शरीर में सवारी कैसे आती है? जानें ये रहस्य!!

आज भी भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी घटनाएँ सुनने को मिलती हैं जहाँ किसी औरत पर माता आने लगती है या किसी पर कुलदेवी आ जाती हैं। ऐसे में सवाल आता है की शरीर में सवारी कैसे आती है? और क्यों आती है?

शरीर में सवारी कैसे आती है

तो आज हम इसी विषय पर जरा गहराई से चर्चा करेंगे और समझेंगे भारत में इन्सान के ऊपर देवी देवताओं के आने के पीछे क्या राज है?

क्यों किसी ख़ास इन्सान पर ही ये सवारी आती है? क्या इसके पीछे इंसान को भगवान का मिला हुआ कोई वरदान है?

कुछ ऐसे मूल प्रश्नों पर चर्चा करेंगे जिससे की आपको अपने प्रश्न का सीधा समाधान मिल जायेगा।

इन्टरनेट पर जायेंगे तो आप पाएंगे कोई इसे अन्धविश्वास कहता है तो कोई इसे सच्ची धार्मिकता बताता है, पर कोई भी लॉजिक या तर्क के साथ अपनी बात को सच साबित नहीं कर पाता।

पर हमें पूरी आशा है इस लेख को ध्यान से पढ़ते हैं तो आपको इन्सान और भगवान के बीच के सम्बन्ध की हकीकत मालूम होगी। तो आइये सबसे पहले जानते हैं की

शरीर में सवारी कैसे आती है? जानें सच्चाई

अगर आप ध्यान से देखें तो पायेंगे की देश के ऐसे स्थान जहाँ साक्षरता दर सामान्यता कम होती है वहां ऐसे मामले अधिक सुनने को मिलते हैं? कभी आपने सोचा है ऐसा क्यों?

शरीर में सवारी कैसे आती है

क्योंकी वहां लोग मानते हैं, की माता शरीर में प्रवेश करती है। और बचपन से वे इस माहौल में रहते आये हैं जहाँ पर इंसानों में माता आना सामान्य और गौरव की बात मानी जाती है!

ऐसे में जब कभी भजन, कीर्तन या जागरण होता है। तो आसपास के माहौल में देखकर  उन्हें भी इस तरह का अनुभव होने लगता है, उनके मन में भी माता की छवि आने लगती है और फिर वह भी उस माहौल में रंग जाते हैं।

पर अगर आप जरा सच्चाई जानने की कोशिश करें तो पाएंगे ये सब अनुभव और मान्यताओं का खेल है!

अर्थात चूँकि वो मानते हैं की भक्ति के माहौल में माता लोगों के शरीर में स्वयं आ जाती है तो इसलिए अपने शरीर में भी उन्हें वही चीज अनुभव होती दिखती है!

दूसरी तरफ ऐसा इन्सान जिसने कभी जीवन में ये सारी घटनाएँ सुनी न हो, उसने ये सब न देखा न सुना हो? क्या उसे कुछ ऐसा अनुभव हो पायेगा? निश्चित रूप से नहीं।

क्योंकि ये चीज़ें जितनी भारत में होती हैं, अमेरिका जैसे देशों बिलकुल भी नहीं!

तो कहने का अर्थ है शरीर में माता के प्रवेश करने के मामले ऐसे ही स्थानों पर देखे जाते हैं जहाँ बचपन से ही ऐसा माहौल होता है। इसे आप ऐसे भी कह सकते हैं जैसा देश वैसा भेष।

शरीर में माता क्यों आती है? जानें रहस्य!

बहरहाल अब मुख्य सवाल ये है की क्या वाकई शरीर में भगवान प्रवेश करते हैं या फिर ये सब बस मन की कल्पना है!

