कहते हैं इंसान के मन में जो चलता है वही उसे सपने में दिखाई देता है। ऐसे में सवाल आता है की सपने में खुद को दुखी देखना क्या दर्शाता है? और ऐसा होने पर इन्सान को क्या करना चाहिए?
तो ये समझने के लिए ये लेख आपको बड़ी ध्यान से पढना चाहिए। क्योंकि हम यहाँ शास्त्र, विज्ञान और धर्म 3 अलग अलग नजरिये से इस सपने में कितना दम है इस बात की सच्चाई जानेंगे।
देखिये हम ऐसे समाज में रहते हैं जहाँ सपनों को बड़ी अहमियत दी जाती है, आलम ये है की इन्सान के सपनों को समझने के लिए स्वप्न शास्त्र का निर्माण किया गया है।
हर सपना इन्सान को उसके बारे में कुछ ख़ास बताता है, अतः कई बार ये होता है की सपने में हम रोते हुए या फिर गम में डूबे से नजर आते हैं?
आखिर ये सपना हमें हमारे बारे में क्या बताता है? इस प्रश्न का सही जवाब पाने और ऐसी स्तिथि से निपने के लिए आइये जानते हैं की
सपने में खुद को दुखी देखने का मतलब
स्वप्न शास्त्र के मुताबिक़ इन्सान जब नींद की अवस्था में खुद को सपने में दुखी पाता है तो ये निकट भविष्य में किसी परेशानी में पड़ने के संकेत हैं।
अतः जब कभी इस तरह का अशुभ सपना आये तो मनुष्य को ॐ नमः शिवाय मन्त्र का जाप करने की सलाह दी जाती है ताकि किसी तरह की अनहोनी होने से बचा जा सके।
तो ये रही प्रचलित मान्यता जिसको आज भी देश में करोड़ों लोग मानते हैं।
हालाँकि इस तरह का अप्रिय सपना यदि आपको नींद में दिखाई दे तो दुखी होने से पूर्व आपको यह सवाल खुद से पूछने चाहिए? ताकि रियल लाइफ में आप आने वाली किसी प्रॉब्लम से बच सके।
क्या मैं अपनी जिन्दगी में जाने अनजान कोई गलत काम तो नहीं कर रहा हूँ जिससे भविष्य में मुझे परेशानी का सामना करना पड़े?
क्या मेरी संगती अच्छे लोगों के साथ है? यदि नहीं है तो जरुर भविष्य में इनकी वजह से मैं किसी प्रॉब्लम में फँस सकता हूँ?
मेरे अन्दर लालच,डर बढ़ रहा है या फिर कम हो रहा है? अगर ये बढेगा तो जाहिर है इसी की वजह से मुझे अंत में परेशानी होगी।
तो ये कुछ सवाल हैं जिनपर आपको गौर करना चाहिए। क्योंकि स्वप्न शास्त्र में लिखी बातों से अधिक जरूरी है अपनी जिन्दगी को देखना।
क्योंकी जब तक आप अपनी लाइफ में क्या चल रहा है? आप होश में रहकर, ध्यान से समझेंगे नहीं, तब तक कुछ भी करने से भला क्या फायदा होगा?
आप ही बताइए अँधा होकर किसी की बात का अनुकरण ठीक है या फिर सोच समझकर सही फैसला लेना?
जाहिर सी बात है सही निर्णय लेना, तो यदि हम संक्षेप में कहें तो सपने में खुद को दुखी देखने पर आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है।
बस आपको थोडा सावधान रहने की जरूरत है और समझने की जरूरत है ताकि आपकी जिन्दगी में किसी तरह की अनहोनी होने से बच सके।
सपने में खुद को दुखी देखने का वैज्ञानिक महत्व
उपर हमने जाना की इस तरह के सपने को लेकर स्वप्न शास्त्र क्या टिप्पणी करता है?
