मन्त्र जाप कितनी बार करना चाहिए? जानें सच्चाई!

मन्त्र जाप में अद्भुत शक्ति होती है, अतः प्राचीन समय से ही कई सारे साधक सिद्धियाँ और चमत्कारिक शक्ति पाने के लिए मन्त्र जाप करते आ हैं! ऐसे में सवाल आता है आखिर एक दिन में मन्त्र जाप कितनी बार करना चाहिए?

मन्त्र जाप कितनी बार करना चाहिए

हिन्दू धर्म में मन्त्र जाप को विशेष महत्व दिया गया है, धार्मिक कथाओं को पढने पर आप पाएंगे की मन्त्रों का उच्चारण करके साधकों ने बड़ी अद्भुत शक्तियाँ हासिल की और उनका उपयोग राक्षसी प्रवत्ति के लोगों को मिटाने के लिए किया।

हालाँकि आज भी मन्त्र जाप की प्रथा पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है, माना जाता है कुछ ऐसे मन्त्र हैं जिनका नियमित रूप से जाप करने पर भगवान प्रसन्न होते हैं और मनवांछित फल मनुष्य को देते हैं।

तो इससे पहले की आप मन्त्र जाप की किसी विधि का पालन करें, अपनी साधना को सफल बनाने के लिए और जीवन में सुख शांति और समृद्धि पाने हेतु मन्त्र जाप से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातें समझनी हो जाती है! तो आइये जानते हैं की

मन्त्र जाप क्या होता है? जानें सच्चाई!

धर्म ग्रन्थों में मौजूद किसी श्लोक या पंक्ति को बार बार मुख से उच्चारण करने की प्रक्रिया को मन्त्र जाप कहा जाता है! उदाहरण के लिए यजुर्वेद में अध्याय 36 के तीसरे क्रमांक में गायत्री मन्त्र का वर्णन किया गया है जिसका आज भी अधिकांश हिन्दू रोजाना जाप करते हैं।

इस मन्त्र के माध्यम से इंसान भगवान की महिमा का गुणगान कर प्रभु से, खुद को सत्य के रास्ते पर चलने की शक्ति देने के लिए प्रार्थना करता है।

इस तरह अनेकों ऐसे मन्त्र हैं जो मनुष्य को सद्बुद्धि देकर उसे संसार में एक अच्छा व्यक्ति बनने के लिए प्रेरित करते हैं।

मन्त्र किसी भी बड़ी बात को कुछ शब्दों में समझा देते हैं, इसलिए सदा से ही मन्त्रों की उपयोगिता रही है! हिन्दू धर्म में सभी धार्मिक कार्य जैसे पूजा हवन, रामायण इत्यादि से लेकर विवाह जैसे मामलों में मन्त्रों का उच्चारण किया जाता है।

मान्यता रहती है की धार्मिक कार्यों में सफलता के लिए मन्त्र जाप बेहद अहम होते हैं! इसलिए हजारों वर्ष पहले की तरह आज भी मन्त्र जाप की परम्परा चली आ रही है। अब ऐसे में प्रश्न आता है की आखिर यह

मन्त्र जाप कितनी बार करना चाहिए?

ऋषियों के ज्ञान के फलस्वरूप जब वेद और उपनिषद रचे गए! तो इन धर्मग्रन्थों में मौजूद मन्त्रों को आम लोगों तक पहुंचाने का एकमात्र उद्देश्य लोगों को बड़ी ऊँची बात महज एक इशारे में समझाना था।

ऋषि भली भाँती जानते थे की इन्सान का मन हमेशा भटकता रहता है और यही उसको गलत रास्ते पर चलने के लिए मजबूर करता है। तो मन्त्र उस अलार्म की भाँती थे जिनका बार बार यदि उच्चारण करे तो उसे असली बात याद आ जाये।

उदाहरण के लिए ॐ नम: शिवाय एक प्रसिद्ध मन्त्र है, जिसका अर्थ है मैं शिव को नमस्कार करता हूं। और चूँकि सत्य का ही दूसरा नाम शिव है!  तो तो इस प्रकार यह मन्त्र इसीलिए दिया गया ताकि इंसान अपने जीवन में सत्य को महत्व दे! और झूठ से बचे।

इसी तरह जितने भी प्रभु श्री राम या किसी अन्य ईश्वर पर आधारित मन्त्र हैं उनका एक विशेष अर्थ है, वो हमें कुछ ऊँची बात समझाना चाहते हैं ताकि हम उन मन्त्रों का जाप करे और एक सही जिन्दगी जियें।

