शिव जी का प्रिय मंत्र कौन सा है? प्रसन्न करने का मूल मन्त्र

वे जो अनादी और अनंत हैं, सृष्टि के पालनकर्ता और विनाशक हैं उन महादेव को हम सभी शीश झुकाते हैं। और उन्हें खुश करने के लिए शिव जी का प्रिय मंत्र कौन सा है? आइये जानते हैं।

शिव जी का प्रिय मंत्र कौन सा है

भगवान शिव की महिमा अपरम्पार है, उन्हें देखकर राक्षस तो राक्षस, देवता भी डरते हैं, उनके प्रकोप से धरती का हर जीव कांपता है। इसलिए मनुष्य तो मनुष्य देवतागण भी नहीं चाहते की वह नाराज हो जाये।

ऐसे में आज भी करोड़ों लोग हैं जो नित्य सुबह उठकर भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं, उन्हें याद करते हैं ताकि आने वाला दिन और समय उनके लिए अच्छा रहे।

तो अगर आप भी इसी कामना के साथ भगवान शिव जी को प्रसन्न करने की चाहत रखते हैं तो आज हम आपको विशेष शिव मन्त्र बताने जा रहे हैं जो आपके जीवन में विशेष बदलाव ला सकता है।

शिव जी का प्रिय मंत्र कौन सा है? जानें सच्चाई!

मान्यताओं के अनुसार ॐ नमः शिवाय, भगवान शिव का सबसे पसंदीदा मन्त्र है। माना जाता है इस मन्त्र का नियमित रूप से 108 बार जाप करने से व्यक्ति को मानसिक रूप से असीम शांति मिलती है और वो जीवन में सही फैसले ले पाता है।

हालाँकि इन्टरनेट पर जाएँ अथवा किसी ज्ञानी व्यक्ति से पूछें तो वो आपको इसके अलावा कुछ और मन्त्रों का जाप करने के लिये भी कह सकते हैं।

लेकिन इससे पहले की आप किसी भी मन्त्र को जपकर भगवान शिव की अराधना करने लगे आपको कुछ ख़ास बातें समझनी बेहद जरूरी हैं। अन्यथा लाखों लोग ऐसे हैं जो शिव जी के प्रिय मन्त्रों का जाप तो करते हैं पर इसका उन्हें जरा भी लाभ नहीं मिलता।

तो आखिर ऐसा क्यों है? और किस तरह शिव मन्त्रों से आप वास्तव में लाभ पा सकते हैं, आइये सच्चाई जानते हैं।

शिव जी को प्रसन्न करने का मन्त्र और सही विधि 

शिव मन्त्र का जाप करने से पूर्व हमें मन्त्रों का महत्व पता होना बेहद जरूरी है।

देखिये, मन्त्र बहुत शक्तिशाली होते हैं इसलिए नहीं क्योंकि उन मन्त्रों में किसी तरह की शक्ति छिपी होती है और जप कर लेने से वो शक्ति इन्सान के भीतर आ जाती है।

जी नहीं, सच तो ये है की मन्त्र उस गोली की तरह होती हैं जिनका सेवन करने से यानी जिन्हें जपने मात्र से इन्सान तुरंत नींद से जाग जाता है। आप उन्हें चेतावनी मन्त्र भी कह सकते हैं।

उदाहरण के लिए शिव जी का एक रूद्र मन्त्र है ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः जिसका अर्थ है की मैं पवित्र रूद्र को सादर प्रणाम करता हूँ”

बता दें शिव जी दुखों का नाश करते हैं अतः उन्हें रूद्र कहकर भी सम्बोधित किया जाता है।

पर बहुत से लोग इस मन्त्र का अर्थ जाने बिना किसी पंडित या तथाकथित बाबा के कहने पर इस मन्त्र का जाप करने लगते हैं और सोचते हैं की ऐसा करने से मनोकामना पूर्ती होगी।

पर जो व्यक्ति जरा भी समझदार होगा वो अगर इस मन्त्र का अर्थ जानेगा और कहेगा की इस मन्त्र में तो कहीं भी कामना पूर्ती की बात ही नहीं है, ये मन्त्र तो बस शिव को प्रणाम करने का मन्त्र है।

