कलयुग क्या है? सच सुनकर चौंक जायेंगे!

कलयुग को लेकर अनेक तरह की कहानियां और किस्से प्रचलित हैं पर वास्तव में कलयुग क्या है? क्या कलयुग समय के साथ बदलने वाली चीज़ है? या फिर ये कुछ और है आइये सच जानते हैं।

कलयुग क्या है

एक से बढ़कर एक विद्वान हैं जो बतलाते हैं की दुनिया में जितने भी जघन्य अपराध और कुकर्म हम देख रहे हैं वो तो हमारी किस्मत में पहले से ही लिखा था।

चूँकि अब घोर कलयुग आने वाला है तो अब मुसीबतें इन्सान की और बढ़ जायेंगी।

और जब इस तरह की बातें अच्छे लोग सुनते हैं तो उनको यह संदेश मिलता है की दुनिया सुधर नहीं सकती तो भला हम जिन्दगी में अच्छे काम क्यों करें?

देखिये अगर आपका भी मानना यही है तो आपका आज का यह लेख आपकी जिन्दगी और सोच पूरी तरह बदल सकता है।

क्योंकी वास्तव में कलयुग को लेकर जो छवि हमने बनाई हुई है उसका सच्चाई से कोई लेना देना नहीं है अधिकाँश लोगों के मन में कलयुग को लेकर महज कुछ भ्रम हैं।

कलयुग क्या है? 

काल काल सब कोई कहै, काल न चीन्है कोय

जेती मन की कल्पना, काल कहावै सोया||

अर्थात समय ही मन है, और मन की एक अवस्था का नाम ही कलयुग है। मन अगर आनन्दित है, अच्छे कर्म करने को उत्सुक है तो यही समय इन्सान का सतयुग कहा जाता है।

दूसरी तरह अगर मन आलस्य, कुविचार और बुरी नियत से भरा हुआ है तो यही समय इन्सान के लिए कलयुग हो गया।

जी हाँ, जिसका जैसा मन उसके लिए वैसा समय। कभी आप बहुत शांति या आनन्द महसूस करते हो तो क्या यह महसूस होता है की ये कलयुग है? नहीं न तब तो लगता है जैसे मानो ये धरती ही स्वर्ग है।

अतः वे लोग जो सोचते हैं की कलयुग तो कोई बाहरी घटना का नाम है, कलयुग में तो पाप होते ही हैं या फिर कलयुग में कुछ न कुछ बुरा जरुर घटित होगा। तो समझ लीजिये ये आपका भ्रम है, सच्चाई नहीं है।

कलयुग आपकी आंतरिक दशा का नाम है। आपके मन की जो हालत है वही कलयुग की कहानी को बयाँ करता है। उदाहरण के लिए लोग कहते हैं की जिस समय भगवान राम का धरती पर अवतार हुआ था उस समय त्रेतायुग था।

और वाकई, राम ने सच्चाई और धर्म पर चलकर जिस प्रकार जीवन जिया वो तो उनके लिए सतयुग ही था।

लेकिन कुम्भकरण, रावण जैसे लोग जिनकी बुद्धि अपने स्वार्थों की पूर्ती की खातिर भ्रष्ट हो गई तो ऐसे लोगों के लिए वही समय कलयुग हो गया न।

इसी प्रकार कृष्ण के युग यानी द्वापर में भी जो लोग कपटी, बुरे, स्वार्थी थे उनके लिए वही समय कलयुग था जबकि जिन लोगों ने सच्चाई, धर्म के रास्ते पर जीवन जिया वही समय उनके लिए सतयुग हो गया।

अतः जैसे आप जीवन जीते हैं उसी तरह आपका समय होता है।

कलयुग का आप पर क्या प्रभाव है? 

अगर आपको देखना है की आपके जीवन में कलयुग या सतयुग में से सबसे ज्यादा किसका प्रभाव है तो अपनी जिन्दगी को देख लीजिये।

अगर आप पाते हैं की मैं झूठे और बेईमान लोगों के सामने झुक जाता हूँ, मेरे अन्दर पैसों का किसी अन्य वस्तु का लालच बहुत है।

मैं डर के साए में जीवन बिता रहा हूँ तो जान लीजिये आपके मन की यह दशा आपके जीवन में कलयुगी प्रभाव को दर्शाती है।

दूसरी तरफ अगर आप पाते हैं की मेरे लिए सच से ज्यादा कोई भी रिश्ता, कोई भी वस्तु महत्वपूर्ण नहीं है।

आपके अन्दर निस्वार्थ भाव से दूसरों की भलाई करने की इच्छा है, आप पैदा हुए हैं तो कुछ बेहतर करके इस जन्म को सार्थक बनाना चाहते हैं।

तो आपके मन की यह सुन्दर स्तिथि आपके सतयुगी जीवन की दशा को बयां करती है।

तो अपने विचारों को देखिये, अपने कर्मों को देखिये और ईमानदारी से गौर करने पर आपको अपने समय का सही अंदाजा हो जाएगा।

कलयुग में पुण्य क्या है?