पर हमारे साथ उल्टा हुआ हमने मन्त्रों पर तथा उनके उच्चारण पर बहुत ध्यान दिया लेकिन हम असली बात भूल गए! हम मन्त्रों को तोते की भाँती रटने तो लगे पर मन्त्र जिस बात को समझाना चाह रहे थे उसको न तो हमने समझने का प्रयास किया और न ही वैसा जीवन जीने का।

परिणाम यह हुआ की ऋषियों, ज्ञानियों ने घोर तपस्या करके जो मन्त्र हमें हमारे कल्याण के लिए दिए थे वही मन्त्र महज अन्धविश्वास बन कर रह गए।

जिनके हाथ में वो मन्त्र आये उन्होंने उन मन्त्रों का दुरूपयोग करना शुरू कर दिया! दुर्भाग्य से आज भी यह सब चला आ रहा है एक तोते की भाँती हम मन्त्रों को रटना तो पसंद कर रहे हैं लेकिन उन मन्त्रों की बात को समझकर उन्हें जीवन में अमल में नहीं लाना चाहते।

क्योंकी सच्चाई कड़वी होती है न, और हर इन्सान इस दवाई को पीना पसंद नहीं करता! इसलिए एक इंसान लालची,डरपोक और भीतर से कितना भी कपटी क्यों न हो बाहर से वो मन्त्र जाप करके स्वयं को यह साबित करता है जैसे मानो वह कितना धार्मिक इंसान हो।

पर याद रखें! आप या वे लोग जो सिर्फ मन्त्रों के जाप में यकीन रखते हैं और मन्त्रों का सच्चा अर्थ समझकर उन्हें अपने जीवन में लागू नहीं करते! ऐसा करके आपके जीवन में वो मन्त्र कोई काम नहीं आयेंगे।

ठीक वैसे जैसा 4 साल का बच्चा गणित का कोई फार्मूला याद कर ले तो क्या वो उससे सवाल हल कर देगा?

नहीं न, उसके लिए तो उसे पहले सवाल को समझना होगा और साथ ही उसे बेसिक गणित आनी चाहिए! इसी प्रकार समाज में बहुत घूम रहे हैं जिनके मुख में राम है और भीतर राक्षस है जो अपने फायदे के लिए दुनिया को खा देना चाहता है।

संक्षेप में कहें तो मन्त्र का जाप कितनी बार होना चाहिए, कैसे होना चाहिए ये आपकी व्यक्तिगत इच्छा है, लेकिन हाँ अगर उस मन्त्र के अर्थ को जानकर उस मन्त्र को जीवन में अमल करने का प्रयास नहीं किया! तो जान लीजिये सब कुछ व्यर्थ है।

सत्य ही सुन्दर है ये मन्त्र जान लिया लेकिन झूठ के आगे सर झुकाना पड़ रहा है तो बताइए क्या फायदा ऐसे मन्त्र जाप का! मन्त्र वास्तव में बहुत सुन्दर होता हैं, उनका जाप करने से पहले उनका अर्थ समझें और फिर उन्हें जीवन में अपनाने का अभ्यास करें तब जाकर उसका लाभ मिलेगा।

गायत्री मंत्र कितनी बार जाप करना चाहिए?

ऊं भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।।

उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे!

गायत्री मन्त्र ईश्वर के प्रति आभार को व्यक्त करता है, यह मन्त्र हमें सच्चे रास्ते पर चलकर जीवन को सार्थक करने की सीख देता है! अगर आप अन्धकार से रौशनी की तरफ बढ़ना चाहते हैं, पुरानी गलतियों को न दोहराकर एक सही जिन्दगी जीना चाहते हैं तो निश्चित रूप से आप गायत्री मन्त्र का जाप दिन में अनेकों बार कर सकते हैं।

लेकिन आमतौर पर सच्चाई कुछ और होती है, भीतर से हम चाहते हैं पहले की ही तरह स्वार्थी, लालची बने रहे और सच्चाई के स्थान पर अपने मन की बात को मानें। अतः फिर हम बाहर से गायत्री मन्त्र जैसे लाभकारी मन्त्रों को भी दूषित करते हैं अर्थात हम राम नाम खूब जप लेते हैं लेकिन राक्षसों के आगे सर झुका लेते हैं।

ओम मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए?

