें।
जीवन में एक ऊँचा लक्ष्य बनाने के बाद अब अगर आप पाते हैं जिस काम को आप जिन्दगी में सफलतापूर्वक करना चाहते हैं उस काम में सरकारी नौकरी मदद कर सकती है।
तो बिलकुल आप जी जान,लगाकर सरकारी नौकरी करें। उदाहरण के लिए आपको लगता है हमारी शिक्षा व्यवस्था में कुछ कमियां है और उन कमियों में सुधार लाने के लिए मुझे एक जागरूक शिक्षक बनना पड़ेगा।
तो बिलकुल आप सरकारी टीचर बनने के लिए मेहनत कर सकते हैं, पर दुर्भाग्य से अधिकतर बदलाव सरकारी नौकर बनकर नहीं बल्कि समाज में क्रांति करने से लाये जाते हैं।
भगत सिंह, सुभास चन्द्र बोस, स्वामी विवेकानन्द जिन्होंने भी समाज में परिवर्तन लाने के लिए कदम उठाये, याद करें क्या वो काम इसीलिए कर पाए क्योंकी वो एक सरकारी नौकर थे।
नहीं, तो ये बात हमें संदेश देती है की जीवन में कोई ऊँचा लक्ष्य साकार करने के लिए जरूरी नहीं सरकारी नौकरी होना अनिवार्य हो।
#6. सरकारी सुविधाओं से अधिक जरूरी है ये चीजें।.
एक युवा से पूछें वो जिन्दगी में क्या पाना चाहता है तो अधिकतर नौजवानों का यही सपना होगा एक सरकारी नौकरी जिसमें काम करना पड़े, अच्छी तनख्वाह मिले, एक गाडी और रहने के लिए कोई अपार्टमेंट मिल जाये।
पर वो जानता ही नहीं है की इन चंद सुविधाओं को पाने के लिए उसने क्या कुछ गवा दिया। होगी किसी सरकारी नौकरी वाले के पास 100 करोड़ की सम्पत्ति जिसने घूस खाकर जिन्दगी में खूब पैसा कमाया हो।
पर क्या उसके पास वो शांति, सच्चाई और जीवन में आनन्द होगा जो उस इन्सान के पास होगा जिसने अपनी जिन्दगी किसी अच्छे और ऊँचे काम को समर्पित कर दी।
पर चूँकि हम लालची लोग है, हमें लगता है पैसा ही सबसे बड़ी चीज़ है इसलिए फिर हम शांति को, सच्चाई को जीवन में मूल्य नहीं देते। और बाद में गलत नौकरी करके पछताते हैं।
#7. जन्म की सार्थकता को समझें।
जन्म क्यों मिला है? नौकरी किसके लिए करनी चाहिए? जीवन में शांति और प्रेम लाने के लिए किसकी संगती करनी चाहिए?
ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिन्हें अगर आप किसी से पूछ लें तो वह सर खुजलाने लग जायेगा। पर एक बात उसे अच्छी तरह मालूम होगी की मुझे सरकारी नौकरी चाहिए।
अरे भाई जिन्दगी में क्या करना है, किससे दोस्ती करनी है, क्या पढना है हमें नहीं मालूम तो हम कैसे किसी नौकरी का चयन कर सकते हैं।
एक आत्मज्ञानी ही जिन्दगी में ये फैसला कर सकता है की क्या सही है क्या गलत, और आत्मज्ञानी बनने के लिए जरूरी है की हम संतों के निकट जाएँ। क्योंकी जिन्दगी के बारे में भला उनसे बेहतर कौन जान सकता है।
स्वामी विवेकानंद, संत कबीर, जैसे अनेक महापुरुष जिनका आज हम सम्मान करते हैं क्या आप जानते हैं उन्होंने वेदांत को जीवन में अपनाया। जी हाँ, हिन्दुओं के प्राचीनतम ग्रन्थ हैं वेद, और उन वेदों का सार है वेदांत।
पढ़ें: वेदांत क्या है? जिसमें है सभी समस्याओं का समाधान
अंतिम शब्द
तो साथियों इस पोस्ट को पढने के बाद क्या मेरी किस्मत में सरकारी नौकरी है? कैसे जानें और कौन सी नौकरी आपके लिए बेहतर है, इस प्रश्न का जवाब आपको इस लेख में मिल गया होगा। लेख को पढ़कर जीवन में स्पष्टता आई है तो इस लेख को अधिक से अधिक शेयर करें ताकि अन्य लोग के बीच भी जागरूकता फैले।