तो ऐसा इन्सान फिर इस मन्त्र का जाप नहीं करेगा। और ये भी सम्भव है की वो ये बात भी समझ जाए की संसार में आप जो भी इच्छा पूरी करना चाहते हैं चाहे पैसे कमाना हो, सुन्दर पत्नी से शादी करना हो उसके लिए तुम्हें प्रयास करना पड़ता है ये चीज़ें तो आसानी से हो जाती हैं।

पर वे लोग जो इस विश्वास में जीते हैं की मन्त्र का जाप करने से कोई चीज़ प्राप्त हो जाती है, भगवान शिव ऐसे लोगो को कुछ नहीं देते।

जी हाँ, मान लीजिये मैं एक कार खरीदना चाहता हूँ तो बताइए ॐ नमः शिवाय या कोई और मन्त्र का जाप कर लेने से क्या मुझे वो कार मिल जाएगी?

नहीं न, उसके लिए तो मुझे कोई अधिक पैसों वाली नौकरी या व्यापार करना होगा, संक्षेप में कहें तो धन अर्जित करना होगा तभी तो ये सम्भव है न।

पर बहुत से लोग ये बात समझते ही नहीं हैं और फिर जब उनकी कामना पूर्ण नहीं होती तो फिर वो भगवान शिव से नाराज हो जाते हैं।

अब सवाल आता है की जब मन्त्रों के जाप से शिव जी खुश नहीं होते, तो फिर उन्हें खुश करने का सही तरीका क्या है?

#1. शिव को खुश रखना है तो पहले उन्हें समझें।

बचपन से लेकर बड़े होने तक एक इन्सान शिव जी को लेकर कई तरह की बातें सुनता है, कभी किसी पंडित द्वारा उसे कुछ बता दिया जाता है तो कभी परिवार और समाज में ही उसे कई बातें सुनने को मिल जाती है।

लेकिन एक इन्सान जो खुद को शिवभक्त कहता है उससे पूछो की शिव जी की नाम पर जो तुम इस मान्यता का पालन कर रहे हो बताओ कहाँ पर ये बात लिखी है? या शिव जी ने फिर ऐसा किया, फिर वैसा किया ये बात आपने किस किताब में पढ़ी।

तो 99% मामलों में आप पायेंगे की उसने कभी शिव जी के बारे में कुछ पढ़ा ही नहीं। पर बताइए जिस इन्सान के दिल में शिव बसते हों उसे क्या इतनी भी मेहनत नहीं करनी चाहिए की वो कुछ समय निकालकर शिव जी के बारे में पढ़ें।

उनको समझें। बिलकुल होना चाहिए न, मैं बेचारे अनपढ़ों की बात नहीं कर रहा हूँ मैं अच्छे ख़ासे शिक्षित लोगों की बात कर रहा हूँ।

जी हाँ, हमें लगता है हम तो शिव के बारे में सब कुछ जानते हैं, शिव जो क्या चढ़ाना है क्या नहीं हमें अच्छे से पता है? पर मैं कहूँ आपको अधिकतर बातें जो मालूम है वो बातें फर्जी हैं क्योंकि शास्त्रों में ऐसा कही नहीं लिखा है।

पर हो सकता है कुछ लोग ये सुनकर नाराज हो जाएँ। पर नाराज हो जाएँ तो इसमें मेरा क्या कसूर। बस मैं चाहता हूँ की जैसे हर धार्मिक व्यक्ति अपने धर्मग्रन्थ को पढता है उसी तरह आप जानिए की उपनिषदों को पढ़कर समझें की शिव कौन हैं?

तब जाकर आप शिव की अच्छे से भक्ति कर पाएंगे। क्योंकि बिना किसी को अच्छे से जाने आप उसकी भक्ति दिल से नहीं कर सकते। शिव जी को समझने में ये विडियो आपके काम आयेगा अतः इसे जरुर देखें।

 

पढ़ें: शिव कौन हैं?