और अगर ये सच है तो फिर किस तरह देवता शरीर में प्रवेश करते हैं? ये समझने से पहले आपको शरीर और इस संसार को समझना होगा।

शरीर हमारा भौतिक है अतः जो कुछ भी हमारे शरीर के भीतर प्रवेश करता है वो भौतिक होता है। वायु, जल, इत्यादि जो कुछ भी शरीर में जाता है वो सब भौतिक है।

भौतिक माने जिनका इन्द्रियां अनुभव कर सकती हैं, मन जिसकी कल्पना कर सकता है, आँखें जिसे देख सकती हैं। हाथ जिसे छू सकते हैं।

अतः जिस तरह शरीर भौतिक है उसी प्रकार संसार भी भौतिक है, संसार में जो कुछ है इन्द्रियां उसका अनुभव कर सकती है। फिर चाहे वो मिटटी, वायु हो या पहाड़।

तो यह निष्कर्ष निकालने के बाद की संसार और शरीर दोनों भौतिक हैं। अतः यह बात निश्चित हो जाती है की शरीर में कुछ अभौतिक नहीं प्रवेश कर सकता।

ऐसा कोई भी तत्व (एलिमेंट) शरीर के भीतर नहीं प्रवेश कर सकता जिसके बारे में जानकारी न हासिल की जा सके। जो कुछ भी इस दुनिया के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करेगा वो भौतिक होगा।

पर चूँकि जिन्हें हम देवी देवता, भगवान, अवतार कहते हैं वो तो भौतिक नहीं है। वे ऐसे नहीं हैं जिन्हें हम देख सके या छू सके। इसलिए उसे उपरवाला नाम दिया गया।

तो जब हम कहते हैं की हमारे भीतर भगवान आ गए हैं तो वास्तव में हमने उन्हें भौतिक तत्व बना दिया। और हमने ऐसा करके उनका अपमान कर दिया। और वो अपमान करके हमने अपना ही नुकसान कर दिया।

क्योंकि भगवान राम या कृष्ण जिनके आगे सर झुकाकर जीवन में बेहतर इन्सान बनने की सीख मिलती थी। वो सीख नहीं मिल सकती यदि हम उन्हें भी इसी संसार का कोई इन्सान मान लें।

देवी देवता हमसे काफी बड़े हैं, और इसी बात का सहारा लेकर हम भी अपने जीवन में बेहतर बन सकते हैं। पर जब हम कहते हैं देवता हमारे भीतर आ गए तो वास्तव में हमने हवा, पानी की भाँती देवताओं को भी कोई भौतिक तत्व बना दिया।

शरीर में सवारी बुलाने का मंत्र

इन्टरनेट पर आपको इसी सवाल के जवाब में बहुत से ऐसे मन्त्र देखने को मिल जायेंगे जो संस्कृत में हैं और उन मन्त्रों को पढ़कर आपको ऐसा लग सकता है की वाकई इनका जाप करने से किसी के शरीर में देवता आ सकते हैं।

पर हकीकत तो ये है की आप चाहे किसी भी मन्त्र का जाप कर लें फिर चाहे वो किसी भी देवी देवता का हो, मन्त्र को मात्र जपने से कुछ नहीं हो सकता।

चाहे कोई भी बड़ा विद्वान् क्यों न हो मन्त्र मारने से इन्सान भस्म नहीं हो सकता।

मन्त्र मारने से कोई नासमझ इन्सान समझदार नहीं बन जाएगा। ये सब बातें काल्पनिक हैं।

हालाँकि ऐसा नहीं है की मन्त्रों की कोई उपयोगिता नहीं है? बिलकुल है, अगर मन्त्र का अर्थ समझकर आप जीवन में उसका उपयोग करें तो बहुत अच्छी और शुभ बात है।

उदाहरण के लिए ॐ नमः शिवाय भी एक मन्त्र है, यदि आप इस मन्त्र का इस्तेमाल इसलिए करते हैं ताकि इस मन्त्र का जाप करने से आपको सत्य के रास्ते पर चलने में मदद मिलती है तो बहुत अच्छी बात है।

