राम की कितनी पत्नियाँ थी? जानें वैवाहिक जीवन के बारे में!

हिन्दू धर्म में भगवान ब्रह्मा, विष्णु या गणेश जैसे अनेक ऐसे देवता हैं जिनकी दो पत्नियाँ थी, ऐसे में वे लोग श्री राम के भक्त हैं वे अक्सर जानने का प्रयास करते हैं की आखिर राम की कितनी पत्नियाँ थी?

राम की कितनी पत्नियाँ थी

तो आज आपको इस लेख में इस प्रश्न का सीधा और सच्चा जवाब मिलेगा। देखिये जिन अवतारों को इंसान पूजता है उनके बारे में जानने की इच्छा हमेशा से ही उसके मन में रही है।

और यदि बात की जाए भगवान राम, की तो उनके जीवन में और एक सांसारिक मनुष्य में काफी कुछ समानताएं देखने को मिलती हैं। जैसे रस्मों रिवाज के साथ भगवान राम का सीता माता से विवाह करना, उन्हें धर्मपत्नी मानकर जीवन भर उनके साथ रहने का वादा करना, दो नन्हें बच्चों का पिता होना इत्यादि।

राम जी के जीवन में काफी कुछ ऐसा है जो एक सामजिक व्यक्ति के जीवन में आज भी घटित होता है। इसलिए युगों युगों से लोग अपनी परेशानियाँ, अपनी पीड़ा उन तक पहुंचाते आ रहे हैं साथ ही हर इन्सान उनकी भक्ति में लीन रहकर अपना जन्म सार्थक करना चाहता है।

तो आइये अब हम आज के इस मुख्य मुद्दे पर चर्चा करते हैं।

राम की कितनी पत्नियाँ थी?

रामायण के अनुसार प्रभु श्री राम की एकमात्र पत्नी राजा जनक की ज्येष्ठ पुत्री देवी सीता थी। जनकपुर नगरी में आयोजित स्वयंवर प्रतियोगिता में भगवान राम ने शिव धनुष उठाकर उस प्रतियोगिता को जीतकर माता सीता को पुष्प की माला पहनाकर उन्हें अपनी जीवन संगिनी बनाया।

अतः संक्षेप में कहें तो प्रभु श्री राम की एकमात्र धर्मपत्नी सीता माता थी। मान्यता के अनुसार सीता माता पृथ्वी लोक छोड़कर गई तो इसके बाद मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने उनके सिवा दूसरी किसी भी स्त्री को अपना जीवन साथी नहीं चुना।

हालाँकि माता सीता के जीवन से जुड़े राम जी के फैसलों पर लोग अक्सर उँगलियाँ उठाते हैं, वे कहते हैं जब राम जी भगवान थे और सच्चाई जानते थे तो उन्होंने माँ सीता की अग्नि परीक्षा क्यों ली? या फिर उन्हें वन में अकेला क्यों छोड़ दिया?

पर यह बात स्पष्ट है की प्रभु श्री राम के जीवन में माता सीता के अलावा किसी का आगमान नहीं हुआ।

प्रभु राम का वैवाहिक जीवन हमें क्या सिखाता है? 

इस बात में कोई दो राय नहीं की राम जी के मूल्य, आदर्श, कर्म और विचार ऊँचे (महान) थे इसलिए उन्हें जीवनसाथी भी ऐसा मिला जिसने पग पग पर अपने धर्म का पालन कर हमेशा राम जी का अर्थात सच्चाई का साथ दिया।

अतः वे लोग जो राम जी की आराधना करते हैं, उनका सम्मान करते हैं उन्हें राम जी के वैवाहिक जीवन को देखकर ये सीखना चाहिए की आखिर हम कैसे राम की भाँती एक ऊँचा जीवन जी सकते हैं।

हम ये तो जानते हैं की राम की भाँती हम भगवान तो नहीं हैं, हमारी बुद्धि और भुजाओं में बल सीमित है लेकिन एक बात हम भली भाँती जानते हैं की हम जैसे हैं, ऐसी स्तिथि में रहने से हमें चैन तो मिलेगा नहीं।

इसलिए हमसे जितना बेहतर हो सकता है हम भी राम जी के जीवन से थोड़ी सी सीख लेकर जीवन में थोडा उंचाई प्राप्त करें। हम भी राम की भाँती झूठ की उपेक्षा कर, गलत जगह सर न झुककर सच्ची बात और नेक लोगों का समर्थन करें।