#2. शिव का सम्मान करें।

जो व्यक्ति जान गया की सत्य ही शिव का दूसरा नाम है, वो हो ही नहीं सकता की झूठा में जीना पसंद करे। हम जैसे प्राकृतिक रूप से होते हैं हमारे अन्दर लालच होता है, डर होता है।

अतः हम उसी की खातिर झूठी बात को भी सच मानकर जीते हैं, उदाहरण के लिए कबीर साहब और न जाने कितने संत साधू हमें समझा गये की एक ही जन्म है और इसे हमें व्यर्थ नही गवाना चाहिए।

ये बताने के बावजूद हम उन चीजों को पाने में अपना समय बर्बाद करते हैं जिन्हें पाने का कोई लाभ नहीं। तो वो इन्सान जो जान लेता है की शिव वास्तव में कौन हैं?

तो फिर ऐसा नहीं हो सकता की सच को जानकर भी झूठ में जीने लगे वो फिर झूठ को छोड़ देगा। ठीक वैसे जैसे किसी को मालूम हो जाये की मुझे कैंसर है तो फिर उसके लिए इलाज करवाना मजबूरी हो जाएगी न।

अन्यथा वो मर जायेगा। ठीक उसी तरह जब इन्सान की आँखे खुल जाती हैं जब उसे मालूम होता है की जिन चीजों को, जिन लोगों को मैंने अपनी जिन्दगी बनाया हुआ था उन्हीं के कारण मैं इतना दुःख, बेचैनी में जीता हूँ।

तो उसका विश्वास अब धीरे धीरे व्यर्थ की बातों में, व्यर्थ की चीजों में कम हो जाता है, अब वो कहता है बाकी सब ठीक है अब मुझे कुछ ऐसा करना है जिससे मेरा जन्म सार्थक हो जाये।

मैं सच्चाई की राह चलूँगा ताकि ये जो जन्म मिला है मैं इसे सार्थक कर सकूं। यही शिव भक्ति होगी। इसी को कहते हैं शिव का सम्मान करना।

सुबह सुबह तिलक लगाकर ॐ नमः शिवाय मन्त्र का जाप करना और फिर दिन भर लोगों से झूठ बोलना, गलत काम करना, उनका शोषण करना और फिर जय जय शम्भू करना ये सब करना शिव का सम्मान नहीं कहलाता।

शिव का सम्मान तभी है जब हम उनकी कही बातों पर चलें।

#3. शिव में जीवन जियें।

इससे बड़ा शिवमंत्र क्या हो सकता है की आपने शिव के बारे में जाना और अपने डर, लालच को छोड़कर आपने एक सच्ची जिन्दगी जीना शुरू कर दिया, ठीक उन लोगों की तरह जिन्होंने अपना जीवन सच्चाई को समर्पित किया।

फिर चाहे वो स्वामी विवेकानन्द जी हो, शहीद भगत सिंह हो, संत कबीर हो। तो फिर जान लीजिये शिव आपके काम आ गए।

अन्यथा आप शिव को अपनी कामना पूर्ती का साधन भी बना सकते हैं।

आप कह सकते हैं की मेरी सन्तान हो जाए इसके लिए मैं शिव को पूजूंगा, या मुझे प्रमोशन मिल जाये नौकरी में इसके लिए मैं सोमवार को शिव जी का व्रत रखूंगा।

तो अब आपके हाथ में हैं की आप शिव को इच्छापूर्ति का साधन बनाना चाहते हैं या फिर उनके माध्यम से अपने जन्म को सार्थक बनाना चाहते हैं।

पढ़ें: जिन्दगी में क्या करना चाहिए? जीवन में करने योग्य क्या है?

अंतिम शब्द

तो साथियों ये मेरा सौभाग्य रहा की शिव जी का प्रिय मन्त्र कौन सा है? इस लेख के माध्यम से आपको शिव जी की सच्चाई बताने का प्रयास कर पाया।

अभी भी सम्भव है बहुत सारे सवाल आपके मन में होंगे और आप पूछना चाहते होंगे तो बेझिझक आप अपने प्रश्नों को whatsapp नम्बर 8512820608 पर साँझा कर सकते हैं। हम सभी प्रश्नों का जल्द उत्तर देंगे।

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