गणेश जी को क्या नहीं चढ़ाना चाहिए? भूलकर भी न करें!

भक्ति के रंग में रगे बहुत से लोग विध्नहर्ता गणेश जी को मोदक, सिन्दूर इत्यादि चीज़ों को अर्पित करते हैं, ऐसे में सवाल आता है की गणेश जी को क्या नहीं चढ़ाना चाहिए? आइये जानते हैं।

गणेश जी को क्या नहीं चढ़ाना चाहिए

इस मान्यता के साथ की सच्चे दिल से अर्पित की गई किसी भी वस्तु को गणपति बप्पा स्वीकार करते हैं, इस आशा के साथ बहुत से लोग गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न उपायों को आजमाते हैं।

और उन सभी उपायों में गणेश जी को मोदक का भोग सबसे प्रिय लगता है। हालाँकि ये माना जाता है की गलत चीज़ों का भोग लगाने से गणेश जी नाराज हो सकते हैं।

तो ऐसी स्तिथि न आये इससे बेहतर है की हम समय से ये जान लें की गणेश जी को क्या नहीं चढ़ाना चाहिए? तो आइये इस लेख की शुरुवात करते हैं।

गणेश जी को क्या नहीं चढ़ाना चाहिए| जानें सच्चाई!

मान्यताओं के अनुसार गणेश जी को कुछ ख़ास तरह के फल, पत्तियां और खाद्य पदार्थ बिलकुल नहीं चढाने चाहिए। मान्यता है ऐसा करने पर गणेश जी भक्त से नाखुश होते हैं, तो आइये जानते हैं कौन सी वह चीज़ें हैं? और क्यों आपको इन चीज़ों को चढाने से परहेज करना चाहिए।

#1. गणेश जी की पूजा की थाली में प्रसाद के  तौर पर तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल करना वर्जित है, मान्यता है प्राचीन समय में गणेश जी द्वारा तुलसी माँ को दिए गये श्राप के कारण इस परम्परा का आज भी पालन किया जाता है।

#2. मान्यताओं के अनुसार गणेश जी की पूजा में सफ़ेद रंग के चंदन, जनेऊ या वस्त्रों को अर्पित करने की सलाह नहीं दी जाती। क्योंकि कहा जाता है गणेश जी का चन्द्रमा के साथ कुछ विवाद हो गया था जिसके बाद गणेश जी ने चन्द्रमा को उसका रूप खराब होने का श्राप दे दिया था।

#3. गणेश जी को पूजा में टूटे अक्षत चढ़ाना शुभ नहीं माना जाता, इसके स्थान पर चावल का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।

#4. सूखे हुए पुष्पों की माला का गणेश जी की पूजा में इस्तेमाल करना ठीक नहीं माना जाता।

तो पाठकों यह तो थी कुछ ख़ास मान्यतायें जिनपर चलते हुए आज भी बहुत सारे लोग गणेश जी की पूजा के दौरान इन बातों का ख्याल रखते हैं।

हालाँकि जब बात होती है धर्म की तो हम लोग अक्सर सच्चाई और तथ्यों को नजरदांज कर देते हैं। जी हाँ कुछ ऐसा ही है इस मामले में भी, आइये अब हम जानते हैं की आखिर शास्त्र क्या कहते हैं इस बारे में।

क्योंकि धर्म के नाम पर किसी भी बात को मानने से पूर्व वो बात शास्त्रों में लिखी है या नहीं ये हमें जरुर पता होना चाहिए।

शास्त्रों के अनुसार गणेश जी को क्या नहीं चढ़ाना चाहिए?

हिन्दू धर्म के प्राचीनतम ग्रन्थ हैं वेद, और वेदों का दर्शन (फिलोसपी) है वेदांत में, जबकि हिन्दुओं की केन्द्रीय पुस्तक है उपनिषद।

ठीक वैसे जैसे हर धर्म की एक केन्द्रीय पुस्तक होती है सिक्खों की गुरुग्रंथ साहिब, मुसलामानों की कुरान, ठीक इसी तरह हिन्दुओं की केन्द्रीय पुस्तक है उपनिषद

तो कोई बात धार्मिक है या नहीं ये जानने के लिए  हमें उपनिषदों को पढना होगा। कमाल की बात ये है की गणेश जी को क्या चढ़ाना चाहिए क्या नहीं?