प्रत्येक वह कर्म जो इन्सान को मुक्ति की तरफ अर्थात आजादी की ओर ले जाए! जिस कर्म से व्यक्ति के मन में चैन आये जान लीजिये वह कर्म पुण्य है!

कलयुग में पुण्य क्या है

दूसरी तरफ वो काम जो इन्सान को और ज्यादा मजबूरी में,डर में, जीने पर विवश कर दे अर्थात उसे और दुखी कर दे, वो कर्म पाप है।

अधिकांश हम लोग ऐसे ही कर्म करते हैं जिन्हें करके हम और अधिक गहरे गड्डे में फँस जाते हैं, इन्सान की चाहत होती है प्रेम की, आजादी की, निडरता की!

पर चूँकि वो अज्ञानी होता है अतः अपने ही विचारों को सच्चा समझकर वो कर्म ऐसे करता है जिससे की वो और ज्यादा परेशानी में पड़ जाता है।

उदाहरण के लिए बहुत से लोगों की मान्यता रहता है की शादीशुदा जीवन बिताना पुण्य का काम है और सभी को ऐसा करना चाहिए।

और दुर्भाग्य से इसी मान्यता को सच मानते हुए कई लोग न चाहते हुए भी दबाव में आकर शादी कर लेते हैं।

और फिर शादी के बाद पछताते हैं, तो कर्म तो उन्होंने इसी लिए किया था ताकि शादी करके उन्हें जिन्दगी में चैन मिलेगा, जो अकेलापन महसूस हो रहा है वो खत्म हो जायेगा।

घर में सब खुश रहेंगे। पर अधिकतर मामलों में इसका उल्टा रहता है।

एक इन्सान जिसकी जिन्दगी में जो बची खुची शान्ति होती है वो भी शादी करके लगभग गायब हो जाती है।

अतः हर वो काम जिसे आप नासमझी में कर बैठते हैं वही आपका बंधन बन जाता है।

तो हमेशा विचार कीजिये शांति, प्रेम, करुणा, सच्चाई जो मैं पाना चाहता हूँ इस काम से मुझे वो मिलेगी। यदि हाँ तो वही कर्म पुण्य समझकर कर लीजिये अन्यथा रहने दीजिये।

कलयुग में धर्म क्या है ? 

एक सही जिन्दगी जीना ही आज के समय में अर्थात कलयुग में मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म है।

अपनी जिन्दगी से लालच, डर, झूठ के आगे झुकने की बजाय एक सच्चा जीवन जीना ही आज के समय में प्रत्येक मनुष्य का धर्म होना चाहिए।

आज हम एक ऐसे दौर में जी रहे हैं जहाँ जानवरों पर अत्याचार हो रहे हैं, मनुष्य एक दूसरे की जान लेने पर उतारू है।

तमाम तरह की धोकेबाजी, लूटपाट, बलात्कार हो रहे हैं, अर्थात दुनिया गलत दिशा की तरफ बढ़ रही है जिससे उनकी जिन्दगी से प्रेम, शांति दूर होती जा रही है।

ऐसे समय में मनुष्य का धर्म यही है की वो उस राह पर न चलें जिस पर दुनिया चल रही है, बल्कि वो सच्चाई के रास्ते पर चले इसी में उसका धर्म है।

इस खराब समय में यदि हम में से कोई इंसान दुनिया की खराब हालत को सही करने की जिम्मेदारी उठाने के लिए आगे आ रहा है, तो यही सच्चे धार्मिक व्यक्ति की पहचान है।

आज के समय में धर्म इस बात पर नहीं है की कोई इन्सान पूजा पाठ, भजन कीर्तन कर रहा है की नहीं, इस खराब समय में जो इन्सान सच्चाई को जानते हुए गलत रास्ते पर न चले इसी में वस्तविक धार्मिकता है।

कलयुग में क्या क्या होगा? 

जो कुछ भी अधर्म और पाप आज हम देख रहे हैं उन कर्मों की उपज तो मनुष्य के विचारों से ही होती है।

कलयुग में क्या क्या होगा

 

मन अगर कलुषित है, मन में अगर दूसरे का बुरा करने की भावना है तो निश्चित रूप से कर्म भी वैसे ही होंगे।

तो बजाय इस बात में चौंकने की क्या कलयुग में कितना बुरा हो रहा है? और आगे क्या होगा?

अगर इस खराब स्तिथि को सुधारना है, अगर मनुष्य को स्वयं के विनाश से खुद को बचाना है तो एकमात्र उपाय है समझदारी, बोध।

जब तक मनुष्य समझेगा नहीं की प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करना उसके लिए कितना जानलेवा हो सकता है तब तक मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए करता रहेगा।

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अंतिम शब्द

तो साथियों इस पोस्ट को पढने के बाद कलयुग क्या है? कलयुग की सच्चाई आप जान चुके होंगे? इस लेख को पढ़कर मन में कोई प्रश्न है तो आप अपने प्रश्नों को whatsapp नम्बर 8512820608 पर सांझा कर सकते हैं। साथ ही लेख उपयोगी साबित हुआ है तो इसे शेयर भी कर दें।

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