अब यदि इस विषय पर वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो देखिये विज्ञान तो साफ़ साफ इस तरह की बातों को इंकार करता है।
विज्ञान कहीं भी ये दावा नहीं करता की सपने में दुखी होने से इन्सान की जिन्दगी में कुछ बुरा होगा, या फिर उसकी जिन्दगी में कोई मुसीबात आएगी।
विज्ञान हालाँकि इतना जरुर मानता है की मन में चल रहे विचार इन्सान के सपने को प्रभावित करते हैं।
पर ये सोचना की सपने में दूध पीने से इन्सान की जिन्दगी में सुख समृद्धि आएगी, इस तरह की बातों से विज्ञान साफ़ इनकार करता है।
विज्ञान इन्सान की मान्यता पर नहीं चलता उसे फर्क नहीं पड़ता की लोग किसी चीज़ को क्या मानते हैं, विज्ञान तो साफ साफ सबूत के साथ किसी चीज़ के होने या न होने का प्रमाण देता है।
अगर इन्सान के शरीर में कोई तकलीफ है तो विज्ञान ये नहीं कहेगा की ये किस्मत से हुआ है, ये उसके कर्मों का फल है बल्कि विज्ञान बीमारी का कारण पता करके उसका समाधान निकाल देगा।
सपने में खुद को दुखी देखना का धार्मिक महत्व
बहुत से लोगों को लगता है स्वप्न शास्त्र में चूँकि ये बात लिखी है की सपने में खुद को दुखी देखने का अर्थ जिन्दगी में कुछ अशुभ होगा।
तो ये बात तो धर्म स्वयं कहता है? पर आपको जानकर हैरानी होगी की हिन्दू धर्म इस बात का समर्थन नहीं करता है।
देखिये किसी धर्म में क्या लिखा है? अथवा कोई धर्म किसी विषय पर क्या कहता है? ये समझने के लिए हमें उस धर्म की पुस्तक पढनी होगी।
ठीक वैसे जैसे आप किसी मुस्लिम या सिक्ख से कोई बात कहें तो वो आपसे पूछेगा की बताओ ये बात हमारे धर्मग्रन्थ में कहाँ पर लिखी है?
तभी वो मानेगा, इसी तरह सनातनियों की एक केन्द्रीय पुस्तक है उपनिषद, और किसी भी मुख्य उपनिषद को पढने पर आपको वहां ऐसा कुछ लिखा नहीं दिखाई देगा।
यही नहीं उपनिषदों का सार श्रीमदभगवदगीता को पढने पर आप पाएंगे की वहां इन्सान के सपनों के बारे में कुछ भी नही लिखा है।
अतः ये कहना की स्वप्न शास्त्र में लिखी गई बातों का सम्बन्ध सीधा धर्म से है तो ऐसा नहीं है, इस बात का प्रमाण ये है की उपनिषदों में कहीं भी इस बात का वर्णन नही किया गया है।
तो इस बात को धार्मिक नहीं ठहराया जा सकता। तो ये कहना की हिन्दू धर्म स्वप्न से जुडी हुई तमाम तरह की कहानियों को मानता है तो ऐसा नहीं है।
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FAQ
अगर आप स्वयं को नींद में रोते हुए पाते हैं तो निराश न हो, सम्भव है जिन्दगी में आपके कुछ टेंशन होंगी। ईमानदारी से अपनी परेशानी का पता करें और उसका समाधान करें सब ठीक होगा।
FAQ
इसमें घबराने वाली कोई बात नहीं है, बात सिर्फ इतनी सी है की अगर आप मेहनत करेंगे तो आपको धन मिलेगा और धन मिलेगा तो इन्सान गरीब नहीं हो सकता।
अंतिम शब्द
तो साथियों इस लेख को पढने के बाद सपने में खुद को दुखी देखना क्या दर्शाता है? और इस बात के वास्तविक मायने क्या हैं? अब आप यह भली भाँती जान गए होंगे, इस लेख को पढ़कर मन में कोई सवाल बाकी है तो उपरोक्त Whatsapp नम्बर पर संझा करें साथ ही लेख को शेयर भी जरुर कर दें।