ये याद रखते हुए की हमारी सामर्थ्य अधिक नहीं है, फिर भी जितना हो सकता है हम भी सच्चाई के लिए आवाज उठायें। सच्चे लोगों के करीब जाएँ, सही संगती करें, सही लोगों के बारे में जानें उन्हें सुनें, सही कर्म करें।

और इस तरह जब हम अपनी इस घटिया जिन्दगी जिसमें भरपूर लालच और डर है इस जिन्दगी से एक निडर, आनंददाई, सच्ची जिन्दगी जीने की तरफ बढ़ें।

और जब हम ऐसा करेंगे तो यकीन मानिए हमारे जीवन में श्रेष्ठता आएगी और फिर हम अपने लिए एक ऐसे जीवन साथी का चुनाव कर पाएंगे जिसके अन्दर माँ सीता के कुछ गुण उपस्तिथ हों।

अन्यथा वे लोग जिनके जीवन में राम जी की भाँती कोई सच्चा और ऊँचा लक्ष्य नहीं है और वे लोग जो अपनी घटिया जिन्दगी को ही अपनी सच्चाई मानकर जी रहे हैं।

ऐसे लोग अपनी प्रेमिका भी ऐसी ही चुनते हैं जो उनके जैसी हो। परिणाम यह होता है की विवाह के बाद इन्सान की परेशानियां कम होने की बजाय और बढ़ जाती हैं।

अतः राम जी का वैवाहिक जीवन हमें यही सिखाता है की खुद सच्चे बन जाओ प्रेमिका भी सच्ची ही मिलेगी। लेकिन अगर जिन्दगी में झूठ,कपट और लालच भरा है तो जीवन साथी भी अच्छी नहीं मिल पायेगी।

हम राम जैसे नहीं होते इसलिए पत्नी भी नहीं मिलती

हम बड़े अजीब लोग हैं हम हमेशा यह उम्मीद करते हैं की सामने वाला हमेशा हमारे साथ अच्छा बर्ताव करे, हमसे सच बोले, हमारी मदद करे, खासकर अपने पार्टनर ये उम्मीदें हम सभी की रहती हैं।

पर वास्तव में हम क्या कभी ये सोचते हैं मैं कैसा हूँ? मैं कितना लालची हूँ? झूठी बातें और झूठे लोगों के आगे सर कैसे झुका लेता हूँ? जल्दी से मुझे गुस्सा कैसे आ जाता है?

हम अपनी हकीकत जानते हुए भी खुद को सुधारने के लिए जरा भी कोशिश नहीं करते। और फिर उम्मीद करते हैं माँ सीता जैसी आदर्श पत्नी हमें मिले।

नहीं मिल सकती भाई। कभी नहीं मिलेगी। अपनी जिन्दगी देखो!  राम की भाँती करुणा है आपके जीवन में। हम तो अपने स्वाद के लिए निर्दोष जानवरों को मारने पर उतारू रहते हैं।

राम की तरह वीरता है, जीवन में आपके? तुम्हें तो कोई थोडा भी लालच दिखा दे या डरा दे तुम तो झट से झुक जाते हो, मालिक अगर 5 हजार बढ़ा दे तो तुम खट से उसकी गलत बात को भी मान लोगे।

राम की तरह प्रेम है, जीवन में? राम वो है जिन्होंने सच्चाई के लिए, धर्म के लिए राज पाठ त्याग दिया, सोने की लंका छोड़ दी। तुम बताओ सच्चाई के लिए क्या तुम 2 रूपये छोड़ने को तैयार रहते हो?

हमारे जीवन में राम के चरित्र जैसा कुछ भी नहीं, यकीनन हम उनसे कुछ नहीं सीखते और न ही सीखकर आगे बढ़ना चाहते हैं पर जल्दी से ये कहने पर उतारू हो जाते हैं की राम की तरह हमें पत्नी क्यों नहीं मिलती।

तो राम जैसा अगर जीवन साथी चाहिए, जिसके आने से जीवन में बहार आ जाए तो पहले राम के करीब जाइए। उनसे सीख लेकर सही जिन्दगी जियें।

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अंतिम शब्द

तो साथियों इस पोस्ट को पढने के बाद राम की कितनी पत्नियाँ थी? अब आप भली भाँती जान गये होंगे। इस लेख को पढने के बाद अभी भी मन में कोई प्रश्न है तो आप Whatsapp नम्बर 8512820608 में बता सकते हैं। साथ ही यह लेख उपयोगी साबित हुआ हैं तो आप इसे शेयर करना बिलकुल मत भूलियेगा।

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