लेकिन अगर आप सोच रहे हैं इस तरह के किसी मन्त्र का जाप कर लेने से किसी के शरीर में भगवान आ जायेंगे, किसी को पैसा मिल जायेगा तो ऐसा बिलकुल नहीं होने वाला।

ये बात सुनने में हो सकता है बहुत से लोगों को कडवी लगी पर हम नहीं चाहते आपको किसी तरह के झूठे भ्रम में रखना।

अन्यथा हम चाहते तो जैसे बाकी लोग यूँ ही कोई भी मन्त्र का जाप करने की सलाह देते हैं हम भी आपको वो सलाह दे सकते थे।

मां काली शरीर में कैसे आती है?

माँ काली की शक्तियाँ आप अपने जीवन में पाना चाहते हैं तो आपको शक्ति के रूप के तौर पहचाने जाने वाली माँ काली को समझना होगा।

माँ काली शरीर में कैसे प्रवेश करती है

माँ काली अपने विकराल रूप के लिए जानी जाती हैं जो दुष्टों का संहार कर पृथ्वी को अत्याचारी, पापियों से बचाती हैं।

तो हर वह पुरुष अथवा नारी जो अपने जीवन में माँ काली का आशीर्वाद जीवन पाने की इच्छा रखती है।

उसे समझना होगा की जीवन में झूठ, लालच, भय के आगे झुकने की बजाय हमेशा सच्चाई के रास्ते पर चलना चाहिए।

माँ काली के भक्त को ये समझना होगा की भले दुनिया स्वार्थी, लालची लोगों से भरी हुई है और हर कोई इस पृथ्वी का शोषण करने के लिए आतुर है, इसके बावजूद मुझे ऐसी दुनिया में भी सत्य के रास्ते को नहीं छोड़ना है।

मेरे भीतर भले कितना डर, लालच आये मुझे तो वही करना है, वहीं सुनना है जो सच्चा है, सुन्दर है। इस तरह जब इन्सान झूठ की उपेक्षा कर एक सही जीवन जीने का फैसला लेता है तो फिर माँ काली उस पर मेहरबान होती है।

फिर जो शक्तियाँ माँ काली की हमने सुनी हैं उसके भीतर आती है, उसका परिणाम ये होता है की जीवन में उसके निडरता आ जाती है।

वो यूँ तो शांत रहता है लेकिन गलत चीज़ों के सामने उसे बड़ा गुस्सा आता है, उसके जीवन में शांति रहती है अर्थात जीवन उसका जगमग हो जाता है।

तो संक्षेप में कहें तो वाकई चाहते हैं आपके शरीर में, आपके जीवन में माँ काली आये तो एक सही जिन्दगी जियें माँ काली का आशीर्वाद अवश्य मिलेगा।

सवारी आने के लक्षण 

अगर किसी के शरीर में सवारी आने वाली आती है तो कुछ प्रमुख लक्षण आपको दिखाई देते हैं।

जिसमें सबसे पहले इंसान के शरीर में कम्पन होने लगता है, धीरे धीरे जब ये कम्पन बढ़ने लगता है तो चेहरे के हाव भाव बदल जाते हैं और फिर कुछ ही पलों में वह व्यक्ति खुलकर क्रिया करने लगता है।

वो कई बार बैठकर तो खड़े रहकर शरीर में सवारी आने का प्रदर्शन करता है। इस तरह की क्रियाएं आज भी आपको देश के उन ग्रामीण स्थानों पर देखने को मिल जाएगी जहाँ वर्षों से इस तरह की परम्परा चली आ रही है।

वहां धार्मिक कार्य जैसे भजन, कीर्तन, जागरण के मौके पर सवारी आना आम बात हो जाती है।

शरीर में देवी कैसे आती है?