ये बात न तो उपनिषदों में कहीं पर लिखी है और न ही भगवद्गीता में लिखी है। तो जब हिन्दुओं के इन प्रमुख शास्त्रों में ये बात नहीं लिखी है तो इसे हम धार्मिक नहीं मान सकते।

हाँ पुराणों में जरुर ये बातें लिखी है की किस देवता को किस दिन क्या चढ़ायें, और तमाम तरह की अन्य बातें।

लेकिन वो बातें हमें क्या सिखाने के लिए, किस मकसद से लिखी गई हैं ये तभी समझ में आएँगी जब हम वेदांत को पढेंगे।

वेदान्त का अध्ययन करने पर आपको मालूम होगा सनातन धर्म क्या है? और ये इन्सान को किस बात का संदेश देता है?

फिर धीरे धीरे आपको पुराणों में लिखी बात का महत्व पता चलेगा। देखिये हमारा धर्म काफी पुराना है और वेद सबसे प्राचीनतम ग्रन्थ हैं और वेदों का सार है वेदांत में।

पुराण, स्मृति और बाकी अन्य पुस्तकें जिन्हें हम धर्म के नाम पर स्वीकार करते हैं वो तभी फायदेमंद हैं जब हम वेदांत को समझें अन्यथा हम कितना भी पूजा क्यों न कर लें सब व्यर्थ है जब हम असली बात को ही नही जानेंगे।

पढ़ें: वेदांत क्या है?

गणेश जी को क्या चढ़ाएं क्या नहीं? असली और सीक्रेट बात

देखिये हमें क्या करना चाहिए क्या नहीं ये जानने के लिए फिर से हमें ये याद रखना होगा की धर्म क्या कहता है?  चूँकि धर्म कहता है सच्चाई की राह में आगे बढ़ना ही मनुष्य का कर्तव्य है।

अतः अब आप देखिये आपका जीवन कैसा है? आपके जीवन में कहाँ कहाँ तकलीफें हैं और उन परेशानियों से मुक्ति पाना ही आपका धर्म है?

उदाहरण के लिए अगर मैं दुःख में हूँ, पीड़ा में हूँ तो मेरा धर्म किसी देवता की पूजा करना होना चाहिए?

या सबसे पहले मुझे अपने दुःख का कारण पता करके उसका समाधान करना चाहिए। अगर मुझे कैंसर हुआ है तो बताइए मुझे डॉक्टर के पास जाकर इलाज करवाना चाहिए या मुझे किसी देवता को प्रसन्न करना चाहिए।

जाहिर तौर पर एक रोगी का धर्म अपना इलाज करवाना होना चाहिए। इसी तरह चूँकि हर इन्सान की जिन्दगी में कुछ न कुछ तकलीफ होती है, फिर चाहे उस तकलीफ का कारण कोई डर हो या लालच हो।

उस समस्या का निदान बेहद जरूरी है अन्यथा इन्सान दुःख में जीता रहेगा। अगर मैं कोई घटिया नौकरी कर रहा हूँ तो जाहिर सी बात है उसके कारण मेरे भीतर एक निराशा, बेचैनी होगी।

अतः उस नौकरी को छोड़कर किसी ऐसी नौकरी का चुनाव करना बेहद जरूरी है जिसे करके मुझे सुकून और शांति मिल सके। और वो तभी मिलती है जब आप एक ढंग की नौकरी करते है।

पढ़ें: जिन्दगी में क्या करना चाहिए? जीवन में करने योग्य क्या है?

तो संक्षेप में कहें तो गणेश जी की पूजा में क्या चढ़ाएं और क्या नहीं इस बात से ज्यादा आपको इस पर विचार करना चाहिए की मेरी जीवन में जो असली परेशानियाँ हैं उसका समाधान क्या है?

क्योंकि भगवान की पूजा भी आप इसलिए करना चाहते होंगे ताकि आपकी जिन्दगी में से परेशानियाँ कम हो, और वो तभी होंगे जब आप स्वयं प्रयास करेंगे।

आप धीरे धीरे अपनी परेशानियाँ ठीक कीजिये और फिर ये समझकर की मुझे एकमात्र जिन्दगी सही कर्म करने के लिए मिली है ये जानकर आप सच्चाई के मार्ग पर चलना शुरू कर दीजिये।

जी हाँ अगर आपको हमारी किसी भी बात में कोई डाउट है या परेशानी हुई है तो बेझिझक आप हमें इस Whatsapp नम्बर 8512820608 पर बता सकते हैं, ताकि आपके सभी प्रश्नों का आपका जवाब मिल सके।

 

अंतिम शब्द

तो साथियों अब आप अच्छी तरह जान गए होंगे की गणेश जी को क्या नहीं चढ़ाना चाहिए? इसके बावजूद मन में कोई प्रश्न बाकी है तो बेझिझक आप इस हेल्पलाइन whatsapp नम्बर 8512820608 पर साँझा कर दें, साथ ही लेख को अधिक से अधिक शेयर भी जरुर कर दें।

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