आकार में मैना के समान, सुन्दर, नीले रंग का यह पक्षी भारत में आज भी देखने को मिलता है, आइये जानते हैं धार्मिक दृष्टि से शुभ माने जाने वाले नीलकंठ पक्षी के दर्शन से क्या होता है?
नीलकंठ शब्द सुनते ही हमारे दिमाग में छवि आती है भगवान शिव की, समुद्र मंथन के दौरान विष को गले में धारण करके उनका नाम नीलकंठ पड़ गया था।
यही कारण है की भारत के विभिन्न राज्यों में पाए जाने वाले इस पक्षी को भी लोग भगवान शिव के प्रतीक के तौर पर देखते हैं, लोगों में इस पक्षी से जुडी कई तरह की मान्यायें भी हैं।
चलिए इस लेख में जरा बारीकी से समझते हैं की नीलकंठ पक्षी इतना ख़ास कैसे है? और सावन, दशहरे जैसे पवित्र मौके पर इस पक्षी को देखने पर क्या होता है?
Note: अगर आप चाहते हैं नीलकंठ आपकी सभी इच्छाओं को पूर्ण करें, तो इस लेख के अंत में हमने एक सीक्रेट तरीका बताया है जिसे आपको जरुर पढना चाहिए।
नीलकंठ पक्षी क्यों ख़ास है?
देखिये कण कण में भगवान हैं ये बात यूँ तो कहने में सामान्य सी लगती है, पर वास्तव में ये बात हमें संदेश देती है की हम कहीं भी चले जाएँ भगवान सदा हमारे साथ हैं और रहेंगे।
इसलिए चाहे रुद्राक्ष नामक पहाड़ी फल हो या फिर गेरुए रंग का कोई वस्त्र हो, ये सब प्रतीक के तौर पर इसलिए याद किये जाते हैं ताकि इन्हें देखते ही हमें नारायण की याद आ जाये।
पौराणिक कहानियों के अनुसार जब रामायण में भगवान राम ने राक्षस रावण का वध किया तो चूँकि रावण जाति से पंडित था अतः मान्यता है की भगवान राम द्वारा रावण को मृत्युदंड देने की वजह से ब्रह्म हत्या का पाप लगा था।
और इसी पाप को धोने के लिए कहा जाता है स्वयं भगवान शिव नीलकंठ नामक चिड़ियाँ के रूप में अवतरित हुए तभी से ये पक्षी हिन्दू धर्म के अनुयाइयों के लिए विशेष हो गया।
नीलकंठ से जुडी पौराणिक कहानी
आज हम जिन भी प्रतीकों को पूजते हैं, या फिर उन्हें विशेष मानकर धारण करते हैं। फिर चाहे वो माथे पर तिलक लगाना हो, प्रसाद के तौर पर पक्षियों को भोजन देना हो या फिर गले में माला पहनना हो।
इन सभी प्रतीकों से जुडी कहानियां पुराण में मौजूद हैं, इसी तरह नीलकंठ नामक इस पक्षी से जुडी एक पौराणिक कथा है जिसके कारण लोग आज भी जहाँ कहीं इस पक्षी को देखते हैं उसे शुभ मानकर भगवान शिव से मनोकामना पूर्ण करने का फल मांगते हैं।
पौराणिक कहानी कहती है की त्रेतायुग में जब भगवान राम माता सीता को लंका से छुडाने जा रहे थे।
तो रावण से युद्ध करने से ठीक पहले उन्हें रास्ते में नीलकंठ पक्षी के दर्शन हुए थे, जिसके पश्चात युद्ध में भगवान राम ने रावण का वध करके लंका पर विजय प्राप्त की थी।
यही नहीं कहा जाता है रावण को मारकर जब भगवान राम को ब्रह्म हत्या का पाप लगा था तो इस पाप से मुक्ति देने हेतु स्वयं भगवान शिव ने नीलकंठ पक्षी का रूप धारण किया था।
तो जब जब कोई श्रोता इस तरह की किसी पौराणिक कहानी को सुनता है तो इन प्रतीकों को जरिये उसे भगवान की याद आ जाती है।
नीलकंठ पक्षी के दर्शन से क्या होता है?