शरीर में देवी का प्रवेश तभी सम्भव है जब व्यक्ति भीतर की देवी को जागृत करने का चुनाव करे। अगर व्यक्ति ऐसा है जो लालच के आगे घुटने टेक देता है जो डर के कारण सही काम को करने से भाग जाता है।

शरीर में देवी कैसे आती है

जिसके लिए सच्चाई से बड़ी चीज लोगों की तारीफ़ है ऐसे व्यक्ति के जीवन में देवी का प्रवेश बहुत मुश्किल हो जाता है। देवी के दर्शन मात्र उस व्यक्ति के लिए होते हैं जो देवी के बताये रास्ते पर चलता है।

यानी जो व्यक्ति सिर्फ मुख से कहे नहीं बल्कि एक सच्चा जीवन जीने के लिए जितने भी प्रयास लगे, वो प्रयास करके दिखाए, जो भी मेहनत करनी पड़े करने के लिए तैयार रहता है।

और इस तरह सत्यनिष्ठ होकर जीवन जीने की कोशिश करता है मात्र ऐसे व्यक्ति के जीवन में देवी की झलक दिखाई देती है।

बाकी दुनिया भरी पड़ी है ऐसे लोगों से जो देवी की पूजा सुबह शाम करते हैं लेकिन जीवन में उनके सत्य कहीं नहीं होता। ऐसे लोगों के जीवन में देवी कभी नहीं आ पाती।

देवी तो मात्र उस व्यक्ति के जीवन में प्रवेश करती है जो सत्य के रास्ते पर चलने के लिए तैयार रहता है।

देवता शरीर में पहले ही हैं वो कहीं बाहर नहीं 

भारत में देवी देवताओं और शरीर में सवारी के नाम पर जितना अन्धविश्वास और तमाम तरह की विधियाँ और कर्मकांड किये जाते हैं उतना कहीं नहीं किया जाता, इसलिए विश्व में भारत का उपहास भी होता है।

देखिये निश्चित रूप से भगवान हैं, और उनका अस्तित्व है और सदा रहेगा। पर ऐसे नहीं जैसा हमें लगता है और जैसे हम उन्हें पाने की सोचते हैं।

हमें लगता है भगवान दूर किसी पहाड़ में, मंदिर में स्तिथ हैं और इन्सान उन्हें पाने के लिए कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान करते हैं, व्रत रखता है और तमाम तरह की क्रियाएं करता है।

इस बात को याद करते हुए कबीर साहब की एक पंक्ति याद आती है।

पाहन पूजे हरि मिले, मैं तो पूजूं पहार। याते चाकी भली जो पीस खाय संसार।

देखिये सच्चाई तो ये है की भगवान तो सदा से ही हमारे भीतर हैं, पर वो बात है की हम कभी भीतर का देवत्व जगाते नहीं है।

भीतर अगर सच्चाई के लिए प्रेम है, मन को अगर शांति पसंद है, मन अगर छल कपट करने और दूसरे का नुकसान करने का विरोध करता हो तो समझ लीजिये भीतर देवता विराजमान हैं।

और अगर मन ऐसा है जो सच्चाई से दूर भागता है, जो सही कर्म को करने से डरता है, मन अगर लालची है, हर बात पर शक करता है तो भीतर राक्षस बैठा है।

तो अब आप देख लीजिये आपके भीतर देवता हैं या राक्षस

मंदिर और तीर्थ स्थलों का क्या महत्व है?

चूँकि हमने जाना भीतर ही अगर देवता और राक्षस हैं तो फिर मन्दिरों का और धार्मिक स्थलों का जीवन में क्या महत्व है? क्यों हमें कहा जाता है रामायण या भगवद गीता का पाठ करने के लिए।

जब कुछ भी बाहर नहीं है तो अलग अलग स्थानों पर मन्दिर क्यों बनाये गए?