ॐ शब्द अ+ऊ+म तीन वर्णों से मिलकर बना है। ॐ अपने आप में कोई शब्द नहीं है जिसका कोई पर्यावाची हो। ॐ एक विधि है जो हमें जीवन जीने का सूचक देती है।

ऋषियों ने मन अर्थात चेतना की तीन अवस्थाएं बताई हैं और तीनों अवस्थायें ॐ शब्द से सम्बंधित हैं।

  • ॐ में जो सबसे पहले अ है इसका समबन्ध मनुष्य की चेतना (मन) की जागृत अवस्था से है! अधिकांश लोग चेतना की इसी अवस्था में जीते हैं यानी जो वो आँखों से देखते हैं, मन उनका जो अनुभव करता है उसी को सत्य मान लेते हैं।
  • उ चेतना की स्वप्न अवस्था है जब इन्सान सोता है उसे तमाम तरह के अनुभव होते हैं न।
  • म यानी सुसुप्ति की अवस्था जिसमें मनुष्य को आन्दित रहने के लिए के लिए किसी विषय की या कल्पना की जरूरत नहीं पड़ती वो “मैं” यानि अहम के होने भर से खुश रहता है।

तो ज्ञानियों ने कहा की अ+उ+म यानी चेतना की तीनों अवस्थाओं के आगे फिर सब मिट जाता है ॐ शब्द में मौन आ जाता है! और यही फिर शान्ति है।

तो फिर शब्द किनके लिए हैं जो इस दुनिया में जीते जी दुनिया की सच्चाई जानकर सही जिन्दगी जीना चाहते हैं! ॐ कोई जप नहीं है की रास्ते पर चल रहे हैं तो ॐ किया जा रहा है।

ॐ तो एक बहुत बड़ी बात को समझाने का प्रतीक है, पर बहुत से लोग ॐ शब्द का अर्थ जाने बिना सुबह शाम इसे दवाई की भाँती रोज पीते हैं, पर जिन्दगी में उन्हें कोई लाम नहीं होता।

ओम नमः शिवाय का जाप कितनी बार करना चाहिए?

अगर इस मन्त्र का जाप करने से आप शिव यानी सच्चाई के करीब आते हैं! आपको जीवन में पुरानी गलतियों का अहसास होता है, और भीतर जो कमियां हैं, झूठ हैं उन्हें हटाकर मन के लालच और डर को हटाकर जिन्दगी में जो कुछ बढ़िया है उसे करने का दिल करता है तो समझ लीजिये इस मन्त्र का जप करना आपके लिए लाभदाई है।

पर अगर आप बिना इस शब्द का वास्तविक अर्थ जाने किसी के कहने पर इसको दोहरा रहे हैं तो निश्चित रूप से कोई लाभ नहीं होगा।

बहुत लोग हैं जो इस मन्त्र को 20 साल या उससे भी लम्बे समय से जप रहे हैं पर अपनी जिन्दगी में वे छोटी छोटी बातों में उलझ जाते हैं, सच्चाई से उन्हें कोई लेना देना नही वो भ्रम के सहारे जीना पसंद करते हैं।

हरे कृष्ण मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए?

हरे कृष्ण मन्त्र का आप दिन भर में चाहे 10 बार जप करे या सौ बार एक बात तय है की आपको कृष्ण से प्रेम है और आप उनके निकट आना चाहते हैं।

वे लोग जो कृष्ण को पाना चाहते हैं उन्हें भगवद्गीता में भगवान् कृष्ण बताये दे रहे हैं की दो ही रास्ते हैं या तो मेरी माया को पा लो यानी इस संसार में जो कुछ है रुपया पैसा, इज्जत, जमीन इत्यादि।

या फिर आपके पास विकल्प है मुझे पाने का! कृष्ण माने सच्चाई को पाने का, कृष्ण को छवि नहीं हैं जिन्हें हमने टीवी में देखा है और किताबों में पढ़ा है! कृष्ण का दूसरा नाम है सत्य उसी को आत्मा कहा गया है।

तो जिसे सच्चाई से प्रेम है, जो सच में जीना पसंद करता हो समझ लीजिये कृष्ण उसके जीवन में है! लेकिन जो इन्सान अपने भीतर मौजूद झूठ, लालच, को देखने के बाद भी अपने जीवन को बेहतर करने का प्रयास न करे समझ लीजिए ने उसे खुद से प्रेम है और न कृष्ण से।

अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढने के बाद मन्त्र जाप कितनी बार करना चाहिए? और मन्त्रों का उद्देश्य क्या है? अब आप भली भाँती समझ गए होंगे! अभी भी इस विषय के प्रति मन में कोई सवाल है, सुझाव है तो आप बेझिझक इस whatsapp नम्बर 8512820608 पर अपने विचारों को सांझा कर सकते हैं!

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