पौराणिक मान्यतों को पढने पर मालूम होता है की नीलकंठ पक्षी के दर्शन करने से निम्नलिखित संकेत मिलते हैं।
#1. मान्यता है की जब भी लोटा, बनियान इत्यादि वस्त्रों पर नीलकंठ आकर बैठ जाता है तो यह इस बात का संकेत देता है की जल्द ही वैवाहिक जीवन का सुख उसे मिलने वाला है।
#2. यदि कोई महिला अविवाहित अपने सामने नीलकंठ पक्षी को देखती है तो ये संकेत देता है की जल्द ही उसकी इच्छा पूर्ण होने वाली है।
#3. यदि किसी कुंवारी लड़की के अघोव पर उड़ते हुए कोई नीलकंठ बैठा दिखाई देता है तो ये इस बात का सूचक है की उसकी जिन्दगी में कोई राजकुमार आने वाला है।
तो कुछ प्रमुख मान्यताएं समाज में अक्सर लोगों के बीच देखने को मिलती हैं। आपसे निवेदन है की इस तरह की किसी भी मान्यता का पालन करने से पहले आपको निम्नलिखित बात समझनी जरूरी हो जाती है।
नीलकंठ के माध्यम से पायें शिव को
देखिये नीलकंठ शिव का प्रतीक है ये बहुत अच्छी बात है, पर ये समझ लेना की नीलकंठ को देखने से जिन्दगी में खुशहाली आ जाएगी और हमारी सभी तरह की परेशानियाँ दूर हो जाएँगी।
तो ऐसा बिलकुल नही है, नीलकंठ को पूजना, उस पक्षी को दाना देना, उसकी सेवा करना बहुत अच्छी बात है पर ये कहना की वो पक्षी हमारी इच्छाएं पूरी करेगा।
उसे देखने भर से हमारे वैवाहिक जीवन में खुशहाली आ जाएगी या फिर धन की समस्या दूर हो जाएगी तो ऐसा नही है। अगर घर में कोई तकलीफ है तो वो तो तभी सुलझेगी जब आप उस समस्या का समाधान खुद से करेंगे।
उदाहरण के लिए बहुत कोशिशों के बावजूद घर के जवान लड़के या पुत्री का विवाह नहीं हो रहा है तो भला उड़ता हुआ नीलकंठ आपकी क्या मदद करेगा?
ये काम तो उस लड़के या लड़की को खुद ही करना होगा जो अपनी शादी करना चाहता है, उसे कोई अच्छा साथी खुद ही ढूंढना होगा, इस काम में नीलकंठ तो क्या घर के सदस्य भी ज्यादा कुछ नहीं कह सकते।
क्योंकी बहुत से घरों में माँ बाप जोर अजमाइश करके पुत्र या पुत्री की शादी तो कर लेते हैं, लेकिन उसके पश्चात बड़े परेशान रहते हैं।
तो जो काम आपके हाथों में है उस काम को न तो बेचारा नीलकंठ कुछ कर सकता है और न खुद शिव भगवान, अधिक से अधिक भगवान हमें सही काम करने की शक्ति दे सकते हैं।
पर ये नहीं होगा की हम खुद तो बैठे रहें और ये उम्मीद करें की हमारी जिन्दगी में कुछ अच्छा हो जायेगा। जी ऐसा बिलकुल सम्भव नही हो सकता।
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अंतिम शब्द
तो साथियों इस लेख को पढने के बाद नीलकंठ पक्षी के दर्शन से क्या होता है? इस पक्षी से जुडी मान्यताएं और सच्चाई आपको मालूम हुई होगी। अगर अभी भी मन में कोई सवाल बाकी है तो ये whatsapp नम्बर 8512820608 आपकी साहयता के लिए है। अगर यह लेख पसंद आया है तो इसे शेयर भी जरुर कर दें।