तो सुनिए, भीतर जो देवता है उन्हें जगाने के लिए कहा जाता है की तुम प्रभु श्री राम के जीवन को देखो उनसे सीखो ताकि हम भी उनकी भाँती एक ऊँचा जीवन जियें।

इसलिए फिर भगवान राम की, कृष्ण की और अनेक देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित की गई ताकि जहाँ भी जाएँ हम उन्हें याद करके अपने भीतर देवत्व को भोग लगाएं।

पर जब हम इस बात को समझते नहीं है और मंदिरों को अन्धविश्वास का केंद्र मानकर वहां सर झुकाकर घर लौट जाते हैं तो फिर भीतर का राक्षस और बलवान हो जाता है।

और यही कारण है की इतने सारे लोग जो खुद को धार्मिक बोलते हैं भीतर उनके राक्षस बैठा होता है जो उन्हें डराता है, लालच के लिए मजबूर करता है और इस तरह उनके जीवन को बर्बाद करता है।

तो समझिये निश्चित रूप से देवी देवताओं और मंदिरों की उपयोगिता है पर ऐसे नहीं जैसे हम उन्हें मानते आये हैं। देवताओं को बाहर की, किसी दूर की बात न समझें।

वो तुम्हारे ही भीतर हैं बस देख लीजिये मन में अगर सच्चाई, शांति, प्रेम है तो देवता का आशीर्वाद जीवन में हैं अन्यथा नहीं।

माता रानी शरीर में कैसे आती है?

माता रानी तो हमारे शरीर में पहले से शक्ति के रूप में मौजूद हैं, पर चूँकि हम सदा झूठ, लालच,डर के आगे झुक जाते हैं। हम जीवन में कोई भी अच्छा और ऊँचा काम करने का प्रयास नहीं करते इसलिए माता रानी की शक्ति हमारे जीवन में कभी दिखती नहीं है।

परिणाम यह होता है की हम एक झूठी जिन्दगी जीते हैं, हम अपना सच जानते हुए भी जरा सा सुधरने का प्रयास नहीं करते।

और इससे परिणाम यह होता है की जो भी इंसान हमारे सम्पर्क में आता है हम उसे भी वैसा ही बना देते हैं।

तो अगर आप पाओ आज दुनिया बहुत खराब है तो विचार करियेगा हम खराब हैं, अगर हम ठीक हो जायेंगे तो दुनिया ठीक हो जाएगी।

माता रानी का आशीर्वाद और उनकी शक्ति तो आज ही हमें मिल जाए, पर हम सही जिन्दगी जीने का फैसला तो लें। अगर झूठा जीवन जीते रहे और माता रानी को पूजते रहे तो माता रानी का आशीर्वाद आपको जीवन में कभी नहीं मिल जाएगा।

जागरण में माता कैसे आती है?

जागरण का वास्तविक अर्थ होता है अपनी हालत के प्रति जागना। ईमानदारी से अपने कर्मों को अपनी नियत और विचारों को जो इन्सान देख लेता है उसी क्षण वह जागृत हो जाता है।

जागरण में माता कैसे आती है

जागरण हर इन्सान के लिए बहुत बहुत जरूरी है अन्यथा इन्सान पूरी जिन्दगी आँख खुली होने के बाद भी बेहोशी का जीवन जीता है।

प्रायः हमारे समाज में जिस तरह जागरण का आयोजन किया जाता है, उसमें तो इंसान अपनी सच्चाई से और दूर चला जाता है।

जागरण में लगे पंडाल के बीच में इंसान भगवान को भजन कर उन्हें याद करता है। पर एक पल भी उसे अपना ख्याल नहीं आता, वो स्वयं के भीतर झाँकने की कोशिश नहीं करता।

इसलिए जो जागरण उसे होश में ला सकता था वही जागरण उसके लिए मनोरंजन का कार्यक्रम बन जाता है।

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अंतिम शब्द  

तो साथियों इस लेख को पढने के पश्चात शरीर में सवारी कैसे आती है? इस प्रश्न का वास्तविक उत्तर आपको मिल चुका होगा।

लेख को पढने के बाद मन में किसी तरह का कोई प्रश्न है तो 8512820608 इस नम्बर पर आप अपने सवालों को whatsapp कर सकते हैं, साथ ही लेख उपयोगी साबित हुआ है तो इसे शेयर भी कर दें।

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